NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
कैट्‍स हड़ताल : संघर्ष के 76 दिनों के बाद दिल्ली सरकार ने मानी मांगें
कैट्‍स एम्बुलेंस कर्मचारियों की 76 दिनों की हड़ताल और 24 दिनों की भूख हड़ताल होने के बाद मांगें मान ली गई हैं।
मुकुंद झा
14 Sep 2019
cats protest

आख़िरकार 76 दिनों से जारी कैट्स एम्बुलेंस कर्मचारियों का संघर्ष रंग लाया है। दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री गोपाल राय ने ख़ुद धरना स्थल पर आकर कर्मचारियों की 24 दिनों से चल रही भूख हड़ताल तुड़वाई और उनकी सभी मांगें मान ली हैं। उन्होंने घोषणा की कि कैट्स एम्बुलेंस कर्मचारियों को तीन महीने के बक़ाया वेतन का भुगतान किया जाएगा। साथ ही उन्होंने अश्वशान दिया है कि अब उन्हें समय पर वेतन मिलने में समस्या नहीं आएगी। गोपाल राय ने कहा, "कैट्स के सभी पुराने कर्मचारियों की पुनर्बहाली भी की जाएगी। इसके अलावा ट्रांसफ़र नीति में पारदर्शिता का भरोसा और श्रम क़ानून का पालन हो ये भी सुनिश्चित किया जाएगा।"

आपको बता दें कि कैट्स एम्बुलेंस दिल्ली सरकार की मुफ़्त एम्बुलेंस सेवा है। 102 नंबर डायल करने पर एम्बुलेंस ज़रूरतमंद के पास पहुंचती है और उसे अस्पताल तक पहुंचाती है। कैट्स एम्बुलेंस के कर्मचारियों का ये धरना मुखयमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के पास जारी था, लेकिन इनकी मांगों को सरकार तक पहुंचने में 76 दिन लगे।

70406581_1108350242688410_7225421703944339456_n.jpg

1 जुलाई से हड़ताल पर थे कर्मचारी

आपको बात दें कि 30 जून को संचालक कंपनी का कैट्स से अनुबंध ख़त्म हो गया और एक जुलाई से संचालन की ज़िम्मेदारी दूसरी कंपनी को दे दी गई। कर्मचारियों का आरोप था कि पुरानी कंपनी सभी कर्मचारियों को तीन माह का वेतन दिए बग़ैर चली गई थी जबकि नई कंपनी के साथ उनका अनुबंध भी नहीं हुआ था। इसलिए उनकी नौकरी भी ख़तरे में थी। साथ ही कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया था कि नई कंपनी कई राज्यों में ब्लैक लिस्टेड है, इसके बाद भी इसे ठेका दे दिया गया। कर्मचारी ने कहा उन्होंने ठेकदारों के नीचे काम किया है और इसलिए उन्होंने निजीकरण के विरोध में और बक़ाया वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। इससे ढाई माह से कैट्स एंबुलेंस का परिचालन प्रभावित है। कैट्स एंबुलेंस सेवा के बेड़े में 263 एंबुलेंस हैं जिनमें से मुश्किल से 60 से 80 एंबुलेंस ही सड़कों पर उतर पा रही थीं।

सरकार ने सात दिनों में वेतन जारी करने का आदेश दिया

सत्येंद्र जैन व गोपाल राय ने हड़ताली कर्मचारियों के प्रतिनिधियों व अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें यह बात सामने आई कि कर्मचारियों का दो माह 10 दिन का वेतन बक़ाया है। इस बैठक में यह तय हुआ कि स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों का प्रमुख नियोक्ता है। इसलिए स्वास्थ्य मंत्री ने सात दिन में बक़ाया वेतन जारी करने का निर्देश दिया है।

इसे भी देखें:लोगों की ज़िन्दगी से बढ़कर है निजीकरण?

गोपाल राय ने कहा, "ट्रांसफ़र को लेकर एक पारदर्शी सिस्टम बनाने की भी बात हुई है, जिससे किसी भी व्यक्ति के साथ किसी प्रकार का भेदभाव न हो। इस बात पर भी सहमति बनी है कि सरकार और कैट्स के प्रतिनिधियों के बीच हर तीन महीने में एक समीक्षा बैठक होनी चाहिए।

इसे भी देखें:निजीकरण के ख़िलाफ़ कैट्स एम्बुलैंस कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी

