NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
महामारी में ट्रिप्स (TRIPS) में छूट का प्रस्ताव वक़्त की बड़ी ज़रूरत
विश्व व्यापार संगठन की जनरल काउंसिल की बैठक बड़ी फ़ार्मा कंपनियों की पृष्ठभूमि में हो रही है, जो जीवन रक्षक उत्पादों के मामले में संप्रभु सरकारों को परेशान कर रही हैं।
ऋचा सिंह
02 Mar 2021
Translated by महेश कुमार
महामारी में ट्रिप्स (TRIPS) में छूट का प्रस्ताव वक़्त की बड़ी ज़रूरत
Image Source: The Hindu

1 मार्च, 2021 को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के महानिदेशक के रूप में नया पदभार ग्रहण करने के बाद, अगले कुछ हफ्तों में होने वाले घटनाक्रमों को देखना बड़ा दिलचस्प होगा क्योंकि वहाँ बौद्धिक संपदा अधिकार (ट्रिप्स) के व्यापार संबंधित पहलुओं पर परिषद में चर्चा होगी जहां ट्रिप्स में छूट का प्रस्ताव पांच महीने से लंबित पड़ा है।

डब्ल्यूटीओ में, जनरल काउंसिल की बैठक 1-2 मार्च को होनी है और उसके एजेंडे पर ट्रिप्स में छूट का प्रस्ताव भी शामिल है, सदस्य यहाँ मौखिक रूप से स्थिति के बारे में बताएँगे और मुद्दे पर चर्चा को जारी रखेंगे। औपचारिक रूप से ट्रिप्स परिषद की बैठक 10 मार्च को होनी है।

ट्रिप्स (TRIPS) पर डब्लूटीओ (WTO) समझौता एक बहुपक्षीय व्यापार समझौता है, जिसे 1994 में औपचारिक रूप दिया गया था, जो बौद्धिक संपदा (IP) की रक्षा के न्यूनतम मानक तय करता है। पेटेंट के प्रतिकूल या खराब प्रभाव को कम करने के लिए, जैसे कि ऊंची कीमतों का होना, दवा कंपनियों की एकाधिकारवादी शक्ति का बढ़ना, और दवाओं और चिकित्सा उत्पादों तक असमान पहुंच का होना पर चिंता व्यक्त करते हुए ट्रिप्स (TRIPS) के लचीलेपन के संबंध में देशों के साथ नीतिगत स्पेस पर बातचीत की गई और ट्रिप्स (TRIPS) को दोहा घोषणा के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य के मामले में 2001 में औपचारिक रूप दिया गया था। 

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में, ट्रिप्स के बुरे प्रभावों से सब वाकिफ हो गए हैं, जो प्रभाव कोविड-19 महामारी के समय सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक संकट के दौरान अपने चरम पर पहुंच गए थे। ऐसी कई रिपोर्टें आई जिनमें बताया गया कि बौद्धिक संपदा अधिकार जन-जीवन की कीमत पर किफायती चिकित्सा उत्पादों के प्रावधान या उनके उत्पादन को समय पर आने से रोक रहे थे। यहां तक कि ऐसे भयंकर संकट के दौरान, चारों तरफ से ऐसे उदाहरण मिले हैं जहां फार्मा कंपनियों ने संप्रभु सरकारों की बांह मरोड़ने का काम किया है और अपनी मुनाफाखोरी की शर्तों थोपने की कोशिश की है।

ऐसी बुरी प्रथाओं का मुकाबला करने के लिए, 2 अक्टूबर, 2020 को भारत और दक्षिण अफ्रीका ने ट्रिप्स काउंसिल में प्रस्ताव दिया कि कुछ ट्रिप्स के दायित्वों में अस्थायी छुट दी जाए जिसमें जो कॉपीराइट और संबंधित अधिकार, औद्योगिक डिजाइन, पेटेंट और अघोषित सूचना के संरक्षण के संबंध में छुट की मांग की गई थी ताकि कोविड-19 की रोकथाम, उसका उपचार बेहतर ढंग से क्या जा सके। यद्यपि विकसित देशों ने इसका कडा प्रतिरोध किया, लेकिन इस प्रस्ताव को धीरे-धीरे अन्य विकासशील और कम विकसित देशों से समर्थन मिलने लगा।

वर्तमान में, 57 विकासशील और सबसे कम विकसित देशों (LDC) ने छूट के प्रस्ताव का समर्थन किया है, और 62 देशों ने छूट के प्रस्ताव का पुरजोर समर्थन किया है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम, जापान, कनाडा, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देश इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं, जबकि चिली, चीन और कोलंबिया ने अधिक साक्ष्य-आधारित चर्चा की जरूरत पर जोर दिया है। 

