NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
चुनाव 2022
विधानसभा चुनाव
भारत
राजनीति
यूपी चुनाव: न ध्रुवीकरण हो रहा, न लाभार्थी कार्ड चल रहा, न मोदी जी जनता से कनेक्ट कर पा रहे
तीसरे चरण की तैयारियों के बीच मोदी जी की लखीमपुर रैली रद्द होना भाजपा के लिए बड़ा झटका।
लाल बहादुर सिंह
18 Feb 2022
voting
Image courtesy : India Today

तीसरे चरण के ठीक पहले उत्तरप्रदेश चुनाव में हवा का रुख बताने के लिए यह खबर ही पर्याप्त है कि लखीमपुर में 20 फरवरी के लिए तय मोदी जी की चुनावी रैली, जिसके लिए तैयारियां एडवांस स्टेज में थीं, अब रद्द कर दी गयी है। और अबकी बार इसके लिए " खराब मौसम " का बहाना भी उपलब्ध नहीं है !

किसानों की हत्या के मुख्य सूत्रधार कहे जाने वाले गृह राज्यमंत्री टेनी को मोदी-शाह के खुले संरक्षण और अब 4 महीने के अंदर सरकार की मिलीभगत से हत्या के मुख्य आरोपी उनके बेटे की जमानत से कुपित किसानों की सम्भावित प्रतिक्रिया के मद्देनजर यह फैसला लेना पड़ा है। यह मामला किसानों के प्रति सरकार की संवेदनहीनता और क्रूरता का सबसे बड़ा प्रतीक बन गया है।

तीसरे चरण की तैयारियों के बीच प्रदेश के सबसे बड़े, बहुचर्चित जिले में जनता के आक्रोश के मद्देनजर प्रधानमंत्री की रैली का रद्द होना भाजपा के लिए बड़ा झटका है और किसी 'अपशकुन' से कम नहीं है।

शुरुआती दोनों चरण के मतदान को लेकर भी अब यह आम राय है कि इनके बाद गठबंधन ने निश्चित बढ़त बना ली है। विश्लेषक इस बात पर आम तौर पर एकराय हैं कि चुनाव के आख़िरी दोनों चरणों में पूर्वांचल में यही कहानी दुहरायी जाएगी, शायद और अधिक आवेग और तीव्रता के साथ।

इसका इससे बड़ा सुबूत क्या हो सकता है कि जहाँ पहले विपक्षी दल धांधली की शिकायत करते थे, वहीं अब सत्ताधारी पार्टी के नेता इसकी शिकायत कर रहे हैं । ताकतवर मंत्री सुरेश राणा ने अपने क्षेत्र में 40 बूथों पर अधिक मतदान की शिकायत करते हुए पुनर्मतदान की मांग की, तो भाजपा के मीडिया प्रभारी जेपीएस राठौर ने बुर्के में फ़र्ज़ी मतदान की शिकायत करते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखा। हालांकि इन दोनों शिकायतों को तथ्यहीन मानकर आयोग ने ख़ारिज कर दिया। शाहजहांपुर में सपा के बूथ एजेंट की हत्या ऐसी ही बौखलाहट का नतीजा लगती है।

अब देखना यह है कि पश्चिम-मध्य UP, बुंदेलखंड, तराई और अवध में होने जा रहे मध्यवर्ती तीन चरणों में भाजपा किसी नई रणनीति के साथ शुरुआती चरणों में अपने निश्चित नुकसान की भरपाई कर सकती है या ये इलाके भी उसकी मुश्किल और बढ़ाने वाले हैं।

क्षेत्रीय विशिष्टताएं तो थी हीं, पर पहले 2 चरणों के मतदान से पूरे प्रदेश के मतदान के ट्रेंड को समझने के लिए कुछ आम सूत्र सामने आ चुके हैं। सबसे बड़ा संकेत तो यह है कि भाजपा का जो सबसे बड़ा poll plank था-ध्रुवीकरण का कार्ड -वह इस चुनाव में नहीं चल रहा है। यह भी साफ है कि वह जब उन इलाकों में नहीं चला जहाँ मुस्लिम आबादी सर्वाधिक है, तो अब प्रदेश के कम अल्पसंख्यक आबादी वाले इलाकों में उसके कारगर होने का सवाल ही नहीं।

