जम्मू-कश्मीर का बंटवारा कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने और अनुच्छेद 370 हटाने के प्रस्ताव पर मिलीजुली प्रतिक्रिया हुई है। कांग्रेस और वाम दलों समेत कई अन्य दलों ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए इसे इतिहास और संविधान की भावना से खिलवाड़ बताया है, जबकि भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों समेत कुछ अन्य पार्टियों ने इसका स्वागत किया है।
राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि पॉवर के नशे में ये मत भूलिए, आप कश्मीर का इतिहास बदल रहे हैं। आपको केवल भूगोल मालूम है, इतिहास नहीं। उन्होंने कहा कि कानून मत पढ़िए इतिहास पढ़िए। आज़ाद ने कहा कि “अफसोस आपकी सोच पर है। हम तो एक नया भारत बनाने वाले हैं तो क्या पुराने भारत को तहस-नहस कर दोगे। भारत के इतिहास, कल्चर, भाईचारे के साथ वोट के लिए खिलवाड़ मत कीजिए।” उन्होंने कहा कि जिस दिन ये कानून पास होगा उस दिन भारत के इतिहास में काला धब्बा होगा।
उन्होंने याद दिलाया कि कश्मीर में एक नारा चलता था, जिस कश्मीर को खून से सींचा वो कश्मीर हमारा है, लेकिन जिन भाई-बहनों ने कश्मीर को खून से सींचा था उसे आपने पांव तले रौंद दिया है।
गुलाम नबी ने सीधे सरकार से कहा कि आपके इस काले कानून को इस देश की सलामती और बेहतरी चाहने वाले कभी कबूल नहीं करेंगे।
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भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि भारत के लोगों को इस बात के लिए आगाह हो जाना चाहिए कि इस तरह के सत्तावादी हमले उनके लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों पर भी होंगे।
उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि यह समय जम्मू और कश्मीर के लोगों के साथ खड़े होने और संविधान और संघवाद पर इस हमले का विरोध करने के लिए लोगों को जुटाने का समय है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा : भारत के साथ जम्मू और कश्मीर के लोगों का बंधन मजबूत करना सभी हितधारकों के साथ बातचीत की प्रक्रिया के माध्यम से होना चाहिए था, जैसा कि 3 साल पहले सरकार द्वारा वादा किया गया था। इसके बजाय, इस तरह का एकतरफा कदम केवल अलगाव को गहरा करेगा।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव डी राजा ने कहा कि सरकार का यह कदम अर्थव्यवस्था की स्थिति से लोगों का ध्यान हटाने का एक बुरा प्रयास है।
उन्होंने कहा "आर्थिक नीतियों पर चर्चा करने के बजाय, वे राष्ट्रवाद के नाम पर देश में दहशत पैदा कर रहे हैं। वर्तमान सरकार आरएसएस द्वारा नियंत्रित है और वे जम्मू-कश्मीर को टुकड़े-टुकड़े करने के एजेंडे का पालन कर रहे हैं,"
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (सीपीआई-एमएल) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने इस फैसले का विरोध करते हुए ट्वीट किया : “साजिश और तख्तापलट से शासन: मोदी-शाह के शासन में यह लोकतंत्र है! 500 और 1000 रुपये के नोटों की तरह,अनुच्छेद 370 और संविधान की पूरी भावना को आज कलंकित किया गया है। जागो, भारत! संविधान को शासकों के हाथों में एक नाटक न बनने दें।”
अनुच्छेद 370 को रद्द करना अवैध और असंवैधानिक : महबूबा
उधर, जम्मू-कश्मीर के भी ज़्यादातर दलों ने मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। पीडीपी अध्यक्ष एवं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कहा कि भारत कश्मीर के साथ किए गए अपने वादों को पूरा करने में विफल रहा।
महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, 'आज का दिन भारतीय लोकतंत्र का एक स्याह दिन है। 1947 में दो राष्ट्रों के सिद्धांत को खारिज करने तथा भारत के साथ जाने का जम्मू कश्मीर नेतृत्व का फैसला भारी पड़ गया। अनुच्छेद 370 रद्द करने का भारत सरकार का एकतरफा फैसला अवैध एवं असंवैधानिक है जो जम्मू-कश्मीर को चलाने का पूरा अधिकार भारत को दे देगा।
“यह उपमहाद्वीप के लिए विनाशकारी परिणाम लेकर आएगा। भारत सरकार की मंशा साफ है। वे जम्मू कश्मीर के लोगों को आतंकित कर इस पर अपना अधिकार चाहते हैं। भारत कश्मीर के साथ किए गए वादों को निभाने में विफल रहा।”
पीडीपी नेता ने कहा कि राज्य के संबंध में उठाए गए कदमों पर मीडिया एवं सिविल सोसाइटी का खुशी मनाना ‘‘घृणास्पद एवं परेशान करने वाला है।” उन्होंने ट्वीट किया, “भारत सरकार की मंशा साफ एवं बेईमान हैं। वे भारत में केवल मुस्लिम बहुल राज्यों की आबादी की संरचना को बदलना चाहती है, मुस्लिमों को इस हद तक बेबस बना देना चाहते हैं कि वे अपने ही राज्य के दोयम दर्जे के नागरिक बन जाएं।
“पहले से ही नजरबंद हूं और आगंतुकों को भी नहीं मिलने दिया जा रहा। पता नहीं कब तक संपर्क नहीं कर पाऊंगी। क्या यह वह भारत है जिसे हमने स्वीकार किया था?”
