NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
क्या भारत की बैंकिंग प्रणाली तबाही की राह पर है?
भारतीय रिज़र्व बैंक की हाल की रिपोर्ट इस बात की भविष्यवाणी करती है कि बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में खराब क़र्ज़ बढेगा।
सुबोध वर्मा
28 Jun 2018
Translated by महेश कुमार
एनपीए

एक प्रसिद्ध नर्सरी की कविता कि जब हम्प्टी डम्प्टी गिरने के बाद टुकड़े-टुकड़े हो जाता है तो राजा के कारिंदे भी उसे जोड़ नहीं पाते हैं। भारत की विशाल बैंकिंग प्रणाली अभी तक उस चरण तक नहीं पहुँचा है लेकिन निश्चित रूप से हमारी बैंकिंग प्रणाली मुशिकल दौर का सामना कर रही है।

रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) द्वारा 26 जून, 2018 को जारी की गई सबसे हालिया वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, एक चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। खराब ऋण (जिसे सकल गैर-निष्पादित संपत्ति या जीएनपीए कहा जाता है) इस मार्च में 10 लाख करोड़ पहुँच जाएगा। चाहे फिर वह सार्वजनिक या निजी क्षेत्र द्वारा दिए क़र्ज़ होने सभी ऋणों का रिकॉर्ड 11.6 % बनता है।

यह भी पढ़ें भाजपा सरकार की बैंकों को तबाह करने की साजिश

लेकिन यह पूरी कहानी नहीं है। आरबीआई की रिपोर्ट, जो कि समय-समय पर 'तनाव का परीक्षण' करती है, ने भविष्यवाणी की है कि मार्च 2019 तक यह सभी ऋणों का 12.2 % तक हो जाएगा।

एनपीए

खराब ऋण वे हैं जो ऋण लेने वाले निर्दिष्ट अवधि में वापस नहीं मिलते। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 85.6 % बुरा ऋण बड़े लेनदार, ज़्यादातर पूँजीपतियों के पास हैं। पिछले कुछ वर्षों में यह अनुपात काफी हद तक स्थिर रहा है, ऐसे ऋण लेने वाले दो साल पहले तक 86.4 % खराब ऋण के लिए जिम्मेदार थे। ऐसा नहीं कि कुल दिए गये ऋण में कॉर्पोरेटों को दिए गये ऋण की हिस्सेदारी भी इतनी बड़ी होI दरअसल बैंकों द्वारा दिए गए कुल ऋण का केवल 54.8 % कॉर्पोरेट को दिया जाता है फिर भी ख़राब ऋण में उनकी हिस्सेदारी 86% हैI

जेएनयू में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर सुरजित मजूमदार ने कहा कि, "धीमी क्रेडिट वृद्धि के संदर्भ में खराब एनपीए की स्थिति देखी जानी चाहिए, जो धीमे निवेश को इंगित करता है। अर्थव्यवस्था में कोई माँग नहीं है इसलिए लिया गया ऋण कोई वापस नहीं दे रहा। इसलिए ऋण वापस नहीं करने की बढ़ती प्रवृत्ति दर्ज की गयी है।"

यह भी पढ़ें मोदी सरकार ने 2.72 लाख करोड़ रुपये के क़र्ज़ माफ़ किये

यह संकट क्यों पैदा हुआ? मजूमदार ने कहा कि सरकार खुद निवेश करने के बजाय निजी क्षेत्र को और निवेश करने के लिए उकसा रही है और उसके लिए उन्हें अधिक से अधिक उधार लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और यह संकट इसी का परिणाम बताया।

"सरकार निगमों और अन्य समृद्ध वर्गों पर कर लगाकर संसाधनों को बढ़ा सकती है और उन्हें बुनियादी क्षेत्रों या सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश कर सकती है। लेकिन नव उदारवादी सिद्धांत के मूल-मन्त्र- 'न्यूनतम सरकार' के प्रति वचनबद्ध है इसलिए वह ऐसा करने में अनिच्छुक है, जिससे बैंकिंग प्रणाली को खराब ऋण के बोझ के नीचे दफ़न होने के लिए मजबूर किया जा रहा है।“

