NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
घटना-दुर्घटना
भारत
राजनीति
असम बाढ़ : एनआरसी का डर; डूबने के बावजूद घर छोड़ने को तैयार नहीं लोग
बहुत से ऐसे परिवार हैं जो अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। एनआरसी के प्रकाशन की डेडलाइन 31 जुलाई है। इसको लेकर लोगों में डर समाया हुआ है कि अगर वे घर को गंवा देते हैं तो उनके पास सबूत ख़त्म हो जाएगा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
17 Jul 2019
असम बाढ़

असम भीषण बाढ़ की चपेट में है। राज्य के 33 में से 30 ज़िलों में बाढ़ आ गई है। बाढ़ के चलते जहां लोग अपने मकान को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे वहीं कुछ लोग घर छोड़कर जाने को तैयार नहीं है। ये लोग एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजंस) को लेकर घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक़ नैशनल डिज़ास्टर रेस्पॉन्स फ़ोर्स (एनडीआरएफ़) के बचावकर्मी परवेश कुमार बीते दो दिनों से मोरीगांव ज़िले के तुलसीबाड़ी गांव की रहने वाली रीना बेग़म को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह जाने को तैयार नहीं हैं। रीना का घर बाढ़ के चलते डूबा हुआ है।

बचावकर्मी रीना के पड़ोसियों को उनके डूबे हुए घर से निकालकर सुरक्षित स्थान पर ले जा रहे हैं लेकिन  50 वर्षीय रीना बेग़म अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। रीना का घर कमर तक पानी में डूब चुका है। रीना कहती हैं, ‘हम अपना घर कैसे छोड़ सकते हैं?’ परवेश कुमार का कहना है कि जान जोखिम में होने के बावजूद घर न छोड़ने को तैयार लोगों में रीना बेग़म के अलावा कई लोग शामिल हैं।

परवेश ने बताया कि बहुत से ऐसे परिवार हैं जो अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। वह कहते हैं कल हम एक बेहद सुनसान इलाक़े में गए थे। 20 लोग एक घर में फंसे थे लेकिन उनमें से 7 लोग ही हमारे साथ वापस आए।

घर न छोड़ने वाले लोगों को बचावकर्मियों ने अपना मोबाइल नंबर देकर कहा कि अगर उन्हें ज़रूरत पड़े तो वे उनसे संपर्क कर सकते हैं। देर रात जब पानी का स्तर बढ़ गया तो परवेश कुमार को एक फ़ोन आया। कुमार ने बताया कि ‘जब हालात बेहद ख़राब होने लगते हैं तो लोग अमूमन अपना विचार बदलकर लौटना चाहते हैं।’

असम के मुस्लिम बहुल इलाक़ों में घर और ज़मीन ही किसी व्यक्ति की पहचान का बड़ा सबूत है। ज्ञात हो कि एनआरसी के प्रकाशन की डेडलाइन 31 जुलाई है। इसको लेकर लोगों में डर समाया हुआ है कि अगर वे घर को गंवा देते हैं तो उनके पास सबूत ख़त्म हो जाएगा। एक स्थानीय अधिकारी ने आशंका जताई कि शायद डेडलाइन का खौफ़ है जिसकी वजह से जान पर ख़तरा मंडराने के बावजूद ये लोग घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

परवेश कुमार ने कहा कि जो लोग बाढ़ प्रभावित इलाक़ों को छोड़ने को तैयार हुए उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके दस्तावेज़ सुरक्षित रहें। उन्होंने बताया कि कई मामले ऐसे हुए जब लोगों को बचाकर लाने के बाद वे वापस लौटने के लिए कहने लगे। ऐसा इसलिए क्योंकि वे अपने दस्तावेज़ भूल आए थे।

ज्ञात हो कि रीना बेग़म के परिवार समेत राज्य के क़रीब 52 लाख लोग ऐसे हैं जो इस बार मानसून के बाद आई बाढ़ की चपेट में हैं। असम के 33 ज़िलों में से 30 ज़िले बाढ़ की चपेट में हैं। 695 शिविरों में क़रीब 1,47,304 लोग रह रहे हैं। काज़ीरंगा उद्यान भी पानी में डूबा हुआ है। कई लोगों का मानना है कि इस बार बीते एक दशक में सबसे ख़राब हालात हैं।

assam floods
NRC
Indian govt
assam govt
floods in india
floods

Related Stories

दिल्ली : क्या सांप्रदायिक क़त्लेआम के शिकार पीड़ितों के साथ न्याय किया जा रहा है?

दिल्ली में हिंसा सोचा-समझा षड्यंत्र, इस्तीफा दें गृह मंत्री अमित शाह: सोनिया गांधी

ग्राउंड रिपोर्ट : दिल्ली में दंगाइयों ने कहा, 'हम पुलिस के जवानों की सुरक्षा करने आए हैं'

दिल्ली : कुछ इलाकों में फिर से हिंसा, मरने वालों की संख्या बढ़ कर सात हुई

बाढ़ का क़हर : दिल्ली नोयडा, पंजाब के कई गाँव ख़तरे में

बिहार में बाढ़ की स्थिति गंभीर, करीब 25 लाख लोग प्रभावित

नेपाल ने बाढ़ से बचाव में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मांगी मदद    

मुंबई बाढ़ः जलवायु परिवर्तन के चलते बारिश के पैटर्न में बदलाव

मूसलाधार बारिश से मुम्बई बेहाल, महाराष्ट्र में मृतकों की संख्या 36 हुई

इंडोनेशिया में बाढ़-भूस्खलन से बिगड़े हालात, लोम्बोक द्वीप में भूकंप के झटके


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License