NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
भारत
अर्थव्यवस्था
कम बारिश की वजह से 374 ज़िलों में बुवाई हुई कम 
पिछले साल की तुलना में खरीफ़ की बुआई में 54 लाख हेक्टेयर की कमी आई है, जो किसानों की बढ़ती मुश्किलों का सबब बन सकती है।
सुबोध वर्मा
31 Jul 2019
Translated by महेश कुमार
indian farmer


हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीवी रियलिटी शो में अपनी उपस्थिति के ज़रिये प्रचार के लिए बाघों की गिनती में व्यस्त हैं, और उनके मंत्रिगण कारगिल की सालगिरह और कर्नाटक में सत्ता पलटने और उसे क़ब्ज़ाने में व्यस्त हैं, लेकिन यहाँ हम धान की खेती की दर्दनाक तस्वीर पेश कर रहे हैं जिसे सरकार ने भुला दिया है। यह खरीफ़ की फसल का बुवाई का समय है – जिसमें धान; अरहर (अरहर), उड़द, मूंग; ज्वार, बाजरा, रागी; मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी; गन्ना; और कपास, जूट आदि को इस मौसम में बोया जाता है। वास्तव में यह देश भर में फैले खरीफ़ किसानों के लिए संकट का समय है। और, उनमें से ज़्यादातर अपनी क़ीमती फसलों को बनाए रखने के लिए अच्छे मानसून की बारिश पर निर्भर हैं।


लेकिन इस साल अब तक कि हुई मानसून की बारिश का समाचार अच्छा नहीं है। शुरुआत में देरी हुई थी लेकिन किसानों के पास फिर भी समय था क्योंकि वे खरीफ़ की बुवाई को थोड़ा देर से भी कर सकते थे। चिंता की बात यह है कि भारत के मौसम विभाग (IMD) ने 24 जुलाई, 2019 तक 16 राज्यों में फैले 374 ज़िलों में मौसम की बारिश की मात्र हुई आधी बारिश की सूचना दी है। जो देश के 55 प्रतिशत ज़िले हैं।
इनमें से 322 (47 प्रतिशत) ज़िलों में 'कम' वर्षा की सूचना है, जबकि 52 (8 प्रतिशत) में 'बड़े पैमाने पर कम' बारिश की सूचना है। भारत के मौसम विभाग (IMD) की शब्दावली के अनुसार, 'कमी' का मतलब सामान्य से 20 प्रतिशत से 59 प्रतिशत कम बारिश का होना है जबकि 'बड़े पैमाने पर कमी' का मतलब 60 प्रतिशत से 99 प्रतिशत तक की कमी है। 'सामान्य' को 30-वर्ष से चल रही औसत प्रणाली के रूप में परिभाषित किया गया है।
दूसरी तरफ़, 80 ज़िलों (12 प्रतिशत) में अब तक अधिक या बड़े पैमाने पर अधिक बारिश हुई है। ज़्यादा बारिश भी फसलों के लिए ठीक नहीं है। वास्तव में, भारी बाढ़ ने भारत के पूर्वी हिस्सों, विशेष रूप से बिहार और पश्चिम बंगाल को गड़बड़ा दिया है। कुल मिलाकर, देश के कुछ 222 ज़िलों (जो सभी ज़िलों का केवल 33प्रतिशत है) में 'सामान्य' वर्षा की सूचना मिल रही है।

Capture_5.PNG
याद रखें: पिछले पांच वर्षों में देश के किसी न किसी हिस्से में कम वर्षा हुई है। पिछले साल, 39 प्रतिशत ज़िलों में कम बारिश हुई थी। इनमें से कुछ क्षेत्र - खरीफ़ उत्पादन की दृष्टि से महत्वपूर्ण थे – वे दूसरे वर्ष भी घाटे का सामना कर रहे हैं। ये आंध्र प्रदेश में रायलसीमा का क्षेत्र हैं जहां पिछले साल 12 प्रतिशत बारिश की कमी थी जो इस साल 22 प्रतिशत पर रुक गयी है; छत्तीसगढ़ में 17 प्रतिशत से 28 प्रतिशत कम बारिश हुई है; पूर्वी मध्यप्रदेश में पिछले साल की बमुश्किल औसत बारिश की तुलना में इस साल 25 प्रतिशत की कमी हुई है, और हिमाचल प्रदेश में पिछले साल हुई 17 प्रतिशत कम बारिश से 43 प्रतिशत कम हुई है।


