NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कासगंज दंगे: सुर्ख़ियों से उतरने के बाद क्या होता है
भले ही दंगे क्यों न हो रहे हों दिहाड़ी कमाने वाले परिवारों के लिए घर पर बैठे रहना नामुमकिन हैI
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
14 Feb 2018
कासगंज
Image Courtesy: clipper28.com

कासगंज के रंगीन इतिहास से लेकर राजनीतिक रूप से प्रेरित दंगें न कहकर मुतभेड़ कहने तक, मीडिया कासगंज में हुई हिंसा के तमाम पहलुओं को उजागर करने में नाकाम हुई हैI लेकिन अब क्या, जबकि इस घटना पर से सबकी निगाहें फिर चुकीं हैं? जिस दंगे की वजह से 22 वर्षीय चन्दन गुप्ता की मौत हुई और कई दूकानें जला दी गयीं, उसी हिंसा बुरी में एक 45 वर्षीय व्यक्ति गंभीर रूप से घायल भी हुएI  

छोट्टन का परिवार उन्हें दो दिन तक समझाता रहा कि वे घर पर ही रहें, कम-से-कम जब तक गाँव में दंगें जब तक कुछ थम नहीं जातेI लेकिन तीसरे दिन तक परिवार का सारा राशन खत्म हो चुका था और घर में खाने का एक दाना भी नहीं बचाI छोट्टन की बीवी शेहनाज़ के पास अपनी बेटी और बेटे को दिलासा देने के लिए अब कोई भी बहाना नहीं बचाI इसके ऊपर छोट्टन के मरहूम भाई के तीन बच्चों को खाना खिलने की ज़िम्मेदारी भी इसी परिवार पर थीI

भूख से परिवार मर ही न जाये इसी डर से 28 जनवरी की दोपहर को छोट्टन अपनी साइकिल पर चिकन बेचने निकलेI लेकिन रात होने पर भी जब वे नहीं लौटे तो शेहनाज़ अपने पड़ोसियों के साथ उन्हें ढूंढने के लिए एक जीप में निकलींI घंटों बाद उन्हें छोट्टन चित्तेरा में एक सड़क के किनारे की झाड़ियों में पड़े मिलेI उनके हतियारों ने पुलिस की जीप आते देख उन्हें वहीं छोड़कर भाग गयेI

छोट्टन को गहरी दिमाग़ी चोट लगी थी और उन्हें अलीगढ़ के जेएन अस्पताल के ICU में भर्ती किया गयाI उनकी ब्रेन सर्जरी करनी पड़ी और वेंटीलेटर पर रखना पड़ाI वेंटीलेटर पर होने के बावजूद उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई हैI

उनके परिवार ने एक एफ़आईआर दर्ज़ करवायी है लेकिन पुलिस ने अपराधियों को पहचानने और पकड़ने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैंI

छोट्टन के परिवार के लिए जीवन-यापन अब एक बड़ी समस्या बन गयी है क्योंकि शेहनाज़ को मेडिकल बिल भी चुकाने पड़ रहे हैंI चूँकि छोट्टन ही घर के एकलौते कमाऊ फ़र्द हैं इसलिए अब परिवार पड़ोसियों की भलमनसाहत पर निर्भर है जो फ़िलहाल उन्हें खाना दे रहे हैंI डॉक्टरों का कहना है कि छोट्टन बच भी जाये तो भी उन्हें कई परेशानियाँ झेलनी पड़ सकती हैं; क्योंकि उनके दिमाग के उस हिस्से पर चोट लगी है जो मोटर फंक्शन, याददाश्त और भाषा जैसी चीज़ों को नियंत्रित करता हैI

भले ही दंगे क्यों न हो रहे हों दिहाड़ी कमाने वाले परिवारों के लिए घर पर बैठे रहना नामुमकिन हैI उत्तर-प्रदेश सरकार या ज़िला प्रशासन क्यों इस परिवार की मदद नहीं कर रहा? क्या इसलिए कि छोट्टन का कोई राजनीतिक एजेंडा या दंगों में शिरकत नहीं थी या फिर सिर्फ इसलिए कि वे एक गरीब मुसलमान है जो इज्ज़त से अपनी रोटी कमा रहे थे?

