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बिजली संकट: पूरे देश में कोयला की कमी, छोटे दुकानदारों और कारीगरों के काम पर असर
पूरा देश इन दिनों कोयला की कमी होने के कारण बिजली के संकट से जूझ रहा है, जबकि हाल-फिलहाल ये संकट दूर होता भी नज़र नहीं आ रहा।
रवि शंकर दुबे
29 Apr 2022
coal shortage
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

एक ओर जहां भीषण गर्मी के कारण देश झुलस रहा है, तो दूसरी ओर पावर प्लांट्स के पास कोयला की कमी होने के कारण बिजली कटौती भी बड़ी समस्या बनी हुई है। जम्मू-कश्मीर से लेकर आंध्र प्रदेश तक राजस्थान, उत्तर प्रदेश और राजधानी दिल्ली समेत देश का हर राज्य इन दिनों बिजली कटौती की समस्या से झेल रहा है।

आपको बता दें कि देश के एक चौथाई पावर प्लांट बंद हैं, जिसका नतीजा ये है कि 16 राज्यों में करीब 10-10 घंटे की बिजली कटौती की जा रही है। सरकारी रिकॉड्स के मुताबिक, देशभर में 10 हज़ार मेगावॉट, यानी 15 करोड़ यूनिट बिजली की कटौती हो रही है।

उधर राजधानी दिल्ली में बिजली कटौती का असर तेज़ी से बढ़ने लगा है, ऐसे में कोयले की कमी के कारण दिल्ली सरकार ने मेट्रो और अस्पतालों समेत कई आवश्यक संस्थानों को 24 घंटे बिजली देने के लिए असमर्थता जताई है। दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन ने इस समस्या को लेकर एक आपात बैठक भी की थी, साथ ही केंद्र को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि वो राष्ट्रीय राजधानी को बिजली की आपूर्ति करने वाले बिजली संयंत्रों को पर्याप्त कोयले की उपलब्धता सुनिश्चिक करे।

सत्येंद्र जैन का कहना है कि राजधानी के प्लांट्स में अब एक दिन का ही कोयला बचा है, दादरी-2 और ऊँचाहार बिजली स्टेशनों से बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है। वर्तमान में दिल्ली में बिजली की 25 से 30 प्रतिशत मांग इन बिजली स्टेशनों से ही पूरी की जा रही है। इन स्टेशनों में पिछले कुछ दिनों से कोयले की कमी है। ऐसे में समस्या कभी भी गहरा सकती है।

#WATCH | No (power) back up... back up should be that of coal of over 21 days, but at many power plants, less than a day's coal left. Can't function on a day's back up...: Delhi Minister Satyendar Jain on looming power crisis pic.twitter.com/66FpnOeWDe

— ANI (@ANI) April 29, 2022

हालांकि एनटीपीसी यानी नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन लिमिटेड ने कोयले की कमी पर दिल्ली सरकार के दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया। एनटीपीसी ने ट्वीट कर ये जानकारी दी कि पावर प्लांट्स में कोयले की कोई कमी नहीं है---

All 6 Units of Dadri and 5 Units of Unchahar are running at full capacity and receiving regular coal supplies. Present stock is 140000 MT and 95000 MT respectively and import coal supplies are also in pipeline.@MinOfPower @PIB_India @power_pib @OfficeOfRKSingh

— NTPC Limited (@ntpclimited) April 29, 2022

एनटीपीसी ने कहा- मौजूदा समय में ऊंचाहार और दादरी स्टेशन अपनी पूरी क्षमता के साथ चल रहे हैं। ऊँचाहार का यूनिट-1 पहले से तय काम के चलते पूरी क्षमता से नहीं चल रहा है। एनटीपीसी का कहना है कि दादरी के सभी छह यूनिट और ऊँचाहार के पाँच यूनिट अपनी पूरी क्षमता के साथ चल रहे हैं और उन्हें कोयले की नियमित सप्लाई हो रही है। मौजूदा समय में दादरी में 140000 एमटी और ऊँचाहार में 95000 एमटी कोयला उपलब्ध है। साथ ही कोयला आयात करने की मामले पर भी बातचीत चल रही है।