यह भी पढ़ें बैंक सार्वजनिक ही होने चाहिए

उद्योग क्षेत्र ने मार्च 2018 में 22.8 % के सकल एनपीए अनुपात की रिपोर्ट की, जिसकी तुलना में कृषि में 7%, सेवाओं में 6% और खुदरा बिक्री में 2% रहा। उद्योग के भीतर, रत्न और आभूषण, बुनियादी ढाँचे, कागज़ और कागज़ उत्पादों, सीमेंट और सीमेंट उत्पादों और इंजीनियरिंग जैसे उप-क्षेत्रों के तनावपूर्ण अग्रिम अनुपात विशेष रूप से बढ़ रहे हैं।

आरबीआई के क्षेत्रीय जोखिम विश्लेषण में पाया गया कि इस क्षेत्र में गंभीर झटके की स्थिति में बिजली, कपड़ा और इंजीनियरिंग क्षेत्र बैंकिंग उद्योग के खराब ऋण में शामिल हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें निजी बैंकों के कुछ राज़

रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि किस तरह दिवालियापन और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) को बुरा ऋण वसूलने के लिए लागू किया जा रहा है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल द्वारा भर्ती 701 मामलों में से 525 अभी भी समाधान के संकल्प से गुज़र रहे थे। एनसीएलटी द्वारा बंद किए गए 176 मामलों में से 67 को अपील या समीक्षा के लिए बंद कर दिया गया, 22 को हल किया गया था और 87 को बिक्री के लिए /परिसमापन के लिए कहा गया।

हम्प्टी डम्प्टी दीवार से शायद अभी तक नहीं गिरा है, लेकिन राजा के कारिंदे निश्चित रूप से अक्षमता की उच्च डिग्री का प्रदर्शन कर रहे हैं - भारतीय लोगों के लिए यह बड़ी चिंता का विषय है जिनके पैसे इन बैंकों में रखे है।

बैंक
बैंकिंग क्षेत्र
एनपीए
NPAs
कॉर्पोरेट्स
बड़े पूँजीपति
नवउदारवादी नीतियां

Related Stories

"बैड बैंक" की शब्द पहेली

क्यों IBC क़र्ज़ वसूली में बैंकों की मदद नहीं कर पाया है?

खोज ख़बर : भगोड़ों और जालसाज़ों पर करोड़ों की मेहरबानी क्यों Mr PM?

क्या Mutual Funds और दिवालियेपन की कार्यवाहियों में सरकारी हस्तक्षेप से स्थिति होगी शांत?

भारतीय बैंक वित्तीय स्तर पर लाचार क्यों हो रहे हैं?

बैंकिंग सेक्टर का संकट बढ़ा

"विलय से बैंको का संकट दूर नहीं होगा "

चौकीदार ही चोर है: भाग 1 - नितिन गडकरी के लिए एक "स्वीट" डील

आरबीआई 'विलफुल डिफॉल्टर्स' के नामों का खुलासा करेगा?

डूबे हुए कॉर्पोरेट कर्ज़ की वसूली के लिए बना नया कानून कितना अच्छा है ?


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?
    31 May 2022
    बीते विधानसभा चुनाव में इन दोनों जगहों से सपा को जीत मिली थी, लेकिन लोकसभा उपचुनाव में ये आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है तो वहीं मुख्य…
  • Himachal
    टिकेंदर सिंह पंवार
    हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 
    31 May 2022
    केंद्र को यह समझना चाहिए कि हाती कोई सजातीय समूह नहीं है। इसमें कई जातिगत उपसमूह भी शामिल हैं। जनजातीय दर्जा, काग़जों पर इनके अंतर को खत्म करता नज़र आएगा, लेकिन वास्तविकता में यह जातिगत पदानुक्रम को…
  • रबीन्द्र नाथ सिन्हा
    त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान
    31 May 2022
    हाई-प्रोफाइल बिप्लब कुमार देब को पद से अपदस्थ कर, भाजपा के शीर्षस्थ नेतृत्व ने नए सीएम के तौर पर पूर्व-कांग्रेसी, प्रोफेसर और दंत चिकित्सक माणिक साहा को चुना है। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा
    31 May 2022
    “राज्य की शिक्षा, संस्कृति तथा राजनीतिक परिदृ्श्य का दमन और हालिया असंवैधानिक हमलों ने हम लोगों को चिंता में डाल दिया है।"
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?
    31 May 2022
    न्यूज़चक्र के इस एपिसोड में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं उमर खालिद के केस की। शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि उमर खालिद का भाषण अनुचित था, लेकिन यह यह आतंकवादी कृत्य नहीं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License