NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या भाजपा शासित असम में भारतीय नागरिकों से छीनी जा रही है उनकी नागरिकता?
मो. बक्कर अली की कहानी जो असम के निवासी हैं और देश की नागरिकता छीने जाने की कगार पर हैंI
न्यूज़क्लिक प्रोडक्शन
30 Jun 2018

असम अकोर्ड (समझौता) लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (NRC) का काम शुरू हुआI कोर्ट ने निर्देश दिया कि साड़ी प्रक्रिया 31 मई तक पूरी कर ली जाये और यदि कोई सुधार आवश्यक हों तो 30 जून तक कर लिए जाएँI

वीडियो का एक फ़ौरी ट्रांसक्रिप्ट दिया जा रहा हैI

हमें नोटिस मिला था जिसके बाद हमने हाईकोर्ट में अपील की।

मेरा नाम बक्कर अली है, 2015 मुझे, मेरे भाई, और मेरी माँ के नाम एक नोटिस आया था।

हमारा ज़िला बोगंई गाँव पड़ता है, हम तीनों ज़िला अदालत गए, जहाँ हमारा फैसला भी हो गया है।

कोर्ट के इस फैसले के अनुसार मेरे भाई और मेरी माँ भारतीय हैं। जबकि मैं 10 साल तक वोट नहीं दे सकता, मेरा नाम वोटर लिस्ट से 10 साल के लिए हटा दिया गया है। मैं असम के स्कूल में सह-अध्यापक हूँ। इस फैसले के बाद मैंने हाइकोर्ट में अपील की थी। जब मेरा बड़ा भाई भारतीय है तो मैं कैसे इस देश का नागरिक नहीं हूँ। एक अध्यापक के नाते मुझे बहुत दुख होता है कि मेरा नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। हाईकोर्ट ने हमारा केस वापस निचली अदालत में पुन:विचार के लिए भेज दिया था, जहाँ अब फैसला आया कि हम तीनों ही विदेशी हैं। इसी के कारण मैं पिछले एक महीने से अपने घर नहीं जा पाया हूँ, मैं कभी कहीं तो कभी कहीं रहकर गुज़ारा कर रहा हूँ। मुझसे रजिस्टरारऑफिस में पूछा गया की मैं बांगलादेश में कहाँ रहता था? फिर बिना मेरी सहमति के उन्होंनेमेरा पता बांगलादेश का लिख दिया, मुझसे कहा गया कि एस.पी. ऑफिस में जाकर मैंयही पता बताऊँ जिसके बाद मेरा नाम मतदाता सूची में डाल दिया जाएगा। मेरे जन्म के साल को भी बदलकर 1970 कर दिया गया, ताकि यह साबित किया जा सके कि मैं बांगलादेश से आया हूँ, जबकि मेरे स्कूल प्रमाण पत्र में मेरा जन्म साल 1985 है। उनका कहना है कि असल जन्म साल से मेरा नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया सकता। मैं इस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहता था, इसी कारण से मैं तीन दिन ऑफिस से लौट आया, मगर मुझसे कहा गया कि अगर मैं हस्ताक्षर नहीं करता हूँ तो मुझे पुलिस गिरफ्तार कर लेगी।

बक्कल जी क्या अब इस दस्तावेज़ का कोई मूल्य रह गया है? क्योंकि अब तो आपको अदालत ने विदेशी घोषित कर दिया है।

नहीं अब इस दस्तावेज़ का कोई मूल्य नहीं रह गया है। यह मेरे स्कूल के प्रमाण पत्र हैं। मेरा दादा का नाम मतदाता सूची में 1966,1979,1997,2005 है। मुझे पहला नोटिस 2015 मेंमिला था। पुलिस के डर के कारण मैं अब स्कूल में पढ़ाने भी नहीं जा सकता। मेरे भाई और मेरी माँ भी छुप-छुप के रहने को मजबूर हैं।

मैंने हाइकोर्ट में भी अपील की लेकिन फिलहाल हाईकोर्ट भी बंद है और 10 तारीक तक खुलेगा।

अभी आपने बक्कर अली को सुना, इनका बड़ा अजीब-सा केस है, ये एक जवान आदमी है। 2008 से पहले ये मतदान करते थे, 2008 में इन्हेंऔर इनके परिवार को एन.आर.सी. ने अपनी नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस भेजा था, ये लोग वहाँगए और इन्होंनेकोर्ट में भी अपील की, सारे दस्तावेज़ भी दिखाए। कोर्ट ने इनके बड़े भाई और माँ को भारतीय माना और उनके सारे नागरिक अधिकार उन्हेंवापस मिल गएI लेकिन बक्कर को भारतीय नागरिक न मानते हुए, 10 साल तक इनके सारे अधिकार वापस ले लिए गए। ये अब किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं ले सकते, न ही मतदान कर सकते हैं। ये हाईकोर्ट गए जहाँ से इनका केस निचली अदालत में पुन: विचार के लिए भेज दिया गया। निचली अदालत ने बक्कर समेत इनके भाई और माँ को भी विदेशी घोषित कर दिया। बक्कर असम के सरकारी स्कूल में अध्यापक थे मगर अब इन्हेंऔर इनके परिवार वालों को डर के सायेमें रहना पड़ रहा है। इनका जन्म सन 1985 में हुआ था, लेकिन क्योंकि प्रशासन को यह साबित करना था कि ये बागंलादेश से आए हैंतो इनके जन्म साल को बदलकर 1970 कर दिया गया। क्योंकि उस दौरान जो बंग्लादेशी भारत आए थे उन्हें भारत की नागरिकता दी जाती है। इनके अनुसार एस.पी. ऑफिस के द्वारा इन्हें धमकाया गया और इनसे एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर कराया गया, जिसमें इनके जन्म के साल को पीछे कर के 1970 कर दिया गया और इनका पता बांग्लादेश का दिखाया गया। बक्कर ने इस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से तीन बार इंकार किया मगर अंत में उन्हें दबाव में आकर हस्ताक्षर करना पड़ा।

NRC
एनआरसी
असम
असम नागरिक कानून
भाजपा
असम सरकार

Related Stories

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

शाहीन बाग़ की पुकार : तेरी नफ़रत, मेरा प्यार

देश बड़े छात्र-युवा उभार और राष्ट्रीय आंदोलन की ओर बढ़ रहा है

अदालत ने फिर उठाए दिल्ली पुलिस की 2020 दंगों की जांच पर सवाल, लापरवाही के दोषी पुलिसकर्मी के वेतन में कटौती के आदेश

सरकार के खिलाफ शिकायत करने पर 'बाहर' नहीं कर सकते: गुजरात HC ने CAA-NRC प्रदर्शनकारी का बचाव किया

नर्क का दूसरा नाम...

असम डिटेंशन कैंप में रह रहे विदेशी नागरिकों के 22 बच्चे!

राष्ट्रव्यापी NRC पर अभी कोई फैसला नहीं: गृह मंत्रालय ने संसद को बताया

डिटेंशन कैंप में बंद सुसाइड सर्वाइवर की मदद के लिए आगे आया CJP

विरोध प्रदर्शन को आतंकवाद ठहराने की प्रवृति पर दिल्ली उच्च न्यायालय का सख्त ज़मानती आदेश


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License