NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
कोरोना वायरस ने आधुनिक समाज के भेदभाव से भरे चरित्र को उजागर कर दिया
कोरोना संक्रमण के दौरान पूरी दुनिया के आधुनिक समाज ने जिस तरह से अल्पसंख्यकों के साथ ज़हरीली नफ़रत दिखाई है, वह परेशान करने वाली है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
05 May 2020
अल्पसंख्यकों के साथ ज़हरीली नफ़रत
'प्रतीकात्मक तस्वीर' फोटो साभार : द डेली ऑरेंज

अमेरिका के डेमोक्रेटिक सांसदों के एक समूह ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच एशियाई मूल के अमेरिकियों के खिलाफ घृणा अपराध बढ़े हैं और ट्रंप प्रशासन से अनुरोध किया कि वह इसे रोकने के लिये ठोस कदम उठाए।

सहायक अटॉर्नी जनरल एरिक एस ड्रीबैंड को लिखे एक पत्र में कमला हैरिस समेत 16 सांसदों ने ट्रंप प्रशासन से अनुरोध किया है कि इस भेदभाव से वैसे ही निपटा जाए जैसे पूर्व में किया गया था।

सांसदों ने कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान एशियाई-अमेरिकियों और प्रशांत द्वीप (एएपीआई) के लोगों के खिलाफ घृणा अपराध और इन नस्ली तथा विदेशी लोगों से डर की वजह से किये जाने वाले हमलों के समाधान के लिये अपर्याप्त संघीय प्रतिक्रिया पूर्व में प्रशासन द्वारा किये गए प्रयासों से एकदम विपरीत है।

उन्होंने कहा कि एशियाई मूल के करीब दो करोड़ अमेरिकी और 20 लाख एएपीआई लोग कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ स्वास्थ्य देखभालकर्मी, सुरक्षा एजेंटों और अन्य आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों के तौर पर अग्रिम मोर्चे के काम में जुटे हैं।

सांसदों ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि नागरिक अधिकार प्रभाग सुनिश्चित करे कि वैश्विक महामारी के इस वक्त में सभी अमेरिकियों के नागरिक और संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हों।” उन्होंने कहा कि सिर्फ पिछले महीने में ही एशियाई-अमेरिकी संगठनों को देशभर से एशियाई लोगों के उत्पीड़न और भेदभाव की 1500 से ज्यादा घटनाओं की शिकायत मिली।

डेमोक्रेटिक सांसदों ने कहा कि यह मार्च में एफबीआई के उस आकलन के बाद हुआ है जिसमें आशंका जताई गई थी कि एशियाई अमेरिकियों के खिलाफ देश भर में अपराध की घटनाएं बढ़ सकती हैं जिससे एएपीआई समुदायों के लिये खतरा होगा।

यह सिर्फ अमेरिका का हाल नहीं है। कई यूरोपीय देशों और पकिस्तान एवं भारत में भी इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं। भारत में पिछले दिनों सौ से अधिक पूर्व नौकरशाहों ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर देश के कुछ हिस्सों में मुसलमानों के ‘उत्पीड़न’ पर दुख प्रकट किया था।

उन्होंने दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में बीते मार्च महीने में हुए तबलीगी जमात द्वारा कार्यक्रम आयोजित करने को ‘एक भटका हुआ एवं निंदनीय’ कृत्य करार दिया, लेकिन मुसलमानों के खिलाफ मीडिया के एक वर्ग द्वारा कथित तौर पर द्वेष फैलाने के कृत्य को बिल्कुल गैर जिम्मेदाराना एवं निंदनीय बताया।

पूर्व नौकरशाहों ने एक खुले पत्र में लिखा है कि इस महामारी के कारण उत्पन्न डर एवं असुरक्षा का उपयोग विभिन्न स्थानों पर मुसलमानों को सार्वजनिक स्थानों से दूर रखने के लिए किया जाता है ताकि बाकी लोगों को कथित तौर पर बचाया जाए।

