NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंत तक नहीं मिली ज़मानत: आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का निधन
पिछले महीने, एनआईए ने उच्च न्यायालय के समक्ष हलफनामा दायर कर स्वामी की जमानत याचिका का यह कहकर विरोध किया था कि उनकी बीमारी के कोई “ठोस सबूत” नहीं हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
05 Jul 2021
अंत तक नहीं मिली ज़मानत: आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का निधन
Image courtesy : Scroll

मुंबई: एल्गार परिषद-माओवादियों से संबंध मामले में आरोपी आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी का आज निधन हो गया। उनका यहां होली फैमिली हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। वह वेटिंलेटर पर थे।

अस्पताल के अधिकारियों ने बंबई उच्च न्यायालय को स्टेन स्वामी के निधन की सूचना दी।

इससे पहले उनकी सेहत नाजुक होने की जानकारी उनके वकील मिहिर देसाई ने दी थी। वरिष्ठ अधिवक्ता ने पीटीआई-भाषा को बताया था कि रविवार रात तक, 84 वर्षीय जेशुइट (ईसा मसीह की रॉयल कैथलिक समाज का सदस्य) पादरी जीवनरक्षक प्रणाली पर थे।

अदालत के 28 मई के आदेश के बाद से स्वामी का यहां होली फैमिली हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। निजी अस्पताल में उनके इलाज का खर्च उनके सहयोगी एवं मित्र उठा रहे थे।

शनिवार को, अधिवक्ता देसाई ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की पीठ को बताया कि स्वामी का स्वास्थ्य नाजुक बना हुआ है और वह अब भी अस्पताल के गहन देखभाल कक्ष (आईसीयू) में हैं।

पीठ ने मंगलवार को स्वामी की चिकित्सीय आधार पर दायर जमानत याचिका पर सुनवाई मंगलवार को टाल दी थी और तब तक उन्हें अस्पताल में रहने को कहा था।

पिछले हफ्ते, स्वामी ने अदालत में एक नई याचिका भी दायर कर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) की धारा 43डी (पांच) को चुनौती दी थी जो इस कानून के तहत आरोपी बनाए गए व्यक्ति की जमानत पर सख्त शर्तें लगाती है।

सोमवार को, देसाई ने कहा कि वह जमानत याचिका या यूएपीए के प्रावधानों को चुनौती देने वाली नई याचिका दोनों में किसी पर तत्काल सुनवाई के अनुरोध के साथ उच्च न्यायालय का रुख नहीं करेंगे।

देसाई ने कहा था, ‘‘ मुझे सुबह में उनकी (स्वामी) सेहत के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। लेकिन कल देर रात तक वह जीवनरक्षक प्रणाली पर थे।”

उन्होंने कहा, “इसलिए, अब प्राथमिकता उनका इलाज है। अगर कल को अदालत उन्हें बरी कर भी देती है, तो क्या हो जाएगा? उनके स्वास्थ की स्थिति ऐसी है कि उन्हें अस्पताल में ही रहना होगा।”

वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह भी कहा कि उन्हें उच्च न्यायालय और निजी अस्पताल से कोई शिकायत नहीं है।

उन्होंने कहा, “उच्च न्यायालय ने उनके लिए बेहतर इलाज सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ किया। और अस्पताल में, बेहतरीन ह्रदय रोग विशेषज्ञ और अन्य विशेषज्ञ उनका इलाज कर रहे हैं। मेरी शिकायत सिर्फ तालोजा जेल अधीक्षक और एनआईए (मामले के अभियोजनएजेंसी) के खिलाफ है।”

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एएचआरसी) ने जेल में बंद कैदी की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति का आरोप लगाने वाली एक शिकायत पर रविवार को महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

राज्य के मुख्य सचिव के माध्यम से भेजे गए नोटिस में, एनएचआरसी ने स्वामी के मूलभूत मौलिक अधिकारों के संरक्षण एवं जीवनरक्षक उपाय के तहत उनके लिए उचित चिकित्सा देखभाल और उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।

आयोग ने शिकायत में लगाए गए आरोपों के मद्देनजर एक रिपोर्ट और कार्यकार्ता का उपचार रिकॉर्ड भी प्रस्तुत करने को कहा है।

स्वामी और एल्गार मामले में उनके सह-आरोपियों ने पड़ोस के नवी मुंबई स्थित तालोजा जेल जहां वे विचाराधीन कैदी के रूप में बंद है, में अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं की बार-बार शिकायत की है।

उच्च न्यायलय में दायर अपनी याचिकाओं के साथ ही मौखिक और लिखित बयानों में, उन्होंने चिकित्सा सुविधा, समय से जांच कराने और स्वच्छता एवं शारीरिक दूरी सुनिश्चित करने में तालोजा जेल अधिकारियों द्वारा कदम न उठाने की कई बार शिकायत की है।

इस साल मई में, स्वामी ने उच्च न्यायालय की अवकाश पीठ को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बताया था कि तालोजा जेल में उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता रहा।

उन्होंने उच्च न्यायालय से उस वक्त अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया था और कहा था कि अगर चीजें वहां ऐसी ही चलती रहीं तो वह ‘‘बहुत जल्द मर जाएंगे।”

