NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
घटना-दुर्घटना
शिक्षा
भारत
राजनीति
बिहार में नियोजित शिक्षक की आत्महत्या ने खड़े किए कई सवाल
बिहार पंचायत नगर प्रारम्भिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द कौशल सिंह ने इस दु:खद घटना पर चिन्ता व्यक्त करते हुए शिक्षकों से धैर्य धारण करने की सलाह दी है। प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि बहुत जल्द सरकार से संवैधानिक तरीके से निपटा जाएगा।
मुकुंद झा
14 May 2019
Bihar Protest
यह प्रतीकात्मक चित्र है

सुप्रीम कोर्ट के बिहार नियोजित शिक्षक पर दिए निर्णय से आहत एक नियोजित शिक्षक ने आत्महत्या कर ली। भागलपुर जिले के रन्नूचक में  उच्च विद्यालय  में भौतिक विज्ञान के शिक्षक के रूप में कार्यरत विमल कुमार यादव ने सोमवार को फाँसी लगा ली। बिहार पंचायत नगर प्रारम्भिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द कौशल सिंह ने इस दु:खद घटना पर चिन्ता व्यक्त करते हुए धैर्य धारण करने की सलाह दी है। प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि बहुत जल्द सरकार से संवैधानिक तरीके से निपटा जाएगा। आगामी 2 जून को राज्य कार्यकारणी की बैठक में आगे की रणनीति बनाई जाएगी। आत्महत्या जैसा कोई भी कदम नहीं उठाने की अपील नियोजित शिक्षक से की है। शेष बचे लोकसभा चुनाव में सरकार को सबक सिखाने और महागठबंधन के पक्ष में मतदान करने की अपील बिहार के नियोजित शिक्षक से प्रदेश अध्यक्ष आनन्द कौशल सिंह ने की है।   

शिक्षक पिछले काफी लंबे समय से  प्रदर्शन कर रहे हैं। समय समय पर सरकारों ने वार्ता की और कई बार इनकी मांगे भी मानी लेकिन हर बार सरकार ने इनसे वादाखिलाफी की। अभी वर्तमान में नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री ने भी इनको आश्वस्त किया था। शासन में आने से पहले भाजपा नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री ने भी शिक्षकों से वादा किया था, वो सत्ता में आए तो शिक्षकों को नियमित करेंगे। लेकिन सत्ता में आने के बाद वो भूल गए इसी बात को  याद दिलाने के लिए फरवरी में हज़ारों की संख्या में शिक्षकों ने पटना में प्रदर्शन किया था, लेकिन सरकार ने उनकी समस्या का हल करने की बजाय लाठी और पानी की बैछार कर दी जिसमें कई शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गये थे | 

जदयू-बीजेपी गठबंधन को शिक्षक विरोधी कहते हुए आनन्द कौशल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में राज्य और केंद्र सरकार की साजिश से शिक्षकों को मायूस और निराशा करने वाले न्यायादेश मिला। इसलिए इन सरकारों को सबक सिखाना बहुत ज़रूरी है। इसलिए इस चुनाव में इसके खिलाफ वोट देना होगा। आपको बता दें कि इस फैसले के बाद 12 मई को बिहार की आठ सीटों पर वोट डाले गए और अब सातवें और अंतिम चरण में 19 मई को बिहार में कुल आठ सीटों पर चुनाव बाकी रह गया है।

हमारी सरकारों के लिए भी एक गंभीर सवाल है कि शिक्षक क्यों अपनी जान देने को मज़बूर हो रहे हैं? जिन शिक्षकों को भारत के भविष्य को मज़बूत करना है, वो खुद सरकार और शासन की गलत नीतियों से परेशान होकर अपनी जान गँवा रहे है। और सिर्फ बिहार ऐसा राज्य नहीं है जहाँ ऐसी घटनाएं हो रही हैं, इससे पहले हमने अभी कुछ समय पहले दिल्ली के गेस्ट टीचर्स को सड़कों पर संघर्ष करते देखा था। उत्तर प्रदेश के शिक्षक भी पिछले काफी समय से सड़कों पर हैं और पुलिस-प्रशासन की लाठियां खा रहे हैं।  लेकिन सरकारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। 

 

क्या है पूरा मामला 

बिहार में पिछले काफी समय से  अपनी नौकरी को स्थायी करने और उचित वेतनमान की मांग को लेकर करीब चार लाख नियोजित शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं। इन शिक्षकों को शुक्रवार, 11  मई को उस समय झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सेवाएं नियमित करने से इनकार कर दिया। साथ ही शीर्ष अदालत ने पटना उच्च न्यायालय के उस फैसले को भी दरकिनार कर दिया जिसमें कहा गया था कि ये शिक्षक समान कार्य के लिए समान वेतन पाने के पात्र हैं। न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने 31 अक्टूबर, 2017 के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली बिहार सरकार की याचिका को स्वीकार करते हुए नियोजित शिक्षकों के साथ नियमित शिक्षकों जैसा व्यवहार करने से इनकार कर दिया।

हालांकि, अदालत ने नियोजित शिक्षकों को प्रारंभिक स्तर पर दिये जा रहे वेतनमान को लेकर चिंता जताई और सुझाव दिया कि राज्य ऐसे शिक्षकों के वेतनमान को कम से कम उस स्तर पर बढ़ाने पर विचार कर सकती है जिसका सुझाव तीन सदस्यीय समिति ने दिया है।

शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से उम्मीद थी कि वो शिक्षकों के पक्ष में निर्णय देगी जैसा कि उसने अपने पुराने  आदेश में कई बार  समान कार्य समान वेतन को लागू करने की बात कही थी | शिक्षकों ने उच्चतम न्यायालय के इस पहले को लेकर अपनी निराश व्यक्त की और कहा न्यायालय ने यह निर्णय सरकार को ध्यान में रखकर दिया है, सरकार नियोजित शिक्षकों के साथ घोर अन्याय कर रही है। 