छूट के प्रस्ताव को अन्य हिस्सों से भी समर्थन मिला है। 24 फरवरी को, यूरोपीयन संसद के सदस्यों ने आयोग और सदस्य राष्ट्रों से विश्व व्यापार संगठन में ट्रिप्स छूट को अवरुद्ध नहीं करने और कोविड-19 के टीकों की वैश्विक पहुंच का समर्थन करने का आग्रह करने की घोषणा की थी।

इस घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में विभिन्न पार्टियों के 116 सांसद हैं, जो इस घोषणा को रेखांकित करते हैं कि“… (यूरोपियन यूनियन) को इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि यह वास्तविक बहुपक्षीय प्रणाली की एकजुटता को बढ़ावा दे, जो सभी देशों को महामारी का कुशलता से लड़ने में मदद करती है।” और "उनकी स्थानीय उत्पादन क्षमता को सक्षम करने और कोविड-19 इलाज तक उनकी पहुंच बढ़ाने में मदद करे।"

कई देशों के नागरिक समाज संगठनों ने प्रस्ताव के प्रति समर्थन को बढ़ाने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन जिसका नेतृत्व टेड्रोस घेबरीस कर रहे हैं, ने बार-बार टीका-राष्ट्रवाद की मुहिम चलाने के खिलाफ चेतावनी दी क्योंकि दुनिया "भयावह नैतिक विफलता" के कगार पर खड़ी है।

13 फरवरी को विश्व व्यापार संगठन की महापरिषद के विशेष सत्र में दिए गए एक बयान में, नए चुनी गई महानिदेशक ओकोञ्जो-इवेयला ने विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों को "वैक्सीन राष्ट्रवाद और संरक्षणवाद को अस्वीकार" करने और नए टीके, चिकित्सा विज्ञान और निदान को बढ़ावा देने के लिए "सहयोग को तेज़ करने" का आह्वान किया है। "उन्होने तीसरे रास्ते के बारे में बात करते हुए कहा कि "बहुपक्षीय नियमों के ढांचे के भीतर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा के माध्यम से पहुंच को व्यापक बनाना जरूरी है ताकि एक ही समय में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित किया जा सके और लाइसेंसिंग समझौतों की अनुमति मिल सके जो आगे चलकर चिकित्सा उत्पादों के निर्माण में मदद करेगी। 

हालांकि यह शुरुवाती बयान ट्रिप्स पर छूट देने के प्रस्ताव पर गतिरोध की दृष्टि से सही लगता  है, लेकिन यह ध्यान में रखना होगा कि ओकोन्जो-इवेला इससे पहले जीएवीआई, द वैक्सीन एलायंस के बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में काम कर चुकी हैं।

जीएवीआई की भूमिका की आलोचना इसलिए होती है क्योंकि इसका दृष्टिकोण एक बाजार-संचालित विजन है जिसमें कहा गया है कि आईपीआर और बाजार-आधारित मूल्य निर्धारण प्रणाली (ग्लोबल हेल्थ वॉच 5, 2018) का संरक्षण जरूरी है।

विशेषज्ञों ने नए डब्ल्यूटीओ महानिदेशक के बयान को इसी रोशनी में पढ़ा है। केएम गोपाकुमार, जोकि व्यापार और नीति के मुद्दों के एक विशेषज्ञ हैं और थर्ड वर्ल्ड नेटवर्क के कानूनी सलाहकार के रूप में काम करते हैं, का कहना है कि “डीजी द्वारा सुझाया गया ‘तीसरा रास्ता’ कंपनियों को स्वैच्छिक लाइसेंस देने का संकेत देता है जो इन कंपनियों को खेल के नियम तय करने की एकाधिकारवादी शक्ति भी देता है। यह टीके और अन्य चिकित्सा उत्पादों की सस्ती पहुंच को बढ़ावा देने का कोई प्रभावी तारीका/उपकरण नहीं है और इसलिए इसे अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए”।

ट्रिप्स (TRIPS) पर छूट के प्रस्ताव का पिछले सप्ताह ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की एक रिपोर्ट में नया खुलासा किया गया और इस पृष्ठभूमि में इसका महत्व भी अधिक बढ़ जाता है। फाइजर पर कथित तौर पर लैटिन अमेरिकी सरकारों को "कोविड-19 वैक्सीन" की खरीद के लिए उसकी शर्तों को मानने के लिए धमकाने का आरोप लगाया गया है। यह आरोप लगाया गया कि फाइजर ने कुछ देशों की संप्रभु इमारतों, जैसे कि दूतावास की इमारतों और सैन्य ठिकानों को भविष्य के कानूनी मामलों की लागत के खिलाफ गारंटी के रूप में गिरवी रखने को कहा था। 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि फाइजर ने टीकाकरण के बाद गंभीर प्रतिकूल मामलों के मद्देनजर नागरिकों द्वारा दायर दावों के खिलाफ सामान्य क्षतिपूर्ति से अधिक की मांग; और कि "सरकारों को फाइजर की लापरवाही, धोखाधड़ी या दुर्भावना के परिणामस्वरूप पैदा हुए नागरिक दावों की संभावित लागत को कवर करना चाहिए।" जाहिर तौर पर अर्जेंटीना के साथ फ़ाइज़र की गैरकानूनी मांगों के मद्देनजर और राष्ट्रीय कानूनों में बदलाव को लागू करने की मांग के कारण वार्ता टूट गई।

