NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
संस्कृति
भारत
राजनीति
पाकिस्तान
“तुम बिल्‍कुल हम जैसे निकले, अब तक कहाँ छिपे थे भाई...”
स्मृति शेष...भारतीय उपमहाद्वीप की बेबाक और बुलंद आवाज़ और पाकिस्तानी की मशहूर शायरा और मानवाधिकार कार्यकर्ता फ़हमीदा रियाज़ हमारे बीच नहीं रहीं।
न्यूज़क्लिक टीम
23 Nov 2018

“तुम बिल्‍कुल हम जैसे निकले

अब तक कहाँ छिपे थे भाई...”

भारतीय उपमहाद्वीप की बेबाक और बुलंद आवाज़ और पाकिस्तानी की मशहूर शायरा और मानवाधिकार कार्यकर्ता फ़हमीदा रियाज़ हमारे बीच नहीं रहीं। लंबी बीमारी के बाद बुधवार रात लाहौर में उनका निधन हो गया। वे 72 वर्ष की थीं। उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्मी इस बेहतरीन शायरा के राजनीतिक विचार हमेशा पाकिस्तानी हुकूमत को डराते रहे। और सैनिक तानाशाह जिआउल हक़ के दौर में उन्हें देश निकाला भी दिया गया। उन्होंने निर्वासन में कई साल भारत में बिताए। उसके बाद भी वे लगातार भारत आती-जाती रहीं। लेकिन यहां भी कट्टरपंथी तत्व उन्हें नापसंद करते थे। यही वजह थी कि पाकिस्तान से तुलना के साथ हिन्दुस्तान को आगाह करती उनकी नज़्म (कविता) का यहां भी विरोध किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए आइए सुनते हैं उनकी यही नज़्म।

fahmida riaz
Progressive Urdu writer
poem
poet
India and Pakistan

Related Stories

स्मृति शेष: वह हारनेवाले कवि नहीं थे

मंगलेश डबराल नहीं रहे

सरकारी कार्यक्रम में सीएए विरोधी कविता पढ़ने के मामले में कवि और पत्रकार गिरफ़्तार

चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए...

विशेष : पाब्लो नेरुदा को फिर से पढ़ते हुए

गोरख पाण्डेय : रौशनी के औजारों के जीवंत शिल्पी

कर्ता ने कर्म को...

फ़हमीदा की ‘वसीयत’- “मुझे कोई सनद न देना दीनदारी की…”

"ज़र्द पत्तों का बन, अब मेरा देस है…"

इस ‘खोटे’ समय में एक ‘खरे’ कवि का जाना...


बाकी खबरें

  • maliyana
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल
    23 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह न्यूज़क्लिक की टीम के साथ पहुंची उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मलियाना इलाके में, जहां 35 साल पहले 72 से अधिक मुसलमानों को पीएसी और दंगाइयों ने मार डाला…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया
    23 May 2022
    अचानक नाव में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते नाव अनियंत्रित होकर गंगा में पलट गई। नाविक ने किसी सैलानी को लाइफ जैकेट नहीं पहनाया था।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः जिला जज ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा अपना फैसला, हिन्दू पक्ष देखना चाहता है वीडियो फुटेज
    23 May 2022
    सोमवार को अपराह्न दो बजे जनपद न्यायाधीश अजय विश्वेसा की कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की चार याचिकाओं पर जिला जज ने दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?
    23 May 2022
    2019 के बाद से जो प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, उनसे ना तो कश्मीरियों को फ़ायदा हो रहा है ना ही पंडित समुदाय को, इससे सिर्फ़ बीजेपी को लाभ मिल रहा है। बल्कि अब तो पंडित समुदाय भी बेहद कठोर ढंग से…
  • राज वाल्मीकि
    सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा
    23 May 2022
    सीवर, संघर्ष और आजीविक सीवर कर्मचारियों के मुद्दे पर कन्वेन्शन के इस नाम से एक कार्यक्रम 21 मई 2022 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया मे हुआ।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License