NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कला
पर्यावरण, समाज और परिवार: रंग और आकार से रचती महिला कलाकार
ऐसा कलाकार जब प्रकृति को ठोस मेटलिक माध्यम द्वारा कठोर नुकीले घास के रूप में निर्मित करती हैं, यह अत्यंत गंभीर विषय है जो केवल पर्यावरण को ही नहीं वर्तमान मनुष्य जीवन को और उसके संकट को भी दर्शाता है।
डॉ. मंजु प्रसाद
14 Nov 2021
painting
साभार : सुमन सिंह के फेसबुक वाल से

आखिर क्या सिरजती हैं, क्या रचती हैं वे,  उनकी काल्पनिक दुनिया में कौन से विचार  और कौन सी भावना की अभिव्यक्ति होती है।  पन्चानवे प्रतिशत महिला कलाकार आम महिलाओं में से ही होती हैं। उन्हें रचने की छूट मिलने पर सतत बहने वाली धारा के समान अपनी सृजनशीलता को गतिमय बना देती हैं । उन्हें तथाकथित गाॅडफादर की जरूरत नहीं।  कला में सहारे की जरूरत नहीं। वो जीवन सृजन करती  हैं, वो जीवन रचती है, जीवन संवारती है! किन्हे डर है कला में उनकी स्वायत्तता से,  उसके मुखर होने से। क्यों सभी उनके गाइड बन जाते हैं? ये सब ज्वलंत प्रश्न हैं समकालीन भारतीय महिला कलाकारों के कलासृजन के विकास में।

लखनऊ की वरिष्ठ चित्रकार और सिरेमिक मूर्तिकार स्नेह मोहन को अक्सर मैंने  लखनऊ के सिरामिक्स वर्कशॉप में काम करते हुए देखा है। वो कुछ समय तक मेरी फेसबुक दोस्त भी रही हैं, और वह अपने फेसबुक वाल पर  कई सरल भावुक कविताएं डालती रही हैं। वे  बहुत सरल और संजिदा कलाकार रही हैं। अपनी कलाकृतियों के बारे में  उद्दगार प्रकट करती हैं, - ''मैंने परिवार के विभिन्न पहलुओं को अपनी कला के द्वारा व्यक्त किया  महिला होने के नाते मुझे अपने मूर्ति शिल्प में परिवार की ही झलक मिलती है।

नर और नारी जिन्दगी की गाड़ी के दो पहिये हैं। एक दूसरे के बिना गाड़ी अधूरी है। आज समाज में  जो हिंसा और अशांति है इसका मूल कारण है परिवार में एक दूसरे के प्रति  परस्पर आदर और  प्रेम का अभाव।" 

साभार समकालीन कला अंक 22 - प्रकाशन राष्ट्रीय ललित कला अकादमी। 

लखनऊ काॅलेज काॅलेज ऑफ आर्ट से स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने वाली विपुला अपने एचिंग प्रिंट में काफी संजिदा नजर आती हैं। उनके अनुसार- "मेरी कृतियाँ मेरे विचारों, मेरी प्रेरणाओं और आस -पास  के वातावरण और उनके ऊपर पड़े हुए प्रभावों  की सरल अभिव्यक्ति हैं। ....मुझे मनुष्य और प्रकृति के बीच अनेक संबंध दृष्टिगोचर हुए-- कभी वे एक दूसरे के पूरक, कभी रक्षक और कभी विनाशक से प्रतीत हुए"। विपुला के अनुसार-- 'एक साधारण व्यक्ति के रूप में जीवन और उसके विविध पक्ष जिस तरह मुझे प्रेरित करते हैं अथवा उनकी अनुभूति होती है; मेरा मानना है कि वह उन सभी मनुष्यों के साथ घटित होता है जो जीवन में संघर्ष  करते हैं।

अराधना श्रीवास्तव भी लखनऊ काॅलेज ऑफ आर्ट्स से स्नातक  हैं। उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से चित्रकला में स्नातकोत्तर करने के बाद लंबे समय से दिल्ली के एक विद्यालय में छात्रों को कला ज्ञान  दे रही हैं। उनके अनुसार ' एक कलाकार जो कुछ भी बनाता है उसमें उसकी भावना, दू:ख दर्द तथा संवेदना छुपी रहती है। जो कि कलाकार के अंतर्मन को छूता है, गुदगुदाता है और यही सब मन की बातों को कलाकार अपने कैनवास पर उतारता है।''

अराधना कठिन परिश्रमी, प्रतिभाशाली, सरल मन की चित्रकार हैं। उनके अनुसार, "मुझे वीभत्स और डरावना चित्र बनाना कभी अच्छा नहीं लगा। मैंने 'नकाबपोश' विषय पर पेंटिंग बनाया तो मुझे वो बिल्कुल ही अच्छा नहीं लगा। "मेरे विचार से कलाकृति ऐसी होनी चाहिए जिसको देख कर देखने वाले के मन को शांति मिल जाए। आज के युग में आदमी इतना थका हारा है कि उसकी सबसे बड़ी जरूरत मन की शांति है। और चौबीसों घंटे मनुष्य इसी की खोज में लगा है। ऐसे में अगर कोई आदमी कला प्रदर्शनी में भागदौड़, भूकम्प तथा विनाश का चित्र देखेगा तो उसका मन दुखी हो जाएगा'' 

साभार: परिछन (कला अंक) , जुलाई सितंबर अंक। (पृष्ठ सं 2)

