NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जम्मू-कश्मीरः सर्व-शिक्षा अभियान के शिक्षकों का प्रदर्शन, सातवें वेतन आयोग के मुताबिक़ वेतन की मांग
क़रीब एक दशक से अधिक समय से राज्य की सेवा करने वाले शिक्षकों को राज्य के कर्मचारियों के रूप में भी मान्यता नहीं दी गई है और अब वे निरंतर सरकार के दोषपूर्ण निर्णयों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं से पीड़ित हैं।

सुमेधा पॉल
13 Aug 2018
sarva shiksha

पिछले कुछ महीनों से जम्मू-कश्मीर में नियमित वेतन और सातवें वेतन आयोग के लाभ की मांग को लेकर शिक्षक लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

वेतन के बिना काम करने वाले शिक्षकों ने श्रीनगर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करके गुरुवार 9 अगस्त को गवर्नर से मिलने के लिए प्रयास किया। सर्व शिक्षा अभियान के शिक्षकों के समूह शेर-ए-कश्मीर पार्क में इकट्ठा हुए और लाल चौक की ओर मार्च किया। प्रदर्शनकारी नारा लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे इसी दौरान पुलिस ने उन पर सख्त कार्रवाई की। प्रदर्शनकारियों को सिविल सेक्रेटरिएट तक पहुंचने से रोकने के प्रयास में पुलिस ने शिक्षकों पर पानी की बौछारें मार कर भीड़ को तीतर-बीतर करने की कोशिश की। उन्हें गवर्नर से मिलने से रोका दिया गया और कई को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस के दबाव में न झुकते हुए प्रदर्शनकारी शिक्षक नारे लगाते रहे।

प्रदर्शन करने वाले शिक्षकों को सरकार के प्रमुख कार्यक्रम सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत नियोजित किया गया था। इस अभियान को शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लिए लागू किया गया था। इस योजना के माध्यम से भर्ती किए गए शिक्षकों को पांच साल के लिए संविदात्मक आधार पर नियोजित किया गया था। इस योजना के अनुसार इस योजना के तहत नियोजित किसी भी शिक्षक को पांच साल की अवधि के लिए भर्ती किया जाना था और वार्षिक वेतन वृद्धि और समय के अनुसार पदोन्नति के साथ नियमित वेतन का वादा किया गया था। इन शिक्षकों को छठे वेतन आयोग के लाभ भी दिए गए थे।

हालांकि 16 साल से अधिक समय तक सेवा देने वाले शिक्षकों को प्रशासनिक कमी के कारण राज्य कर्मचारियों के रूप में मान्यता नहीं दी जा रही है। मास्टर ग्रेड कर्मचारियों या प्रधान शिक्षकों की रिक्तियों को भरने के बजाय एसएसए शिक्षकों की भर्ती के बाद सरकार ने इन-सर्विस एसएसए प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को उच्च प्राथमिक विद्यालय (यूपीएस) स्तर पर पदोन्नति करने का फैसला किया, इस तरह उन्हें राज्य कर्मचारी बना रही है और एसएसए में अपग्रेड किए गए स्कूलों में उनकी सेवाएं ले रही है।

सरकारी की इस नीति में घालमेल के कारण प्रदर्शनकारी शिक्षकों को अब 7 वें वेतन आयोग का लाभ देने का फैसला किया गया है। शिक्षकों से बात करने वाले पत्रकार रिज़वान गिलानी ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, 'सरकार इनकार नहीं कर सकती कि ये राज्य कर्मचारी हैं, लेकिन इससे गलतियां हुईं जो इसे स्वीकार नहीं कर रही हैं।"

यह जम्मू-कश्मीर सरकार की एकमात्र गड़बड़ी नहीं है। सरकार आगे बढ़ते हुए एसएसए शिक्षकों को रेहबर-ए-तालीम शिक्षक के बराबर माना, जिन्हें इस तथ्य के आधार पर संविदात्मक बुनियाद पर नियुक्त किया गया था कि उनके पास किसी विशेष गांव से उच्चतम योग्यता थी। इन शिक्षकों को भी इस वादे के साथ नियुक्त किया गया था कि उन्हें स्थायी शिक्षकों के रूप में विभाग में नियमित कर लिया जाएगा। रेहबर-ए-तलीम के साथ एसएसए नीति की गड़बड़ी जम्मू-कश्मीर सरकार की प्रशासनिक विफलता बन गई।

पीडीपी नेता सैयद अल्ताफ बुखारी द्वारा एसएसए शिक्षकों को 7 वें वेतन आयोग का लाभ देने से इंकार करने के बाद राज्य में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। इसने गुस्साए शिक्षकों को राज्य भर में विरोध प्रदर्शन शुरू करने के लिए प्रेरित किया, राजनीतिक रूप से इस मुद्दे को उठाने और सभी के लिए समाधान खोजने के लिए समितियां बनाई। न्यूज़़क्लिक से बात करते हुए कुलगाम के विधायक मोहम्मद यूसुफ तारिगामी ने कहा, "प्रदर्शनकारियों की मांग पूरी तरह से वैध हैं, वे दबाए जाने वाले तीन मुद्दों पर राहत की मांग कर रहे हैं, जो कि नियमित वेतन, सातवें वेतन आयोग के लाभ और अन्य शिक्षकों के बराबर वेतन है। लेकिन दुर्भाग्य से उनके मांगों को लगातार अनदेखा किया जा रहा है।"

