NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
कश्मीर में हुई हत्याओं की वजह से दहशत का माहौल, प्रवासी श्रमिक कर रहे हैं पलायन
30 से अधिक हत्याओं की रिपोर्ट के चलते अक्टूबर का महीना सबसे ख़राब गुज़रा है, जिसमें 12 नागरिकों की हत्या शामिल हैं, जिनमें से कम से कम 11 को आतंकवादियों ने क़रीबी टारगेट के तौर पर मारा है। 
अनीस ज़रगर
19 Oct 2021
Translated by महेश कुमार
Non local laborers waiting for train inside railwaysation Nowgam
रेलवे स्टेशन नौगाम के अंदर ट्रेन का इंतजार कर रहे गैर-स्थानीय या प्रवासी मजदूर। फोटो: कामरान यूसुफ 

श्रीनगर: क्षेत्र में बढ़ते भय और तनाव के बीच, और लगातार बढ़ते संदिग्ध आतंकवादियों के हमलों के मद्देनज़र गैर-स्थानीय श्रमिकों या प्रवासी मजदूरों की हत्या ने जम्मू-कश्मीर से कई गैर-स्थानीय लोगों को घाटी से पलायन करने पर मजबूर कर दिया है।

रेलवे स्टेशन नौगाम के बाहर खड़ा एक गैर-स्थानीय मजदूर ट्रेन का इंतजार कर रहा है। फोटो: कामरान यूसुफ 

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम के वानपोह इलाके में रविवार की शाम को हथियारबंद हमलावरों ने अंधाधुंध फायर कर कम से कम दो गैर-स्थानीय मजदूरों को मार दिया और एक अन्य को घायल कर दिया है। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है। हालांकि, दो पीड़ितों ने गहरे ज़ख़्मों की वजह से दम तोड़ दिया है।

पुलिस ने मृतकों की पहचान राजा रेशी देव और जोगिंदर रेशी देव के रूप में की है। एक अन्य व्यक्ति, चुन-चुन रेशी देव को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सभी पीड़ित बिहार राज्य के रहने वाले हैं और इलाके में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे।

इस जघन्य हमले की प्रशासन, नागरिक अधिकार समूहों और राजनीतिक दलों ने निंदा की है और हत्याओं को "बर्बर" करार दिया है।

वानपोह का हमला उन घटनाओं के एक दिन बाद हुआ जब आतंकवादियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में एक गैर-स्थानीय स्ट्रीट वेंडर और दक्षिण कश्मीर के पुलवामा इलाके में एक लकड़हारे की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हत्याओं की ताजा बाढ़ ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है, जिसने कई लोगों को 1990 के दशक की याद दिला दी है, जब कश्मीर में सशस्त्र हमले और हत्याएँ अपने चरम पर थी।  

30 से अधिक हत्याओं की रिपोर्ट के चलते अक्टूबर का महीना सबसे खराब गुज़रा है, जिसमें 12 नागरिकों की हत्या शामिल हैं, जिनमें से कम से कम 11 को आतंकवादियों ने करीबी लक्ष्य के तौर पर मारा है। मारे गए लोगों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग और गैर-स्थानीय मजदूर शामिल हैं। इस साल अब तक मारे गए नागरिकों की कुल संख्या 30 को पार कर गई है, सरकार ने इन हत्याओं को 'सॉफ्ट टारगेट' करार दिया है और जो हिंसा में गंभीर वृद्धि का भी संकेत देती है।

कई लोगों (क्षेत्रीय राजनीतिक दलों सहित) के अनुसार, जम्मू और कश्मीर में 5 अगस्त, 2019 के बाद से स्थिति काफी खराब हो गई है। इस दिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त कर दिया था। इस क्षेत्र से राज्य का दर्जा भी छीन लिया गया था और दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने तर्क दिया था कि इस कदम से क्षेत्र में स्थिरता आएगी और विकास तेज होगा। हालाँकि, क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने सरकार इस कदम का विरोध किया था और दूरगामी परिणामों की चेतावनी दी, जबकि स्थानीय लोगों ने "जनसांख्यिकीय परिवर्तन" की आशंका व्यक्त की थी। अब कई लोग आश्चर्य व्यक्त कर हैं कि क्या इन आशंकाओं ने कश्मीर में गैर-स्थानीय लोगों के खिलाफ दुश्मनी को बढ़ावा दिया है?