उन्होंने कहा है कि पूरा देश अप्रत्याशित सदमे से गुजर रहा है। पत्र के अनुसार, ‘इस महामारी ने हमें जो चुनौती दी है उससे हम एकजुट रहकर एवं एक दूसरे की मदद कर ही लड़ सकते हैं एवं उससे निजात पा सकते हैं।’

उन्होंने उन मुख्यमंत्रियों की सराहना की जो आमतौर पर और खासकर इस महामारी के संदर्भ में दृढतापूर्वक धर्मनिरपेक्ष बने रहे हैं। इन 101 पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि वे किसी विशेष राजनीतिक विचारधारा से जुड़े नहीं हैं।

चिट्ठी लिखने वालों में पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर, पूर्व आईपीएस ऑफिसर एएस दुलत और जुलियो रिबेरो, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह, दिल्ली के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त एसवाई कुरैशी आदि शामिल थे।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस को लेकर तबलीगी जमात का मामला सामने आने बाद से सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाह और नफ़रत का असर देश के विभिन्न हिस्सों में देखने को मिल रहा है।

कहीं मुसलमान होने की वजह से सब्जी वाले को गली में घुसने नहीं दिया जा रहा, कहीं उनसे आधार कार्ड मांगा जा रहा, कहीं जबरदस्ती लोगों ने मुस्लिमों की दुकानें बंद करा दीं तो कहीं हिंदू फेरी वालों के ठेले पर भगवा झंडा लगा दिया जा रहा है, ताकि उसकी पहचान की जा सके।

इसे लेकर इतिहासकार रामचंद्र गुहा अपने एक लेख में लिखते हैं कि महामारियां तो बदल रही हैं लेकिन उनमें होने वाला भेदभाव सदियों से वैसा ही है। उन्होंने लिखा, '14वीं सदी में ब्यूबॉनक प्लेग नाम की एक महामारी ने यूरोप और एशिया के एक बड़े हिस्से को तबाह कर दिया था। इतिहास में यह महामारी ब्लैक डैथ यानी काली मौत के नाम से दर्ज है। यह समाज के लिए असाधारण कष्ट का कारण तो बनी ही, इस दौरान इंसानी पूर्वाग्रहों का बर्बर रूप भी दिखा।'

अपने लेख में अभी होने वाले भेदभाव को लेकर वो टिप्पणी करते हैं, 'कोरोना संकट के दौरान खुद को लोकतांत्रिक कहने वाली हमारी सरकार गरीबों के प्रति उतनी ही निर्मम रही है जितनी ब्रिटिश राज के वक्त की निरंकुश सरकारें रहा करती थीं। उधर, कथित रूप से आधुनिक हमारे समाज ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए जिस तरह की जहरीली नफरत दिखाई है वह वैसी ही है जो एक समय में मध्ययुगीन यूरोप की पहचान थी।'

गौरतलब है कि बिना समानुभूति और करुणा के हम किसी महामारी से नहीं निपट सकते हैं। लेकिन हमारे आधुनिक होते समाज को भेदभाव की महामारी ने जकड़ लिया है। दुनिया के हर कोने से यह भेदभाव उजागर हो रहा है। ऐसे में कोरोना के साथ एक लड़ाई इस भेदभाव भरे व्यवहार से भी लड़नी होगी।

हमें इस मामले में सरकार द्वारा फोन के कॉलरट्यून पर जारी संदेश को ध्यान से सुनना चाहिए। आजकल हमें जो संदेश किसी को फोन करने पर सुनाई दे रहा है वह कुछ यूं है, 'कोरोना वायरस से आज पूरा देश लड़ रहा है पर याद रहे कि हमें बीमारी से लड़ना है, बीमार से नहीं, उनसे भेदभाव न करें और उनकी देखभाल करें। इस बीमारी से बचने के लिए जो हमारे ढाल है, जैसे हमारे डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और सफाईकर्मी, उनका सम्मान करें और उनका पूरा सहयोग करें।'

