NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
सरकार ने फिर कहा, नहीं है आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों का 'आंकड़ा'
सवाल उठता है कि क्या दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत की सरकार के पास ऐसा कोई तंत्र मौजूद नहीं है जो 700 किसानों के नाम, उनके परिवार के नाम इकट्ठा कर सके?
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
01 Dec 2021
सरकार ने फिर कहा, नहीं है आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों का 'आंकड़ा'

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और कुछ अन्य सदस्यों ने आंदोलनकारी किसानों की मांगों से जुड़ा मुद्दा बुधवार को लोकसभा में उठाया और कहा कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने समेत अन्य मांगें स्वीकार करनी चाहिए।

सदन में शून्यकाल के दौरान विभिन्न सदस्यों ने जनहित के अलग-अलग मुद्दे उठाए।

कांग्रेस के मणिकम टैगोर ने मांग उठाई कि कि कोराना वायरस महामारी में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने किसान आंदोलन का मुद्दा उठाते हुए कहा, ‘‘700 से अधिक किसान काले कानूनों के खिलाफ आंदोलन करते हुए शहीद हुए हैं। इनके परिवारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए...किसानों के साथ न्याय करना चाहिए और उनकी दूसरी मांगें स्वीकार की जानी चाहिए।’’

इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि सरकार के पास किसान आंदोलन के दौरान जान गंवा चुके किसानों का कोई आंकड़ा नहीं है, इसलिये उनके परिवारों को मुआवज़ा देने का सवाल ही नहीं पैदा होता।

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी पार्टियाँ सरकार का विरोध करते हुए मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रही हैं, मगर सरकार ने फिर कह दिया कि उन्हें पता नहीं है कि कौन मरा!

किसान आंदोलन में 1 साल के दौरान 700 से ज़्यादा किसानों की मौत हुई है, कोई बीमारी से मरा तो किसी ने मायूस हो कर खुदकुशी कर ली।

सवाल उठता है कि क्या दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत की सरकार के पास ऐसा कोई तरीका मौजूद नहीं है जो 700 किसानों के नाम उनके परिवार के नाम इकट्ठा कर सके? किसान एकता मोर्चा के instagram पेज पर ही देखा जाए तो सब किसानों के नाम, उनके गांव का नाम उनका पता सब कुछ मौजूद है।

सरकार ने यही कहा था कोविड 19 की दूसरी लहर के दौरान, जब ऑक्सीजन की कमी की वजह से हज़ारों लोग मारे गए थे, मगर संसद में सरकार ने कह दिया कि उनके पास आंकड़ा ही नहीं है कि कितने लोग मरे।

सरकार की आलोचना इस वजह से भी हो रही है कि कृषि क़ानूनों को बिना बहस के वापस ले लिया गया, न किसानों का पक्ष जानने की कोशिश की गई न उनसे बातचीत हुई। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि, सरकार के पास आंकड़ा कैसे नहीं है? यह उन 700 से ज़्यादा किसानों का आपमान है जिनकी जान इस आंदोलन के दौरान गई हैं।

farmers protest
farmers protest india
farmers died protesting
protesting farmers
Modi Govt

Related Stories

जन-संगठनों और नागरिक समाज का उभरता प्रतिरोध लोकतन्त्र के लिये शुभ है

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?

मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ भारत बंद का दिखा दम !

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

किसानों ने 2021 में जो उम्मीद जगाई है, आशा है 2022 में वे इसे नयी ऊंचाई पर ले जाएंगे

2021 : जन प्रतिरोध और जीत का साल

जानिए: अस्पताल छोड़कर सड़कों पर क्यों उतर आए भारतीय डॉक्टर्स?

ऐतिहासिक किसान विरोध में महिला किसानों की भागीदारी और भारत में महिलाओं का सवाल

पंजाब : किसानों को सीएम चन्नी ने दिया आश्वासन, आंदोलन पर 24 दिसंबर को फ़ैसला


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License