NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका
केरी के दावे के विरुद्ध उत्तरी कोरिया के रक्षा मंत्री जीवित हैं
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
26 May 2015

दक्षिण कोरिया की खुफिया और प्रचार एजेंसी ने ऊटपटांग अटकल लगाते हुए यह कह डाला कि उत्तरी कोरिया ने अपने एक उच्च मिलिट्री अफसर हयोंन योंग चोल जोकि रक्षा मंत्री है को बेईमान होने की वजह से एंटी एयरक्राफ्ट बन्दूक से उड़ा देने के लिए कहा है. इस बेहूदा दावे के समाचार में रहने के कुछ घंटो के बाद ही इन्हें इस खबर से पीछे हटना पड़ा. इस सबके बावजूद जॉन केरी जोकि अमरिका के गृह सचिव हैं ने सीओल में एक प्रेस सम्मलेन इस खबर के सच होने के दावे को बार-बार दोहराया और इस खबर को ग्लोबल मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया, इस खबर को छपने में हिन्दुस्तान के प्रमुख अखबार जैसे टाइम्स ऑफ़ इंडिया और हिन्दुस्तान टाइम्स भी पीछे नहीं रहे. ग्लोबल मीडिया में किसी ने भी इसकी सच्चाई जानने की कोशिश नहीं की और न ही खबर के सूत्रों की तहकीकात की. बजाये इसके, केरी के इस फर्जी दावे को एक सुसमाचार मान कर प्रकाशित कर दिया गया”. एक आर्मी जनरल को जिबह करने की भयावह, विचित्र और भयानक खबर को एक बेबुनियाद स्रोत के आधार पर सर्वाजनिक ढंग से छाप दिया गया. और उसका आधार भी बहुत ही बेहूदा बताया गया”.

                                                                                                                                           

राष्ट्रीय खुफिया सेवा, जोकि दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी है ने खबर को मुख्यता प्रचारित किया कि किम ने हयोंन योंग चोल को बेईमानी के लिए एंटी एयरक्राफ्ट बन्दूक से उड़ाने के हुक्म दिया है. जनरल ह्योन का अन्य ‘अपराधों’ के अलावा यह भी कसूर था कि वे किम द्वारा की जा रही एक मीटिंग में सो गए थे.

दक्षिण कोरिया के व्यवस्थापक किम क्वांग जिन ने ए.बी.सी. समाचार को बताया सीओल की खुफिया एजेंसी ने एक बंद कमरे की मीटिंग में कहा कि हयों को 29 या 30 अप्रैल को सोने और असामान ढंग से व्यवहार करने के लिए उच्च रैंकिंग सैन्य कर्मियों की आँखों के सामने एंटी एयरक्राफ्ट बन्दूक से उड़ा दिया गया. जब ए.बी.सी. न्यूज ने इस कहानी को प्रकाशित किया तो खुफिया एजेंसी ने यह कहकर कि जनरल को शायद मारा नहीं गया है बल्कि उसे उसके पद से हटा दिया गया है, कहकर अपने बयान से पलट गयी.

“मीटिंग में सोने की सज़ा के लिए एंटी एयरक्राफ्ट गन से उड़ा देने जैसी “भयावह’ खबरे उत्तरी कोरिया के बारे में दक्षिण कोरिया की एजेंसियों के जरिए पहले भी आती रही हैं ताकि इसकी आड़ में कुछ सांसदों के बजट में बढ़ोतरी जारी रहे. अब वही पागल लोग जिन्होंने यह खबर प्रेस में उडाई थी लोगों को मजबूर कर रहे हैं की उनसे पूंछे कि "बदनाम" और "बेरहमी से मार डाला" जाने वाला उत्तर कोरियाई जनरल ज़िंदा टी.वी. पर नज़र कैसे आ रहा है. इसके बाद खुफिया एजेंसी अपने दावे को वापस ले लेती है.

अद्दिक्टिंग इन्फोर्मेशन वेबसाइट कहती है “यह भी एक दावा किया गया था कि किम-जोंग-उन ने अपने अंकल को भूखे कुत्तो के आगे डाल दिया है बाद में जोकि एक व्यंग वेबसाइट का एक चारा निकला. यह झूठ तब पकड़ा गया जब उनके अंकल महीनों बाद ज़िंदा पाए गए. निश्चित तौर पर इस झूठ का स्रोत 2001 अमरिका में ही सेट किया गया था, इसका मकसद उत्तरी कोरिया में मौजूदा निजाम को पलटकर वहां अपना पिट्ठू बैठाना था.”

उत्तरी कोरिया के लिए यह सबसे बड़ी समस्या है कि उसके बारे में झूठ की खबर को बड़ी ख्याति मिलती है, जबकि उस खोखले दावे से पलटने की खबर को छोटी सी खबर बनाकर एक कोने में कहीं छाप दिया जाता है. और इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि खंडन की खबर को छापा जाता भी है या नहीं. यह कहानी भी इराक में अमरिका द्वारा जन तबाही के हाथियारों को ढूँढने, अस्साद की सेना द्वारा क्लोरिन हमले की खबर और ऐसे ही असंख्य झूठ जैसी खबर है. हालांकि धोखाधड़ी के रूप में उजागर खबर के बावजूद वह आम जनता के दिलों में समाई रह जाती है.

किम जोंग उन
जॉन केरी
उत्तर कोरिया
दक्षिण कोरिया
अमरीका

Related Stories

अमेरिकी सरकार हर रोज़ 121 बम गिराती हैः रिपोर्ट

वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में फिलिस्तीन पर हुई गंभीर बहस

उत्तर कोरिया केवल अपनी ज्ञात परमाणु परीक्षण स्थल को खारिज करना शुरू करेगा

उत्तर कोरिया के साथ चीन: क्या विश्व एक अन्य विश्व युद्ध के कगार पर है?

संदर्भ पेरिस हमला – खून और लूट पर टिका है फ्रांसीसी तिलिस्म

मोदी का अमरीका दौरा और डिजिटल उपनिवेशवाद को न्यौता

मोदी का अमरीका दौरा: एक दिखावा

अमरीका की नयी पर्यावरण योजना एक दृष्टि भ्रम के सिवा कुछ नहीं है

इरान अमेरिका परमाणु समझौता : सफलता या ईरान का समर्पण?

ईरान-अमरीका परमाणु संधि और पश्चिम एशिया की राजनीति


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License