NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
झारखंडः क्या 'पकरी बरवाडीह कोयला भंडार' की स्थिति तुतीकोरिन जैसी होगी?
तीन चरण की इस परियोजना में क़रीब 1.5 लाख लोग बेघर हो जाएंगे और 210 गांव ख़त्म हो जाएंगे।

तारिक़ अनवर
30 May 2018
झारखण्ड

तमिलनाडु के तुतीकोरिन में स्टरलाइट विरोध प्रदर्शन के बाद झारखंड के हज़ारीबाग़ ज़िले में बरकागांव और खारदी ब्लॉक जनता और सरकार/ कंपनियों के बीच संघर्ष का एक अन्य साक्षी बन सकता है। पकरी बरवाडीह कोयला खदान परियोजना के तहत शुष्क ईंधन के लिए नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) द्वारा शुरू खुली खदान खनन (ओपनकास्ट माइनिंग) की शुरुआत की गई थी। इसके चलते 26 गांवों का अस्तित्व ख़त्म होने के कगार पर है। वहीं क़रीब 16,000 लोगों इन गांवों से विस्थापित कर दिया जाएगा जो कि सभी किसान हैं।

एनटीपीसी ने झारखंड के मुख्य कोयला भंडार से 15 मिलियन प्रतिवर्ष खनन विकसित करने के लिए त्रिवेणी सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड को ठेका दिया था। कंपनी के अधिकारी कथित रूप से लोगों को इलाक़ा ख़ाली करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

एक स्थानीय कार्यकर्ता मोहम्मद इलियास ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि "कंपनी के अधिकारी अक्सर गांवों में आते हैं और लोगों को इलाक़ा ख़ाली करने की धमकी देते हैं। अधिकारी ने उन पर पुलिस कार्रवाई करने और जेल भेजने की धमकी दी। वे लोगों को भयभीत करने से लेकर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने सहति सभी साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ग्रामीणों को 20 लाख रूपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा राशि स्वीकार करने के उद्देश्य को लेकर अधिकारी ग्रामीणों कहते हैं कि मुआवजा स्वीकार कर लो नहीं तो कंपनी सरकारी कोष में जमा कर देगी।"

लेकिन ग्रामीण इस बात पर कायम हैं कि किसी भी हालत में वे अपनी ज़मीन एनटीपीसी को नहीं देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि भूमि अधिग्रहण की कोई निर्धारित प्रक्रिया सरकार द्वारा नहीं की गई है। "भूमि अधिग्रहण के लिए ग्राम पंचायत की सहमति या तो प्राप्त नहीं हुई है या इसके साथ तोड़-मरोड़ की गई है। सरकार हमें बेदखल करने के लिए अपने पूरे ताक़त का इस्तेमाल कर रही है ताकि वह कॉर्पोरेट के लिए लाभ सुनिश्चित कर सके लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं। हम आख़िरी सांस तक लड़ेंगे। कृषि और विकास के बारे में बात कीजिए। हमारे आजीविका को छिनने की कोशिश मत कीजिए जो की कृषि पर निर्भर करता है।"

जबरन बेदखील के धमकी के आरोपों पर स्पष्टीकरण के लिए न्यूज़क्लिक ने एनटीपीसी के उप-ठेकेदार (त्रिवेनी सैनिक) को एक ई-मेल भेजा लेकिन उसका अब तक जवाब नहीं मिला है।

परियोजना का पहला चरण जो कि 39 वर्षों के लिए है और यह सात गांवों को प्रभावित करेगा। इस चरण में 3,319.42 हेक्टेयर का पट्टे वाला क्षेत्र है। पर्यावरण मंजूरी पत्र के अनुसार इनमें से 643.9 हेक्टेयर वन भूमि, 1950.51 हेक्टेयर कृषि भूमि, 159.64 हेक्टेयर बंजर और ऊसर भूमि, 435 हेक्टेयर चारागाह, 101.22 हेक्टेयर मानव बस्तियां और 29 .15 हेक्टेयर में सड़कें और नाला शामिल हैं।

बरकागांव रिज़र्व फॉरेस्ट कोर जोन और बफर जोन में स्थित है। इस खनन क्षेत्र में स्लॉथ बियल जैसे लुप्तप्राय जीव हैं। घाघरी नदी पश्चिम से पूर्व तक 1.5 किमी की दूरी पर खनन भूमि के दक्षिण में बहती है। हाहरो नदी दक्षिण पश्चिम से उत्तर दिशा की तरफ खनन भूमि से 1.5 किमी दक्षिण की दूरी पर बहती है।

पहले चरण में आने वाले सात गांव चिरुडीह, इटिज़, नागदी, अरहरा, पकरी-बरवाडीह, दादीकलां और चेपाकलां हैं। यहां के अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर हैं। उनके पास आय का कोई दूसरा स्रोत नहीं है। इन गांवों में भूमि के पूर्ण अधिग्रहण से क़रीब 7,000 से ज़्यादा लोगों की आजीविका पर प्रभाव पड़ेगा।

