NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कांग्रेस और अन्य दलों द्वारा वोट काटने से गठबंधन ने 12 सीटें खो दीं
इसके अलावा, तीन विपक्षी नेताओं ने अपनी सीटों को असामान्य रूप से बड़ी संख्या में खड़े हुए स्वतंत्र उम्मीदवारों के कारण खो दिया, जिन्हें ख़ास तौर पर इसी उद्देश्य के लिए खड़ा किया गया था।
पीयूष शर्मा
27 May 2019
Translated by महेश कुमार
कांग्रेस और अन्य दलों द्वारा वोट काटने से गठबंधन ने 12 सीटें खो दीं
Image Courtesy: Satyagrah

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके सहयोगियों ने लोकसभा चुनावों में नाटकीय ढंग से, 80 में से 64 सीटें हासिल कर लीं, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन (आरएलडी) को केवल 15 सीटें मिलीं और कांग्रेस केवल एक सीट तक ही सीमित रही। न्यूज़क्लिक की डेटा एनालिटिक्स टीम द्वारा विस्तृत परिणामों के विश्लेषण से पता चलता है कि तस्वीर तब कुछ अलग ही होती अगर कांग्रेस गठबन्धन के साथ होती – तो गठबंधन ने नौ सीटें और जीती होतीं।

इसके अलावा, अगर शिवपाल यादव की प्रगतिवादी समाजवादी पार्टी (पीएसपी) और राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) भी गठबन्धन में शामिल हो जाती, तो यह भाजपा को चार अन्य सीटों पर हरा सकते थे।

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो भाजपा की 12 सीटें कम हो जातीं अगर गठबंधन थोड़ा और व्यापक होता, तब 15 सीटों की संख्या 27 सीट तक पहुँच जाती।

जो आठ सीटें कांग्रेस के साथ हुए व्यापक गठबंधन से जीती जा सकती थीं वे सुल्तानपुर, बदायूँ, बांदा, बाराबंकी, बस्ती, धौरहरा, मेरठ और संत कबीर नगर (नीचे चार्ट देखें) हैं।

election table.jpg

अंकगणित के अलावा, वर्तमान में गथबंधन द्वारा हारी हुई दो अन्य सीटें भी कांग्रेस के साथ मिलकर जीती जा सकती थीं क्योंकि मार्जिन कम है और अगर व्यापक गठबंधन होता तो उसकी विश्वसनीयता की वजह से अधिक मतदाताओं को अपनी ओर खींचा जा सकता था, जो निराशा की वजह से चुनाव से बाहर रहने का फ़ैसला कर रहे थे। इनमें सीतापुर (मार्जिन 4,815) और मुजफ़्फरनगर (मार्जिन 6,526) हैं।

सपा के परंपरागत गढ़ रहे फ़िरोज़ाबाद सीट को सपा नेता मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव के प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार होने के कारण गठबंधन ने खो दिया। उन्हें लगभग 92,000 वोट मिले, पीएसपी बनाने के लिए वे सपा से अलग हो गए थे। गठबंधन इस सीट पर भाजपा से लगभग 28,000 वोटों से हार गया था  (नीचे चार्ट देखें)। अगर पीएसपी गठबंधन के साथ जुड़ जाता, तो यह सीट भी भाजपा से जीती जा सकती थी।

election table2.jpg

तीन अन्य सीटें हैं - मच्छलीशहर, चंदौली और बलिया - जहाँ पूर्वी यूपी में एसबीएसपी एक जाति आधारित पार्टी है, और इसका ख़ास समर्थन है और इसने यहाँ पर्याप्त संख्या में वोट हासिल कर गठबंधन को हराया है। यह पार्टी भाजपा की अगुवाई वाले राजग की सहयोगी थी, लेकिन भाजपा के विषम रवैये से असंतुष्ट हो गई थी और इसने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया था। अगर सपा और बसपा के नेता अपने पत्ते अच्छे से खेलते तो उनके गठबंधन में शामिल होने की संभावना थी । लेकिन, अंततः, एस.बी.एस.पी. ने अलग से चुनाव लड़ा। एक और सीट पर, राबर्ट्सगंज, एसबीएसपी के साथ मिलकर गठबंधन ने संतुलन बनाया होता तो जीत सकती थी क्योंकि भाजपा की जीत का अंतर मात्र 5,120 वोट था और एसबीएसपी, पीएसपी से संबंधित वोटों को जोड़ने के बाद का नतीजा कुछ ओर होता।

