NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
पर्यावरण
भारत
टेलीविजन पर होने वाली परिचर्चाएं दूसरी चीजों से कहीं अधिक प्रदूषण फैला रही हैं: न्यायालय
पीठ ने कहा, ‘‘आप (वादकारियों) किसी मुद्दे का इस्तेमाल करना चाहते हैं, हमसे टिप्पणी कराना चाहते हैं और फिर उसे विवादास्पद बनाते हैं, इसके बाद सिर्फ आरोप प्रत्यारोप ही होता है...।’’

भाषा
17 Nov 2021
pollution

नयी दिल्ली, 17 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि टेलीविजन समाचार चैनलों पर होनी वाली परिचर्चाएं दूसरी चीजों से कहीं अधिक प्रदूषण फैला रही हैं और न्यायालय में सुनवायी के दौरान दिये जाने वाले वक्तव्यों का संदर्भ से बाहर इस्तेमाल किया जा रहा है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि सबका अपना एजेंडा होता है और इन बहस के दौरान दिये गए बयानों का संदर्भ से बाहर इस्तेमाल किया जा रहा है।

 पीठ ने कहा, ‘‘आप (वादकारियों) किसी मुद्दे का इस्तेमाल करना चाहते हैं, हमसे टिप्पणी कराना चाहते हैं और फिर उसे विवादास्पद बनाते हैं, इसके बाद सिर्फ आरोप प्रत्यारोप ही होता है...।’’

पीठ ने कहा, ‘‘टेलीविजन परिचर्चाओं से किसी भी दूसरी चीज से कहीं अधिक प्रदूषण उत्पन्न हो रहा है। उन्हें समझ में नहीं आता कि क्या हो रहा है और क्या मुद्दा है। बयानों का संदर्भ से बाहर इस्तेमाल किया जाता है। हर किसी का अपना एजेंडा होता है। हम कोई मदद नहीं कर सकते और हम इसे नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। हम समाधान निकालने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।’’

 शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

 शीर्ष अदालत ने यह मौखिक टिप्पणी दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पर की जिसमें कहा गया था कि पराली जलाना वायु प्रदूषण के कारकों में से एक है, जिसका समाधान करने की जरूरत है। उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र के आंकड़ों को संदर्भित किया।

 सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने टेलीविजन पर परिचर्चाओं का उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने दावा किया कि उन्होंने (मेहता) वायु प्रदूषण में पराली जलाने के योगदान पर शीर्ष अदालत को गुमराह किया था।

 मेहता ने कहा, ‘‘मैंने अपने खिलाफ टीवी मीडिया पर कुछ गैर-जिम्मेदार और अप्रिय बयान देखे कि मैंने यह दिखाकर पराली जलाने के सवाल पर अदालत को गुमराह किया कि इसका योगदान केवल 4 से 7 प्रतिशत है। मुझे स्पष्ट करने दीजिये।’’

 शीर्ष अदालत ने हालांकि कहा, ‘‘हमें बिल्कुल भी गुमराह नहीं किया गया था। आपने 10 प्रतिशत कहा था लेकिन हलफनामे में यह बताया गया था कि यह 30 से 40 प्रतिशत है।’’     

पीठ ने कहा, ‘‘इस प्रकार की आलोचना होती है जब हम सार्वजनिक पदों पर होते हैं। हम स्पष्ट हैं, हमारा विवेक स्पष्ट है, यह सब भूल जाइये। इस प्रकार की आलोचनाएं होती रहती हैं। हमारा विवेक स्पष्ट है और हम समाज की बेहतरी के लिए काम करते हैं।’’

याचिका पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और विधि छात्र अमन बांका ने दायर की है, जिन्होंने छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त में पराली के निस्तारण वाली मशीन उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

pollution
Supreme Court

Related Stories

मध्यप्रदेशः सागर की एग्रो प्रोडक्ट कंपनी से कई गांव प्रभावित, बीमारी और ज़मीन बंजर होने की शिकायत

बनारस में गंगा के बीचो-बीच अप्रैल में ही दिखने लगा रेत का टीला, सरकार बेख़बर

उत्तराखंड के नेताओं ने कैसे अपने राज्य की नाज़ुक पारिस्थितिकी को चोट पहुंचाई

बिहार में ज़हरीली हवा से बढ़ी चिंता, पटना का AQI 366 पहुंचा

"न्यूज़ चैनल प्रदूषण फैलाते हैं !"

वायु प्रदूषण को काबू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को आपात बैठक करने का निर्देश

पटाख़ों से ज्यादा ज़हर तो दिमाग़ों में है!

जानलेवा दिल्ली की हवा, 75 प्रतिशत बच्चों को सांस लेने में परेशानी

बाघजान: तेल के कुंए में आग के साल भर बाद भी मुआवज़ा न मिलने से तनाव गहराया 

तेलंगाना की पहली सुपर थर्मल पावर परियोजना को हरी झंडी देने में अहम मुद्दों की अनदेखी?


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License