वर्ष 2008 से कश्मीर घाटी में काम कर रहे अजय कुमार का कहना है कि हत्याओं के बारे में सुनने के बाद उन्हें पूरी रात नींद नहीं आई। वह अब अपनी जान को खतरे को महसूस कर रहे हैं और काम छोड़ अपने पैतृक गांव वापस जा रहे हैं। “मुझे डर है इसलिए मैं लौट रहा हूं। खासकर रात के समय काफी डर लगता है। अब यहां सुरक्षित नहीं लगता है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि जब चीजें बेहतर होंगी, तो मैं वापस लौटूंगा। 

हाल ही में घाटी में आए मथिलेश कुमार अपनी आजीविका कमाने के लिए नाश्ता बेचते थे,  लेकिन रविवार के हमले के बाद वह डर गया है इसलिए वापस घर रवाना होने के लिए वह आज तड़के श्रीनगर रेलवे स्टेशन पहुंच गया। मथिलेश कुमार ने न्यूजक्लिक को बताया कि “हालात बहुत खराब हैं और सब जा रहे हैं, तो मैं यहाँ क्या करूँगा? मैं वास्तव डर गया हूं और सो नहीं पा रहा हूं। 

कश्मीर में हजारों गैर-स्थानीय श्रमिक बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों से आते हैं, जो मुख्य रूप से निर्माण मजदूरों के रूप में गर्मियों के महीनों के दौरान कश्मीर में काम करते हैं। कई लोग सर्दी के मौसम की शुरुआत में ही घाटी छोड़ देते हैं क्योंकि ठंड के मौसम के कारण निर्माण कार्य बंद हो जाता है, अन्य लोग जो चाय की दुकान या खाने की रेहड़ी लगाते हैं वे वर्षों से रुके हुए हैं। लेकिन, 370 और 35 ए के तहत गारंटीशुदा कानूनों के कारण कोई भी संपत्ति खरीदने या स्थायी रूप से बसने में सक्षम नहीं था, जिसे अब नए कानूनों के जरिए रद्द कर दिया गया है।

गैर-स्थानीय श्रमिकों का पलायन ऐसे समय में हो रहा है जब अधिकारियों ने ताजा आतंकवादी हमलों के मद्देनजर पूरे क्षेत्र में सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं। पुलिस ने नौ मुठभेड़ों में एक दर्जन से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है। इनमें नागरिकों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कुछ हमलों के पीछे आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ भी शामिल है।

बिहार के एक स्ट्रीट वेंडर अरविंद कुमार को लगता है कि सरकार को उनकी सुरक्षा बढ़ानी चाहिए। 

ईदगाह श्रीनगर में संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा मारे गए एक गैर स्थानीय वेंडर अरबिंद कुमार की रहड़ी के पास खड़े सरकारी सुरखा बल। फोटो: कामरान यूसुफ़

अरविंद कुमार ने कहा कि, स्थिति को खराब से बदतर होने से बचाने की जरूरत है। “अगर हम जैसे लोगों को इस तरह निशाना बनाया जाता है, तो चीजें और हिंसक हो सकती हैं। जब बाहर के लोगों को यहां निशाना बनाया जा रहा है तो इसकी भी संभावना बढ़ जाती है कि जम्मू-कश्मीर के बाहर काम करने वाले कश्मीरियों को भी निशाना बनाया जा सकता है। इसलिए मैं अपील करता हूं कि एलजी, सरकार हस्तक्षेप करे और ऐसा होने से रोके। इस स्थिति में कोई नहीं जीत पाएगा।”

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाली केंद्र शासित प्रदेश सरकार ने हत्याओं की निंदा की है की और कहा है कि घटनाओं के खिलाफ सुरक्षा बलों की ओर से “करारा जवाब” दिया जाएगा।

उपराज्यपाल ने कहा कि “मैं शहीद नागरिकों को अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। हम आतंकवादियों, और उनके हमदर्दों को छोड़ेंगे नहीं  और निर्दोष नागरिकों के खून की हर बूंद का बदला लेंगे।”

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Migrant Workers Leave Kashmir as Fear Swells Due to Series of Killings

Jammu and Kashmir
Article 370
militants
Srinagar
Extremism
manoj sinha

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?

कैसे जम्मू-कश्मीर का परिसीमन जम्मू क्षेत्र के लिए फ़ायदे का सौदा है


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License