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भारत
राजनीति
कर्नाटक में भाजपा की परिवर्तन रैली का मकसद हिंदुत्व की विचारधारा को फैलाना है
भाजपा नेता सार्वजनिक समारोहों में घृणा फैलाने वाले भाषण दे रहे हैंI राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की घटी घटनाओं से लोगो में चिंता बढ़ रही हैI
योगेश एस.
27 Dec 2017
Translated by महेश कुमार
परिवर्तन रैली

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैंI भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 3 नवंबर को बेंगलूर में 2018 में होने वाले आगामी चुनाव के लिए "परिवर्तन" रैली का उद्घाटन कियाI शाह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, "यह परिवर्तन रैली मात्र मुख्यमंत्री को बदलना नहीं है, सरकार को भी बदलना नहीं है, विधायकों को भी बदलना नहीं है बल्कि यह यह कर्नाटक राज्य को बदलने के लिए हैI उम्मीद की जा रही है कि "रैली 75 दिनों के दौरान विधानसभा के 224 निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करेगीI
3 नवंबर को शुरू हुई रैली, बेंगलुरु में 28 जनवरी 2017 को संपन्न होगी और आखरी दिन नरेंद्र मोदी कर्नाटक की राजधानी में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगेI जब रैली हुबली पहुँची तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सभा को संबोधित कियाI भारतीय राइटर्स फोरम (आई.डब्ल्यू.एफ.) के एक विश्वसनीय स्रोत ने "अज्ञातता की शर्त पर कहा कि, अक्सर राजनैतिक पार्टियाँ अभियान में अपने चुनाव के एजेंडे के बारे में बात करती हैं, लेकिन भाजपा का अभियान अद्वितीय हैI भाजपा इस रैली में केवल कांग्रेस के बारे में कहेगी कि वह कितनी खराब पार्टी हैI"आदित्यनाथ, टिपू सुल्तान जयंती मनाने के सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि भाजपा सत्ता में आएगी, और "ऐसी चीजें" कर्नाटक में फिर से नहीं होने देगीI आगे कहते हैं कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कर्णाटक हनुमान का जन्म स्थान हैं, जो एक हिंदू भगवान हैं और उन्होंने भगवान राम की सेवा की थीI 
पार्टी के नेताओं ने सार्वजनिक समारोहों में घृणास्पद भाषण दिएI राज्य में वर्तमान में कई सांप्रदायिक हिंसा की वजह से चिंताजनक स्थिति बनी हुई हैI कर्नाटक के उत्तरा कन्नड़ क्षेत्र में हाल ही में रहस्यमय परिस्थितियों में परेश मेस्ता की मृत्यु के बाद काफी क्रूर सांप्रदायिक हिंसा देखी हैI शोभा करंदलाजे ने दावा किया कि मेस्ता एक भाजपा कार्यकर्ता थे और उन्हें "जिहादियों" द्वारा मारा गया हैI डेक्कन क्रॉनिकल में एक रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा सांसद अनंत कुमार हेगडे ने कहा, "कर्नाटक में हर जगह कांग्रेस-प्रायोजित आतंकवाद है और राज्य सरकार ने निर्दोष हिंदू युवाओं के खिलाफ हत्या के प्रयासों के मामलों को दर्ज किया हैI" हेगड़े ने भी दंगों में भाग लेने के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों की रिहाई की माँग करने के लिए 'जेल भरो' अभियान का आह्वान किया है I भाजपा, आरएसएस, और एक अन्य हिंदू कट्टरपंथी संगठन के साथ जैसे कि उन्होंने परेश मेस्टा की मौत के बाद किया था, दोबारा से सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए अफवाहों को फैला रहे हैंI भाजपा सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी पर हिंदू विरोधी आरोप लगा कर हमला कर रही है, इससे बहुत स्पष्ट है कि इस चुनाव में भाजपा का एजेंडा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर जा कर टिकेगाI
हेगड़े ने कथित रूप से दावा किया था कि उन्हें 2016 में किसी अल्पसंख्यक वोट की ज़रूरत नहीं हैI द हिंदू के एक लेख के मुताबिक, उन्हें इस कथन के लिए निर्वाचन आयोग से एक चेतावनी दी गयी थीI कोप्पल जिले के कुकनूर शहर में ब्राह्मण युवा परिषद द्वारा आयोजित एक समारोह में एक सभा को संबोधित करते हुए हेगड़े ने हाल ही में सेक्युलरवादियों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी कीI उन्होंने कहा, "जो लोग अपने माता-पिता के खून के बारे में नहीं जानते हैं, उन्हें धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, उनकी अपनी पहचान नहीं होती है... जो अपने मूल के बारे में नहीं जानते हैं, वे बुद्धिजीवी हैंI" उन्होंने मौजूद लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि इसलिए अपनी जाति के साथ पहचान का होना जरूरी है उन्होंने आगे कहा कि यद्दपि वे संविधान का सम्मान करते हैं  लेकिन "आने वाले दिनों में [इसे] बदला जाएगाI"
भाजपा के सदस्यों और नेताओं के लिए ऐसी टिप्पणी करना कोई नई बात नहीं हैI अतीत में, आदित्यनाथ ने सार्वजनिक रूप से घृणास्पद भाषण दिए और पार्टी ने इसके लिए कभी जिम्मेदारी नहीं लीI पार्टी सामान्य तौर पर इस तरह के भाषणों को सदस्यों के व्यक्तिगत विचार कहकर अक्सर पल्ला झाड लेती हैI क्या योगी आदित्यनाथ कर्नाटक में चुनाव जीतना चाहते हैं और हनुमान के जन्मस्थल को अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए विकसित करना चाहते हैं? क्या भाजपा को इन मुद्दों से लाभ नहीं होगा? क्या व्यक्तिगत मतभेदों के कारण अनंत कुमार हेगड़े भारत के संविधान को बदलना चाहते हैं? क्या हेगड़े ने व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस सरकार के विरोध में लोगों को इकट्ठा किया है? क्या हेगड़े और शोभा करन्दलाजे ने अपनी निजी क्षमताओं के आधार पर कथित तौर पर कन्नड़ दंगों के दौरान उकसावेपूर्ण बाते कहीं? जाहिर है, बीजेपी इन सवालों के जवाब नहीं देगीI कर्नाटक के लोगों को सोचना चाहिए और स्वयं के लिए उपरोक्त सवालों का जवाब ढूँढना चाहिएI
किसी विशेष पार्टी का सदस्य होने के नाते किसी भी राजनीतिक समारोह में या किसी मीडिया में जो कुछ भी कहा जाता है, वह व्यक्तिगत विचार नहीं माना जा सकताI इस तरह की बातें तभी कही जाती हैं जब वक्ता किसी ख़ास पार्टी का उसको समर्थन हासिल होता हैI यह स्पष्ट है कि आगामी चुनावों में भाजपा का पसंदीदा एजेंडा "विकास" नहीं होगाI बल्कि इसके विपरीत, सांप्रदायिक भावनाओं को उकसाकर वोट बैंक को विभाजित करना उसका मुख्य एजेंडा होगाI

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