किसान-आंदोलन से बनी एकता और सद्भाव को तोड़ने में मोदी-शाह-योगी तिकड़ी ने पहले दो चरणों में कुछ भी उठा नहीं रखा। लेकिन वे बुरी तरह नाकाम रहे। तमाम किसान समुदायों ने जाति-धर्म के पार एकजुट होकर गठबंधन के लिए वोट किया।

ध्रुवीकरण की desperate, सारी मर्यादाएं भंग करती, डरावनी कोशिशों का उल्टा असर हुआ, इसने अल्पसंख्यकों तथा किसानों के कान खड़े कर दिए और उन्होंने और भी आक्रामक गोलबंदी और एकजुटता के साथ इसका जवाब दिया। अलबत्ता भाजपा समर्थकों का एक हिस्सा, नाउम्मीदी के कारण, passive हो गया और उसके मतदान का प्रतिशत गिर गया।

नवजीवन पोलिटिकल ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार 14 फरवरी को दूसरे चरण की वोटिंग के बीच ही मोहन भागवत ने यूपी के संघ पदाधिकारियों के साथ हुई एक वर्चुअल बैठक में कहा कि ‘आईबी की रिपोर्ट बताती है कि पहले चरण में बीजेपी को काफी नुकसान हुआ है ( उसे मात्र 17 सीट मिलने का अनुमान है ) और दूसरे चरण में भी हालत सही नहीं है।’ एक संघ प्रचारक ने कहा कि, “अगर योगी 2022 का चुनाव हारते हैं तो मोदी भी 2024 का चुनाव हार सकते हैं।”

अब भाजपा एक catch-22 situation में फंस गई है। ध्रुवीकरण का मुद्दा वह छोड़ नहीं सकती क्योंकि उसके पास अपनी विराट विफलताओं से ध्यान भटकाने और भावनात्मक शोषण कर वोट हासिल करने के लिए दूसरा कोई उपाय नहीं है। लेकिन ध्रुवीकरण की कोशिशों का असर उल्टा हो रहा है-उनके पक्ष में तो ध्रुवीकरण हो नहीं रहा है, उल्टे उन्हें हराने वाली ताकतें अधिक चौकन्नी और एकजुट हो जा रही हैं।

इसीलिए दूसरे चरण के बाद उनकी रणनीति में बदलाव दिख रहा है, ध्रुवीकरण की एकांगी आक्रामकता की जगह अब एक बैलेंसिंग एक्ट की बेचैनी दिख रही है। कानपुर देहात के एक ही भाषण में एक ओर मोदी जी ने मुस्लिम महिलाओं, यहां तक कि मुस्लिम पुरुषों से अपील की, वहीं दूसरी ओर TMC सांसद महुआ मोइत्रा के गोवा चुनाव के सन्दर्भ में दिये गए एक बयान की अपने तरह से व्याख्या करते हुए " हिन्दू एकता को तोड़ने " की उनकी कोशिश के लिए उन्हें ललकारा ( " उनकी यह मजाल कि उन्होंने हिन्दू एकता को तोड़ने ...... ") और एक तरह से हिंदुओं से एक होने का आह्वान कर डाला !

योगी जी ने एक ही दिन एक ओर अपने 80-20 के कुख्यात बयान की नई "उदार सेकुलर " व्याख्या पेश की-80 विकास चाहने वाले, 20 उसमें रोड़े अटकाने वाले विरोधी, दूसरी ओर उन्होंने गज़वा-ए-हिन्द का सपना देखने वालों को चुनौती दी और उस जुमले से हिंदुओं को डराकर अपने पीछे लामबंद करने की कोशिश की। संतुलन बनाने की कोशिश से निकला उनका नया नारा है, " विकास भी, बुलडोजर भी "

बहरहाल, UP का किला ढहने और दिल्ली पर मंडराते खतरे के पूर्वाभास ने पूरे देश में संघ-भाजपा की नफरती गैंग को इतना बेचैन कर दिया है कि अब देश के कोने कोने से unguided मिसाइल दागे जा रहे हैं, जो किसी भी balancing act की कवायद को कामयाब नहीं होने देंगे।

