NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
कर्नाटक : राज्य भर से किसान विधानसभा पर प्रदर्शन करने पहुंचे, एफ़आरपी बढ़ाने की कर रहे हैं मांग
कई ज़िलों से आए किसानों ने कहा कि एफ़आरपी में मामूली बढ़ोत्तरी से उन्हें नुकसान से उबरने में मदद नहीं मिलेगी।
निखिल करिअप्पा
07 Oct 2021
कर्नाटक : राज्य भर से किसान

सोमवार को हजारों किसान, गन्ना किसानों पर मिलने वाले FRP (फेयर एंड रिमनरेटिव प्राइस) में हुए बदलाव का विरोध करने राजधानी पहुंचे। किसानों ने इस दौरान क्रांतिवीर संगोली रायन्ना रेलवे स्टेशन से राज्य विधानसभा तक, सीएम बासवराज बोम्मई से मिलने के लिए जुलूस निकाला।

अगस्त में केंद्रीय उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गन्ने के दामों (FRP) में प्रति क्विंटल 5 रुपए की बढ़ोत्तरी की। ऐलान किया गया कि 10 फीसदी के ऊपर रिकवरी में हर 0.1 फ़ीसदी के लिए प्रति क्विंटल 2.90 का प्रीमियम दिया जाएगा और रिकवरी में 0.1 फ़ीसदी की कमी के हिसाब से 2.90 रुपए प्रति क्विंटल की कटौती भी की जाएगी। (रिकवरी दर का मतलब गन्ने से चीनी की मात्रा की निकासी है।)

नई दर 290 रुपए क्विंटल या 2900 रुपए टन है। लेकिन कर्नाटक में किसान इस बढ़ोत्तरी से नाराज़ हैं और उन्होंने FRP में संशोधन के लिए राजधानी कूच करने का फैसला किया।

प्रदर्शनकारी किसानों में 30 साल के रवि भी हैं. गड़ग के रहने वाले रवि 10 एकड़ में गन्ना और 10 एकड़ में धान लगाते हैं। उन्होंने कहा, "कृषि विभाग ने माना है कि एक टन गन्ना उत्पादन कि कीमत 3200 रुपए है। लेकिन केंद्र सरकार ने 2900 रुपए का रेट तय कर दिया। यह किसान के लिए नुकसान है। 5 रुपए की बढ़ोत्तरी पर्याप्त नहीं है, क्योंकि ईंधन और श्रम काफ़ी महंगा हो चुका है।"

सोमवार को हुए प्रदर्शन का आयोजन राज्य कब्बू बेलेगरारा (गन्ना उत्पादक किसान) संघ ने किया। संघ के अध्यक्ष कुरबुर शांताकुमार की अगुवाई में किसानों ने सरकार और विधानसभा तक जाने वाला रास्ता रोकने के लिए पुलिस के विरोध में नारे लगाए। किसानों ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खैरी में 3 अक्टूबर को हुई किसानों की हत्या की भी निंदा की। राज्य कृषि मंत्री बीसी पाटिल भी प्रदर्शन स्थल पहुंचे और थोड़ी देर तक प्रदर्शनकारियों से बात की।

शुगर मिलों द्वारा किया जा रहा शोषण

प्रदर्शनकारी कर्नाटक के अलग अलग जिलों से आए थे। संघ के राज्य सचिव देवराज ने उन तरीकों के बारे में बताया, जिनसे सुगर मिल मालिक किसानों को "धोखा" देते हैं।

उन्होनें कहा, "हमें गन्ने में चीनी की मात्रा के आधार पर भुगतान किया जाता है। मिल मालिक असली रिकवरी से कम बताते हैं। अगर रिकवरी 11 फ़ीसदी है, तो वे 10 फ़ीसदी बताते हैं और उसी का भुगतान करते हैं। इस तरीके से मिल मालिक किसानों को धोखा से रहे हैं। फिर मिल मालिकों को गन्ने से कई सह उत्पाद भी मिलते हैं। जैसे गन्ने की मरी या शीरा और छोता (रस निकलने के बाद बचने वाला पिसा हुआ सूखा गन्ना)। मरी या शीरे का इस्तेमाल शराब बनाने में होता है। जबकि छोता बिजली उत्पादन में ईंधन के तौर पर काम आता है।

केंद्र सरकार ने मिलों को एथनॉल बनाने की अनुमति भी दी है। एक लीटर एथनॉल को 59 रुपए तक बेचा जा सकता है। एक टन गन्ने से 100 लीटर एथनॉल बनाया जा सकता है। मिल मालिक बड़ा मुनाफा कमाते हैं। जबकि हम किसानों की औने पौने दाम मिलते हैं। 

कुछ किसानों ने दावा किया कि मिल मालिकों ने उनका भुगतान नहीं किया।

चामराजनगर जिले की रहने वाली 41 साल की सोमन्ना ने कहा, "पहले हमें गन्ना मिल में देने के दो महीने बाद भुगतान मिलता था। इस बार हमने प्रदर्शन किया और  गन्ना आपूर्ति के 15 दिन के भीतर हमारा भुगतान हो गया। लेकिन FRP पर्याप्त नहीं है। मेरे हिसाब से हमें 5000 रुपए प्रति टन के हिसाब से भुगतान होना चाहिए।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Karnataka: Cane Farmers From Across State March to Vidhan Soudha, Demand Higher FRP

Karnataka farmers
Farmer protests
Cane growers
Sugarcane FRP
Bengaluru Protest

Related Stories

किसान आंदोलन ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रहा है

किसान आंदोलन: केंद्र ने किसानों को भेजा प्रस्ताव, मोर्चे ने मांगा स्पष्टीकरण, सिंघु बॉर्डर पर अहम बैठक

रेल रोको: आख़िर क्यों नहीं हो सकता आरोपी मंत्री बर्खास्त, पूछें किसान

मुज़फ़्फ़रनगर महापंचायत सिर्फ़ खेती-किसानी की पंचायत नहीं, रोज़गार, स्वास्थ्य, शिक्षा की भी पंचायत है!

देशभर में किसानों ने मनाया ‘संपूर्ण क्रांति दिवस’, कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलाईं, टोहाना रहा प्रमुख केंद्र

किसानों के ‘भारत बंद’ के समर्थन में देश के हर कोने की  शानदार भागीदारी

भारत बंद: कई राज्यों में बंद का व्यापक असर, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन, रेल और सड़क यातायात प्रभावित

किसान आंदोलन: देशभर में दिखा भारत बंद का असर

किसान आंदोलन : मोदी के सर्वज्ञता के मिथक को तोड़ते किसान

थनबर्ग 'टूलकिट' : 21 साल की जलवायु कार्यकर्ता को 5 दिन की पुलिस हिरासत


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License