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जम्मूः पाक की नापाक हरकत, गोलीबारी में बच्चे सहित 5 लोगों की मौत, 2 घायल
पीड़ितों ने पूछा, क्या प्रधानमंत्री का 56 इंच का सीना हमारे नुकसान की भरपाई कर सकता है।

सागरिका किस्सू
19 Mar 2018
जम्मू कश्मीर

पाकिस्तानी सेना ने रविवार को एक बार फिर संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए सुबह लाइन ऑफ कंट्रोल से लगे रिहाइशी इलाके को निशाना बनाया और गोलीबारी की। जम्मू के पुंछ ज़िले के मेंदर इलाके में हुई इस गोलीबारी में कई नागरिकों की मौत हो गई।

 

पड़ोसी देश की सेना की तरफ से हुई गोलीबारी में तीन बच्चे सहित एक परिवार के पांच सदस्य मारे गए।

 

सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल देवेन्द्र आनंद ने बताया कि गोलीबारी सुबह क़रीब 7.45 बजे शुरू हुई और 11:30 बजे तक जारी रही। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों ने "विशेष रूप से रिहाइशी इलाके को निशाना बनाया है।"

 

बालाकोटे सेक्टर के देवता धर गांव में गोले दागे जाने के चलते एक ही परिवार के पांच सदस्यों की कथित तौर पर मौत हो गई और दो नाबालिग़ घायल हो गए।

 

परिवार के सदस्यों की पहचान चौधरी मोहम्मद रमज़ान, इनकी पत्नी मलका बी (38), बेटे फैज़ान (13), रिज़वान (9) के रूप में की गई है। दो नाबालिग – नौरिन (12) और मेहरीन (6)गंभीर रूप से घायल हो गए। इन्हें इलाज के लिए रजौरी से जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया।

 

 

पाक की नापाक हरकत

जम्मू के पुलिस महानिरीक्षक एसडी सिंह जमवाल ने कहा कि "देओता गांव में हुए हमले में पांच लोग मारे गए हैं जबकि दो घायल हो गए। हम स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं। हमारी टीम मौके पर मौजूद हैं। घायल लोगों के बेहतर इलाज के लिए हेलीकाप्टर भेज दिया गया है।"

अपने बयान में डिफेंस स्पोक्सपर्सन ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने छोटे हथियारों का इस्तेमाल करते हुए लाइन ऑफ कंट्रोल पर अकारण और अंधाधुंध गोलीबारी की। इस गोलीबारी में 81 एमएम और 120 एमएम के मोर्टारों का इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने कहा, "पाकिस्तान लाइन ऑफ कंट्रोल से सटे गांवों के निर्दोष लोगों, उनके घरों और मवेशियों को कायरतापूर्ण तरीक़े से लगातार निशाना बना रहा है। जानबूझकर के किए गए इस हमले के परिणामस्वरूप पांच निर्दोष नागरिकों ने अपनी ज़िंदगी गंवा दी है।" उन्होंने आगे कहा कि "भारतीय सेना ने दृढ़ता से पाकिस्तानी सेना के इस घिनौने करतूत का दृढ़ता से बदला लिया है।"

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब भारत और पाकिस्तान के बीच अघोषित लड़ाई के चलते सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को नुकसान उठाना पड़ा है।

फरवरी में प्रवीण अख्तर नाम की एक महिला को पाकिस्तान के सैनिकों द्वारा गोलीबारी में एलओसी से लगे जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के नौशेरा के कुखेमा और लैयरान गांवों में गोली मारी गई जिससे उसकी मौत हो गई थी।

हाल में न्यूज़़क्लिक की टीम ने सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के रहन-सहन का जायज़ा लेने के लिए इन इलाकों का दौरा किया था। साक्षी जो कि जम्मू के सुचेतगढ़ गांव की रहने वाली है। वह पाकिस्तानी सैनिकों की तरफ से हुई गोलाबारी में यह घायल हो गई। इसने संवाददाता को बताया कि "हम भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध नहीं चाहते हैं। शांति से बात करनी चाहिए और कोई समाधान निकालना चाहिए। गोलाबारी की वजह से मेरी बेटी की आंख चली गई। हम हमेशा डर के साए में जीते हैं। सरकार हमारे लिए कुछ नहीं कर रही है।"ज्ञात हो कि 25 अक्टूबर 2016 को साक्षी के घर पर एक मोर्टार का गोला गिरा जिसमें चार महिलाएं घायल हो गई थीं।

गोलाबारी के लिए कोई निश्चित समय नहीं है और जब गोलीबारी तय होती है तो ग्रामीणों को गांव को खाली करने के लिए कहा जाता है ताकि कोई नुकसान न हो। साक्षी ने कहा कि"कोई बंकर नहीं बनाया जाता है। गोलीबारी के समय हम अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के पास रहने के लिए चले जाते हैं। कभी-कभी फायरिंग दो महीने तक चलती है। हम किसी के घर पर इस लंबे समय तक नहीं रह सकते।" साक्षी ने आगे कहा कि कोई मुआवजा नहीं मिला है। "जब मेरे साथ ये हादसा हुआ और बेटी की आंख इस गोलीबारी में चली गई तो उस वक्त तक कोई विधायक मेरा हाल पूछने तक नहीं आय़ा जब तक कि मीडिया के माध्यम से ये जानकारी लोगों तक नहीं पहुंची। इसके बाद उन पर दबाव बना।"

इसी गांव के रहने वाले एक अन्य व्यक्ति जो गोलाबारी के कारण घायल हो गए थे उन्होंने कहा कि "शारीरिक नुकसान के अलावा गोलीबारी ने हमारे परिवारों का वित्तीय नुकसान किया है। पिछले महीने मेरे दो भैंस उस वक्त मर गए जब मोर्टार के गोले हमारे घर पर दागे गए। सरकार ने एक भैंस के नुकसान की भरपाई की लेकिन दूसरे भैंस का कोई मुआवजा नहीं मिला। पहले हम अपने मवेशियों से 40 किलो दूध रोज़ाना बेचते थे लेकिन यह अब घटकर मात्र 10 किलो हो गया है। यह मेरा वित्तीय नुकसान है। हम अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करें?"

गृह मंत्री राजनाथ सिंह के दौरे के बाद 415.73 करोड़ रुपये की लागत से 14,460 बंकरों के निर्माण की मंज़ूरी 14 मार्च 2018 को दे दी गई। वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के क़रीब चार साल बाद इस पर ध्यान दिया गया।

जम्मू कश्मीर
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