NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
भारत
राजनीति
यूपी चुनाव : क्या ग़ैर यादव ओबीसी वोट इस बार करेंगे बड़ा उलटफेर?
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लगभग 39 प्रतिशत वोट शेयर में कुर्मी और कोइरी के साथ-साथ नॉन डॉमिनेंट ओबीसी ने भी भारी संख्या योगदान दिया था। हालांकि इस बार समाजवादी पार्टी की ग़ैर यादव ओबीसी वोट को एकजुट करने की रणनीति काम करती दिख रही है।
सोनिया यादव
14 Jan 2022
cartoon

विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले कड़ाके की ठंड़ के बीच उत्तर प्रदेश की सियासत में अलग ही गरमाहट दिखाई दे रही है। राजनीतिक गलियारों में केंद्रीय मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य सहित अन्य बीजेपी नेताओं का इस्तीफा चर्चा में है तो वहीं ग़ैर यादव ओबीसी वोट बैंक पर भी सभी पार्टियों की नज़र है। चुनावी समर से पहले इस पूरे घटनाक्रम को जहां ट्रेलर बताया जा रहा है, वहीं पूरी पिक्चर का इंतज़ार अब सबको है।

बता दें कि बीते तीन दिन में बीजेपी के 14 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया है जिसमें तीन मंत्री भी शामिल हैं। ये सब कुछ टिकट बंटवारे की घोषणा के ठीक पहले हो रहा है। मौर्य गुट का दावा है कि अभी और इस्तीफे होंगे। उनके साथ जाने वाले मंत्री और विधायकों की लिस्ट लंबी है। इस वजह से कहा जा रहा है कि आने वाले चुनाव में बीजेपी का 'जातीय अंकगणित' थोड़ा कमज़ोर होने की संभावना है।

यूपी में ग़ैर यादव ओबीसी वोट बैंक कितना बड़ा है?

उत्तर प्रदेश के राजनीतिक जानकारों के अनुमान को मानें तो प्रदेश में ओबीसी वोट लगभग 35 से 40 फ़ीसदी हैं जिसमें डॉमिनेंट यादव ओबीसी 10 से 15 फ़ीसदी के आस-पास हैं, वहीं बाक़ी के 25 फ़ीसदी नॉन-डॉमिनेंट ओबीसी (मौर्य, लोध, शाक्य आदि) हैं। मंडल पॉलिटिक्स के बाद एक दौर में ओबीसी की बात राजनीति में ख़ूब हुई। उस दौर में ओबीसी पार्टियाँ उभर कर आईं, चुनावी राजनीति में उन्हें एक वोट बैंक के तौर पर देखा जाने लगा। इस समय ओबीसी में कोई बंटवारा खास तौर पर नहीं था। लेकिन पिछले 10-15 सालों में ओबीसी में भी दो तरह के ओबीसी की बात होने लगी है। डॉमिनेंट ओबीसी और नॉन-डॉमिनेंट ओबीसी यानी उत्तर प्रदेश में यादव बनाम मौर्य, लोध, शाक्य आदि।

आँकड़ों की बात करें तो 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के पीछे सवर्णों के साथ साथ नॉन-डॉमिनेंट (लोअर) ओबीसी बहुत बड़ा कारण रहे हैं। जहां साल 2009 से पहले तक बीजेपी के पास 20-22 फ़ीसदी ओबीसी वोटर थे। वहीं साल 2014 में ओबीसी वोट 33-34 फ़ीसदी हो गए। साल 2019 में ये और बढ़कर 44 फ़ीसदी हो गए।

2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को लगभग 39 प्रतिशत वोट शेयर मिला था। जिसमें कुर्मी और कोइरी के साथ साथ नॉन-डॉमिनेंट ओबीसी ने भी भारी संख्या में बीजेपी का साथ दिया था।

