NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
देशभक्ति का नायाब दस्तूर: किकबैक या कमीशन!
तिरछी नज़र: इतने कम किकबैक का सुन कर मन बहुत ही खट्टा था। कुछ सकून तब मिला जब पता चला कि यह खुलासा तो अभी एक ही है। इसके बाद अभी किकबैक के और भी खुलासे आने बाकी हैं।
डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
11 Apr 2021
देशभक्ति का नायाब दस्तूर: किकबैक या कमीशन!

अभी हाल ही में पता चला है कि रफ़ाल हवाई जहाज की खरीददारी में भी किसी को किकबैक, मतलब रिश्वत मिली है। और रिश्वत भी कितनी, बस आठ-साढ़े आठ करोड़। एक ओर तो मन बहुत प्रसन्न हुआ कि चलो, देश का दस्तूर तो निभाया गया। दूसरी ओर मन में निराशा भी बहुत हुई कि इतनी बड़ी डील में इतनी कम रिश्वत। यह तो रेट खराब करने वाली बात हुई। मोदी जी व्यापारी हैं, व्यापारियों के मित्र हैं। उनके राज में इतने कम की उम्मीद तो हरगिज ही नहीं थी। कुछ तो लिहाज रखा ही जाना था। कुछ तो ज्यादा होनी ही चाहिए थी। 

जहाँ तक बात है डील की। यह किसी को भी नहीं पता है कि यह डील वास्तव में कितने की है। यह या तो प्रधानमंत्री जी को पता है या फिर रक्षा मंत्री जी और वित्त मंत्री जी को। दो चार अफसरों को भी पता हो सकता है। वैसे कीमत भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश गोगोई जी और उनके साथ बैंच में शामिल अन्य न्यायाधीशों को भी पता हो सकती है लेकिन तभी यदि उन्होंने वह बंद लिफाफा खोला होगा जिसमें सरकार ने रफ़ाल जहाज की कीमत उच्चतम न्यायालय को बताई थी।

अगर रफ़ाल हवाई जहाज की कीमत के बारे में मोटा मोटा अंदाज लगायें तो, अखबारों में उसकी कीमत बताई जा रही थी कोई पंद्रह सौ करोड़ से सत्रह सौ करोड़ रुपए प्रति हवाई जहाज। छत्तीस रफ़ाल हवाई जहाजों की कीमत छोटे अनुमान से भी कोई चौवन-पचपन हजार करोड़ हुई। कुछ लोग डील के उनचास हजार करोड़ की होने का अंदाजा लगा रहे हैं। लेकिन इतनी बड़ी डील में से दलाली यानी किकबैक केवल साढ़े आठ करोड़। दशमलव आधा प्रतिशत से भी कहीं बहुत कम। हम कोई भिखमंगे हैं, भिखारी हैं कि जो मरजी पकड़ा दिया। छुट्टे पैसे तो हमारे यहाँ आजकल कोई भिखारी भी नहीं लेता है।

हमारे देश में खरीदारी दो तरह से होती है। एक अपने लिए और एक देश के लिए। अपने लिए खरीदने का क्या है, बाजार गये, जरूरत की चीज पसंद की, मोलभाव किया और खरीद लाये। हम भी खुश और दुकानदार भी खुश। हमें सामान मिला और उसे हाथों हाथ पैसे। वह थोड़े मुनाफे में भी सामान बेच देता है।

पर सरकारी खरीद में बहुत लफड़ा होता है। एक विभाग पहले 'डिमांड जनरेट' करता है। 'डिमांड जनरेट' कर दूसरे डिपार्टमेंट को भेजता है। दूसरा डिपार्टमेंट देखता है कि डिमांड जेनविन है भी या नहीं। अर्थात उस डिपार्टमेंट को भी इस खरीददारी में कोई लाभ होगा या नहीं। यदि उसे लाभ न हो तो वह डिमांड वापस भेज देता है। फिर डिमांड जाती है, 'टेक्नीकल कमेटी' के पास। वह भी अपने फायदे का हिसाब लगा लेती है। अंततः डिमांड जाती है वित्त विभाग के पास। वह कीमत के ऊपर अपना और बाकी सबका हिस्सा लगा कर निविदा पास कर देती है। पर यदि किसी ने कम कीमत कोट कर दी तो 'टेक्नीकल कमेटी' काम आती है। समझो फ्रांस वालों, हमारे यहाँ सब कुछ सामूहिक होता है। सबका रोल और सबका हिस्सा। यह दशमलव आधा प्रतिशत से काम नहीं चलेगा। हमारे यहाँ तो रेट दस से बीस प्रतिशत का है। तुम विदेशी हो, तुम्हारे यहाँ दस्तूर नहीं होगा इसलिए हम कम में मान जायेंगे। पर इतना कम में तो हरगिज नहीं। 

