NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कर्नाटक में जो हो रहा है वह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है?
लोकसभा चुनाव के बाद अचानक अतंरआत्मा की आवाज पर कांग्रेस-जेडीएस गठबधंन के 14 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद से कर्नाटक सरकार एक बार फिर से खतरे में है।
अमित सिंह
09 Jul 2019
फाइल फोटो
Image Courtesy: indiatoday.in

कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार एक बार फिर से खतरे में है। इस बार के संकट की शुरुआत तब हुई जब एक-एक करके कांग्रेस-जेडीएस गठबधंन के 14 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। 

अब तक खबर यह है कि ये 14 विधायक पुणे से करीब 90 किलोमीटर दूर किसी स्थान पर हैं और वे गोवा जाने या बेंगलुरु लौटने का निर्णय लेने से पहले अपने इस्तीफे पर विधानसभा के फैसले का इंतजार करेंगे। 

आपको बता दें कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के संकट के केंद्र बिंदु ये 14 विधायक मुम्बई ठहरे हुए थे और सोमवार शाम को गोवा रवाना हुए थे। सूत्रों के मुताबिक वे फिलहाल महाराष्ट्र में ही पुणे से सतारा की ओर करीब 90 किलोमीटर दूर किसी स्थान पर हैं। उनके इस्तीफे स्वीकार कर लिये जाते हैं तो वे बेंगलुरु लौट भी सकते हैं।

12 जुलाई से मानसून सत्र

कर्नाटक विधानमंडल का मानसून सत्र 12 जुलाई को शुरू होगा। कर्नाटक की साल भर पुरानी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार इन विधायकों के इस्तीफे की वजह से गिरने की कगार पर पहुंच गयी है।

कर्नाटक विधानसभा में एक नामित विधायक समेत 225 सदस्य हैं। सदन में इसकी आधी सदस्य संख्या 113 होती है। इन इस्तीफों से पहले विधानसभा में कांग्रेस के 78, जद(एस) के 37 और भाजपा के 105 विधायक थे। कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन को विधानसभा में 119 विधायकों का समर्थन प्राप्त था। 

21 मंत्रियों ने भी दिया है इस्तीफा 

कांग्रेस और जेडीएस विधायक दल में बगावत तथा कुछ विधायकों के इस्तीफा देने के बाद कर्नाटक में अपनी सरकार बचाने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे गठबंधन के दोनों दलों के मंत्रियों ने मंत्रिमंडल में फेरबदल करने और असंतुष्ट विधायकों को उसमें जगह देने का मार्ग प्रशस्त करने के वास्ते ‘स्वेच्छा’ से इस्तीफे दे दिये है।

सोमवार को कांग्रेस के सभी 21 मंत्रियों और जद (एस) के नौ मंत्रियों ने 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार से अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं। आपको बता दें कि कुमारस्वामी अमेरिका की अपनी दस दिवसीय यात्रा से रविवार रात को लौटे थे। अब मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी का कहना है कि जल्द से जल्द मंत्रिपरिषद का पुनर्गठन किया जाएगा। 

आरोप प्रत्यारोप का दौर

उधर, कर्नाटक में विपक्षी भाजपा ने एचडी कुमारस्वामी से इस्तीफे की मांग की है। पार्टी नेता शोभा करंदलाजे ने कहा है कि मुख्यमंत्री को फौरन कुर्सी छोड़नी चाहिए क्योंकि उनकी सरकार अल्पमत में है। वहीं, पार्टी की कर्नाटक इकाई के प्रमुख बीएस येदियुरप्पा ने कहा है कि नए चुनाव कराने का सवाल ही नहीं है।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘यह छठी बार है कि भाजपा ने राज्य में गठबंधन सरकार को अस्थिर करने का प्रयत्न किया है। वह पहले पांच बार प्रयास कर चुकी है लेकिन वह बुरी तरह विफल रही। इस बार भी वह विफल रहेगी। वह सरकार अस्थिर करने के लिए सत्ता और केंद्रीय एजेंसियों का उपयोग कर रही है।’