किसान हताश हैं


तो इसका किसानों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है? कोई बारिश न होना (या कम बारिश का होना) मतलब है कि किसान फसलों की बुवाई में देरी होगी। उन्हें इंतज़ार करना होगा और देखना होगा कि क्या बारिश पर्याप्त है, अन्यथा खेतों को तैयार करने में उनकी मेहनत और बीज प्राप्त करने आदि पर सभी ख़र्च बेकार हो जाएंगे।
कृषि मंत्रालय द्वारा हर महीने जारी की जाने वाली फसल स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, धान की बुवाई पिछले वर्ष (जुलाई के अंतिम सप्ताह) की तुलना में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 12.6 लाख हेक्टेयर कम हुई है। चूंकि पिछले साल भी बारिश की कमी वाला वर्ष था, इसलिए वर्तमान बुआई की तुलना सामान्य बुआई से की जाती है, जो पिछले तीन वर्षों के औसत के रूप में गणना की जाती है। धान की बुआई में 30.6 लाख हेक्टेयर की कमी आई है।
अन्य खरीफ़ फसलों के बुवाई क्षेत्र के मामले में, दलहनों में 9 लाख हेक्टेयर, मोटे अनाज में 16 लाख हेक्टेयर, तिलहनों में लगभग नौ लाख हेक्टेयर की कमी आई है। जबकि गन्ने की बुवाई में लगभग 5 लाख हेक्टेयर और कपास की 6 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। इन अंतिम दो फसलों की बुवाई में सुधार हुआ है क्योंकि जिन क्षेत्रों में ये उगाई जाती हैं - पश्चिमी यूपी, गुजरात और महाराष्ट्र - में अब तक अच्छी बारिश हुई है। यह सब इसी अवधि के लिए सामान्य बुवाई की तुलना में हैं।
कुछ हद तक, वर्तमान और सामान्य बुवाई के बीच की खाई को पाटा जा सकता है अगर आने वाले कुछ हफ़्तों में कमी वाले क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा होती है। उसके बाद यह खिड़की बंद हो जाएगी। यदि आप धान या अन्य फसलें लगाते हैं, तो भी पैदावार प्रभावित होगी।
इस कमी का मतलब यह होगा कि किसानों को कम उत्पादन का सामना करना पड़ेगा। चूंकि वे किसी भी मामले में अपनी उपज के लिए पारिश्रमिक मूल्य नहीं प्राप्त कर पाते हैं, इसलिए कम उत्पादन का मतलब है उनके वित्तीय संकट की तीव्रता - अधिक ऋण, अधिक अभाव।


खेती में कम वापसी के कारण होने वाले संकट की जानकारी देने के लिए, पिछले साल की खरीफ़ की क़ीमतों पर एक नज़र डालनी चाहिए। खरीफ़ उत्पादन विपणन सीजन (अक्टूबर से जनवरी) के 118 दिनों में से धान की क़ीमतें घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 90 प्रतिशत दिनों के लिए पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कम थीं, जबकि तेलंगाना में 64 प्रतिशत और तमिलनाडु में 71 प्रतिशत दिन ऐसे थे। पंजाब में केवल एक दिन कीमतें एमएसपी से नीचे आईं थी। आंध्र प्रदेश में, धान की क़ीमतें केवल 18 प्रतिशत दिनों के लिए एमएसपी से नीचे गिर गई थीं।


याद रखें कि किसानों के उत्पादन का कुछ ही हिस्सा बाज़ार में जाता है (बाज़ार योग्य अतिरिक्त)। और ज़्यादातर फसल के लिए उन्हें एमएसपी भी नहीं मिलती है - जो उत्पादन की लागत को मुश्किल से कवर करती है - तो वे क़र्ज़ और ग़रीबी में धंसने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यह हर साल हो रहा है क्योंकि मोदी सरकार ने एमएस स्वामीनाथन आयोग द्वारा सिफारिश की गई उत्पादन की कुल लागत (जिसे C2 कहा जाता है) की तुलना में विभिन्न उपजों एवं उत्पादन के लिए एमएसपी को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने से इनकार कर दिया है।
इसलिए, इस साल, किसानों को फिर से अपनी कमाई में कमी का सामना करना पड़ सकता है, जो कि पहले से ही असहनीय क़र्ज़ के बोझों तले दबे पड़े हैं। वे मोदी सरकार 2.0 के नए दृष्टिकोण का इंतज़ार कर रहे हैं।

 

Deficient Rainfall
Monsoon
Kharif Sowing
agriculture ministry
IMD Forecast
minimum support price
Crop Situation Report
Farmers’ Woes
Kharif Crops

Related Stories

अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?

