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वाह, मोदी जी वाह...! भक्ति की भक्ति, राजनीति की राजनीति
इधर वाराणसी समेत देश के आठ राज्यों की 59 सीटों पर वोटिंग और उधर मोदी जी की केदारनाथ-बद्रीनाथ में पूजा-अर्चना। आपकी टीवी स्क्रीन पर टू-विंडो। अहा... आनंद ही आनंद है... इसे कुछ भी कहिए लेकिन आचार संहिता का उल्लंघन मत कहिए, क्योंकि...।
मुकुल सरल
18 May 2019
Modi

जब तक आप मोदी-शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस का मतलब समझने की कोशिश कर रहे हैं तब तक मोदी जी केदारनाथ पहुंच चुके हैं। और आप जब तक केदारनाथ की चर्चा करेंगे मोदी जी बद्रीनाथ पहुंच चुके होंगे।

रविवार, 19 मई के दृश्य की कल्पना कीजिए। इधर वाराणसी समेत देश के आठ राज्यों की 59 सीटों पर वोट पड़ रहे होंगे और उधर मोदी जी बद्रीनाथ में पूजा-अर्चना कर रहे होंगे और आपकी टीवी स्क्रीन पर टू-विंडो बनी होंगी। अहा...आनंद ही आनंद है...भक्ति की भक्ति, राजनीति की राजनीति। इसे आप मोदी जी की मंदिर डिप्लोमेसी कहिए, धर्म का राजनीतिकरण कहिए या राजनीति में धर्म का इस्तेमाल। कुछ भी कहिए लेकिन आचार संहिता का उल्लंघन मत कहिए। क्योंकि इसके लिए उन्हें बाकायदा चुनाव आयोग से हरी झंडी मिल चुकी है। हां, बस उन्हें इतना याद दिलाया गया है कि अभी आचार संहिता लागू है।

बताया जा रहा है कि   प्रधानमंत्री कार्यालय ने मोदी की दो दिवसीय उत्तराखंड यात्रा पर निर्वाचन आयोग का रुख पूछा था। पूरे मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि चूंकि यह आधिकारिक यात्रा है, इसलिए आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय को सिर्फ यह याद दिलाया है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ 10 मार्च से लागू हुई आदर्श आचार संहिता अभी भी प्रभावी है।

वैसे ये उनका आज़माया हुआ नुस्खा है। इससे पहले भी वे कई बार वोटिंग के दिन इसी तरह दूर कहीं मंदिर में बैठकर पूजा-अर्चना करते हैं और देश टीवी पर टू-विंडो में उन्हें देखकर निहाल होता है कि अहा...कैसा भला राजनेता है, कैसा अच्छा प्रधानमंत्री है।

मोदी जी लाइट-कैमरा-एक्शन को भली-भांति जानते हैं। कैसे आपका टीवी टाइम चुराया जाता है। कैसे आपके दिमागों पर कब्ज़ा किया जा सकता है। कैसे आपके वोट को प्रभावित किया जा सकता है वो बहुत अच्छी तरह जानते हैं।

वे सब जानते हैं लेकिन हमारा चुनाव आयोग कुछ नहीं जानता। उसे तो इतना पता है कि ये उनका निजी मामला है। लेकिन निजी कैसे सार्वजनिक बनाया जाता है, कैसे किसी कार्यक्रम को ईवेंट बनाया जाता है ये कोई मोदी जी से सीखे।

आपको याद होगा मई, 2018 में हुआ कर्नाटक विधानसभा चुनाव। इधर कर्नाटक विधानसभा के लिए वोट पड़ रहे थे और उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश से दूर नेपाल में मंदिर-मंदिर घूम रहे थे। और एक दिन पहले से आधी टीवी स्क्रीन से लेकर चर्चा का पूरा स्पेस घेरे हुए थे।

यहां उन्होंने मुक्तिनाथ मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर और जनकपुर के जानकी मंदिर में ‘भव्य’ पूजा-अर्चना की। इन सब जगहों का चुनाव भी विशेष संदर्भों में किया गया था।

इससे पहले भी वे कई चुनाव में मंदिर डिप्लोमैसी का प्रयोग करते रहे हैं। चुनाव लड़ने के लिए बनारस का चुनाव भी इसी खास रणनीति का हिस्सा रहा है।

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आज समाचार चैनल और एजेंसियां किस तरह की ख़बरें जारी कर रही हैं ज़रा उसकी एक बानगी देखिए। समाचार एजेंसी ‘भाषा’ के मुताबिक- “करीब डेढ़ माह तक चली लोकसभा चुनाव की थकान भरी कवायद का परिणाम आने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शनिवार को केदारनाथ पहुंचे और उन्होंने भगवान शिव का रूद्राभिषेक कर उनकी आराधना की।