इतने कम किकबैक का सुन कर मन बहुत ही खट्टा था। कुछ सकून तब मिला जब पता चला कि यह खुलासा तो अभी एक ही है। इसके बाद अभी किक बैक के और भी खुलासे आने बाकी हैं। और वे इससे अधिक बड़े हैं। चलो बड़ी डील है। दस बीस पर्सेन्ट नहीं तो दो चार पर्सेन्ट कमीशन तो होना ही चाहिए। यह थोड़ी न है कि कोई कह रहा है कि न खाऊँगा, न खाने दूँगा तो वह स्वयं भी भूखा ही रह लेगा। औरों को भूखा रखना आसान है भई, पर अपनी भूख मारना, खुद भूखे रह जाना साधुओं-सन्यासियों और फकीरों को भी नहीं आता है। यह भी तो किसी फकीर ने ही कहा है, 'भूखे पेट भजन न होई, गोपाला'। 

देखो फ्रांस वालों, यह जो तुम किक बैक या कमीशन कह रहे हो न, यह हमारी देशभक्ति ही है। यह देश से बाहर गये पैसे को देश में वापस लाने का एक नायाब तरीका है। तो फ्रांस वालों, हमारे देश के महान दस्तूर का ध्यान रखना और हमें समूचित किक बैक यानी कमीशन पहूँचा देना। नहीं तो देख लेना। अब तो हमारे पास छप्पन इंच के सीने के साथ-साथ रफ़ाल भी है 

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

tirchi nazar
Satire
Political satire
Patriotism
Rafale deal

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार-जी, बम केवल साइकिल में ही नहीं लगता

विज्ञापन की महिमा: अगर विज्ञापन न होते तो हमें विकास दिखाई ही न देता

तिरछी नज़र: बजट इस साल का; बात पच्चीस साल की

…सब कुछ ठीक-ठाक है

तिरछी नज़र: ‘ज़िंदा लौट आए’ मतलब लौट के...

तिरछी नज़र: ओमीक्रॉन आला रे...

तिरछी नज़र: ...चुनाव आला रे

चुनावी चक्रम: लाइट-कैमरा-एक्शन और पूजा शुरू

कटाक्ष: इंडिया वालो शर्म करो, मोदी जी का सम्मान करो!

तिरछी नज़र: विश्व गुरु को हंसना-हंसाना नहीं चाहिए


बाकी खबरें

  • सौरभ शर्मा
    'नथिंग विल बी फॉरगॉटन' : जामिया छात्रों के संघर्ष की बात करती किताब
    09 May 2022
    वह जिनमें निराशा भर गई है, उनके लिए इस नई किताब ने उम्मीद जगाने का काम किया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी विवाद में नया मोड़, वादी राखी सिंह वापस लेने जा रही हैं केस, जानिए क्यों?  
    09 May 2022
    राखी सिंह विश्व वैदिक सनातन संघ से जुड़ी हैं। वह अपनी याचिका वापस लेने की तैयारी में है। इसको लेकर उन्होंने अर्जी डाल दी है, जिसे लेकर हड़कंप है। इसके अलावा कमिश्नर बदलने की याचिका पर सिविल जज (…
  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक ब्यूरो
    क्या हिंदी को लेकर हठ देश की विविधता के विपरीत है ?
    08 May 2022
    पिछले महीने देश के गृह मंत्री अमित शाह ने बयान दिया कि अलग प्रदेशों के लोगों को भी एक दूसरे से हिंदी में बात करनी चाहिए। इसके बाद देश में हिंदी को लेकर विवाद फिर एक बार सामने आ गया है। कई विपक्ष के…
  • farmers
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग
    08 May 2022
    किसान संगठनों ने 9 मई को प्रदेशभर में सिवनी हत्याकांड और इसके साथ ही एमएसपी को लेकर अभियान शुरू करने का आह्वान किया।
  • kavita
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : माँओं के नाम कविताएं
    08 May 2022
    मदर्स डे के मौक़े पर हम पेश कर रहे हैं माँओं के नाम और माँओं की जानिब से लिखी कविताएं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License