इस घटना के प्रकाश में आने से बिग फार्मा की रणनीति में रुकावट पैदा हो गई है। यहां तक कि महामारी के समय में, जहां हर गुजरते दिन का मतलब है कि जीवन की हानि, ऐसे में भी दवा कंपनियां जितना संभव हो उतना लाभ चूसने की कोशिश कर रही हैं। विश्व स्वस्थ्य संगठन के महानिदेशक अमीर देशों और दवा कंपनियों के बीच द्विपक्षीय सौदों की आलोचना कर रहे हैं, जो कीमतों को बढ़ा रहे हैं और गरीब देशों में टीकों की उपलब्धता में देरी का कारण बन रहे हैं।

कोविड-19 की वैक्सीन को विकसित और उसके उत्पादन को तेज़ करने के लिए सितंबर 2020 में  38.1 बिलियन डॉलर के प्रारंभिक बजट अनुमान था, जिसमें डायग्नोस्टिक्स और चिकित्सा भी शामिल थी, जबकि 2021 में फंडिंग गैप अभी भी 26 फरवरी, 2021 तक 22.2 बिलियन पर बना हुआ है। फंडिंग गैप के परिणामस्वरूप, साथ ही कुछ अमीर देशों द्वारा वैक्सीन आपूर्ति को थोक के भाव जमा करने से वैक्सीन की इकाई एसीटी एक्सेलेरेटर (COVAX) के माध्यम से गरीब देशों को टीकों का रोलआउट धीमा हो गया है। यह 23 फरवरी को ही हुआ था कि एस्ट्राजेनेका/ ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के पहले बैच को भारत में सीरम इंस्टीट्यूट से घाना तक कोवेक्स सुविधा के माध्यम से भेजा गया था। इस बीच, कई अन्य गरीब देशों, जैसे कि सोमालिया, जहां दोबारा  कोविड-19 के केस बढ़ रहे हैं और स्वास्थ्य सेवाओं की नाजुक स्थिति है, वे अभी भी वेकसिन की आपूर्ति की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

ऐसे समय में, जब फ़ार्मास्यूटिकल कंपनियों के मुनाफा कमाने का लालच सामने आ रहा हैं, जब अमीर देश वैक्सीन की आपूर्ति पर रोक लगा रहे हैं, जब जीवन रक्षक टीकों के सस्ते और समान वितरण के विचारों की पूरी तरह से अवहेलना की जा रही है और जब स्पष्ट रूप से गरीब और अमीर देशों के बीच मौतों को टालने के चौंकाने वाले मामले काफी भिन्न हैं, ट्रिप्स पर छूट का प्रस्ताव, जो केवल एक अस्थायी छूट होगी, वह अब समय की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करे

Why TRIPS Waiver Proposal is the Need of the Hour Amid Pandemic

WTO
TRIPS Waiver
Covid Vaccine
GAVI
Big Pharma

Related Stories

कोविड-19 टीकाकरण : एक साल बाद भी भ्रांतियां और भय क्यों?

जानिए ओमिक्रॉन BA.2 सब-वैरिएंट के बारे में

फाइज़र का 2021 का राजस्व भारत के स्वास्थ्य बजट से सात गुना ज़्यादा है

कोविड -19 के टीके का उत्पादन, निर्यात और मुनाफ़ा

कोविड-19: देश में 15 से 18 वर्ष के आयुवर्ग के बच्चों का टीकाकरण शुरू

कोविड-19: ओमिक्रॉन की तेज़ लहर ने डेल्टा को पीछे छोड़ा

डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर मानवीय संकटों की अलोकप्रियता को चुनौती

ट्रिप्स छूट प्रस्ताव: पेटेंट एकाधिकार पर चर्चा से कन्नी काटते बिग फार्मा

100 करोड़ वैक्सीन डोज आंकड़े के सिवाय और कुछ भी नहीं!

क्यूबा: 60 फ़ीसदी आबादी का पूर्ण टीकाकरण, बनाया रिकॉर्ड


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License