कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है।
पार्टी महासचिव और राज्य प्रभारी दीपक बाबरिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘भाजपा मध्य प्रदेश में भ्रष्ट तरीके अपनाकर कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। वे जनादेश को खारिज करने की कोशिश कर रहे हैं और राज्य की जनता उन्हें माफ नहीं करेगी।’’
उन्होंने दावा किया कि ‘कुशासन’ के कारण मध्य प्रदेश की जनता ने भाजपा को अस्वीकार करते हुए उसे सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था।
उधर मध्य प्रदेश में भाजपा ने कहा कि कमलनाथ सरकार को विधानसभा में बहुमत सिद्ध करना चाहिए।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि भाजपा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से आग्रह करेगी कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए ताकि महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो और कांग्रेस सरकार बहुमत साबित करे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं विशेष सत्र बुलाने की मांग करते हुए राज्यपाल को पत्र लिख रहा हूं।’’
गौरतलब है कि पिछले साल हुए चुनाव में राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 114 और भाजपा को 109 सीटें मिली थीं। कमलनाथ सरकार को बसपा के दो और सपा के एक विधायक का समर्थन हासिल है।
आपको मालूम होगा कि, मध्य प्रदेश में 15वीं विधानसभा के पहले सत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जबर्दस्त हार मिली थी। उम्मीद यह जताई जा रही थी कि भाजपा एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएगी और सदन में कांग्रेस को कमजोर साबित कर देगी। लेकिन भाजपा अपनी ही बनाई रणनीति में उलझ गई और कांग्रेस को कमजोर साबित करने के बजाय उसे मजबूत बना दिया था। मध्य प्रदेश में पिछले तीन दशक से विधानसभा अध्यक्ष सत्ता पक्ष से और उपाध्यक्ष विपक्ष से बनते आए हैं, लेकिन इस बार यह परंपरा टूट गई थी और विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही पद पर कांग्रेस के सदस्य काबिज हुए थे।
विधानसभा में इस तरह हार जाने के बाद भाजपा मनोवैज्ञानिक रूप से भी कांग्रेस पर हावी नहीं हो पाई। यद्यपि कई भाजपा नेता चाहते थे कि संख्या में कम होने के कारण अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार नहीं उतारना चाहिए, लेकिन कुछ नेताओं के अति उत्साह ने भाजपा को बैकफुट पर ला दिया था।