NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव
जापान हाल में रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाने वाले अग्रणी देशों में शामिल था। इस तरह जापान अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है।
एम. के. भद्रकुमार
30 May 2022
Indo Pacific
चीन के साथ एशिया-प्रशांत क्षेत्र में स्थित एक अज्ञात स्थान पर हुए संयुक्त अभ्यास में रूस का टीयू-95 बम वर्षक विमान उड़ान भरता हुआ (फोटो रूस के रक्षा मंत्रालय ने 24 मई, 2022 को जारी किया है।)

जापान सागर और पूर्वी चीन सागर के ऊपर गत सोमवार को एक विमान दस्ते ने उड़ान भरी। इसमें रूस के टीयू-95 एमएस बमवर्षक विमान, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं, और चीन के एच-6के बमवर्षक विमानों ने हिस्सा लिया। ताईवान के ऊपर अमेरिका द्वारा चीन के साथ युद्ध वाली उन्मादी बात को अगर छोड़ दें, तो एशिया की बाइडेन यात्रा पर ही यह बेहद कठोर प्रतिक्रिया है।

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वरिष्ठ कर्नल वु कियान ने कहा कि यह रूस और चीन द्वारा 2019 के बाद से की गई चौथी रणनीतिक गश्ती है। इसका मक़सद दोनों वायुसेनाओं के बीच समन्यवय के स्तर को बेहतर करना और आपसी कूटनीतिक विश्वास और दोनों सेनाओं के बीच व्यवहारिक समन्यवय को प्रोत्साहन देना है। जैसा उन्होंने कहा, "यह ऑपरेशन किसी भी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाता और इसका मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्थिति से कोई लेना-देना नहीं है।"

लेकिन बता दें कि रणनीतिक दिखावे में अवधारणा मायने रखती हैं। इसलिए जापान के रक्षा मंत्री नोबुओ किशी ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चीन और रूस के साझा ऑपरेशन के समय उसी दिन जापान में हुए क्वाड सम्मेलन से कुछ लेना-देना है।

अटकलें हैं कि किशी चीजों को छुपाने की कोशिश कर रहे थे और सुदूर पूर्व में नई भू-राजनीतिक वास्तविकता से ध्यान भटकाने की कोशिश में लगे थे। बल्कि जापान में सैन्यवाद और प्रतिशोध की भावनाओं का पुनर्जन्म हो रहा है। यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान द्वारा शांतिप्रिय रवैया रखे जाने के रास्ते से भटकाव है, जिसे अति से ज़्यादा अमेरिकी प्रोत्साहन मिलने के कारण बल मिल रहा है, इससे चीन और रूस की साझेदारी का व्यापक दायरा निर्मित हो रहा है। जापान हाल में कुरिल द्वीपों को "कब्जाया गया क्षेत्र" बताने लगा है, मतलब जापान कह रहा है कि यहां रूस एक आक्रामक देश साबित हो रहा है, हालांकि ऐतिहासिक सच्चाई काफ़ी अलग हो सकती है।

हाल में जापान रूस और राष्ट्रपति पुतिन पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों में अग्रणी पंक्ति में शामिल है, इस तरह वह खुद की ताकत दिखा रहा है, जबकि जापान के पूरे इतिहास, उसकी राजनीति या भूगोल का यूक्रेन में रूस की सीमा से कोई लेना-देना नहीं रहा है। ऊपर से जापान ताईवान जलडमरूमध्य और यूक्रेन की स्थितियों में समानता बताकर ज़्यादा ईर्ष्यालु ढंग से कल्पनाशील तुलना कर रहा है।

किसी को जैसे भी देखना हो, गत सोमवार का ऑपरेशन चीन और रूस के बीच उच्च स्तर के सैन्य सहयोग को प्रदर्शित करता है। यह सहयोग तब प्रदर्शित हो रहा है, जब दोनों देशों को अमेरिका की तरफ से नए-नए उकसावों और दबाव का सामना करना पड़ रहा है। साफ़ है कि यहां बीजिंग ने अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन की उस घोषणा की हवा निकाल दी, जिसमें ऑस्टिन कह रहे थे कि वे "रूस को सैन्य तौर पर इतना कमजोर देखना चाहते हैं कि रूस, जो यूक्रेन पर आक्रमण करने में जैसी चीजें कीं, किसी और देश के साथ ऐसा ना कर सके और रूस जल्दी ही युद्ध के झटके से न उबर सके।"

चीन और रूस के बीच में करीबी विदेश नीति सहयोग को देखते हुए, यह समझने में कोई मुश्किल नहीं है कि बीजिंग को यूक्रेन में रूस के विशेष ऑपरेशन की स्थिति के बारे में भीतरी जानकारी है। दूसरी तरफ गत सोमवार की साझा रणीनितिक हवाई गश्ती से यह भी साफ़ हो गया है कि चीन ने यूक्रेन मुद्दे पर उसे दबाने की पश्चिमी कोशिशों को भी पीछे धकेल दिया है। साफ़ है कि सोमवार को बीजिंग ने "अपनी छवि को नुकसान पहुंचाने" वाला बड़ा जोख़िम उठाया था। रूस के साथ सहयोग से छवि को नुकसान पहुंचाने वाले इन शब्दों का इस्तेमाल यूरोपीय संघ की कार्यकारी अध्यक्षा उर्सुला वॉनडर लेयेन ने चीनी नेतृत्व के साथ अप्रैल की शुरुआत में "एक बहुत खुली और निडर" वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में की थी।

