NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
नेताजी! ज़रा संभल कर, हमारे बच्चों की ज़बान ख़राब हो रही है!!
समाजशास्त्री मानते हैं जो भाषा आज मंच से बोली जा रही है वह कल समाज में बोली जाएगी जिससे देश, समाज, लोकतंत्र सबका नुकसान होगा।
असद रिज़वी
09 May 2019
सांकेतिक तस्वीर
Image Courtesy : Navodaya Times

भारत के लोकसभा चुनाव 2019 में भाषा का स्तर इतना नीचे गिर जायेगा सोचा भी नहीं जा सकता था। आने वाले कल में इसका समाज पर बहुत ग़लत प्रभाव पड़ेगा। आज नेता जो भाषा मंच से बोल रहे हैं, कल के समाज में वो आम बोलचाल की भाषा होगी!

किसी पार्टी का कोई नेता अगर असभ्य भाषा का प्रयोग करे तो उसकी पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों का कर्तव्य है कि उसकी ग़लती को सुधारें ताकि समाज में ग़लत संदेश न जाये। लेकिन अगर देश का प्रधानमंत्री ही अपनी भाषा पर संयम न रख सके तो सोचिए स्तर कितना नीचे आ चुका है।

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी को “भ्रष्टाचारी नम्बर वन” कहा। यह भाषा मोदी ने एक ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग की जो अब हमारे बीच नहीं है और उसकी मौत एक दर्दनाक आतंकवादी हमले मे हुई थी।

हिमाचल प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष ने चुनावी मंच से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गाली दी। रफ़ाल मामले पर प्रधानमंत्री का बचाव करते हुए सतपाल सत्ती ने 15 अप्रैल को एक चुनावी मंच से राहुल गांधी के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया।

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान ने भाजपा उम्मीदवार जया प्रदा पर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। फ़िल्म अभिनेत्री जयाप्रदा रामपुर से बीजेपी के टिकट पर आज़म खान के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। एक दूसरे बयान मे आज़म खान ने सरकारी अफसरों से जूते साफ करवाने को कहा।

ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जब नेताओं ने मंच से आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया है। विडंबना यह है कि यह सिर्फ़ छोटे नेताओं की बात नही है, बल्कि प्रधानमंत्री की भी अभद्र भाषा के लिये आलोचना हो रही है। 

तहज़ीब और तमद्दुन (शालीनता-सभ्यता) हिंदुस्तानी संस्कृति की विशेषता रही है। राजनीति में नेताओं द्वारा प्रयोग की जा रही अभद्र (आपत्तिजनक) भाषा हमें असली मुद्दों से भटका रही है। शायद नेताओं का मक़सद भी यही होता है। सभा समाप्त होने के बाद नेताओं की भाषा पर ज़्यादा मुद्दों पर कम चर्चा होती है।

समाजशास्त्री मानते हैं जो भाषा आज मंच से बोली जा रही है वह कल समाज में बोली जाएगी। डॉक्टर प्रदीप शर्मा नेताओं के भाषा के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए कहते हैं कि अगर नेताओं की भाषा का स्तर ऐसा ही रहा तो समाज में असहिष्णुता बढ़ेगी। वह मानते हैं जो भाषा आज राजनीतिक मंच से बोली जा रही है अगली पीढ़ी उसको समाज में इस्तेमाल करेगी। 

डॉ. प्रदीप शर्मा के अनुसार अगर राजनीतिक मंचों से ऐसी भाषा का प्रयोग होता रहा तो लोग राजनीतिक विरोध को शत्रुता समझेंगे और राजनीतिक संवाद ख़त्म हो जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो लोकतंत्र का एक बड़ा नुक़सान होगा।

लेकिन नेताओं के साथ आलोचना उनकी भी करनी होगी जो लोग मंच के नीचे से अभद्र भाषा सुनकर भी तालियां बजाते हैं। कम से कम ऐसी भाषा सुनकर जनता तालियां न बजाय ताकि नेता को एहसास हो कि उसने कुछ ग़लत बोला है। इसको भारतीय राजनीति का दु:खद दौर भी कहा जा सकता है, क्योंकि कबीर,ग़ालिब,तुलसी और अनीस के देश में भाषा का स्तर गिरता जा रहा है। शायद भारत में अब से पहले ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।

2019 आम चुनाव
General elections2019
2019 Lok Sabha elections
Narendra modi
Yogi Adityanath
AZAM KHAN
Non-parliamentary Language
Mischief
bad behaviour

Related Stories

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

बात बोलेगी: मुंह को लगा नफ़रत का ख़ून

ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रीय पार्टी के दर्ज़े के पास पहुँची आप पार्टी से लेकर मोदी की ‘भगवा टोपी’ तक

कश्मीर फाइल्स: आपके आंसू सेलेक्टिव हैं संघी महाराज, कभी बहते हैं, और अक्सर नहीं बहते

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल मॉडल ऑफ़ गवर्नेंस से लेकर पंजाब के नए राजनीतिक युग तक

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License