पीडीपी अध्यक्ष और राज्य के कई अन्य नेता रविवार से ही नजरबंद हैं। उन्होंने ट्वीट किया, “हम जैसे लोगों के साथ धोखा हुआ जिन्होंने संसद, लोकतंत्र के मंदिर में भरोसा जताया। जम्मू-कश्मीर में वे तत्व जिन्होंने संविधान को खारिज किया और संयुक्त राष्ट्र के तहत समाधान चाहा वे सही साबित हुए। कश्मीरी जो अलगाव महसूस करते हैं उनका अलगाव यह और बढ़ाएगा।”
अनुच्छेद 370 पर सरकार का फैसला भितरघात : उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 पर सरकार के कदम को एकतरफा एवं चौंकाने वाला करार दिया और कहा कि यह राज्य की जनता के साथ पूरी तरह विश्वासघात है।
उन्होंने कहा, 'आज किया गया भारत सरकार का एकतरफा एवं चौंकाने वाला निर्णय उस भरोसे के साथ पूरी तरह धोखा है जो जम्मू-कश्मीर के लोगों ने भारत में जताया था जब राज्य का 1947 में इसके साथ विलय हुआ था। ये फैसले दूरगामी एवं भयंकर परिणाम देने वाले होंगे। यह राज्य के लोगों के प्रति दिखाई गई आक्रामकता है जिसकी कल श्रीनगर में सर्वदलीय बैठक में आशंका जताई गई थी।'
उन्होंने कहा, 'भारत सरकार ने इन विनाशकारी फैसलों की जमीन तैयार करने के लिए हाल के हफ्तों में धोखे एवं गोपनीयता का सहारा लिया। हमारी आशंकाएं दुर्भाग्यवश सच साबित हुईं जब भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर में उसके प्रतिनिधियों ने हमसे झूठ बोला कि कुछ भी बड़ा करने की योजना नहीं है।'
उन्होंने कहा कि यह घोषणा तब की गई जब पूरे राज्य, खासकर घाटी, को छावनी में तब्दील कर दिया गया। अब्दुल्ला ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर के लोगों को लोकतांत्रिक आवाज देने वाले हम जैसे लोगों को कैद कर रख लिया गया है जहां लाखों सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की हुई है। अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को निरस्त किया जाना राज्य के विलय पर मूलभूत सवाल खड़े करता है क्योंकि यह इन अनुच्छेदों में शामिल शर्तों के आधार पर ही किया गया था। यह फैसले एकतरफा, अवैध एवं असंवैधानिक हैं और नेशनल कॉन्फ्रेंस इन्हें चुनौती देगी। आगे लंबी एवं मुश्किल जंग होने वाली है। हम उसके लिए तैयार हैं।'
नीतीश कुमार के जेडीयू ने भी इस बिल का विरोध किया है। जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि ये बीजेपी का एजेंडा है, एनडीए का एजेंडा नहीं है।
बीजू जनता दल, अन्नाद्रमुक, आप और बसपा ने किया स्वागत
बीजू जनता दल ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के संकल्प का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि ‘जम्मू कश्मीर सही मायनों में आज भारत का अभिन्न अंग बना है।’
राज्यसभा में बीजद के नेता प्रसन्न आचार्य ने अनुच्छेद 370 को हटाने संबंधी संकल्प पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा, ‘हम भले ही क्षेत्रीय दल हैं और क्षेत्रीय आकांक्षाएं रखते हैं किंतु जब देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा की बात हो तो हम पूरे देश के साथ हैं।’
अन्नाद्रमुक ने भी अनुच्छेद 370 हटाने संबंधी संकल्प तथा राज्य पुनर्गठन विधेयक का समर्थन किया। अन्नाद्रमुक के नेता ए नवनीत कृष्णन ने कहा कि उनकी पार्टी इसका समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की दिवंगत नेता जे जयललिता देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने की पक्षधर थीं।
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर बसपा ने सरकार का समर्थन किया। बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्र ने राज्यसभा में कहा, 'हमारी पार्टी इसका पूर्ण समर्थन करती है। हम चाहते हैं कि बिल पास हो। हमारी पार्टी धारा 370 बिल और अन्य विधेयक का कोई विरोध नहीं कर रही है।
आम आदमी पार्टी ने भी अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन किया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट ने कहा, ‘हमें आशा है कि इससे राज्य में शांति आयेगी और विकास होगा।’ केजरीवाल ने कहा कि आप पार्टी केंद्र के जम्मू कश्मीर को लेकर उठाये कदम का समर्थन करती है।
उधर, स्वराज नेता योगेंद्र यादव ने ट्वीट कर कहा है कि वाजपेयीजी ने कश्मीर नीति के तीन सूत्र दिए थे: इंसानियत,जम्हूरियत,कश्मीरियत। इन तीनों को नजरअंदाज करने वाला आज का फैसला अंततः अलगाववादियों और पाक समर्थित आतंकवादियों के हाथ मजबूत करेगा। इतिहास गवाह है की गले लगाने की बजाय गला दबाने की नीति का खामियाजा आने वाली पीढ़ियां देती हैं।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)