यहां तीन चीजें उभरती हैं। पहला, बीजिंग में रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात के बाद 4 फरवरी को जारी किए गए साझा वक्तव्य का चीन पूरे तरीके से पालन करना जारी रखे। यह साझा वक्तव्य एक नए युग में प्रवेश अंतरराष्ट्रीय संबंधों और संधारणीय वैश्विक विकास पर जारी किया गया था।

दूसरा, चीन के नज़रिए से 24 फरवरी को यूक्रेन में शुरु किए गए रूसी ऑपरेशन ने अंतरराष्ट्रीय स्थिति में क्रांतिकारी परिवर्तन और तेज घटनाक्रमों वाला कुछ बदलाव नहीं किया है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर "प्रतिनिधित्व करने वाले कुछ किरदार, जिनकी संख्या थोड़ी ही है, वे अब भी अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को हल करने के लिए एकतरफा कार्रवाई की वकालत करते हैं और ताकत का इस्तेमाल करते हैं; वे दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हैं, उनके वैधानिक अधिकारों और हितों का उल्लंघन करते हैं और विरोधाभास, मतभेद व विवाद को पैदा करते हैं, इस तरह यह लोग इंसान के विकास में बाधा पैदा करते हैं, जिसका अंतरराष्ट्रीय समुदाय विरोध कर रहा होता है।" (4 फरवरी, 2022)

तीसरा, मॉस्को और बीजिंग, सुदूर पूर्व में अपनी रक्षा के लिए संगठित हो रहे हैं। यह साफ़ है कि यूक्रेन विवाद अमेरिका को नाटो का विस्तार करने से नहीं रोक पा रहा है और इस बात पर यकीन करने की पुख़्ता वज़ह हैं कि अमेरिका के गठनबंधन का अगला विस्तार दक्षिण चीन सागर में हो सकता है।

रूसी विदेश मंत्री सर्जी लावरोव ने गुरुवार को कहा कि शत्रुता रखने वाले पश्चिमी राजनेता सार्वजनिक तौर पर कह रहे हैं कि उनके गठनबंधन को वैश्विक जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए औऱ नाटो को प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभानी चाहिए। अगर 28-30 जून को मैड्रिड में होने वाले नाटो सम्मेलन में इस संबंध में कुछ बड़े फ़ैसले ले लिए जाते हैं, तो बीजिंग और मॉस्को को हैरानी नहीं होगी।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा, "नाटो ने कई बार सार्वजनिक तौर पर कहा है कि यह एक क्षेत्रीय गठबंधन बना रहेगा और यह भूराजनीतिक भूमिका में आना नहीं चाहता, न ही यह दूसरे क्षेत्रों में विस्तार करेगा। लेकिन हाल के सालों में नाटो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में लगातार प्रवेश कर रहा है। नाटो के कुछ सदस्य देश लगातार चीन के तट के पास जंगी जहाज और विमान भेजते रहते हैं, जिससे तनाव और विवाद उपजता है। नाटो दूसरे क्षेत्रों पर आक्रामकता दिखा रहा है और गुटों के टकराव वाले शीत युद्ध को दावत दे रहा है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास सजग निगरानी और दृढ़ प्रतिरोध करने की हर वज़ह मौजूद है।

रूस और चीन ने अमेरिका के दुश्मनी भरे भाव में बदलाव की आशाएं छोड़ दी हैं। रूस के विदेश मंत्री सर्जी लावरोव ने शुक्रवार को कहा, "पश्चिम ने हमारे खिलाफ़ संपूर्ण युद्ध की घोषणा कर दी है। अब कोई इस तथ्य को छुपाता तक नहीं है।" 2006 के बाद पहली बार रूस और चीन ने गुरुवार को अमेरिका द्वारा उत्तर कोरिया पर और कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए बनाए गए मसौदे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो किया।

मंगलवार को जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में मंगलवार को एक संबोधन में अमेरिकी गृह सचिव एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन में रूस की कार्रवाई के खिलाफ़ जो गठबंधन बनाया है, वह भविष्य में चीन द्वारा पेश की जाने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए इस्तेमाल हो सकने वाले एक चुस्त-दुरुस्त और पर्याप्त संसाधनों वाले मॉडल का भी प्रतिनिधित्व करता है। बता दें ब्लिंकेन के इस उद्बोधन का शीर्षक "चीन के प्रति प्रशासन का दृष्टिकोण, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चीन को संतुलित और डराने के लिए एकजुट किया जा सके" था।

इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Indo-Pacific Power Dynamic in Radical Shift

Indo-Pacific
japan
USA
China
Russia

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान

रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ

यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 

पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन

और फिर अचानक कोई साम्राज्य नहीं बचा था

अमेरिकी आधिपत्य का मुकाबला करने के लिए प्रगतिशील नज़रिया देता पीपल्स समिट फ़ॉर डेमोक्रेसी

90 दिनों के युद्ध के बाद का क्या हैं यूक्रेन के हालात

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा

यूक्रेन युद्ध से पैदा हुई खाद्य असुरक्षा से बढ़ रही वार्ता की ज़रूरत


बाकी खबरें

  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License