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काम आया जनता का दबाव : तबरेज़ लिंचिंग मामले में फिर लगाई गई हत्या की धारा
तबरेज़ अंसारी की हत्या के मामले में झारखंड पुलिस ने आरोपियों पर पहले हत्या की धारा 302 को हटा कर उसे ग़ैर-इरादतन हत्या की धारा 304 में बदल दिया था। देश भर में हुए विरोध और मीडिया रिपोर्टों के बाद पुलिस ने आरोपियों पर फिर से धारा 302 लगा दी है।
फ़र्रह शकेब
20 Sep 2019
Tabrej
Image courtesy:NewsBoss

झारखंड के सरायकेला खरसांवा के सरायकेला थाना के बहुचर्चित तबरेज़ अंसारी मॉब लिंचिंग मामले में कल दिनांक 18 सितंबर 2019 को पुलिस द्वारा सरायकेला सीजेएम के समक्ष पूरक चार्जशीट संख्या 126/19 दाख़िल कर दी गयी। इस चार्जशीट में बाद में गिरफ़्तार किए गए अभियुक्तों विक्रम मंडल एवं अतुल महली के ख़िलाफ़ हत्या की धारा 302 लगा दी है। पुलिस ने इससे पूर्व 11 आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में दायर चार्जशीट में भी आईपीसी की धारा 304 को बदलकर फिर से 302 कर दिया है और अब सभी 13 आरोपियों पर 147/149/341/342/323/302/295ए धाराओं के तहत मुक़दमा चलेगा।

आपको बता दें कि दिनांक 17-18 जून की रात्रि में तबरेज़ परे चोरी का आरोप लगा कर बिजली के खम्भे से बाँध कर रात भर झारखंड के सरायकेला थाना अंतर्गत आने वाले धातकाहडीह के ग्रामीणों द्वारा उनकी पिटाई की गयी जिसके बाद पुलिसिया हिरासत में ही 22 जून को उनकी मौत हो गयी थी।  

तबरेज़ अंसारी मॉब लिंचिंग प्रकरण के जांच अधिकारी राज नारायण सिंह द्वारा केस में एक चार्जशीट 23 जुलाई 2019 को सरायकेला सी जे एम कोर्ट में दाख़िल की गयी थी जिसमें ये तो स्पष्ट किया गया था कि अनुसंधान अभी जारी है लेकिन उस चार्जशीट में प्राथमिकी में दर्ज अन्य धाराओं आईपीसी 147,149,341,342,323,302 और 295(A) की जगह 147,149,341,342,323,304 और 295 (A) कर दिया गया था और हत्या की धारा 302 को बदल कर ग़ैरइरादतन हत्या की धारा 304 कर दिया गया था जिस पर तबरेज़ के परिवार द्वारा सवाल खड़े किये गए थे।

तबरेज़ अंसारी के परिवार, उनके वकील अल्ताफ़ हुसैन और केस के जांच अधिकारी राज नारायण सिंह से बातचीत के आधार पर सबसे पहले ब्रेक करते हुए 7 सितंबर को ही इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट लगाई गई थी जिसके बाद मामला राष्ट्रीय स्तर तक ख़बरों की सुर्ख़ियों में रहा और इंडियन एक्सप्रेस और बीबीसी जैसे मीडिया संस्थानों ने इसे रिपोर्ट किया। उसके बाद देश के अलग अलग स्थानों में पुलिस द्वारा जारी इस चार्जशीट में हत्या की धारा हटा कर ग़ैर इरादतन हत्या में तब्दील किये जाने के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुए और इसी क्रम में यूनाइटेड अगेंस्ट हेट द्वारा 13 सितंबर को दिल्ली स्तिथ झारखंड भवन का घेराव कर वहाँ रेज़िडेंट कमिश्नर झारखंड को एक ज्ञापन सौंपा गया था।

जिसमें ये कहा गया था कि पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं है और झारखंड सरकार से माँग की गई थी कि तबरेज़ अंसारी के हत्यारों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज करते हुए उन पुलिस अधिकारियों को भी दंडित किया जाए जिन्होंने अपने कर्तव्य की उपेक्षा की और तबरेज़ को उचित इलाज उपलब्ध करवाने के बजाए उसे जेल में रखा जिसके कारण तबरेज़ अंसारी की मृत्यु हुई।

