NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
‘एक देश, एक राशन कार्ड’ में क्या अड़चने हैं?
‘अभी तक जो खबरें आई हैं उसके हिसाब से आधार कार्ड को ही इस योजना का बेस बताया जा रहा है। लेकिन पीडीएस में आधार को लेकर कई सवाल पहले से ही हैं।'
अमित सिंह
28 Jun 2019
प्रतीकात्मक तस्वीर
(फोटो साभार: muthaloosai.com)

केंद्र की सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार ने अब उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए ‘एक देश, एक राशन कार्ड’ योजना शुरू करने का फैसला लिया है। दावा किया जा रहा है कि इस योजना के लागू होने के बाद उपभोक्ता किसी दूसरे राज्य के किसी भी राशन दुकान से रियायती दरों पर अनाज उठा सकते हैं। 

खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने इस संबंध में गुरुवार को एक बैठक की। इस बैठक में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) और राज्य भंडारण निगम (एसडब्ल्यूसी) के अधिकारीगण भी उपस्थित थे।

बैठक के बाद राम विलास पासवान ने कहा कि सरकार उपभोक्ताओं के हितों के लिए हर संभव कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि इस योजना से उपभोक्ताओं को किसी एक दुकान से बांध कर नहीं रखा जा सकता है। राशन दुकानदारों की मनमानी और चोरी को बंद करने में मदद मिलेगी।

यानी योजना के लागू होने के बाद लाभार्थी देश भर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का उपयोग कर सकेंगे और अपनी पसंद की किसी भी राशन की दुकान से अनाज ले पाएंगे।

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में रामविलास पासवान ने कहा, ‘एक देश, एक राशन कार्ड योजना से जुड़ी औपचारिकताओं को एक साल में पूरा करने का लक्ष्य है। इसे लागू करने के लिए सभी पीडीएस दुकानों पर पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) मशीनें लगाने की जरूरत है। आंध्र प्रदेश, हरियाणा और कुछ अन्य राज्यों की पीडीएस दुकानों पर पीओएस मशीनें लगी हैं। लेकिन पूरे देश में सौ प्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत है।’

वहीं, समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पासवान ने कहा कि 'इसका सबसे बड़ा लाभार्थी वे प्रवासी मजदूर होंगे जो बेहतर रोजगार के अवसर तलाशने के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं और वे अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित पाएंगे।'

दैनिक जागरण के मुताबिक, पासवान ने बताया, 'देश के आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा में यह कार्यक्रम इंटीग्रेटड मैनेजमेंट ऑफ पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (आईएमपीडीएस) के नाम से जाना जाता है। सफलता पूर्वक चल रही इस व्यवस्था में राज्य के भीतर किसी भी जिले से उपभोक्ता अपने हिस्से का राशन किसी भी दुकान से प्राप्त कर सकता है। बैठक में आए सभी खाद्य सचिवों को यह व्यवस्था बहुत अच्छी लगी और उन्होंने अपने राज्य में लागू करने की हामी भरी है।'

सरकार द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि गुरुवार को पासवान ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के कुशल क्रियान्वयन, पूर्ण कम्प्यूटरीकरण, खाद्यान्नों के भंडारण और वितरण में पारदर्शिता और एफसीआई, सीडब्ल्यूसी और एसडब्ल्यूसी डिपो के डिपो ऑनलाइन सिस्टम (डॉस) के साथ समन्वय सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

ram vilas paswan_0.jpg

इस बयान में कहा गया है, 'खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग वन नेशन वन राशन कार्ड के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहा है और अगले दो महीनों में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लाभार्थी पीडीएस की दुकानों का उपयोग कर पाएंगे।' विभाग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इसे समयबद्ध तरीके से राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाए।

आपको बता दें कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का अर्थ सस्ती कीमतों पर खाद्य और खाद्यान्न वितरण के प्रबंधन की व्यवस्था करना है। गेहूं, चावल, चीनी और मिट्टी के तेल जैसी प्रमुख चीज़ों को इस योजना के माध्यम से सार्वजनिक वितरण की दुकानों द्वारा पूरे देश में पहुंचाया जाता है।