घरेलू और सामाजिक परिवेश हावी रहता है महिला कलाकारों की कलाकृतियों में विषय के रूप में। यह उनकी नैसर्गिक मनःस्थिति है। मैंने कई वरिष्ठ महिला कलाकारों की कलाकृतियों का अध्ययन किया है और पाया है कि घर परिवार की सामाजिक कुरीतियां, विद्रूपन को मौन रह कर ही उन्होंने कला में उतार दिया है, आप मुंह छिपाने के लिए व्यर्थ अनुमान लगाते रहें, उन्हें फर्क नहीं पड़ा। ज्यादातर समझदार जनों का कहना है कि कलाकार सृजनकर्ता है उनमें स्त्री पुरूष भेद नहीं होनी चाहिए। सच माने तो तकनीकी कौशल , सुगढ़ता और धैर्य भी महिला कलाकारों के नैसर्गिक गुण है। उसमें अगर बौद्धिकता का समावेश हो तो कला उत्कृष्ट हो जायेगी।

चर्चित कलाकार शांभवी सिंह की सब ओर

तारीफ इसलिए होती है कि उनकी कलाकृतियां विदेशों की कला विथिका में प्रदर्शित होती हैं या महत्वपूर्ण संग्रहालय उनकी कलाकृतियों को संग्रहित करते हैं। लेकिन उन्होंने क्या बनाया या क्यों बनाया, इस पर उनकी धारणाएं मौन हो जाती हैं। शांभवी की जीवन शैली निर्भिक रही है। वे आम महिलाओं जैसी जीवन से समझौता नहीं करती हैं। विषम परिस्थितियों में विचलित नहीं होती। मानसिक यंत्रणा से गुजरते हुए भी वे निरंतर सृजनशील रहती हैं। वे व्यक्तित्व में सरल और सहज हैं। ऐसा कलाकार जब प्रकृति को ठोस मेटलिक माध्यम द्वारा  कठोर नुकीले घास  के रूप में निर्मित करती हैं,  यह अत्यंत गंभीर विषय है जो केवल पर्यावरण को ही नहीं वर्तमान मनुष्य जीवन को और उसके संकट को भी दर्शाता है। शांभवी वास्तव में विलक्षण प्रतिभा की कलाकार हैं।

artist
Paintings

Related Stories

सार्थक चित्रण : सार्थक कला अभिव्यक्ति 

विवान सुंदरम की कला : युद्ध और मानव त्रासदी की मुखर अभिव्यक्ति

आर्ट गैलरी: समकालीन कलाकारों की कृतियों में नागर जीवन

आर्ट गैलरी: प्रगतिशील कला समूह (पैग) के अभूतपूर्व कलासृजक

आर्ट गैलरी : देश की प्रमुख महिला छापा चित्रकार अनुपम सूद

छापा चित्रों में मणिपुर की स्मृतियां: चित्रकार आरके सरोज कुमार सिंह

जया अप्पा स्वामी : अग्रणी भारतीय कला समीक्षक और संवेदनशील चित्रकार

कला गुरु उमानाथ झा : परंपरागत चित्र शैली के प्रणेता और आचार्य विज्ञ

चित्रकार सैयद हैदर रज़ा : चित्रों में रची-बसी जन्मभूमि

कला विशेष: भारतीय कला में ग्रामीण परिवेश का चित्रण


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पटना : जीएनएम विरोध को लेकर दो नर्सों का तबादला, हॉस्टल ख़ाली करने के आदेश
    06 May 2022
    तीन वर्षीय जीएनएम डिप्लोमा कोर्स में वर्तमान में 198 छात्राएं हैं। उनका कहना है कि पीएमसीएच कैंपस में विभिन्न विभागों में और वार्डों में बड़े पैमाने पर क्लिनिकल प्रशिक्षण की सुविधा है।
  • विजय विनीत
    अब विवाद और तनाव का नया केंद्र ज्ञानवापी: कोर्ट कमिश्नर के नेतृत्व में मस्जिद का सर्वे और वीडियोग्राफी शुरू, आरएएफ तैनात
    06 May 2022
    सर्वे का काम तीन दिन चल सकता है। शाम पांच बजे के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के एक किमी के दायरे को कानून व्यवस्था के लिहाज से खाली करा लिया गया। मौके पर दंगा नियंत्रक उपकरणों के साथ…
  • Press Freedom Index
    न्यूज़क्लिक टीम
    Press Freedom Index में 150वें नंबर पर भारत,अब तक का सबसे निचला स्तर
    06 May 2022
    World Press Freedom Index को किस तरह से पढ़ा जाना चाहिए? डिजिटल की दुनिया में अभिव्यक्ति की स्वत्नत्रता के प्लेटफॉर्म बढे है तो क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी बढ़ी है? आबादी के लिहाज़ से दुनिया के…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी-शाह राज में तीन राज्यों की पुलिस आपस मे भिड़ी!
    06 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार बात कर रहे हैं तेजिंदर पाल सिंह बग्गा के गिरफ़्तारी और पूरे मामले की।
  • भाषा
    चुनावी वादे पूरे नहीं करने की नाकामी को छिपाने के लिए शाह सीएए का मुद्दा उठा रहे हैं: माकपा
    06 May 2022
    माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि शाह का यह कहना कि सीएए को पश्चिम बंगाल में लागू किया जाएगा, इस तथ्य को छिपाने का एक प्रयास है कि 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे पर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License