प्रधानमंत्री हेलीकॉप्टर से उतरने पर स्लेटी रंग के पहाड़ी परिधान और पहाड़ी टोपी पहने और कमर में केसरिया गमछा बांधे दिखाई दिए। हेलीपैड से मंदिर पहुंचने के पैदल रास्ते के दोनों ओर मौजूद श्रद्धालुओं तथा स्थानीय जनता का उन्होंने हाथ हिलाकर अभिवादन किया।

मंदिर परिसर में पहुंचने पर केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों ने उनका स्वागत किया, जिसके बाद वह भगवान शिव की पूजा अर्चना और रूद्राभिषेक के लिये मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे। करीब आधे घंटे चली इस पूजा के बाद प्रधानमंत्री ने मंदिर की परिक्रमा की और श्रद्धालुओं का फिर हाथ हिलाकर अभिवादन किया।”

अहा कितना ‘सुंदर’ दृश्य है। यकीन न हो तो टीवी देखिए…।

समाचार एजेंसी ‘आईएएनएस’ ने भी बताया- “वे पहाड़ी टोपी के साथ ग्रे रंग का सूट और कमर पर भगवा रंग का गमछा पहने हुए थे।”  

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने बताया कि मोदी के आगमन से उत्तराखंड की जनता और भाजपा बहुत उत्साहित है। प्रधानमंत्री के इस दौरे का मकसद पूरी तरह से आध्यात्मिक है।

प्रधानमंत्री का पिछले दो साल में केदारनाथ का यह चौथा दौरा है।    केदारनाथ मंदिर में पूजा अर्चना के बाद मोदी जी केदारनाथ क्षेत्र में बनी ध्यान गुफा में ध्यान भी करेंगे।

आधिकारिक दौरा है इसलिए उन्होंने पूजा-अर्चना के अलावा केदारपुरी में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा भी लिया। प्रधानमंत्री यहां रात्रि विश्राम करेंगे और रविवार को बद्रीनाथ के लिए रवाना होंगे। वे दर्शन, पूजा-अर्चना के बाद रविवार को ही नई दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।
ये बात तो हुई मोदी जी लेकिन उनके दिखाए रास्ते पर सब छोटे-बड़े नेता चल रहे हैं। देखिए योगी जी भी मोदी जी के गुर जान गए हैं, कि कैसे नियम-कायदों को धता बताई जाती है। कैसे चुनाव आयोग को धोखा दिया जा सकता है, कैसे जनता की आंख में धूल झोंकी जा सकती है। आपको याद है जब आचार संहिता उल्लंघन पर उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए चुनाव आयोग ने उनके 72 घंटे प्रचार करने पर रोक लगा दी थी तो उन्होंने क्या किया था। वे इसी तरह मंदिर-मंदिर घूमे थे। और चुनाव आयोग देखकर भी कुछ नहीं कर पाया था। हालांकि उसे कुछ करना भी नहीं था, इसलिए शिकायत भी कैसी।

यही गुर सीखते हुए प्रज्ञा ठाकुर ने भी प्रचार पर रोक लगने पर मंदिरों का दौरा किया था।

इतना ही नहीं इस बार तो ‘जय श्रीराम’ के नारे के साथ एक पूरे राज्य बंगाल को ज़रूर हिंसा की आग में झोंक दिया गया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह रोड शो में राम-सीता, हनुमान की झांकियों के साथ रामायण के कई पात्र सड़क पर उतार दिए गए। और पूरा चुनाव में ही भयंकर सांप्रदायिक ध्रवीकरण का खेल खेला गया है। 

ख़ैर, नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी का खुला खेल फर्रुखाबादी है...अब आप और हम या चुनाव आयोग न समझे तो इसमें उनकी क्या ग़लती। वे घोषित तौर पर राजनीति में धर्म का प्रयोग कर रहे हैं। बाबरी मस्जिद का विध्वंस और ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा इसी का उदाहरण है। वो तो इस चुनाव में ये कार्ड चला नहीं वरना बालाकोट की भी ज़रूरत नहीं पड़ती। हालांकि बताया जा रहा है कि आगे के लिए अयोध्या की जगह काशी (बनारस) को जंग का मैदान बनाने की तैयारी है। जहां इन दिनों बड़े ‘श्रद्धा’ भाव से काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर तैयार किया जा रहा है ताकि मंदिर (ज्ञानवापी मस्जिद) तक आसानी से पहुंचा जा सके!

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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