यह मामला संसद में भी उठाया गया जहां केंद्र सरकार ने इस राजनीतिक गतिरोध में अपनी भूमिका से इनकार किया जबकि कांग्रेस ने उस पर साजिश रचने का आरोप लगाया। लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा इस्तीफा अभियान शुरू किया गया था। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के बड़े नेता इस्तीफा दे रहे है।’

सबकी नजरें विधानसभा अध्यक्ष पर

अगर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के बागी 13 विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं तो वह अल्पमत में आ जाएगी। विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार को इन इस्तीफों पर फैसला लेना है। 

यानी गठबंधन सरकार का भविष्य रमेश कुमार पर टिका हुआ है। रमेश कुमार ने कहा है कि वे संविधान के हिसाब से फैसला लेंगे। उनका कहना था, ‘अभी तक किसी भी विधायक ने मुझसे मुलाकात नहीं की है। अगर कोई मुझसे मिलना चाहता है तो मैं अपने दफ्तर में उपलब्ध हूं।’

कांग्रेस ने मंगलवार को सरकार को बचाने के लिए रणनीति पर विचार करने के लिए एक बैठक बुलाई थी। लेकिन पार्टी के 12 विधायक उससे नदारद रहे।

अगर इन विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं तो जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के पास 103 विधायक बचेंगे। इसके साथ ही राज्य विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 113 से गोता लगाकर 105 पर आ जाएगा। भाजपा के पास इतने ही विधायक हैं और दो निर्दलीयों ने उसे समर्थन देने की घोषणा की है।

कितना खतरनाक?

कर्नाटक में जो राजनीतिक उठापठक चल रही है, वह नई तो नहीं है लेकिन इससे चुनावी राजनीति और लोकतंत्र कितना प्रभावित होगा, यह सवाल जरूर उठ रहा है? 

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उर्मिलेश कहते हैं,'कर्नाटक में जो हो रहा है ऐसा पहले भी कई राज्यों में हो चुका है लेकिन अभी यह लोकतंत्र के लिए इसलिए खतरनाक है कि चुनाव की प्रक्रिया को लेकर बहुत सारे लोगों के जेहन में सवाल पैदा हो रहे हैं। ऐसे में जहां पर निर्वाचित सरकारें हैं उनको गिराने के प्रयास किए जाएंगें तो एक निराशा पैदा होगी। हालांकि दलबदल कानून रोकने के बहुत सारे कानून हैं लेकिन इनका सही ढंग से पालन नहीं किया जा रहा है। अब विधायकों का इस्तीफा दिलवाकर सदन में बहुमत हासिल करने का जो तरीका अपनाया जा रहा है वह हमारे लोकतंत्र को कही लेकर नहीं जाएगा। बल्कि इसे और गर्त में पहुंचाएगा।'

कर्नाटक में चल रहे इस राजनीतिक नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की ओर से लगातार बीजेपी पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि बीजेपी कर्नाटक सरकार को अस्थिर करके अपनी सरकार बनाना चाहती है। लेकिन बहुत सारे विश्लेषकों को लगता है कि इस बार चूक कांग्रेस और जेडीएस की तरफ से भी हुई है। 

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक नीरजा चौधरी कहती हैं,'कांग्रेस और जेडीएस ने कर्नाटक में जबसे सरकार बनाई है तब से भाजपा उसे अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। इस बात को लेकर गठबंधन को सावधान रहना चाहिए था। बीजेपी इस बार बहुत ही सफाई से इस काम को अंजाम दे रही है। वह सामने नहीं आ रही है। इसे गठबंधन की आपसी लड़ाई बता रही है। इस पूरे मामले में जेडीएस और कांग्रेस पूरी तरह से फेल हुए हैं। कांग्रेस के नेता दिल्ली में उलझे रहे और मुख्यमंत्री ऐसे माहौल में दस दिन की छुट्टी मनाने विदेश में हैं। जबकि इन्हें पता था कि लोकसभा चुनाव में मिली अच्छी जीत के बाद बीजेपी ऐसा प्रयास जरूर करेगी। कांग्रेस और जेडीएस ने बीजेपी को इतना मौका दिया कि इस तरह के हालात कर्नाटक में बने।'

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

karnataka
Congress
karnataka congress
UPA
NDA
BJP
Narendra modi
member of parliaments
2019 elections
hd kumaraswamy

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License