NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कश्मीर के हालात पर दिल्ली में रहने वाले कश्मीरी क्या सोचते हैं?
केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ शुक्रवार को जंतर मंतर पर बड़ी संख्या में कश्मीरी मूल के छात्रों, वकीलों औरनौकरीशुदा लोगों ने प्रदर्शन किया।
अमित सिंह
09 Aug 2019
jammu and kashmir

नई दिल्ली: ‘अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने और जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन का फैसला केंद्र सरकार ने कर लिया है, लेकिन वास्तविकता में यह असंवैधानिक है। इस फैसले को लेने में जो सहमति वहां के लोगों की चाहिए थी,केंद्र सरकार ने उसे नजरअंदाज किया है। कश्मीर के लोगों को छोड़कर उनके बारे में फैसला लेने का अधिकार किसी को नहीं है। दुख की बात यह है कि वहां के लोगों को यह भी पता नहीं है उनके जीवन में आगे क्या होगा। यह हर तरह से गैरकानूनी और अमानवीय है। ये जो कुछ भी हुआ है यह बहुत दु:खद है।'

यह कहना था जंतर मंतर पर प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाली शारिका अमीन का। शुक्रवार को जंतर मंतर पर बड़ी संख्या में कश्मीरी मूल के छात्र, वकील, नौकरीशुदा लोग केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ आयोजित प्रदर्शन में भाग लेने आए।  

इस दौरान ज्यादातर लोगों का कहना था कि सरकार ने जम्मू कश्मीर से आने वाली आवाजों को दबा दिया है। उन्हें नहीं पता कि उनके घर पर क्या हो रहा है। 

श्रीनगर के रहने वाले अबरार दिल्ली में रहकर एक साफ्टवेयर कंपनी में जॉब करते हैं। उनका कहना है, ‘आखिरी बार मैंने रविवार या पांच छह दिन पहले अपने घरवालों से बात की थी। उसके बाद से वो किस हालात में हैं हमें नहीं पता है। बड़ी संख्या में आर्मी और पुलिस वाले उन इलाकों में तैनात थे। अब बकरीद करीब है लेकिन हमें समझ नहीं आ रहा है कि घर जाएं या नहीं। अगर हम श्रीनगर एयरपोर्ट पहुंच भी गए तो घर से कौन लेने आएगा या घर जाने को मिलेगा यह भी कंफर्म नहीं है। बकरीद इतनी नजदीक है और हम लोग जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। हमें नहीं पता है कि इस बार परिवार के साथ ईद मना भी पाएंगे या नहीं।'

1st_0.jpeg
कुछ ऐसा ही कहना बारामुला की रहने वाली महक का। प्रदर्शन में हिस्सा लेने आई महक ने बताया,' हमारी घरवालों से बात नहीं हो पा रही है। सारे तरफ भय का माहौल है। सरकार से मेरी मांग ये है कि कम से कम हम त्योहार के समय घरवालों से बात कर पाएं इसके लिए कम्युनिकेशन सेवा को बहाल किया जाय।'

महक आगे कहती हैं,' बहुत सारे लोग इस फैसले के बाद कश्मीरी लड़कियों की फोटो गूगल पर सर्च कर रहे हैं। उनसे शादी को लेकर घटिया घटिया मीम शेयर कर रहे हैं। क्या यही सही व्यवहार है उनका अपने देश के बेटियों के साथ। नरेंद्र मोदी भी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दे रहे हैं। क्या इस तरह से बेटियां बचाई जा सकती हैं? इस तरह की हरकत करने वाले लोग बेवकूफ हैं। इनके बारे में इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है।'

सरकार की तरफ से बार बार ये दावा किया जा रहा है कि घाटी को छोड़कर बाकी जगहों पर लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है लेकिन शुक्रवार को आयोजित प्रदर्शन में जम्मू कश्मीर के लगभग हर हिस्से के लोग शामिल हुए थे। 

2nd.jpeg
पुंछ के रहने वाले अंजुम ऋषि ने बताया,' प्रधानमंत्री ने गुरुवार शाम को जम्मू कश्मीर को लेकर राष्ट्र को संबोधित किया, जिसे पूरे देश और दुनिया ने सुना लेकिन जिनके लिए यह संबोधन था, वहां के लोगों ने सुना या नहीं हमें नहीं पता है। आखिर जम्मू कश्मीर में भी किसान और मजदूर रहते हैं, इतने लंबे समय तक सारी चीजें बंद रहेंगी तो उनका गुजारा कैसे होगा? इस बारे में भी सोचना होगा। आरएसपुरा के किसानों के बारे में कौन सोचेगा। असंवैधानिक तरीके से आप वहां की जनता के बारे में फैसला ले ले रहे हैं और आप उन्हें उनके बच्चों से भी बात नहीं करने दे रहे हैं। ऐसा करके आप क्या साबित करना चाह रहे हैं। इससे आप सिर्फ पैनिक (डर) माहौल बना रहे हैं बस और कुछ नहीं।' 

जामिया में पढ़ाई करने वाले श्रीनगर के आदिल ने कहा,' सुप्रीम कोर्ट से लेकर राज्यपाल ने यह भरोसा दिलाया था कि सरकार कश्मीर में कोई संवैधानिक बदलाव नहीं करने जा रही है लेकिन यह फैसला ऐसे समय लिया गया जब कश्मीर में एक चुनी हुई सरकार भी नहीं थी। यह एक तरह से वहां के लोगों के साथ धोखा है। अब सरकार उन्हें बंधक बनाकर रखे हुए है। ऐसे में किसी भी परिवार के सदस्य से बात नहीं हो पा रही है। हमारी समझ में यह नहीं आ रहा है कि वहां पर क्या चल रहा है।'

3rd.jpeg
प्रदर्शन में आए ज्यादातर लोगों ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों विभाजित करने वाले कानून को असंवैधानिक और गैरकानूनी बताया। उनका यह भी कहना था कि जल्द से जल्द जम्मू कश्मीर में संचार की सुविधाओं को बहाल किया जाय ताकि वहां के वास्तविक हालात पता चल सकें और लोग अपने रिश्तेदारों व बाहर रहने वाले बच्चों से बात कर सकें। 

आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा संबंधी अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के प्रस्ताव संबंधी संकल्प और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित करने वाले विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार रात को मंजूरी दे दी थी।

राज्ससभा ने इस संकल्प को सोमवार को पारित किया था। मंगलवार को लोकसभा ने भी इसे मंजूरी दी थी। 

Jammu and Kashmir
Article 370
kashmiri citizens
Central Government
BJP
Narendra modi
Supreme Court
president ramnath kovind

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License