इस साल जून में लाभ की उचित मांग को लेकर शिक्षकों के लगभग पांच-छह सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती से मुलाक़ात किया था। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों को आश्वासन दिया था कि उनके वेतन सातवें वेतन आयोग के अनुरूप उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने इस मुद्दे को हल करने के लिए एक महीने का समय भी मांगा था। जून 2018 में शिक्षकों की परेशानी उस वक्त और बढ़ गई जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। इसके चलते नई वित्तीय बाधाएं उत्पन्न हो गई जो नई मांग को हवा दे रहा है। शिक्षक अब मांग कर रहे हैं कि उनके वेतन केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से हटा दिए जाएं और राज्य निधि के माध्यम से दिए जाएं क्योंकि वे राज्य सरकार के कर्मचारी हैं। इस मुद्दे के समाधान के लिए वित्तीय बाधाओं में वृद्धि हुई है। गिलानी ने कहा, 'सरकार ने हाल ही में समग्र शिक्षा अभियान के साथ एसएसए योजना को विलय कर दिया है, जो कि एक व्यापक योजना है जिसके अधीन एसएसए आता है। ये शिक्षकों के भुगतान के लिए वित्त आवंटन में नई समस्याएं पैदा कर रहा है और सवाल खड़े कर रहा है कि शिक्षक अब किस श्रेणी में आएंगे।"

शिक्षकों के वेतन के भुगतान के लिए वित्तीय बाधाएं बहुत बड़ी है। अगर छठे वेतन आयोग को लागू कर दिया जाता है तो सरकार को वर्तमान में लगभग 900 सौ करोड़ रुपए का वेतन देना पड़ेगा। इसके अलावा अगर सातवें वेतन आयोग के लाभ विरोध करने वाले शिक्षकों को दिए जाएंगे तो सरकार को लगभग 1300 करोड़ रुपए देना होगा।

घाटी में महीनों से चल रहे विरोध प्रदर्शन ने शिक्षकों को कोई खास फ़ायदा नहीं पहुंचाया है। यूसुफ तारिगामी कहते हैं, 'ये विरोध प्रदर्शन समान काम के लिए समान वेतन की नज़र में विफलता जैसा दिखाता है क्योंकि इन शिक्षकों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है।'

एक दशक से अधिक समय तक राज्य की सेवा करने वाले शिक्षकों को राज्य के कर्मचारियों के रूप में भी मान्यता नहीं दी गई है और अब वे लगातार सरकार के दोषपूर्ण निर्णयों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं के पीड़ित हैं। राज्य में कर्मचारियों की भर्ती करने वाली एजेंसी सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) के माध्यम से भर्ती होने के बावजूद करीब पांच हज़ार शिक्षकों की आजीविका दांव पर है।

Sarva Shiksha Abhiyan
Jammu & Kashmir
Samagra Shiksha Abhiyan

Related Stories

कश्मीरः जेल में बंद पत्रकारों की रिहाई के लिए मीडिया अधिकार समूहों ने एलजी को लिखी चिट्ठी 

'कश्मीर में नागरिकों की हत्याओं का मक़सद भारत की सामान्य स्थिति की धारणा को धूमिल करना है'—मिलिट्री थिंक-टैंक के निदेशक

फ़ोटो आलेख: ढलान की ओर कश्मीर का अखरोट उद्योग

कांग्रेस की सेहत, कश्मीर का भविष्य और भीमा-कोरेगांव का सच!

जम्मू और कश्मीर : सरकार के निशाने पर प्रेस की आज़ादी

पहले हुए बेघर, अब गया रोटी का सहारा

कश्मीर की जनजातियों को बेघर किया जा रहा है

क्यों अलग है कश्मीर का झंडा?

कश्मीर में पत्रकारिता पर ख़तरा बरक़रार, कोविड अपडेट और अन्य

धारा 370 हटने के एक साल बाद : कश्मीर को ज़रूरत इंसानी जज़्बात की


बाकी खबरें

  • left
    अनिल अंशुमन
    झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान
    01 Jun 2022
    बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
  • Changes
    रवि शंकर दुबे
    ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च
    01 Jun 2022
    वाहनों के बीमा समेत कई चीज़ों में बदलाव से एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। इसके अलावा ग़रीबों के राशन समेत कई चीज़ों में बड़ा बदलाव किया गया है।
  • Denmark
    पीपल्स डिस्पैच
    डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान
    01 Jun 2022
    वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, यूरोपीय संघ के समर्थक वर्गों के द्वारा डेनमार्क का सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने की नीति को समाप्त करने और देश को ईयू की रक्षा संरचनाओं और सैन्य…
  • सत्यम् तिवारी
    अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"
    01 Jun 2022
    अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी…
  • भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License