एल्गार परिषद-माओवादियों से संबंध मामले में अन्य आरोपी - कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े और वर्नोन गोन्जाल्विस की पत्नियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि इस साल मार्च में तेलतुंबड़े द्वारा लिखे लेख के एक पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद से तालोजा जेल अधीक्षक मामले में सभी आरोपियों द्वारा या उनको लिखे गए पत्रों को रोके हुए हैं।

सोमवार को, अधिवक्ता देसाई ने कहा कि तालोजा जेल से अधीक्षण के स्थानांतरण की खबर है हालांकि उनके तबादले के कारणों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।

एल्गार-परिषद मामले में, स्वामी और उनके सह-आरोपियों पर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने आरोप लगाया है कि ये सभी प्रतिबंधित माकपा (माओवादी) की तरफ से काम कर रहे अग्रणी संगठन के सदस्य थे।

पिछले महीने, एनआईए ने उच्च न्यायालय के समक्ष हलफनामा दायर कर स्वामी की जमानत याचिका का विरोध किया था। इसने कहा था कि उनकी बीमारी के कोई “ठोस सबूत” नहीं हैं। इसने आरोप लगाया था कि स्वामी माओवादी थे जिन्होंने देश में अशांति पैदा करने के लिए साजिश रची थी।

एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुए एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों से संबंधित है जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि अगले दिन इन भाषणों के कारण कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Stan Swamy dies
Stan Swamy
Tribal rights activist
Fr. Stan Swamy
tribal rights
Holy Family Hospital
Bhima Koregaon Case
Medical bail

Related Stories

मोदी जी, देश का नाम रोशन करने वाले इन भारतीयों की अनदेखी क्यों, पंजाबी गायक की हत्या उठाती बड़े सवाल

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

एनआईए स्टेन स्वामी की प्रतिष्ठा या लोगों के दिलों में उनकी जगह को धूमिल नहीं कर सकती

फादर स्टेन स्वामी की हिरासत में मौत 'हमेशा के लिए दाग': संयुक्त राष्ट्र समूह

जम्मू में जनजातीय परिवारों के घर गिराए जाने के विरोध में प्रदर्शन 

कोरबा : रोज़गार की मांग को लेकर एक माह से भू-विस्थापितों का धरना जारी

मैंने बम नहीं बाँटा था : वरवरा राव

एल्गार परिषद मामला : कोर्ट ने कहा वरवरा राव को 18 नवंबर तक सरेंडर करने की ज़रूरत नहीं

'नये भारत' को नफ़रती भीड़तंत्र क्यों बना रहे हैं, मोदी जी!

स्टेन स्वामी की मौत एक संस्थानिक हत्या थी’: सह-कैदियों ने उद्धव ठाकरे को अपने पत्र में लिखा था


बाकी खबरें

  • अभिलाषा, संघर्ष आप्टे
    महाराष्ट्र सरकार का एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम को लेकर नया प्रस्ताव : असमंजस में ज़मीनी कार्यकर्ता
    04 Apr 2022
    “हम इस बात की सराहना करते हैं कि सरकार जांच में देरी को लेकर चिंतित है, लेकिन केवल जांच के ढांचे में निचले रैंक के अधिकारियों को शामिल करने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता”।
  • रवि शंकर दुबे
    भगवा ओढ़ने को तैयार हैं शिवपाल यादव? मोदी, योगी को ट्विटर पर फॉलो करने के क्या हैं मायने?
    04 Apr 2022
    ऐसा मालूम होता है कि शिवपाल यादव को अपनी राजनीतिक विरासत ख़तरे में दिख रही है। यही कारण है कि वो धीरे-धीरे ही सही लेकिन भाजपा की ओर नरम पड़ते नज़र आ रहे हैं। आने वाले वक़्त में वो सत्ता खेमे में जाते…
  • विजय विनीत
    पेपर लीक प्रकरणः ख़बर लिखने पर जेल भेजे गए पत्रकारों की रिहाई के लिए बलिया में जुलूस-प्रदर्शन, कलेक्ट्रेट का घेराव
    04 Apr 2022
    पत्रकारों की रिहाई के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा का गठन किया है। जुलूस-प्रदर्शन में बड़ी संख्या में आंचलिक पत्रकार भी शामिल हुए। ख़ासतौर पर वे पत्रकार जिनसे अख़बार…
  • सोनिया यादव
    बीएचयू : सेंट्रल हिंदू स्कूल के दाख़िले में लॉटरी सिस्टम के ख़िलाफ़ छात्र, बड़े आंदोलन की दी चेतावनी
    04 Apr 2022
    बीएचयू में प्रशासन और छात्र एक बार फिर आमने-सामने हैं। सीएचएस में प्रवेश परीक्षा के बजाए लॉटरी सिस्टम के विरोध में अभिभावकों के बाद अब छात्रों और छात्र संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है।
  • टिकेंदर सिंह पंवार
    बेहतर नगरीय प्रशासन के लिए नई स्थानीय निकाय सूची का बनना ज़रूरी
    04 Apr 2022
    74वां संविधान संशोधन पूरे भारत में स्थानीय नगरीय निकायों को मज़बूत करने में नाकाम रहा है। आज जब शहरों की प्रवृत्तियां बदल रही हैं, तब हमें इस संशोधन से परे देखने की ज़रूरत है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License