इस योजना का संचालन उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण के मंत्रालय द्वारा किया जाता है। इस योजना का मुख्य मकसद सस्ती दरों पर देश के कमजोर वर्ग को खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक भारत के पास 5 लाख दुकानों का दुनिया का सबसे बड़ा वितरण नेटवर्क है।

अब पीडीएस को लेकर सरकार द्वारा किया जा रहा दावा तो बहुत बढ़िया दिख रहा है लेकिन क्या ऐसी प्रणाली को लागू कर पाना आसान है? क्या सरकार इसे लेकर वाकई में गंभीर है? और क्या यह व्यवहारिक है? ऐसे तमाम सवाल उठना शुरू हो गए हैं। क्योंकि इस सरकार द्वारा दावे तो बहुत बड़े-बड़े किए जाते हैं लेकिन वास्तविकता उससे बिल्कुल अलग होती है। फिलहाल पीडीएस को लेकर सरकार के इस नए दावे को विशेषज्ञ आशंका भरी नजरों से देख रहे हैं। 

झारखंड में मनरेगा और पीडीएस पर कई सालों से काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सिराज दत्ता कहते हैं, 'अभी तक इस योजना को लेकर सिर्फ हेडलाइन ही सामने आई हैं। अभी इसकी बहुत डिटेल सामने नहीं आई है। सरकार जो दावा कर रही है वैसा हो जाए तो बेहतर है। इस पर सबसे पहली बात जो गड़बड़ है और खबरों में आया भी है कि झारखंड में इंटीग्रेटड मैनेजमेंट ऑफ पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम लागू है, यह गलत है। यहां अब भी राशन की दुकान फिक्स है। लाभार्थी को उसी दुकान से राशन उठाना पड़ता है।'

उन्होंने आगे कहा, 'पीडीएस के अभी के स्वरूप के हिसाब से इस योजना को लागू करने में व्यवहारिक रूप से कई दिक्कते हैं। अभी राशन की दुकानों को उसी हिसाब से आवंटन मिलता है कि उसके कितने लाभार्थी हैं। ऐसा नहीं होने पर दुकानों का कोटा घट जाता है। अब अगर कोई भी लाभार्थी दो बार किसी दुकान पर नहीं गया और तीसरी बार उस दुकान पर गया तो शायद उनके पास राशन ही नहीं बचा रहे। तीसरी बात आधार कार्ड को लेकर है। अभी तक जो खबरें आई हैं उसके हिसाब से आधार कार्ड को ही इस योजना का बेस बताया जा रहा है। लेकिन पीडीएस में आधार को लेकर कई सवाल पहले से ही हैं। सरकार ने उन सवालों को हल किए बगैर एक नई योजना की शुरुआत आधार के बेस पर कर ली है।'

कुछ ऐसा ही मानना अर्थशास्त्री रितिका खेड़ा का है। उन्होंने बताया, 'इस योजना को लागू करने के लिए सरकार को पूरे सप्लाई चेन को चेंज करना पड़ेगा। अभी के हिसाब से किसी सस्ते राशन की दुकान पर कितने राशन कार्ड हैं और कितना राशन आएगा यह तय होता है। अगर पड़ोस के गांव के लोग भी उसी दुकान पर आ जाएंगे तो वहां राशन को लेकर दिक्कत हो जाएगी। दूसरी बात सरकार ने बताया है कि इस योजना का लाभ प्रवासी मजदूरों को मिलेगा तो इसमें भी व्यवहारिक दिक्कत यह है कि अगर पलायन पूरे परिवार का होता है तो वह दूसरे राज्य में इसका लाभ मिल सकता है लेकिन अगर परिवार के एक या दो सदस्य पलायन करेंगे तो उनको इसका लाभ नहीं मिल पाएगा।'