राहुल गांधी, डिंपल यादव और अजीत सिंह की हार 

विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि कम से कम कुछ महत्वपूर्ण सीटों पर, जहाँ से महत्वपूर्ण विपक्षी नेता चुनाव लड़ रहे थे, लगता है कि बीजेपी ने कई निर्दलीय उम्मीदवारों को लड़ाकर और विरोधियों के वोटों में कटौती करके और छोटे संगठनों को उकसा कर विरोधियों की संभावनाओं को नुकसान पहुँचाया है। । ये हैं - कन्नौज जहाँ सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव (मार्जिन 12353 से हार हुई; यहाँ आज़ाद और अन्य उम्मीदवारों को 18510 मत मिले); मुज़फ़्फ़रनगर जहाँ अजीत सिंह, रालोद प्रमुख (मार्जिन 6526 से हार हुई ; आज़ाद और अन्य उम्मीदवारों को 13927 मत मिले) और अमेठी से चुनाव लड़ रहे राहुल गाँधी (मार्जिन 55120 से हार हुई; स्वतंत्र और अन्य को 55461 मत मिले)। हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि स्वतंत्र और अन्य उम्मीदवार वास्तव में बीजेपी के समर्थक थे, लेकिन यह संयोग है कि इन सीटों पर केवल इतने ही उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे।

Uttar pradesh
elections 2019
Lok Sabha Polls
SAMAJWADI PARTY
BAHUJAN SAMAJ PARTY
Gathbandhan
Congress
Bharatiya Janata Party
Rahul Gandhi
smriti irani
Yogi Adityanath

Related Stories

आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

हार्दिक पटेल भाजपा में शामिल, कहा प्रधानमंत्री का छोटा सिपाही बनकर काम करूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के लिए मीडिया टाइकून बन रहे हैं मोहरा!

ED के निशाने पर सोनिया-राहुल, राज्यसभा चुनावों से ऐन पहले क्यों!

ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी को धन शोधन के मामले में तलब किया

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल


बाकी खबरें

  • aicctu
    मधुलिका
    इंडियन टेलिफ़ोन इंडस्ट्री : सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के ख़राब नियोक्ताओं की चिर-परिचित कहानी
    22 Feb 2022
    महामारी ने इन कर्मचारियों की दिक़्क़तों को कई गुना तक बढ़ा दिया है।
  • hum bharat ke log
    डॉ. लेनिन रघुवंशी
    एक व्यापक बहुपक्षी और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता
    22 Feb 2022
    सभी 'टूटे हुए लोगों' और प्रगतिशील लोगों, की एकता दण्डहीनता की संस्कृति व वंचितिकरण के ख़िलाफ़ लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है, क्योंकि यह परिवर्तन उन लोगों से ही नहीं आएगा, जो इस प्रणाली से लाभ उठाते…
  • MGNREGA
    रबीन्द्र नाथ सिन्हा
    ग्रामीण संकट को देखते हुए भारतीय कॉरपोरेट का मनरेगा में भारी धन आवंटन का आह्वान 
    22 Feb 2022
    ऐसा करते हुए कॉरपोरेट क्षेत्र ने सरकार को औद्योगिक गतिविधियों के तेजी से पटरी पर आने की उसकी उम्मीद के खिलाफ आगाह किया है क्योंकि खपत की मांग में कमी से उद्योग की क्षमता निष्क्रिय पड़ी हुई है। 
  • Ethiopia
    मारिया गर्थ
    इथियोपिया 30 साल में सबसे ख़राब सूखे से जूझ रहा है
    22 Feb 2022
    इथियोपिया के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 70 लाख लोगों को तत्काल मदद की ज़रूरत है क्योंकि लगातार तीसरी बार बरसात न होने की वजह से देहाती समुदाय तबाही झेल रहे हैं।
  • Pinarayi Vijayan
    भाषा
    किसी मुख्यमंत्री के लिए दो राज्यों की तुलना करना उचित नहीं है : विजयन
    22 Feb 2022
    विजयन ने राज्य विधानसभा में कहा, ‘‘केरल विभिन्न क्षेत्रों में कहीं आगे है और राज्य ने जो वृद्धि हासिल की है वह अद्वितीय है। उनकी टिप्पणियों को राजनीतिक हितों के साथ की गयी अनुचित टिप्पणियों के तौर पर…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License