कर्नाटक के हिजाब प्रकरण के बाद अब तेलंगाना के भाजपा विधायक टी. राजा सिंह ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि, " उत्तर प्रदेश में दूसरे फेज में कुछ इलाकों में बहुत ज्यादा वोटिंग हुई, जो लोग योगी जी को पसंद नहीं करते वे भारी संख्या में घर से निकले और मतदान किया। जो लोग भाजपा को वोट नहीं करते, उनसे कहूंगा कि योगी ने हजारों जेसीबी और बुलडोजर मंगवा लिए हैं। चुनाव के बाद ऐसे इलाकों को चिह्नित किया जाएगा, जिन लोगों ने योगी जी को सपोर्ट नहीं किया है.... उत्तर प्रदेश में रहना है तो योगी-योगी कहना होगा, नहीं तो उत्तर प्रदेश छोड़कर भागना होगा।"

नहीं चल रहा लाभार्थी कार्ड

पहले 2 चरण के चुनाव से निकलने वाला दूसरा आम निष्कर्ष यह है कि लाभार्थी कार्ड का कोई खास असर नहीं है और चुनाव नतीजों को तय करने में वह कोई निर्णायक या उल्लेखनीय भूमिका नहीं निभाने जा रहा है, जैसा कुछ समाज शास्त्री विश्लेषकों का मानना था।

अपने भाषण के एक वायरल वीडियो में इटावा सदर विधायक सरिता भदौरिया ने लाभार्थी जनता की " गद्दारी " के खिलाफ अपना दर्द इन शब्दों में बयान किया, " ये तो ईमानदारी नहीं हुई। सब कुछ ले लिया, रुपया हमें मिले, गल्ला हमें मिले,...लेकिन, आज जब हम वोट मांगने जाते हैं कि दीदी वोट दे दो तो मुंह से बोलते तक नहीं, नमस्कार स्वीकार नहीं कर रहे। गल्ला खा गए पैसा खा गए, नमक खा गए, बताओ यह कहाँ का न्याय है, अगर आपको इतना खराब लग रहा था, तो पहले कह देते कि तुम्हारा गल्ला नहीं खाएंगे !"

कारण स्पष्ट है, समस्याएं इतनी विकराल हैं कि मुफ्त अनाज की चुनावी सौगात ऊंट के मुंह में जीरा जैसी है, जिसे बढ़ी महंगाई और आवारा जानवर ही निगल जा रहे हैं।

दरअसल, तीसरे चरण में जिन 16 जिलों की 59 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है, वह खेती-किसानी का इलाका है, कभी भारत का मैनचेस्टर-लंकाशायर कहा जाने वाला कानपुर पहले ही उजड़ चुका है। फिरोजाबाद का चूड़ी उद्योग और कन्नौज का इत्र उद्योग भाजपा-राज की नीतियों के चलते संकटग्रस्त है। जाहिर है इन इलाकों में खेती-किसानी, कारोबार की तबाही और युवाओं के रोजगार का सवाल सबसे बड़ा मुद्दा बनने वाला है।

तीसरे चरण के 16 में से 9 जिलों में समाजवादी पार्टी के मुख्य सामाजिक आधार यादव किसानों की बड़ी आबादी है और यह उसके राजनीतिक दबदबे वाला इलाका माना जाता है। मुलायम सिंह की कर्मभूमि-जन्मभूमि के इसी इलाके की करहल सीट से अखिलेश चुनाव भी लड़ रहे हैं। 2017 का यादव परिवार का-चाचा, भतीजे-का दंगल भी निपट चुका है। उम्मीद की जा रही है कि भाजपा को इस इलाके में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

प्रदेश का सबसे पिछड़ा इलाका बुंदेलखंड दशकों से पानी का गम्भीर संकट झेल रहा है। उत्तरप्रदेश में किसानों की आत्महत्या की पहली खबरें बुंदेलखंड से ही आयी थीं। खाद के लिए घण्टों लाइन में लगे एक किसान की दर्दनाक मौत की खबर पिछले दिनों बुंदेलखंड से ही आई थी। आवारा पशुओं से फसलों की होने वाली बर्बादी किसानों के लिए बड़ा मुद्दा बन गयी है। जाहिर है अपने मजबूत माने जाने वाले इस इलाके में भी भाजपा को इस बार कड़ी चुनौती मिलेगी।