झारखंड पुलिस ने कल पूरक चार्जशीट दाख़िल करने के संबंध में अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि पूर्व में दाख़िल की गई चार्जशीट के समय पुलिस के पास जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट उपलब्ध थी उसमें मृत्यु का कारण Opinion Reserve रखा गया था। एफ़एसएल से बिसरा जांच की रिपोर्ट में चिकित्सकों द्वारा तबरेज़ की मौत की वजह हृदय गति रुकने के कारण बताया गया था लेकिन हृदय गति रुकने का कारण स्पष्ट नहीं किया गया था। इसलिए सफल अनुसंधान और न्याय के लिए पुलिस द्वारा एमजीएम के विशेषज्ञ चिकित्सकों के बोर्ड से तबरेज़ की मौत का कारण स्पष्ट करने की मांग की गई थी।

मेडिकल बोर्ड की जांच के बाद जो बातें सामने आई हैं उससे ये साफ़ हो गया है कि तबरेज़ को दिल का दौरा हड्डियों में लगी चोट और हृदय में ख़ून एकत्रित होने के बाद पड़ा था। साथ ही साथ घटनास्थल पर बनाई गयी वीडियो की इंटेग्रिटी रिपोर्ट भी पुलिस को प्राप्त हो गयी है और उसमें कहीं किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी है इसलिए इसके बाद जिन दो आरोपियों को बाद में गिरफ़्तार किया गया था उनके और पहले गिरफ़्तार हुए अन्य ग्यारह आरोपियों के ख़िलाफ़ फिर एक बार हत्या का मामला दर्ज किया गया है।

ग़ौरतलब है कि 16 सितंबर को तबरेज़ की पत्नी शाइस्ता परवीन ने स्थानीय अधिकारियों से मिल कर बिसरा जांच रिपोर्ट उपलब्ध करवाने की मांग करते हुए कहा था कि उनके पति की हत्या के आरोपियों पर धारा 302 पुनः लगाई जाए अन्यथा वो आमरण अनशन करने को विवश होंगी। उससे पहले उन्होंने रांची मानवाधिकार आयोग को भी इस संबंध में एक आवेदन दे कर अपने पति की निर्मम हत्या मामले में हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने में सहयोग की मांग की थी।

दो दिन पहले देश के प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थान आईआईएम बैंगलोर के कुछ छात्रों और शिक्षकों ने तबरेज़ अंसारी मॉब लिंचिंग केस में दोबारा जांच की मांग करते हुए पीएम मोदी को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में 16 फ़ैकल्टी मेंबर, 85 छात्र और नॉन टीचिंग स्टाफ़ के हस्ताक्षर हैं।

इस चिट्ठी में लिखा है, ''तबरेज़ अंसारी मॉब लिंचिंग केस को लेकर झारखंड पुलिस ने जिस तरह से जांच की है उससे हम सब हैरान हैं। हम चाहते हैं कि आप इस केस में राज्य सरकार को फिर से जांच का आदेश दें। किसी नागरिक की जान बचाना राज्य का संवैधानिक अधिकार है।''

कल दाख़िल की गयी पूरक चार्जशीट के संबंध में जब हमने तबरेज़ के चाचा मसरूर आलम से बात की तो वो नम आँखों के साथ बोले कि हमारी रिपोर्ट का बहुत असर हुआ और ये मामला पूरे मुल्क की सुर्ख़ियों में आ गया कि पुलिस कहीं न कहीं आरोपियों को बचाने की कोशिश का रही है। इसके बाद जिस तरह देश भर में विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से पुलिस और सरकार पर दबाव बनाया गया, इस वजह से पुलिस ने हत्या की धारा दोबारा लगाई और अब हम लोगों को न्यायपालिका से भी इंसाफ़ की उम्मीद बंधी है जो कुछ वक़्त के लिए टूट रही थी।"

तबरेज़ के वकील अल्ताफ़ हुसैन बताते हैं, "वो सम्भवतः 25  सितंबर 2019 को जांच अधिकारी को सैंक्शन रिपोर्ट दे देंगे जिसके बाद न्यायालय  इस मामले पर कॉग्निजेंस लेगा और सुनवाई आगे बढ़ेगी। पीड़ित परिवार को इंसाफ़ मिलेगा इसकी हम आशा करते हैं।"

बहरहाल अब मामला न्यायपालिका के समक्ष है और हमें इंतज़ार करना पड़ेगा। लेकिन इस वक़्त ज़रूरत है कि तमाम जनवादी समूह और मानवाधिकार कार्यकर्ता और निष्पक्ष पत्रकार ऐसे किसी भी मामले पर नज़र बनाए रखें। साथ ही विभिन्न माध्यमों से जांच एजेंसियों और ख़ास तौर पर सरकार के ऊपर एक दबाव बनाते रहें तो पीड़ित को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ती जाती है और हमारी संवेदनशीलता का इसमें बहुत बड़ा दख़ल होता है।

Tabrej Ansari alias Sonu
mob lynching
lynching case
JHARKHAND POLICE
Protest
Media
#socialmedia

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