यहां के निवासी इतने डरे हुए हैं कि वे पुलिस कार्रवाई के भय से डिया से बात करना नहीं चाहते हैं। इस परियोजना को 16 फरवरी, 2017 को हरी झंडी दी गई थी औरइसी वर्ष 1 अक्टूबर को खनन शुरू हुआ था। इसके चलते पूरज़ोर विरोध प्रदर्शन किया गया जिसमें चार लोगों की मौत हो गई जिसमें चार बच्चे भी शामिल थे। इस घटना में कम से कम 10लोगों को गोली लगी। सैकड़ों लोग अभी भी जेल में हैं।

आजीविका के मुद्दों के अलावा कई अन्य समस्याएं हैं जो ग्रामीणों के अस्तित्व को चुनौती दे रहें हैं। अब चुनौतियों ने सर उठाना शुरू कर दिया है। इस खनन का विरोध करने वाले कार्यकर्ता दीपक कुमार दास ने कहा, "खुली खदान खनन की वजह से सभी तालाब और कुएं सूख गए हैं जिससे पानी की काफी क़िल्लत हो रही है। खनन के दौरान ज़ोरदार विस्फोट से हमारे घरों को नुकसान पहुंचता हैं। बच्चे और महिलाएं कई बीमारियों के शिकार हो गए हैं। इसके अलावा कई समस्याएं हैं। संक्षेप में कहें तो सरकार ने हमारे जीवन को इतना नरक बना दिया है कि हम उसकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तैयार हो जाएं।"

बरकागांव और खरादी ब्लॉक में कम से कम 36 कोयले के ब्लॉक हैं जहां तीन चरणों में खनन किया जाएगा, इसके चलते 210 गांव लुप्त हो जाएंगे। अगरस्थानीय लोगों की बात मानी जाए तो इससे क़रीब 1.5 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित होंगे।

कोई सरकारी फंड नहीं

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत सरकार द्वारा किए गए आवंटन को कथित तौर पर रोक दिया गया है। गांव के मुखियाको उनके संबंधित पंचायतों के विकास के लिए दिए गए फंड को खर्च करने से रोकने के लिए निर्देशित किया गया है क्योंकि ये भूमि कंपनी द्वारा अधिग्रहित की जा चुकी है, जो अब उक्त क्षेत्रों के सभी राहत विकास कार्यों के लिए ज़िम्मेदार है।

आर एंड आर केवल जुमलेबाज़ी है?

पुनर्वास तथा पुनःस्थापन और सीएसआर नीति के संबंध में एनटीपीसी बड़ा दावा करती है कि आर एंड आर कॉलोनी जैसे संरचना में सभी आधुनिक सुविधाएं हैं। जैसा कि ये कंपनी दावा करती है कि वह नियमित रूप से परियोजना प्रभावित क्षेत्रों में सीएसआर गतिविधियों का संचालन भी कर रही है। चाहे वह कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य या कल्याणकारी गतिविधि से संबंधित हो एनटीपीसी वहीं सब कुछ कर रही है।

युवाओं के कौशल विकास के लिए राज्य के स्वामित्व वाली बिजली उत्पादक का दावा करती है कि वह वेल्डर, फिटर और इलेक्ट्रीशियन जैसे व्यवसायों के लिए अपने आईटीआई के माध्यम से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। महिला सशक्तिकरण के लिए ये कंपनी दावा करती है कि वह झारक्राफ्ट और सहकारी समिति के साथ मिलकरसिलाई मशीन चलाने का प्रशिक्षण दे रही है।

आरएंडआर गतिविधियों के बारे में और जानकारी देते हुए एनटीपीसी के एक अधिकारी ने न्यूज़़क्लिक को बताया कि एनटीपीसी पकरी बरवाडीह ने 15 से अधिक स्कूलों को परियोजना प्रभावित इलाकों में मॉडल स्कूलों में परिवर्तित कर दिया है। इसने शिक्षा के लिए विभिन्न प्रकार की सहायता जैसे अध्ययन सामग्री, स्कूल यूनिफॉर्म, और मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति, पुस्तकालय के लिए किताबें, विज्ञान के छात्रों के लिए मोबाइल लैब आदि प्रदान किया है।

उन्होंने आगे कहा कि ये कंपनी स्कूलों और गांवों में नियमित अंतराल पर एक महीने में कम से कम 15-16 स्वास्थ्य शिविर लगाती है और मुफ्त दवाएं वितरित करती है।उन्होंने आगे का, "महिलाओं के चिकित्सा जांच के लिए महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ भी तैनात किए गए हैं। स्वच्छ भारत अभियान के माध्यम से एनटीपीसी ने एक जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया है और लोगों को स्वच्छता के लाभ के बारे में जागरूक कर रही है।

