राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश को उस प्राचीन युग में वापस ले जाएगी जब केवल एक विशेष वर्ग वर्चस्व वाले समाज में एकलव्य को दूर में ही खड़ा होकर द्रोणाचार्य को धनुष सिखाना देखना था। उन्होंने कहा, "यदि आप संविधान की प्रस्तावना और एनईपी दस्तावेज दोनों को हाथों में लेते हैं, तो आप महसूस करेंगे कि वे संगत नहीं हैं- और अगर कुछ भी संविधान के अनुकूल नहीं है, तो उसे रहने देना नहीं चाहिए।"