पूर्वांचल से MSP के साथ उठी नई मांग, किसानों को कृषि वैज्ञानिक घोषित करे भारत सरकार!

एमएसपी भविष्य की अराजकता के ख़िलाफ़ बीमा है : अर्थशास्त्री सुखपाल सिंह

मुश्किलों से जूझ रहे किसानों का भारत बंद आज

एमएसपी की बढ़ोतरी को किसानों ने बताया जुमलेबाज़ी, कृषि मंत्री के बयान पर भी ज़ाहिर की नाराज़गी

पड़ताल: एमएसपी पर सरकार बनाम किसान, कौन किस सीमा तक सही?

हर एक घंटे में सौ भारतीय किसान हो जाते हैं भूमिहीन

यह पूरी तरह से कमज़ोर तर्क है कि MSP की लीगल गारंटी से अंतरराष्ट्रीय व्यापार गड़बड़ा जाएगा!

क्या है किसानों का मुद्दा जिसके चलते हरसिमरत कौर को मोदी कैबिनेट से इस्तीफ़ा देना पड़ा

ग्रामीण भारत में कोरोना-38: मज़दूरों की कमी और फ़सल की कटाई में हो रही देरी से हरियाणा के किसान तकलीफ़ में हैं


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: अभी नहीं चौथी लहर की संभावना, फिर भी सावधानी बरतने की ज़रूरत
    14 May 2022
    देश में आज चौथे दिन भी कोरोना के 2,800 से ज़्यादा मामले सामने आए हैं। आईआईटी कानपूर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल कहा है कि फिलहाल देश में कोरोना की चौथी लहर आने की संभावना नहीं है।
  • afghanistan
    पीपल्स डिस्पैच
    भोजन की भारी क़िल्लत का सामना कर रहे दो करोड़ अफ़ग़ानी : आईपीसी
    14 May 2022
    आईपीसी की पड़ताल में कहा गया है, "लक्ष्य है कि मानवीय खाद्य सहायता 38% आबादी तक पहुंचाई जाये, लेकिन अब भी तक़रीबन दो करोड़ लोग उच्च स्तर की ज़बरदस्त खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। यह संख्या देश…
  • mundka
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड : 27 लोगों की मौत, लेकिन सवाल यही इसका ज़िम्मेदार कौन?
    14 May 2022
    मुंडका स्थित इमारत में लगी आग तो बुझ गई है। लेकिन सवाल बरकरार है कि इन बढ़ती घटनाओं की ज़िम्मेदारी कब तय होगी? दिल्ली में बीते दिनों कई फैक्ट्रियों और कार्यस्थलों में आग लग रही है, जिसमें कई मज़दूरों ने…
  • राज कुमार
    ऑनलाइन सेवाओं में धोखाधड़ी से कैसे बचें?
    14 May 2022
    कंपनियां आपको लालच देती हैं और फंसाने की कोशिश करती हैं। उदाहरण के तौर पर कहेंगी कि आपके लिए ऑफर है, आपको कैशबैक मिलेगा, रेट बहुत कम बताए जाएंगे और आपको बार-बार फोन करके प्रेरित किया जाएगा और दबाव…
  • India ki Baat
    बुलडोज़र की राजनीति, ज्ञानवापी प्रकरण और राजद्रोह कानून
    13 May 2022
    न्यूज़क्लिक के नए प्रोग्राम इंडिया की बात के पहले एपिसोड में अभिसार शर्मा, भाषा सिंह और उर्मिलेश चर्चा कर रहे हैं बुलडोज़र की राजनीति, ज्ञानवापी प्रकरण और राजद्रोह कानून की। आखिर क्यों सरकार अड़ी हुई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License