NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
इंजीनियरिंग की डिग्री और नौकरी का संकट 
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को लोकसभा में जानकारी दी कि इंजीनियरिंग संस्थानों से पास हो रहे आधे से अधिक छात्रों को नौकरी नहीं मिल रही है। 
अमित सिंह
16 Jul 2019
आईआईटी दिल्ली
प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार: SkillOutlook.com

इंजीनियर बनाने के नाम पर देश में अरबों रुपये का कोचिंग कारोबार चल रहा है, बच्चों को पढ़ाने में मां-बाप कर्ज़दार हो रहे हैं, तनाव में बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं लेकिन जब वह इंजीनियर बन जाते हैं तो उनके पास नौकरी नहीं है। 

जी हां, आपने सच सुना है। ये बात सरकार मान रही है। दरअसल इंजीनियरिंग संस्थानों से पढ़ाई करने के बाद आधे से अधिक छात्रों को नौकरी नहीं मिल पा रही है। यहां तक कि आईआईटी, एनआईटी और ट्रिपल आईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के भी 23 फीसदी छात्रों का प्लेसमेंट नहीं हो रहा।

हिन्दुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक इस बात की जानकारी मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने लोकसभा में दी। उन्होंने बताया कि साल 2017-18 में गैर-प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई पूरा करने वाले 7.93 लाख में से केवल 3.59 लाख छात्रों का ही प्लेसमेंट हो पाया। इस तरह की स्थिति साल 2018-19 में भी देखी गई। 

केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया कि प्रतिष्ठित संस्थानों से पास होने वाले 23,298 छात्रों में 5,352 छात्रों को नौकरी नहीं मिली। उन्होंने सदन को बताया कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद अगले सत्र में रोजगार की कम संभावना वाले पाठ्यक्रमों को अनुमति नहीं देगा। 

निशंक ने कहा कि अब आगे से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे उभरते क्षेत्र से जुड़े पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी जाएगी, क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग के छात्रों को सरकार के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। 

सदन में इससे पहले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि अधिकतर इंजीनियरिंग के छात्र ऐसी नौकरियों में हैं जहां इंजीनियरिंग की डिग्री की जरूरत ही नहीं है। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा  कि उद्योग क्षेत्र की मांग और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के प्रारूप में कोई भी समानता नहीं है। 

थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व में दिए गए एक बयान पर चुटकी लेते हुए कहा कि अगर मांग और पाठ्यक्रम में असमानता दूर कर दी जाए तो फिर युवाओं को पकौड़े तलने की सलाह नहीं देनी पड़ेगी। 

लोकसभा में इस मुद्दे पर हुई चर्चा के बाद ये साफ दिखता है कि आज के समय में इंजीनियरिंग क्षेत्र अपना महत्व खोता जा रहा है। भारत में एक समय ऐसा था जब इंजीनियरिंग को सफल व्यक्ति की पहचान के साथ जोड़ा जाता था। अभिभावकों का तो सपना ही यही होता था कि उनका बच्चा इंजीनियर बने। लेकिन ये स्थिति बदल गई है। 

इससे पहले पिछले पांच सालों के दौरान कम होते एडमिशन के चलते अप्रैल 2018 में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने 800 इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करने का फैसला किया था। यानी सच ये भी है कि नौकरियों की कमी की वजह से पहले से चल रहे कई उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्र घट रहे हैं। 

अब सवाल यह है कि क्या भारत के इंजीनियरों में काबिलियत कम है जो उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है? या फिर देश में रोजगार के अवसरों में तेजी से कमी आई है इसके चलते इंजीनियरिंग के छात्रों को नौकरी नहीं मिल रही है?

