NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
जेएनयू में छात्रों का अनशन जारी, राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की अपील
जेएनयू प्रशासन के रवैये के ख़िलाफ़ JNUSU ने मांग की है कि विश्वविद्यालय के विजिटर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तुरंत मामले में हस्तक्षेप करें और छात्रों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार करें।

न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
26 Mar 2019
JNU

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की नई एडमिशन पॉलिसी के खिलाफ स्टूडेंट्स यूनियन का अनशन मंगलवार को आठवें दिन भी जारी रहा।

स्टूडेंट्स ने सातवें दिन वीसी के घर तक मार्च निकाला। उनका कहना था कि वीसी तो हम से मिलने आ नहीं रहे हैं तो हम ही उनसे मिलने  उनके घर तक गए। इस दौरान वहां मौजूद गार्डों ने छात्रों को रोक दिया। इस दौरान कुछ छात्रों ने वीसी के घर में घुसने की भी कोशिश की जिन्हें सुरक्षाकर्मियों ने रोककर लौटा दिया। हालांकि, वीसी का आरोप है कि स्टूडेंट्स जबरन घर में घुस आए और उनकी पत्नी को बंधक बना लिया। 

इसको लेकर वीसी जगदीश कुमार ने ट्वीट भी किया और लिखा , 'आज शाम सैकड़ों  स्टूडेंट्स जेएनयू स्थित मेरे आवास में जबरन घुस आए और मेरी पत्नी को कई घंटे तक घर में बंद रखा, जबकि मैं उस वक्त मीटिंग में था। क्या यह प्रदर्शन का तरीका है? घर के अंदर अकेली महिला को आतंकित करना प्रदर्शन है?' 

लेकिन इसके कुछ समय बाद  ही दिल्ली पुलिस ने एक बयान जारी कर वीसी साहब के आरोपों को गलत साबित कर दिया और कहा,“छात्रों ने जेएनयू वीसी के घर तक मार्च का आह्वान किया था। स्टूडेंट्स उनके घर के पास पहुंचे और घर में घुसने की कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोका। इसके बाद अधिकांश स्टूडेंट्स अपने  हॉस्टल वापस चले गए थे। कुछ लोग वहीं जमे रहे। स्थिति अभी नियंत्रण में है।' 

इसके साथ ही JNUSU ने भी वीसी के आरोप को पूरी तरह से गलत बताया और कहा कि गार्डों ने प्रशासन के इशारे पर उनसे धक्का मुक्की की जिसमें JNUSU के अध्यक्ष एन साईं बालाजी को चोट लगी और वे बेहोश हो गए। जिसके बाद उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया गया। 

आपको बता दें कि जेएनयू में 11 छात्र 8  दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। इनमें से दो को तबीयत खराब होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

jnu hunger strike.jpg

19 मार्च से, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के 11 छात्रों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की, साथ ही कई अन्य छात्र रिले भूख हड़ताल यानी क्रमबद्ध तरीके से भूख हड़ताल कर रहे थे, उनकी मांग है कि  15 मार्च को जारी हुए  प्रॉस्पेक्टस को तुरंत रद्द कर दिया जाए, और जेएनयू के वीसी  एम जगदीश कुमार को हटाया जाए। हाल के दिनों में, जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) और जेएनयू शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) कुलपति की तानाशाही रैवये का आरोप लगते हुए उनके खिलाफ समय समय पर विरोध करता रहा है |  

दूसरी तरफ  प्रशासन का कहना है कि जेएनयू के एडमिशन प्रोसेस में ऑनलाइन एंट्रेंस टेस्ट लोकतांत्रिक ढंग से लाया गया है। साथ ही,एमफिल-पीएचडी एडमिशन के लिए अलग अलग एंट्रेंस रखने का फैसला पिछले दो साल में एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में लिए गए हैं। 

JNUSU ने मांग की है कि विश्वविद्यालय के विजिटर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तुरंत मामले में हस्तक्षेप करें और छात्रों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार करें, जो इस प्रकार हैं:

 1.  एमफिल और पीएचडी सहित सभी पाठ्यक्रमों में सीबीटी ऑनलाइन परीक्षा को लागू करने का निर्णय को रद्द किया जाए।

शिक्षक और छात्रों का कहना है कि इस तरह की प्रवेश प्रक्रिया होने से एक बड़े तबके की पहुंच जेएनयू जैसे संस्थान में कम हो जाएगी। उन्होंने शैक्षणिक सीमा की समस्याओं की ओर इशारा किया था। लेकिन  शिक्षकों और छात्रों की राय की अवहेलना करते हुए इसे लागू  किया गया। इसलिए इसे तुरंत वापस लिया जाए।

2. शैक्षणिक परिषद की बैठक में बिना किसी विचार-विमर्श या चर्चा के लिए गए एकीकृत एमफिल-पीएचडी कार्यक्रम को रद्द करने के निर्णय को वापस लिया जाए और ये कार्यक्रम बहाल किया जाए। 