मोदी जी की मायावी राजनीति का शीराज़ा बिखरने की ओर : UP उनके लिए वाटरलू बनेगा

विश्लेषकों का कहना है कि मोदी अपनी सभाओं में अब जनता से कनेक्ट नहीं कर पा रहे हैं, जो उनकी सबसे बड़ी विशेषता मानी जाती थी और उनकी चुनाव जिताऊ छवि का सबसे बड़ा आधार थी। शायद इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि वे अपने मन की बातें बोल रहे हैं जो लोगों के जीवन का यथार्थ नहीं हैं। और जो सवाल लोगों के मन को मथ रहे हैं उन पर वे मौन हैं।

सीतापुर में उन्होंने कहा, " यूपी में भाजपा सरकार का मतलब है कि पूजा के दिन हों, पर्व के दिन हों, पूजा पर्वों को मनाने की खुली स्‍वतंत्रता हो। " लोग इसे समझ पाने में असमर्थ हैं कि यह सब वे क्यों बोल रहे हैं क्योंकि अपने पूजा-पर्व तो जनता पहले की सरकारों में भी मनाती रही है, इसमें कोई बाधा तो थी नहीं !

इसी तरह उन्होंने कहा, " यूपी में भाजपा सरकार का मतलब है गरीब के कल्‍याण के लिए निरंतर काम, यूपी में भाजपा सरकार का मतलब है केंद्र की योजनाओं पर ‘डबल स्पीड’ से काम।"

अपनी पीठ थपथपाने वाली इस बयानबाजी से लोगों के मन में जो सवाल है, उसका जवाब नहीं मिलता, डबल इंजन सरकार के बावजूद उन्हें अपनी जिंदगी की बदहाली का मोदी की इन बातों से न कारण पता लगता, न समाधान !

जाहिर है, मोदी का जो सबसे बड़ा asset था, जनता से उनका कनेक्ट, उनके भाषणों का जादू , उसका असर खत्म हो गया, तो छल-छद्म पर खड़े उनके मायावी राजनीतिक संसार का शीराज़ा बिखरते देर नहीं लगेगी।

उत्तरप्रदेश के चुनाव उनके लिये वाटरलू साबित होंगे।

(लेखक इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

UttarPradesh
UP Assembly Elections 2022
Narendra modi
Yogi Adityanath
BJP
BJP politics
3rd phase voting

Related Stories

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

सियासत: अखिलेश ने क्यों तय किया सांसद की जगह विधायक रहना!

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रीय पार्टी के दर्ज़े के पास पहुँची आप पार्टी से लेकर मोदी की ‘भगवा टोपी’ तक

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस से लेकर पंजाब के नए राजनीतिक युग तक

यूपी चुनाव नतीजे: कई सीटों पर 500 वोटों से भी कम रहा जीत-हार का अंतर

यूपीः किसान आंदोलन और गठबंधन के गढ़ में भी भाजपा को महज़ 18 सीटों का हुआ नुक़सान

BJP से हार के बाद बढ़ी Akhilesh और Priyanka की चुनौती !

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता

पंजाब : कांग्रेस की हार और ‘आप’ की जीत के मायने


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन
    20 May 2022
    मुंडका, नरेला, झिलमिल, करोल बाग से लेकर बवाना तक हो रहे मज़दूरों के नरसंहार पर रोक लगाओ
  • रवि कौशल
    छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
    20 May 2022
    प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
  • Worship Places Act 1991
    न्यूज़क्लिक टीम
    'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान
    20 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद इस समय सुर्खियों में है। यह उछाला गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर क्या है? अगर मस्जिद के भीतर हिंदू धार्मिक…
  • सोनिया यादव
    भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट
    20 May 2022
    प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में परिवारों की आय बढ़ाने के लिए एक ऐसी योजना की शुरूआत का सुझाव दिया गया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना
    20 May 2022
    हिसार के तीन तहसील बालसमंद, आदमपुर तथा खेरी के किसान गत 11 मई से धरना दिए हुए हैं। उनका कहना है कि इन तीन तहसीलों को छोड़कर सरकार ने सभी तहसीलों को मुआवजे का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License