दिल्ली सरकार की तरफ़ से एक कॉन्ट्रेक्ट लेबर एडवाइज़री बोर्ड का गठन किया गया है। जिससे कॉन्ट्रेक्ट पर काम करने वाले लोगों की समस्याओं को दूर किया जा सके।"

इसे भी पढ़े:CATS एंबुलेंस : 30 दिन बीत जाने के बाद भी हड़ताल जारी  

कैट्स स्टाफ़ यूनियन के अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज ने कहा, "कैट्स के निजीकरण की मांग को छोड़कर बाक़ी मांगें मान ली गई हैं, लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर भी हमें भरोसा दिया है कि आने वाले समय में इसे पीसीआर और फ़ायर की तर्ज पर ही चलाया जाएगा। इसे लेकर जल्द एक नई योजना लाई जाएगी।"

इसे भी पढ़े:एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल जारी, लाल किले पर तैनाती के लिए भी दूसरे राज्यों से मदद

कर्मचारी यूनियन के उपाध्यक्ष नरेंद्र लाकड़ा ने कहा, "सरकार ने यह आदेश भी दिया है कि एक जुलाई के पहले विभाग में अनुबंधित कर्मचारियों को जो सुविधाएं मिलती थीं, वह बरक़रार रहेंगी।"

CATS
CATS workers strike
CATS Ambulance employees
delhi government
gopal ray

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

आंगनवाड़ी महिलाकर्मियों ने क्यों कर रखा है आप और भाजपा की "नाक में दम”?

दिल्ली सरकार के विश्वविद्यालय के सफ़ाई कर्मचारियों ने कपड़े उतार कर मुख्यमंत्री आवास पर किया प्रदर्शन!

दिल्ली: ट्रेड यूनियन के साइकिल अभियान ने कामगारों के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा शुरू करवाई

दिल्ली पुलिस की 2020 दंगों की जांच: बद से बदतर होती भ्रांतियां

युवाओं ने दिल्ली सरकार पर बोला हल्ला, पूछा- 'कहां है हमारा रोज़गार?'

डूटा ने ‘पैटर्न ऑफ असिस्टेंस’ दस्तावेज़ के ख़िलाफ़ कुलपति कार्यालय पर किया प्रदर्शन

दिल्ली: डीयू के शिक्षकों का हल्ला बोल, मुख्यमंत्री आवास तक मार्च

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने वेतन नहीं मिलने के विरोध में की हड़ताल

सरकार और किसान नेताओं के बीच बातचीत बेनतीजा, अगली बैठक 3 दिसंबर को


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते
    29 May 2022
    उधर अमरीका में और इधर भारत में भी ऐसी घटनाएं होने का और बार बार होने का कारण एक ही है। वही कि लोगों का सिर फिरा दिया गया है। सिर फिरा दिया जाता है और फिर एक रंग, एक वर्ण या एक धर्म अपने को दूसरे से…
  • प्रेम कुमार
    बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर
    29 May 2022
    शिक्षाविदों का यह भी मानना है कि आज शिक्षक और छात्र दोनों दबाव में हैं। दोनों पर पढ़ाने और पढ़ने का दबाव है। ऐसे में ज्ञान हासिल करने का मूल लक्ष्य भटकता नज़र आ रहा है और केवल अंक जुटाने की होड़ दिख…
  • राज कुमार
    कैसे पता लगाएं वेबसाइट भरोसेमंद है या फ़र्ज़ी?
    29 May 2022
    आप दिनभर अलग-अलग ज़रूरतों के लिए अनेक वेबसाइट पर जाते होंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे पता लगाएं कि वेबसाइट भरोसेमंद है या नहीं। यहां हम आपको कुछ तरीके बता रहें हैं जो इस मामले में आपकी मदद कर…
  • सोनिया यादव
    फ़िल्म: एक भारतीयता की पहचान वाले तथाकथित पैमानों पर ज़रूरी सवाल उठाती 'अनेक' 
    29 May 2022
    डायरेक्टर अनुभव सिन्हा और एक्टर आयुष्मान खुराना की लेटेस्ट फिल्म अनेक आज की राजनीति पर सवाल करने के साथ ही नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र के राजनीतिक संघर्ष और भारतीय होने के बावजूद ‘’भारतीय नहीं होने’’ के संकट…
  • राजेश कुमार
    किताब: यह कविता को बचाने का वक़्त है
    29 May 2022
    अजय सिंह की सारी कविताएं एक अलग मिज़ाज की हैं। फॉर्म से लेकर कंटेंट के स्तर पर कविता की पारंपरिक ज़मीन को जगह–जगह तोड़ती नज़र आती हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License