बीते दो महीने से जारी किसान आंदोलन को कुचलने के लिए अब शासन की विभिन्न एजेंसियों ने काम तेज कर दिया है. 26 जनवरी के ट्रैक्टर-ट्राली किसान परेड को बदनाम करने के लिए लाल किले के उपद्रव को बड़ा कारण बताया जा रहा है. लेकिन शासकीय एजेंसियां और सत्ता-समर्थक टीवी चैनल इस बात पर खामोश हैं कि लाल किले के उपद्रव के लिए किसान आंदोलनकारी नहीं,अपितु दीप सिद्धू का उपद्रवी गुट जिम्मेदार था और शासन ने उसके खिलाफ़ अब तक क़ोई कारवाई नहीं की है. चैनल भी चुप हैं. क्या किसानों के आंदोलन को बदनाम कर उसे कुचलने की यह सुनियोजित साज़िश थी? कौन संस्थाएं और लोग हैं, इसके पीछे? न्यूज़ कहे जाने वाले चैनल इस कदर बेईमान क्यों हो गये हैं? AajKiBaat में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का विश्लेषण: