NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
चेन्नई में SC/ST Act को कमज़ोर बनाये जाने के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन
यहाँ लोग अपने राजनीतिक दलों से ऊपर उठकर केंद्र सरकार से ये माँग करने आये थे कि वह SC/ST act को संविधान के नौंवे अनुच्छेद में शामिल करे, इससे ये कानून सुरक्षित हो जायेगा I
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
25 Apr 2018
dalit assertion

24 अप्रैल को SC/ST act को कमज़ोर किये जाने के खिलाफ चेन्नई में 30,000 लोग जमा हुए I दलित सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनकी योजना थी कि वह शहर में एक रैली निकालेंगे लेकिन पुलिस ने इसकी इजाज़त नहीं दी I लेकिन फिर भी इस विरोध प्रदर्शन में इतने लोग थे कि फोटो का एक फ्रेम पूरी भीड़ को समाहित नहीं कर पाया I सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि वहाँ इतने लोग जमा हुए थे कि उन्होंने 2 से 3 किलोमीटर का इलाका भर दिया था I यहाँ लोग अपने राजनीतिक दलों से ऊपर उठकर केंद्र सरकार से ये माँग करने आये थे कि वह SC/ST act को संविधान के नौंवे अनुच्छेद में शामिल करे, इससे ये कानून सुरक्षित हो जायेगा I

ये विरोध प्रदर्शन Viduthalai Chiruthaigal Katchi (VCK), the Republican Party of India,  Tamizhaga Makkal Munnetra Kazhagam,  Adhithamizhar Makkal Katchi, Bahujan Samaj Party और Puratchi Bharatham ने आयोजित किया था I

दलित नेताओं का कहना है कि 1989 के POA act को कमज़ोर किये जाने से दलितों और पिछड़ी जातियों को मिलने वाली थोड़ी बहुत सुरक्षा भी खतम हो जाएगी I उन्होंने कहा कि एक तरफ जहाँ दलितों और आदिवासियों पर दमन बढ़ता जा रहा है वहीँ दूसरी तरफ उन्हें सुरक्षा देने वाले कानून को कमज़ोर किया जा रहा है I

20 मार्च को कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में SC/ST एक्ट की तीन मुख्य बिन्दुओं को बदलने का आदेश दिया था I सुप्रीम कोर्ट ने कहा SC/ST एक्ट के अंतर्गत मामलों में अग्रिम ज़मानत का प्रावधान होना चाहिए, किसी भी सरकारी कर्मचारी को इस एक्ट के अंतर्गत गिरफ्तार करने से लिए पहले उच्च अधिकारियों से अनुमति ज़रूरी होगी और कोर्ट ने कहा कि पहले पुलिस अधिकारी ये तय कर लें कि अपराध हुआ है या नहीं उसके बाद ही FIR फ़ाइल करें I  दलित नेताओं का कहना है कि इन तीनों ही बदलावों से SC/ST एक्ट एक लचर कानून बन जायेगा I

इसके बाद से दलित संगठनों देश भर में इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और 2 अप्रैल उन्होंने भारत बंद का अवाहन किया था I

लोगों के लगातार विरोध के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ़ एक समीक्षा याचिका दायर की है , लेकिन सरकार पिछले 2 हफ़्तों से इस मुद्दे पर मूक दर्शक बनी हुई है I लेकिन दलित सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि कानून सरकार द्वारा ही कमज़ोर किया गया है क्योंकि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट ने इस act के पक्ष में बहुत ही लचर दलीलें दी थीं I कल के विरोध प्रदर्शन में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने माँग की कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ एक अध्यादेश लाना चाहिए जिससे इस आदेश को ख़ारिज किया जा सके I

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए तमिलनाडू के दलित सामाजिक कार्यकर्ता बारती प्रबु ने कहा “केंद्र  सरकार का ब्राह्मणवादी रवैया है इसी वजह से उसने इस कानून को कमज़ोर करने में अहम भूमिका निभाई है, अगर ऐसा नहीं होता तो वह ऐसी नौबत आने ही नहीं देती I हम पूरे राज्य में दलितों को संगठित कर रहे हैं और आने वाले दिनों में हम विरोध प्रदर्शन और सेमिनार करेंगे I”

 दलित सामाजिक कार्यकर्ता और कानून के जानकार सरकार से ये माँग कर रहे हैं कि POA act 1989 और POA Amendment Act 2015 को  संविधान के नौंवे अनुच्छेद  में शामिल करना चाहिए, जिससे इस कानून को न्यायिक समीक्षा से बचाया जा सके I

तमिलनाडु
चेन्नई
बीजेपी
दलित प्रतिरोध
SC/ST Act
सुप्रीम कोर्ट

Related Stories

प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिशा निर्देश दिए?

क़ानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बिना सुरक्षा उपकरण के सीवर में उतारे जा रहे सफाईकर्मी

वोट बैंक की पॉलिटिक्स से हल नहीं होगी पराली की समस्या

जम्मू: सार्वजनिक कुएं से पानी निकालने पर ऊंची जातियों के लोगों पर दलित परिवार की पिटाई करने का आरोप

क्या ‘अपमान’ अपमान नहीं रहता, अगर उसे निजी दायरों में अंजाम दिया जाए?

प्रमोशन में आरक्षण की मांग के साथ सड़कों पर उतरे दलित युवा

प्रमोशन में आरक्षण : उत्तराखंड की भाजपा सरकार अपने ही जाल में उलझी

न्यायालय ने एससी-एसटी संशोधन कानून, 2018 को वैध ठहराया

झारखंड चुनाव: 20 सीटों पर मतदान, सिसई में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में एक ग्रामीण की मौत, दो घायल

झारखंड की 'वीआईपी' सीट जमशेदपुर पूर्वी : रघुवर को सरयू की चुनौती, गौरव तीसरा कोण


बाकी खबरें

  • maliyana
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल
    23 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह न्यूज़क्लिक की टीम के साथ पहुंची उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मलियाना इलाके में, जहां 35 साल पहले 72 से अधिक मुसलमानों को पीएसी और दंगाइयों ने मार डाला…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया
    23 May 2022
    अचानक नाव में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते नाव अनियंत्रित होकर गंगा में पलट गई। नाविक ने किसी सैलानी को लाइफ जैकेट नहीं पहनाया था।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः जिला जज ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा अपना फैसला, हिन्दू पक्ष देखना चाहता है वीडियो फुटेज
    23 May 2022
    सोमवार को अपराह्न दो बजे जनपद न्यायाधीश अजय विश्वेसा की कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की चार याचिकाओं पर जिला जज ने दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?
    23 May 2022
    2019 के बाद से जो प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, उनसे ना तो कश्मीरियों को फ़ायदा हो रहा है ना ही पंडित समुदाय को, इससे सिर्फ़ बीजेपी को लाभ मिल रहा है। बल्कि अब तो पंडित समुदाय भी बेहद कठोर ढंग से…
  • राज वाल्मीकि
    सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा
    23 May 2022
    सीवर, संघर्ष और आजीविक सीवर कर्मचारियों के मुद्दे पर कन्वेन्शन के इस नाम से एक कार्यक्रम 21 मई 2022 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया मे हुआ।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License