राजधानी दिल्ली समेत इन दिनों पूरा देश कोयला की कमी के कारण बिजली की समस्या से जूझ रहा है, इसी कड़ी में राजस्थान की हालत भी बेहद नाज़ुक बनी हुई है, जहां पारा दोपहर के वक्त 45 डिर्गी के पार पहुंच जाता है, और बिजली की समस्या के कारण लोगों का जीना मुहाल हो रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर हमला बोला और एक ट्वीट कर केंद्र सरकार पर सवाल दाग दिए---

क्या प्रदेश भाजपा का दिशाहीन नेतृत्व केन्द्र सरकार से इस बारे में सवाल पूछेगा कि वो मांग के अनुसार कोयला उपलब्ध करवाने में सक्षम क्यों नहीं है जिसके कारण 16 राज्यों में बिजली कटौती की नौबत आई है?
4/4

— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) April 29, 2022

उधर बिहार में ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने बिजली कटौती को लेकर कहा कि राज्य में करीब 1000 मेगावाट बिजली की कमी है। केंद्र सरकार से बात चल रही है, जल्द ही समस्या सुलझा ली जाएगी।

दिल्ली से ही सटे सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही 3 हज़ार मेगावॉट से ज्यादा बिजली की कमी है। कहने का अर्थ ये है कि 3 हज़ार मेगावॉट बिजली की अतिरिक्त डिमांड है जबकि सप्लाई 20 हज़ार मेगावॉट है। इतना तो साफ है कि बिजली में कमी का मुख्य कारण देश के एक चौथाई पावर प्लांट्स का बंद होना ही है। इनमें से 50 फीसदी पावर प्लांट्स कोयले की कमी के चलते बंद हैं। हालही में हुए 19वें इलेक्ट्रिक पावर सर्वे के अनुसार 2022-23 में उत्तर प्रदेश को 1.59 लाख मिलियन यूनिट से ज्यादा बिजली की आवश्यकता का आकलन किया गया था। जबकि पावर कॉर्पोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग में दाखिल साल 2022-23 के वार्षिक राजस्व आवश्यकता प्रस्ताव में 1.20 लाख मिलियन यूनिट बिजली की ज़रूरत बताई है।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक पावर सेक्टर के शैलेंद्र दुबे बताते हैं कि बिजली उत्पादन की मौजूदा क्षमता 3.99 लाख मेगावॉट है। इसमें 1.10 लाख मेगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी यानी सोलर-विंड की हिस्सेदारी है। बाकी बचे 2.89 लाख मेगावॉट में से 72,074 मेगावॉट क्षमता के प्लांट बंद हैं। इनमें से 38,826 मेगावॉट क्षमता के प्लांट्स में उत्पादन हो सकता है, लेकिन ईंधन उपलब्ध नहीं है। 9,745 मेगावॉट क्षमता के प्लांट्स में शेड्यूल्ड शटडाउन है। 23,503 मेगावॉट क्षमता के प्लांट अन्य कारणों से बंद पड़े हैं।

देश के अलग-अलग राज्यों से ऊर्जा मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों की बिजली संकट पर चिंता ज़ाहिर है, और इस बात का पुख्ता सुबूत ही बिजली कटौती के संकट से राज्य का हाल बेहाल है। इसी कड़ी में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि 18 पिटहेट प्लांट यानी ऐसे बिजलीघर, जो कोयला खदानों के मुहाने पर ही हैं, उनमें तय मानक का 78% कोयला है। जबकि दूर दराज के 147 बिजलीघर यानी नॉन-पिटहेट प्लांट में मानक का औसतन 25% कोयला उपलब्ध है। यदि इन बिजलीघरों के पास कोयला स्टॉक तय मानक के मुताबिक 100% होता तो पिटहेट प्लांट 17 दिन और नॉन-पिटहेट प्लांट्स 26 दिन चल सकते हैं।

देश के कुल 173 पावर प्लांट्स में से 106 प्लांट्स में कोयला शून्य से लेकर 25% के बीच ही है। दरअसल कोयला प्लांट बिजली उत्पादन को कोयले के स्टॉक के मुताबिक शेड्यूल करते हैं। स्टॉक पूरा हो तो उत्पादन भी पूरा होता है।