हालांकि स्थानीय लोग इस दावे को जुमलेबाज़ी कहते हुए ख़ारिज करते हैं। इलियास ने कहा कि "प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए बनाए गए आर एंड आर कॉलोनी कानिशान तक नहीं है। यह घटिया गुणवत्ता वाली सामग्री से बनाया गया है। बरसात के मौसम में कई घर गिर गए जिसके बाद सरकार ने इसके निर्माण कार्य को रोक दिया था। लेकिन यह एक बार फिर से शुरू हो गया है।"

शिक्षा, कौशल विकास और स्वास्थ्य के अन्य दावों के बारे में एक अन्य स्थानीय व्यक्ति से पूछे जाने पर उन्होंने नाम न ज़ाहिर करने की बात पर कहा कि, "सब कुछ सिर्फ कागज़ पर है। जो दावा किया गया है उसे ज़मीन पर हमने अब तक कुछ भी नहीं देखा है। कंपनी का आर एंड आर पाखंड के अलावा और कुछ भी नहीं है।"
 

झारखण्ड
तमिलनाडु
MNREGA
NTPC

Related Stories

हिमाचल : मनरेगा के श्रमिकों को छह महीने से नहीं मिला वेतन

यूपी : 10 लाख मनरेगा श्रमिकों को तीन-चार महीने से नहीं मिली मज़दूरी!

मनरेगा मज़दूरों के मेहनताने पर आख़िर कौन डाल रहा है डाका?

बिजली संकट को लेकर आंदोलनों का दौर शुरू

बिजली संकट: पूरे देश में कोयला की कमी, छोटे दुकानदारों और कारीगरों के काम पर असर

मनरेगा: ग्रामीण विकास मंत्रालय की उदासीनता का दंश झेलते मज़दूर, रुकी 4060 करोड़ की मज़दूरी

छत्तीसगढ़ :दो सूत्रीय मांगों को लेकर 17 दिनों से हड़ताल पर मनरेगा कर्मी

सोनिया गांधी ने मनरेगा बजट में ‘कटौती’ का विषय लोकसभा में उठाया

बिहारः खेग्रामस व मनरेगा मज़दूर सभा का मांगों को लेकर पटना में प्रदर्शन

बिहार मनरेगा: 393 करोड़ की वित्तीय अनियमितता, 11 करोड़ 79 लाख की चोरी और वसूली केवल 1593 रुपये


बाकी खबरें

  • BIRBHUMI
    रबीन्द्र नाथ सिन्हा
    टीएमसी नेताओं ने माना कि रामपुरहाट की घटना ने पार्टी को दाग़दार बना दिया है
    30 Mar 2022
    शायद पहली बार टीएमसी नेताओं ने निजी चर्चा में स्वीकार किया कि बोगटुई की घटना से पार्टी की छवि को झटका लगा है और नरसंहार पार्टी प्रमुख और मुख्यमंत्री के लिए बेहद शर्मनाक साबित हो रहा है।
  • Bharat Bandh
    न्यूज़क्लिक टीम
    देशव्यापी हड़ताल: दिल्ली में भी देखने को मिला व्यापक असर
    29 Mar 2022
    केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के द्वारा आवाह्न पर किए गए दो दिवसीय आम हड़ताल के दूसरे दिन 29 मार्च को देश भर में जहां औद्दोगिक क्षेत्रों में मज़दूरों की हड़ताल हुई, वहीं दिल्ली के सरकारी कर्मचारी और…
  • IPTA
    रवि शंकर दुबे
    देशव्यापी हड़ताल को मिला कलाकारों का समर्थन, इप्टा ने दिखाया सरकारी 'मकड़जाल'
    29 Mar 2022
    किसानों और मज़दूरों के संगठनों ने पूरे देश में दो दिवसीय हड़ताल की। जिसका मुद्दा मंगलवार को राज्यसभा में गूंजा। वहीं हड़ताल के समर्थन में कई नाटक मंडलियों ने नुक्कड़ नाटक खेलकर जनता को जागरुक किया।
  • विजय विनीत
    सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी
    29 Mar 2022
    "मोदी सरकार एलआईसी का बंटाधार करने पर उतारू है। वह इस वित्तीय संस्था को पूंजीपतियों के हवाले करना चाहती है। कारपोरेट घरानों को मुनाफा पहुंचाने के लिए अब एलआईसी में आईपीओ लाया जा रहा है, ताकि आसानी से…
  • एम. के. भद्रकुमार
    अमेरिका ने ईरान पर फिर लगाम लगाई
    29 Mar 2022
    इज़रायली विदेश मंत्री याइर लापिड द्वारा दक्षिणी नेगेव के रेगिस्तान में आयोजित अरब राजनयिकों का शिखर सम्मेलन एक ऐतिहासिक परिघटना है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License