हमें यह याद रखना होगा भेदभाव के साथ कोई लड़ाई जीती नहीं जा सकती। 

Coronavirus
Corona virus epidemic
Discrimination
Religious discrimination
Caste-based discrimination
inequality
Unequal society
Unequal Modern Society
Unequal Modernism
America
Asia
Global Epidemic

Related Stories

भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट

हम भारत के लोग: समृद्धि ने बांटा मगर संकट ने किया एक

सावधान: देश में 6 महीने बाद कोरोना के 50 हज़ार से ज्यादा नए मामले सामने आए

कोरोना अपडेट: देश के 14 राज्यों में ओमिक्रॉन फैला, अब तक 220 लोग संक्रमित

अपना बुटीक खोलने और अपनी ज़िंदगी खुलकर जीने के लिए हासिल की ट्रांस महिला की पहचान

सीएए : एक और केंद्रीय अधिसूचना द्वारा संविधान का फिर से उल्लंघन

कोविड-19: दूसरी लहर के दौरान भी बढ़ी प्रवासी कामगारों की दुर्दशा

मृत्यु महोत्सव के बाद टीका उत्सव; हर पल देश के साथ छल, छद्म और कपट

बेसहारा गांवों में बहुत बड़ा क़हर बनकर टूटने वाला है कोरोना

हमारा समाज मंदिर के लिए आंदोलन करता है लेकिन अस्पताल के लिए क्यों नहीं? 


बाकी खबरें

  • musahar
    तारिक़ अनवर
    यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित
    02 Mar 2022
    दलित आम तौर पर ऐसे मूक मतदाता माने जाते हैं, जो अपनी राजनीतिक प्राथमिकताओं का आसानी से इज़हार नहीं करते। हालांकि, इस चुनाव को नज़दीक से देखने पर इस बात के साफ़ संकेत मिल जाते हैं कि उनका झुकाव बसपा…
  • कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 7,554 नए मामले, 223 मरीज़ों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 7,554 नए मामले, 223 मरीज़ों की मौत
    02 Mar 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 0.20 फ़ीसदी यानी 85 हज़ार 680 हो गयी है।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन युद्ध ने यूरोपियन यूनियन और अमेरिका को ईरान सौदे पर सोचने को मजबूर किया
    02 Mar 2022
    क्या नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) के विस्तार पर अमेरिका-रूस टकराव और यूक्रेन के आसपास बने हालात वियना में चल रही ईरान परमाणु वार्ता को पटरी से उतार देगी?
  • ukraine
    एपी/भाषा
    रूस-यूक्रेन युद्ध अपडेट: कीव के मुख्य टीवी टावर पर बमबारी; सोवियत संघ का हिस्सा रहे राष्ट्रों से दूर रहे पश्चिम, रूस की चेतावनी
    02 Mar 2022
    रूसी बलों ने मंगलवार को यूक्रेन के घनी आबादी वाले शहरी इलाकों पर हमले तेज करते हुए यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर के मध्य स्थित एक मुख्य चौराहे और कीव के मुख्य टीवी टावर पर बमबारी की। वहीं भारत ने…
  • बिहार : सीटेट-बीटेट पास अभ्यर्थी सातवें चरण की बहाली को लेकर करेंगे आंदोलन
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : सीटेट-बीटेट पास अभ्यर्थी सातवें चरण की बहाली को लेकर करेंगे आंदोलन
    02 Mar 2022
    पालीगंज विधानसभा क्षेत्र से सीपीआई माले विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि वह सीटेट और बीटेटट उत्तीर्ण सभी अभ्यर्तियों के लिए सातवें चरण की बहाली के लिए 2014-21 तक सभी रिक्तियों को जोड़कर मार्च महीने में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License