मनीष जो बिहार पंचायत-नगर प्रारम्भिक शिक्षक संघ के सोशल मीडिया प्रभारी हैं, उन्होंने न्यूज़क्लिक  से बात करते हुए कहा कि न्यायालय कह रहा है कि नियोजित शिक्षकों के साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ है लेकिन शोषण और प्रताड़ना ऐसी कि एक ही विद्यालय में एक ही तरह का कार्य करने वाले नियमित शिक्षक 40 हजार, तो नियोजित शिक्षक 12 हजार रुपये पाते हैं। सरकार कहती है कि नियोजित शिक्षक सरकारी कर्मचारी नहीं, अपितु पंचायत निकाय के कर्मचारी हैं। तो सरकारी विद्यालयों में नियोजित शिक्षकों की बहाली सरकार ने क्यों की? नियोजित शिक्षकों की नियमावली सरकार क्यों बनाती है? चुनाव कार्य, जनगणना कार्य सहित महत्वपूर्ण सरकारी कार्य में नियोजित शिक्षकों को सरकार क्यों लगाती है?

आगे वो कहते हैं कि अगर नियमित शिक्षकों के तरह सभी कार्य नियोजित शिक्षकों से लिया जाता है, तो समान कार्य समान वेतन देने से सरकार क्यों पीछे हट रही है? उन्होंने कहा कि न्याय के साथ समेकित विकास की बातें करने वाले सुशासन बाबू को ये बात क्यों नहीं समझ में आ रही है कि समान कार्य का समान वेतन भारतीय संविधान का भी हिस्सा है।

मनीष ने कहा कि सरकार के इस दोहरी नीति व शोषण के खिलाफ हम लड़ेंगे लेकिन शिक्षण कार्य बंद करने से बच्चों के भविष्य पर असर पड़ेगा, इसलिए हमने अपील की है कि सभी नियोजित शिक्षक अपने शिक्षण कार्य को छोडकर सरकार जितने भी कार्य उनसे कराती है वो न करें। अगर सरकार नहीं मानी तो अंत में मज़बूर होकर हम बिहार के सभी ज़िलों के स्कूलों में तालाबंदी करने को मज़बूर होंगे। इसके लिए सरकार ही जिम्मेदर होगी।

Bihar
teachers protest
Teachers' Strike
school teachers
Working Class Issues
Nitish Kumar
bjp-jdu
jdu

Related Stories

बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

दिल्ली : पांच महीने से वेतन न मिलने से नाराज़ EDMC के शिक्षकों का प्रदर्शन

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

पटना : जीएनएम विरोध को लेकर दो नर्सों का तबादला, हॉस्टल ख़ाली करने के आदेश

एमपी : ओबीसी चयनित शिक्षक कोटे के आधार पर नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे

बिहार: 6 दलित बच्चियों के ज़हर खाने का मुद्दा ऐपवा ने उठाया, अंबेडकर जयंती पर राज्यव्यापी विरोध दिवस मनाया

बिहार: विधानसभा स्पीकर और नीतीश सरकार की मनमानी के ख़िलाफ़ भाकपा माले का राज्यव्यापी विरोध

बिहार में आम हड़ताल का दिखा असर, किसान-मज़दूर-कर्मचारियों ने दिखाई एकजुटता

पटना: विभिन्न सरकारी विभागों में रिक्त सीटों को भरने के लिए 'रोज़गार अधिकार महासम्मेलन'


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार : गेहूं की धीमी सरकारी ख़रीद से किसान परेशान, कम क़ीमत में बिचौलियों को बेचने पर मजबूर
    30 Apr 2022
    मुज़फ़्फ़रपुर में सरकारी केंद्रों पर गेहूं ख़रीद शुरू हुए दस दिन होने को हैं लेकिन अब तक सिर्फ़ चार किसानों से ही उपज की ख़रीद हुई है। ऐसे में बिचौलिये किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठा रहे है।
  • श्रुति एमडी
    तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 
    30 Apr 2022
    प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 22 अप्रैल 2022 को विधानसभा में घोषणा की कि ग्रामसभाओं की बैठक गणतंत्र दिवस, श्रम दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती के अलावा, विश्व जल दिवस और स्थानीय शासन…
  • समीना खान
    लखनऊ: महंगाई और बेरोज़गारी से ईद का रंग फीका, बाज़ार में भीड़ लेकिन ख़रीदारी कम
    30 Apr 2022
    बेरोज़गारी से लोगों की आर्थिक स्थिति काफी कमज़ोर हुई है। ऐसे में ज़्यादातर लोग चाहते हैं कि ईद के मौक़े से कम से कम वे अपने बच्चों को कम कीमत का ही सही नया कपड़ा दिला सकें और खाने पीने की चीज़ ख़रीद…
  • अजय कुमार
    पाम ऑयल पर प्रतिबंध की वजह से महंगाई का बवंडर आने वाला है
    30 Apr 2022
    पाम ऑयल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। मार्च 2021 में ब्रांडेड पाम ऑयल की क़ीमत 14 हजार इंडोनेशियन रुपये प्रति लीटर पाम ऑयल से क़ीमतें बढ़कर मार्च 2022 में 22 हजार रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गईं।
  • रौनक छाबड़ा
    LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम
    30 Apr 2022
    कर्मचारियों के संगठन ने एलआईसी के मूल्य को कम करने पर भी चिंता ज़ाहिर की। उनके मुताबिक़ यह एलआईसी के पॉलिसी धारकों और देश के नागरिकों के भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License