रितिका आगे कहती हैं, 'अगर परिवार के एक या दो सदस्य पलायन करते हैं तो पीछे गांव में उनका परिवार राशन कार्ड से सस्ता अनाज ले आता है, उससे उनका परिवार चलता है। सरकार को पीडीएस में सुधार के साथ तमिलनाडु में चल रही अम्मा कैंटीन योजना जैसे विकल्पों के बारे में भी सोचना चाहिए। ताकि प्रवासी मजदूरों को सस्ते दर पर पका पकाया भोजन मिल सके।'

One Nation One Card
one nation one ration card
ration card
ration
Food Corporation of India
FCI
RAM VILAS PASWAN
PDS

Related Stories

यूपी: भारी नाराज़गी के बाद सरकार का कहना है कि राशन कार्ड सरेंडर करने का ‘कोई आदेश नहीं’ दिया गया

योगी सरकार द्वारा ‘अपात्र लोगों’ को राशन कार्ड वापस करने के आदेश के बाद यूपी के ग्रामीण हिस्से में बढ़ी नाराज़गी

कमरतोड़ महंगाई को नियंत्रित करने में नाकाम मोदी सरकार 

योगी 2.0 का पहला बड़ा फैसला: लाभार्थियों को नहीं मिला 3 महीने से मुफ़्त राशन 

क्या मोदी सरकार गेहूं संकट से निपट सकती है?

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

तो क्या सिर्फ़ चुनावों तक ही थी ‘फ्री राशन’ की योजना? 

यूपी: चुनावी एजेंडे से क्यों गायब हैं मिर्ज़ापुर के पारंपरिक बांस उत्पाद निर्माता

महामारी के मद्देनजर कामगार वर्ग की ज़रूरतों के अनुरूप शहरों की योजना में बदलाव की आवश्यकता  

अंतर्राष्ट्रीय वित्त और 2022-23 के केंद्रीय बजट का संकुचनकारी समष्टि अर्थशास्त्र


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती: माकपा ने कहा भ्रष्टाचार की हवस में युवाओं का भविष्य ही बर्बाद करने पर तुली है भाजपा
    31 Mar 2022
    "यह पहली बार हुआ है कि 6000 आरक्षकों की भर्ती में सरकार की ओर से अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग आदि के लिए न तो आवंटित सीटों की घोषणा की गई है और न ही अंकों की…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    नये भारत के नये विकास का मॉडल; तीन दिन में 14 सीवर मौतें, नफ़रत को खुला छोड़ा
    31 Mar 2022
    अपने ख़ास कार्यक्रम खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने सीवर में लगातार हो रहीं मौतों का मुद्दा उठाया। साथ ही दिल्ली में हुई जनसुनवाई में यौन हिंसा व बर्बर हिंसा के शिकार दलित महिलाओं की…
  • sonia
    रवि शंकर दुबे
    महाराष्ट्र सरकार पर ख़तरे के बादल? क्यों बाग़ी मूड में नज़र आ रहे हैं कांग्रेस के 25 विधायक
    30 Mar 2022
    महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। गठबंधन में शामिल कांग्रेसी विधायकों ने उन्हें नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाते हुए सोनिया गांधी से मिलने का वक्त मांगा है।
  • urmilesh
    न्यूज़क्लिक टीम
    हार के बाद सपा-बसपा में दिशाहीनता और कांग्रेस खोजे सहारा
    30 Mar 2022
    यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव में पारम्परिक विपक्षी दलों को भारी निराशा हाथ लगी। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा तो सभी पांच प्रदेशों में कांग्रेस को करारी हार मिली। #AajKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ…
  • सोनिया यादव
    बीएचयू: 21 घंटे खुलेगी साइबर लाइब्रेरी, छात्र आंदोलन की बड़ी लेकिन अधूरी जीत
    30 Mar 2022
    24 घंटे लाइब्रेरी खोलने की मांग को लेकर साल 2016 में बीएचयू के छात्रों ने जोरदार आंदोलन किया था। इस दौरान भूख हड़ताल कर रहे छात्रों को आधी रात भारी पुलिस बल की मौजूदगी में प्रशासन ने निलंबित कर जेल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License