सवर्ण बनाम ओबीसी

स्वामी प्रसाद मौर्य की पैठ पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ प्रदेश के कुछ अन्य इलाकों में ग़ैर यादव ओबीसी आबादी में भी है। 2016 में जब बसपा छोड़ कर मौर्य बीजेपी में आए थे तो 15 सीटों पर उन्होंने अपने उम्मीदवार को टिकट दिए जाने की डील की थी जिसमें से 12 उम्मीदवार जीते भी थे। स्वामी के अलावा पार्टी छोड़ने वालों में कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान, बांदा जिले की तिंदवारी विधानसभा से बीजेपी विधायक ब्रजेश प्रजापति भी शामिल हैं, जो कुम्हार जाति से आते हैं।

शाहजहांपुर की तिलहर सीट से रोशनलाल वर्मा जो लोध बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं उन्होंने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है। बिधूना औरैया से विधायक विनय शाक्य, कानपुर के बिल्हौर से भगवती सागर भी पार्टी से अलग होने का ऐलान कर चुके हैं। इन सभी का जाना भी जातियों के लिहाज से बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं इसका फायदा समाजवादी पार्टी को मिस सकता है। पूर्वांचल से लेकर बुंदेलखंड और वेस्ट यूपी तक अखिलेश यादव गैर यादव पिछड़े-अति पिछड़े नेताओं को जोड़ने की कोशिश में लगे हैं।

बहरहाल, इस चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य का बीजेपी से जाना सत्ता में कितना बड़ा उलटफेर करता है ये तो चुनावी नतीजे ही बता सकते हैं, फिलहाल मामला सवर्ण बनाम ओबीसी का बनता नज़र आ रहा है जिसकी काट बीजेपी ढूंढने में लगी है। हालांकि समाजवादी पार्टी की तरफ़ देखें तो वो ग़ैर यादव ओबीसी वोट को एकजुट करने की रणनीति पर इस बार काम करती दिख रही है, जो पार्टी के जातीय अंकगणित को और मज़बूती दे रहा है।

Uttar pradesh
UP Assembly Elections 2022
UP POLITICS
BJP
SP
caste politics
OBC
Yadav Voter
Dalit-Bramins Politics

Related Stories

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

सवर्णों के साथ मिलकर मलाई खाने की चाहत बहुजनों की राजनीति को खत्म कर देगी

जहांगीरपुरी— बुलडोज़र ने तो ज़िंदगी की पटरी ही ध्वस्त कर दी

अमित शाह का शाही दौरा और आदिवासी मुद्दे

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन

यूपी चुनाव परिणाम: क्षेत्रीय OBC नेताओं पर भारी पड़ता केंद्रीय ओबीसी नेता? 

अनुसूचित जाति के छात्रों की छात्रवृत्ति और मकान किराए के 525 करोड़ रुपए दबाए बैठी है शिवराज सरकार: माकपा

यूपी चुनाव में दलित-पिछड़ों की ‘घर वापसी’, क्या भाजपा को देगी झटका?

सीवर और सेप्टिक टैंक मौत के कुएं क्यों हुए?

यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित


बाकी खबरें

  • maliyana
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल
    23 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह न्यूज़क्लिक की टीम के साथ पहुंची उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मलियाना इलाके में, जहां 35 साल पहले 72 से अधिक मुसलमानों को पीएसी और दंगाइयों ने मार डाला…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया
    23 May 2022
    अचानक नाव में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते नाव अनियंत्रित होकर गंगा में पलट गई। नाविक ने किसी सैलानी को लाइफ जैकेट नहीं पहनाया था।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः जिला जज ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा अपना फैसला, हिन्दू पक्ष देखना चाहता है वीडियो फुटेज
    23 May 2022
    सोमवार को अपराह्न दो बजे जनपद न्यायाधीश अजय विश्वेसा की कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की चार याचिकाओं पर जिला जज ने दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?
    23 May 2022
    2019 के बाद से जो प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, उनसे ना तो कश्मीरियों को फ़ायदा हो रहा है ना ही पंडित समुदाय को, इससे सिर्फ़ बीजेपी को लाभ मिल रहा है। बल्कि अब तो पंडित समुदाय भी बेहद कठोर ढंग से…
  • राज वाल्मीकि
    सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा
    23 May 2022
    सीवर, संघर्ष और आजीविक सीवर कर्मचारियों के मुद्दे पर कन्वेन्शन के इस नाम से एक कार्यक्रम 21 मई 2022 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया मे हुआ।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License