NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
घटना-दुर्घटना
मज़दूर-किसान
समाज
भारत
राजनीति
जेएनयू : इंसाफ़ के इंतज़ार में उर्मिला
उर्मिला ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि उन्हें हक़ के लिए लड़ने की सज़ा मिल रही है। बीते आठ महीने से उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है, वो अपना जीवन दूसरों के सहारे चला रही हैं।
मुकुंद झा
02 Jul 2019
Urmila

उर्मिला बीते आठ महीने से इंसाफ का इंतजार में हैं। उर्मिला सफाई कर्मचारी हैं। बीते कई सालों से जेएनयू में एक संविदा कर्मचारी के तौर पर काम कर रहीं थी। जैसा कि हम हर जगह देखते हैं कि संविदा कर्मचारियों का शोषण होता है। न पूरा वेतन मिलता है, और जो मिलता है वह भी समय पर नहीं मिलता है।

इसके आलावा अधिकतर जगह समाजिक सुरक्षा के नाम पर भी कुछ नहीं मिलता। जेएनयू भी इससे बचा नहीं था। वहां भी सफाई कर्मचारी संविदा के तहत काम करते हैं और उन्हें वेतन बहुत कम मिलता था। इसको लेकर उर्मिला ने संघर्ष किया और जीतीं भी।

लेबर कोर्ट से उनके हक़ में निर्णय आया। सभी कर्मचारियों को समान काम का समान वेतन देने की बात कही गई लेकिन जेएनयू प्रशासन ने वेतन नहीं दिया। इतना ही नहीं अचानक उन्हें और उनकी एक अन्य साथी को हटा दिया गया।   

इसी के ख़िलाफ वो बीते आठ महीने से कोर्ट से लेकर सड़क तक संघर्ष कर रही हैं। अभी भी उन्हें उम्मीद है कि उनकी जीत होगी। उर्मिला ऑल इंडिया जनरल कामगार यूनियन की अध्यक्ष भी थीं। कामगार यूनियन हाल के महीनों में श्रमिकों के अधिकारों की सफलतापूर्वक लड़ाई लड़ी और जीती भी, इसलिए प्रशासन ने उनपर कार्रवाई कर बाकी सभी कर्मचारियों को एक चेतावनी भी देने का प्रयास किया कि अगर यूनियन के अध्यक्ष को बाहर किया जा सकता है तो समान्य कर्मचारी क्या है। 
 

जेएनयू प्रशासन के इस कदम की जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों ने भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जेएनयू को अपनी गलती सुधारनी चाहिए थी और सभी कर्मचारियों को समान काम-समान वेतन देना चाहिए था लेकिन प्रशासन अब उन लोगों को दंडित कर रहा है जो जेएनयू में हो रहे शोषण के खिलाफ और अपने  अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

उर्मिला जो जेएनयू ऑल इंडिया जनरल कामगार यूनियन की अध्यक्ष हैं, उन्होंने कर्मचारियों को साथ लेकर प्रशासन के शोषण के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने इस दौर में एक बड़ी जीत हासिल की जब उनके मामले में फैसला देते हुए लेबर कोर्ट ने 17 सिंतबर, 2018 को जेएनयू को आदेश दिया की वो सभी कर्मचारियों को समान काम का समान वेतन दे। लेकिन ठीक इसके एक महीने बाद18 अक्टूबर को उनके ठेकेदार ने उन्हें काम से निकाल दिया। वो बिना किसी उचित कारण के। उसके बाद वो लेबर कोर्ट दोबारा गईं। 
कोर्ट में केस जाने के बाद उनका ठेकेदार मुकर गया और उसने कहा हमने इन्हें हटाया नहीं है बस ट्रांसफर किया है। लेकिन उर्मिला अपना टर्मिनेशन लेटर दिखाती हैं जिसमें साफ लिखा है कि उन्हें काम से हटाया जा रहा है। इसलिए उर्मिला चाहती हैं कि उन्हें उनके पुराने स्थान पर काम दिया जाए।

लेबर कोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 16 जुलाई को है। उर्मिला ने कहा की अगर इस मामले का जल्द निर्णय नहीं होता है तो वो हाईकोर्ट जाने पर विचार कर रही हैं। 
उर्मिला ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि बीते आठ महीने से उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है, वो अपना जीवन दूसरों के सहारे चला रही हैं। अभी वो अपनी बहन के घर पर रह रही हैं। क्योंकि उनके पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि मकान मालिक को दे सकें। उन्होंने बताया कि इस आर्थिक तंगी में जब वो अपना चार साल का पीएफ का पैसा लेने गईं तो कंपनी ने वो भी देने से इंकार कर दिया। जबकि पीएफ का पैसा उनकी खुद की मेहनत का पैसा है।   

आगे उन्होंने यह भी कहा शायद उन्हें हक़ के लिए लड़ने की सज़ा मिल रही है। जेएनयू प्रशासन ने उनपर कार्रवाई कर बाकी सभी कर्मचारियों को चेतावनी देने की कोशिश की है। इसमें शायद वो कामयाब भी होता दिख रहा है। कर्मचारी डरे हुए हैं, कोर्ट के आदेश के बाद भी अभी तक जेएनयू अपने कर्मचारियों को समान काम समान वेतन नहीं दे रहा। 

जेएनयू शिक्षक संघ का कहना है कि जेएनयू प्रशासन के कामकाज में एक पैटर्न दिख रहा है। वो शिक्षकों और छात्रों के खिलाफ दंडात्मक तरीकों का इस्तेमाल करता है ताकि उसके गैरकानूनी और अनुचित प्रशासनिक निर्णयों का अनुपालन किया जा सके और सफाई कर्मचारियों को हटाया जा रहा है। प्रशासन की मनमानी और विश्वविद्यालय विरोधी नीतियों का विरोध करने वाली किसी भी आवाज़ को दंडित किया जा रहा है और उनकी आवाज़ को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। जेएनयूटीए कर्मचारियों के साथ एकजुटता में खड़ा है और दो श्रमिकों की सेवाओं को समाप्त करने के आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग करता है।

safai karmachari andolan
safai karmachari
CONTRACT SAFAIKARAMCHARIS
JNU
Urmila
social justice

Related Stories

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

अपने भविष्य के लिए लड़ते ब्राज़ील के मूल निवासी

प्रत्यक्ष कक्षाओं की बहाली को लेकर छात्र संगठनों का रोष प्रदर्शन, जेएनयू, डीयू और जामिया करेंगे  बैठक में जल्द निर्णय

दिल्ली : विश्वविद्यालयों को खोलने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने हिरासत में  लिया


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License