तो इसका जवाब भी हमें आंकड़ों में मिल रहा है। प्रतिभा की पहचान और शोध से जुड़ी एक कंपनी एस्पाइरिंग माइंड्स की नेशनल इम्प्लायबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार मुताबिक 8% से भी कम भारतीय इंजीनियर, इंजीनियरिंग की ठोस भूमिकाओं यानी कोर एरियाज में नियुक्त किए जाने के लायक हैं। यानी 92 फीसदी इंजीनियर कोर एरिया के लायक नहीं हैं। कोर एरिया का मतलब हुआ मेकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रिकल और केमिकल इंजीनियरिंग।

इस रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी इंजीनियर रोजगार के काबिल नहीं है। रिपोर्ट में 650 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों के 1,50,000 इंजीनियरिंग छात्रों का अध्ययन किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसके लिए शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार लाने की जरूरत है ताकि वे श्रम बाजार की जरूरतों के हिसाब से काबिल हो सके।

इससे पहले भी 2011 में नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज़ कंपनी यानी नैसकॉम ने एक सर्वे में पाया कि सिर्फ़ 17.5% इंजीनियरिंग ग्रेजुएट ही नौकरी के लायक थे। इसके सर्वे के मुताबिक 82.5 प्रतिशत इंजीनियर नौकरी के लायक नहीं मिले थे। 

हालांकि इसमें इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों का दोष नहीं है। जब कुकरमुत्तों की तरह खुल रहे इंजीनियरिंग कॉलेजों को मान्यता दी जा रही थी तब इस बात का ध्यान सत्ताधारियों को देना चाहिए था।  

अब हम अपने दूसरे सवाल नौकरी पर आते हैं। देश में नौकरियों की क्या स्थिति है? मोदी सरकार के दोबारा शपथ लेने के अगले ही दिन बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए गए थे। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी इन आंकड़ों के अनुसार देश में 2017-18 में बेरोजगारी दर कुल उपलब्ध कार्यबल का 6.1 प्रतिशत रही, जो 45 साल में सर्वाधिक रही है।

इसके अलावा अगर हम रोजगार वृद्धि दर की चर्चा करें तो इसमें भी निरंतर गिरावट दर्ज की गई है। बिजनेस स्टैंडर्ड में महेश व्यास ने लिखा है कि 2017-18 मे कंपनियों में रोजगार वृद्धि दर 2.2 प्रतिशत ही रही। 2016-17 में 2.6 प्रतिशत थी। जबकि यह बेहतर आंकड़ा है पिछले वर्षों की तुलना में। रोजगार घटा है। लेकिन मजदूरी थोड़ी बढ़ी है। महेश लिखते हैं कि मात्र 46 प्रतिशत कंपनियों ने ही रोजगार वृद्धि दर्ज की है। 41 प्रतिशत कंपनियों में रोजगार घटे हैं। 13 प्रतिशत कंपनियों में रोजगार में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

AICTE
HRD minister
lok sabha
All India Council for Technical Education
Ramesh Pokhriyal Nishank
engineering students
Employment
unemployment

Related Stories

ऑनलाइन शिक्षा में विभिन्न समस्याओं से जूझते विद्यार्थियों का बयान

कैसे भाजपा की डबल इंजन सरकार में बार-बार छले गए नौजवान!

बिहार : शिक्षा मंत्री के कोरे आश्वासनों से उकताए चयनित शिक्षक अभ्यर्थी फिर उतरे राजधानी की सड़कों पर  

यूपी: रोज़गार के सरकारी दावों से इतर प्राथमिक शिक्षक भर्ती को लेकर अभ्यर्थियों का प्रदर्शन

ग्राउंड रिपोर्ट - ऑनलाइन पढ़ाईः बस्ती के बच्चों का देखो दुख

बीएचयू: प्रवेश परीक्षा के ख़िलाफ़ ‘छात्र सत्याग्रह’ जारी, प्रशासन का किसी भी विरोध से इंकार

बेरोज़गारी के आलम को देखते हुए भर्ती संस्थाओं को चाक-चौबंद रखने की सख़्त ज़रूरत  

वे JNU जैसे संस्थानों को क्यों बर्बाद कर रहे हैं?

जेएनयू:फीस वृद्धि आंशिक रूप से वापस, छात्र नाराज़, प्रदर्शन जारी

जेएनयू छात्र प्रदर्शन : 'आने वाली पीढ़ियों पर भी होगा फ़ीस वृद्धि का असर'


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License