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अब यूपी में सांप्रदायिक सौहार्द की बात करने पर भी प्रतिबंध! अयोध्या जाने से रोका
अयोध्या में होने जा रहे शांति और सांप्रदायिक सौहार्द के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शनिवार को जा रहे सामाजिक कार्यकर्ता राम पुनियानी, संदीप पाण्डेय को अन्य को रास्ते में ही रोक कर वापस कर दिया गया।
असद रिज़वी
17 Aug 2019
ram punani and sandeep pandey

उत्तर प्रदेश में अघोषित आपातकाल जैसे हालत हैं। धरना प्रदर्शन के बाद अब सांप्रदायिक सौहार्द के लिए होने वाले कार्यक्रमों पर भी प्रतिबंध लगाया जा रहा है। पिछले कुछ वक़्त से योगी आदित्यनाथ सरकार में लोकतांत्रिक तरीके से होने वाले कार्यक्रमों के ख़िलाफ़ भी प्रशासन का रवैया सख़्त बना हुआ है। लखनऊ में तबरेज़ अंसारी की लिंचिंग के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों से लेकर अयोध्या में सांप्रदायिक सौहार्द के कार्यक्रम तक सभी पर कानून और व्यवस्था के नाम पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है।

रविवार, 18 अगस्त को राजधानी लखनऊ से मात्र 125 किलोमीटर दूर अयोध्या में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए एक कार्यक्रम होना था। सर्वधर्म सद्भावना केंद्र ट्रस्ट के तत्वावधान से होने वाले इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुम्बई से लेखक राम पुनियानी भी आये थे। आज शनिवार सुबह जब राम पुनियानी और समाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डे आदि लखनऊ से अयोध्या के लिए निकले, तो उनको कार्यक्रम स्थल से पहले ही रोक दिया गया।

अभी आपको मालूम ही है कि शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय और वरिष्ठ अधिवक्ता शोएब समेत नागरिक संगठनों के कई सदस्यों को एक बार फिर नज़रबंद कर दिया गया था। वे सरकार की कश्मीर नीति के ख़िलाफ़ लखनऊ के जीपीओ पार्क में प्रदर्शन करने जा रहे थे। इसके बाद उन्होंने अपने घर के बाहर प्रदर्शन किया। इससे पहले 12 अगस्त को भी उन्हें प्रदर्शन से रोक दिया गया था।

इसे पढ़ें : लखनऊ : कश्मीर पर प्रदर्शन से रोकने लिए संदीप पांडेय और शोएब फिर नज़रबंद 

आज शनिवार को पुलिस प्रशासन ने सरयू कुंज राम जानकी मंदिर,अयोध्या जा रहे इन समाजिक कार्यकर्ताओं को अयोध्या, रौनाही प्लाजा पर रोक कर लिया और पास की एक बिल्डिंग में ले जाया गया। यहाँ प्रशासन के अधिकारियों ने इस लोगों से कहा कि अयोध्या में किसी भी कार्यक्रम की अनुमति नहीं है।

बाद में प्रशासन द्वारा कार्यक्रम के आयोजकों पर दबाव बनकर कार्यक्रम रद्द करवा दिया। जिसके बाद संदीप पाण्डे और दूसरे कार्यकर्ता लखनऊ वापस चले चले गये। लेकिन रिहाई मंच के राजीव यादव जो संदीप पाण्डे के साथ अयोध्या जा रहे थे उन्होंने बताया की रास्ते में उनकी गाड़ी के पीछे पुलिस की गाड़ियाँ भी चल रही थी।

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इसके अलावा कार्यक्रम स्थल पर प्रदेश के दूसरे हिस्सों से वक्ताओं  को सुनने आ रहे लोगों जिसमें बड़ी संख्या में महिलायें भी थी को भी प्रशासन ने वापस भेज दिया। कार्यक्रम में आने वालों से उनके पहचान पत्र भी माँगे गए और उनकी तस्वीरे भी खींचे जाने की सूचना है।

राम पुनियानी ने मुम्बई वापस जाते समय न्यूज़क्लिक को बताया कि उनको अयोध्या में प्रवेश से पहले ही प्रशासन ने रोक दिया। उन्होंने कहा की आश्चर्य की बात है कि सांप्रदायिक सौहार्द के लिए होने कार्यक्रम पर कानून और व्यवस्था के नाम पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है।

उन्होंने बताया की सरयू कुंज राम जानकी मंदिर में होने वाले इस कार्यक्रम में उनको भी सांप्रदायिक सौहार्द के विषय पर भाषण देना था। उन्होंने कहा की उत्तर प्रदेश में लगातार स्वतंत्र आवाज़ों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। धरना प्रदर्शन और सांप्रदायिक सौहार्द के कार्यक्रमों पर प्रतिबंध से लगता है की उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र ख़त्म हो गया है और यहाँ अघोषित आपातकाल है।

संदीप पाण्डे ने भी लखनऊ वापसी के समय न्यूज़क्लिक से फ़ोन पर बात की और कहा कि उनके किसी कार्यक्रम में कभी कानून और व्यवस्था की समस्या नहीं हुई है। उन्होंने कहा की सांप्रदायिक सौहार्द के कार्यक्रम को रोकना योगी सरकार का अलोकतांत्रिक क़दम है। संदीप पाण्डे का कहना है की उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकर धरना प्रदर्शन और सांप्रदायिक सौहार्द के कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाकर नागरिको के लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही है।

उन्होंने बताया की अयोध्या प्रशासन के पास होने वाले कार्यक्रम को रोकने का कोई विशेष आदेश नहीं था। उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था बनाये रखने के एक सामान्य आदेश के आधार पर कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने सवाल करते हुए कहा की सांप्रदायिक सौहार्द  पर चर्चा से शासन प्रशासन को क्यों डर लगता है? उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार तानाशाही कर रही है और प्रदेश में अघोषित आपातकाल जैसे हालत हैं।

कार्यक्रम में डॉ. कफील खान को सम्मानित भी किया जाना था। बीआरडी मेडिकल कोलेज में बच्चों की मौत के मामले में अभियुक्त बनाए गए डॉ. कफील खान को उनकी समाज सेवा के लिए सम्मानित किया जाना था। पिछले दिनों बिहार में चमकी बुखार के दौरान उन्होंने पीड़ितों के बीच जाकर काफी अच्छा काम किया। गोरखपुर बीआरडी में बच्चों की मौत के दौरान भी उनकी छवि एक हीरो की बनी थी लेकिन कुछ समय बाद उन्हें एक विलेन की तरह पेश किया गया और अभियुक्त बना दिया गया।

डॉ. कफील खान का आरोप है की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन्हें ग़लत आरोपों में जेल भेजा था। उन्होंने बताया की प्रशासन कार्यक्रम की घोषणा के बाद से ही उन पर दबाव बना रहा था की वह कार्यक्रम में शामिल न हो। प्रशासनिक दबाव के चलते में वह आज कार्यक्रम में शामिल होने नहीं जा रहे थे।

कई बार प्रयास करने के बाद भी अयोध्या प्रशासन से सम्पर्क नहीं हो सका है। प्रशासन के अधिकारियों ने या तो फ़ोन उठाया नहीं या उनके फ़ोन कवरेज क्षेत्र से बाहर थे।

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Religious discrimination
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