3. बीए द्वितीय वर्ष में प्रवेश से दूर करने का निर्णय, अवैध रूप से बोर्ड ऑफ स्टडीज, स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज, लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज के निर्णय का उल्लंघन  करता है।

4. पिछले दो वर्षों में आरक्षण के उल्लंघन के भी गंभीर मामले सामने आए हैं। 

5. एमबीए प्रोग्राम में आने वाले छात्रों से 12 लाख रुपये और इंजीनियरिंग कोर्स के लिए 70 हज़ार रुपये प्रति सेमेस्टर का शुल्क लिया जाता है। यहां तक कि इन स्कूलों में से किसी के लिए भी भवन या पर्याप्त संख्या में संकाय नहीं है।

 6. अभाव अंक (यानी गरीब और पिछड़े तबके से आने वाले छात्रों को एक तरह से प्रथमिकता देना) को लागू करने की मांग, जो जेएनयू प्रवेश नीति का सबसे प्रगतिशील तत्व रहा है, जिससे विश्वविद्यालय में प्रवेश करने के लिए हाशिये के समुदायों के छात्रों की पहुंच का अधिकार संभव हो पाया था, एमफिल-पीएचडी में लागू नहीं किया गया  है और नई शुरुआत की गई है। इसे लागू किया जाए।

 7. निर्वाचित जेएनयूएसयू को अवैध तरीके से जानबूझकर अकादमिक परिषद की बैठकों से बाहर रखा गया था, जहां इस तरह के छात्र विरोधी फैसले लिए गए। जेएनयूएसयू ने पहले ही इसके खिलाफ एक रिट याचिका दायर की है और निर्णय का इंतजार है।

हाई कोर्ट ने जेएनयूएसयू को कार्य न करने देने और विभिन्न बैठकों में भाग लेने से रोकने को लेकर जेएनयू प्रशासन को फटकार लगाई है।

 

 

JNU
JNUSU
JNU TA
JNU VC
Fee Hike
JNU Protest
Hunger Strike in JNU
Mamidala Jagadeesh Kumar
JNU Admission Policy .
Students Protest Against JNU VC

Related Stories

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 

नौजवान आत्मघात नहीं, रोज़गार और लोकतंत्र के लिए संयुक्त संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़ें

प्रत्यक्ष कक्षाओं की बहाली को लेकर छात्र संगठनों का रोष प्रदर्शन, जेएनयू, डीयू और जामिया करेंगे  बैठक में जल्द निर्णय

दिल्ली : विश्वविद्यालयों को खोलने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने हिरासत में  लिया

2020 : जेएनयू हिंसा, दंगों, सीएए-एनआरसी और किसान आंदोलन पर पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में!

"क्या ख़ता है मेरी?" उमर ख़ालिद का गिरफ़्तारी से ठीक पहले का वीडियो


बाकी खबरें

  • aaj ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    धर्म के नाम पर काशी-मथुरा का शुद्ध सियासी-प्रपंच और कानून का कोण
    19 May 2022
    ज्ञानवापी विवाद के बाद मथुरा को भी गरमाने की कोशिश शुरू हो गयी है. क्या यह धर्म भावना है? क्या यह धार्मिक मांग है या शुद्ध राजनीतिक अभियान है? सन् 1991 के धर्मस्थल विशेष प्रोविजन कानून के रहते क्या…
  • hemant soren
    अनिल अंशुमन
    झारखंड: भाजपा काल में हुए भवन निर्माण घोटालों की ‘न्यायिक जांच’ कराएगी हेमंत सोरेन सरकार
    18 May 2022
    एक ओर, राज्यपाल द्वारा हेमंत सोरेन सरकार के कई अहम फैसलों पर मुहर नहीं लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर, हेमंत सोरेन सरकार ने पिछली भाजपा सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार-घोटाला मामलों की न्यायिक जांच के आदेश…
  • सोनिया यादव
    असम में बाढ़ का कहर जारी, नियति बनती आपदा की क्या है वजह?
    18 May 2022
    असम में हर साल बाढ़ के कारण भारी तबाही होती है। प्रशासन बाढ़ की रोकथाम के लिए मौजूद सरकारी योजनाओं को समय पर लागू तक नहीं कर पाता, जिससे आम जन को ख़ासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।
  • mundka
    न्यूज़क्लिक टीम
    मुंडका अग्निकांड : क्या मज़दूरों की जान की कोई क़ीमत नहीं?
    18 May 2022
    मुंडका, अनाज मंडी, करोल बाग़ और दिल्ली के तमाम इलाकों में बनी ग़ैरकानूनी फ़ैक्टरियों में काम कर रहे मज़दूर एक दिन अचानक लगी आग का शिकार हो जाते हैं और उनकी जान चली जाती है। न्यूज़क्लिक के इस वीडियो में…
  • inflation
    न्यूज़क्लिक टीम
    जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?
    18 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में अभिसार शर्मा सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार के पास महंगाई रोकने का कोई ज़रिया नहीं है जो देश को धार्मिक बटवारे की तरफ धकेला जा रहा है?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License