सामाजिक ख़ामोशी ही दंगाइयों के हौसले बढ़ाती है इसलिए आल इंडिया पीपल्स फोरम (AIPF) ने Crowd Newsing के साथ साझेदारी कर एक कैंपेन शुरू की है जिससे वे छोट्टन के परिवार के लिए 10 लाख रूपये इकट्ठा करने की आशा कर रहे हैंI इसके ज़रिये 4 लाख से ज़्यादा रूपये जमा किये जा चुके हैं और वे उम्मीद करते हैं कि जल्द ही अपना लक्ष्य पूरा कर लेंगेI इस कदम के ज़रिए संगठन दो तरह के लोगों को सन्देश देना चाहता है एक उन्हें जो सोच बैठे हैं कि कासगंज अब सुर्ख़ियों में नहीं है इसलिए लोगों के लिए उसे भूलकर आगे बढ़ जाना आसान हैI दूसरा उन्हें जो मानते हैं कि हमें झूठी ख़बरों और किस्सों के ज़रिये बाँटना बहुत आसान काम हैI

कासगंज
कासगंज दंगे
सांप्रदायिक दंगे

Related Stories

बिहार दंगे: हिंदुत्व ने हिन्दुओं को भी न बक्शा

कासगंज दंगे : फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कहा, पुलिस जाँच में भारी कमियाँ हैं

कासगंज दंगों में संकल्प फाउंडेशन की क्या थी भूमिका ?

कासगंज हिंसा सोची-समझी घटना है: उर्मिलेश

कासगंज दंगे: तबाही करती है सब बयाँ ख़ुद ही

कासजंग दंगे और उत्तर प्रदेश पुलिस की जाँच की असलियत : ग्राउंड रिपोर्ट

क्या है कासगंज दंगो की असली कहानी ?

कासगंज के अंदेशे

कासजंग, उत्तर प्रदेश: ABVP की गैरकानूनी रैली की वजह से सांप्रदायिक तनाव, एक की मौत, एक घयाल

इंसाफ से वंचित मुजफ्फरनगर जहां दो साल बाद भी सरकार फेल


बाकी खबरें

  • कुशाल चौधरी, गोविंद शर्मा
    बिहार: रोटी-कपड़ा और ‘मिट्टी’ के लिए संघर्ष करते गया के कुम्हार-मज़दूर
    21 May 2022
    गर्मी के मौसम में मिट्टी के कुल्हड़ और मिट्टी के घड़ों/बर्तनों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन इससे ज्यादा रोज़गार पैदा नहीं होता है। सामान्य तौर पर, अधिकांश कुम्हार इस कला को छोड़ रहे हैं और सदियों पुरानी…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन के स्ट्रेन BA.4 का पहला मामला सामने आया 
    21 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,323 नए मामले सामने आए हैं | देश में अब कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 34 हज़ार 145 हो गयी है। 
  • विनीत तिवारी
    प्रेम, सद्भाव और इंसानियत के साथ लोगों में ग़लत के ख़िलाफ़ ग़ुस्से की चेतना भरना भी ज़रूरी 
    21 May 2022
    "ढाई आखर प्रेम के"—आज़ादी के 75वें वर्ष में इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा के बहाने कुछ ज़रूरी बातें   
  • लाल बहादुर सिंह
    किसानों और सत्ता-प्रतिष्ठान के बीच जंग जारी है
    21 May 2022
    इस पूरे दौर में मोदी सरकार के नीतिगत बचकानेपन तथा शेखचिल्ली रवैये के कारण जहाँ दुनिया में जग हंसाई हुई और एक जिम्मेदार राष्ट्र व नेता की छवि पर बट्टा लगा, वहीं गरीबों की मुश्किलें भी बढ़ गईं तथा…
  • अजय गुदावर्ती
    कांग्रेस का संकट लोगों से जुड़ाव का नुक़सान भर नहीं, संगठनात्मक भी है
    21 May 2022
    कांग्रेस पार्टी ख़ुद को भाजपा के वास्तविक विकल्प के तौर पर देखती है, लेकिन ज़्यादातर मोर्चे के नीतिगत स्तर पर यह सत्तासीन पार्टी की तरह ही है। यही वजह है कि इसका आधार सिकुड़ता जा रहा है या उसमें…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License