आपको बता दें कि बिजली के काम में बहुत बड़ा योगदान रेलवे का भी होता है, यही कारण है कि कोयला ढुलाई के लिए अक्सर रेलवे पर भी लेट-लतीफी के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता रहा है। इसी कड़ी में ऊर्जा संकट से निपटने के लिए रेलवे ने 42 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया है, ताकि कोयला ले जा रही पैसेंजर ट्रेनों को और ज्यादा तेज़ी से चलाया जा सके और इनके फेरे भी बढ़ाए जा सकें।

रेलवे से जारी ताजा आदेश में कहा गया है कि 42 ट्रेनें अगले आदेश तक रद्द की जाती हैं। इनमें से 34 ट्रेनें साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे और 8 ट्रेनें नॉदर्न रेलवे जोन की हैं। मध्य प्रदेश  और छत्तीसगढ़ में सांसदों के विरोध के बाद छत्तीसगढ़ की 3 रद्द ट्रेनों को रिस्टोर भी किया गया है।

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बिजली संकट को लेकर जब न्यूज़क्लिक ने ज़मीनी पड़ताल की तब पता चला कि शहरों के मुकाबले गांवों में ज्यादा बिजली काटी जा रही है। न्यूज़क्लिक ने लखनऊ से करीब 100 किलोमीटर गोण्डा के कई गावों में बिजली संकट को लेकर बात की---- जहां लोगों का कहना है कि दिनभर में करीब 10 से 12 घंटे बिजली कटौती होती है, कभी दोपहर में तो कभी रात में.... लोगों ने ये भी बताया कि ज़रूरी नहीं जब बिजली आए तो आती ही रहे... यानी कटौती के अलावा भी जितनी देर बिजली आती है, वो एक-एक घंटे बाद फिर कट जाती है। यानी ग्रामीण इलाकों को टुकड़ों में बिजली बांटी जा रही है। वहीं दूसरी इसी गांव के आसपास जब हमने छोटे दुकानदारों से बात की तो उनका कहना है कि कोई समय या कोई अंदाज़ा नहीं है कि कब बिजली आए और चली जाए, जिसके कारण फ्रीज में खराब होने वाले समान रखने से परहेज करना पड़ रहा है।

गोण्डा के अलावा जब हम लखनऊ से सटे आसपास के इलाकों में पहुचें तो हमने ज़रदोज़ी का कम करने वालों से बिजली संकट के बारे में पूछा... जहां लोगों का कहना था कि हमारे यहां काम तो हाथ से ही करना होता है लेकिन दोपहर के वक्त काम करते हुए हम पूरा पसीने से तर रहते हैं, क्योंकि इतनी गर्मी में कब बिजली चली जाए और कितनी देर तक न आए इसको लेकर कुछ भी कहना मुश्किल है। कारीगरों ने बताया कि जो काम हमलोग आराम से 8-9 घंटे कर लिया करते थे अब वही काम मुश्किल 5-6 घंटे ही कर पाते हैं क्योंकि इतनी गर्मी शरीर जवाब दे जाता है।  

ये कहना ग़लत नहीं होगा कि देश में कोयला की कमी अब छोटे दुकानदारों, कामगारों और कारखाने में काम करने वाले के लिए भी मुश्किलें खड़ा कर रहा है, वहीं गांवों के हालात भी ठीक नहीं है। क्योंकि सूरज राहत देने को तैयार नहीं है, और दूसरी ओर बिजली की समस्या घर के भीतर भी सुकून नहीं दे रही।

ग़ौर करने वाली बात ये है कि बिजली कटौती के कारण लोगों को अपने-अपने घरों में इतनी समस्याएं हैं तो आने वाले दिनों में अगर अस्तालों में बिजली की समस्या हो गई तो हालात बेहद भयावह हो जाएंगे। क्योंकि कोरोना की चौथी लहर भी तेज़ से अपने पांव पसार रही है। केंद्र और राज्य सरकार को आपसी समन्वय से जल्द ही इसका कोई समाधान करना बेहद ज़रूरी हो गया है।

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