NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
राजनीति
क्या 'ए' मुझे इस स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना देगा?
मुझे यक़ीन नहीं है कि ‘ए’ मुझे इस स्वतंत्रता दिवस पर कोई संदेश भेजेगा। हम दोनों पिछले कुछ वर्षों से स्वतंत्रता दिवस, दिवाली, ईद, नववर्ष और गणतंत्र दिवस जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते रहे हैं। लेकिन यह साल कुछ अलग है। बीती शाम, मैं ये सोचती रही कि घाटी में हाल के घटनाक्रम पर ‘ ए' के विचार क्या होंगे।
स्मिता खनीजो
10 Aug 2019
jammu and kashmir
फोटो साभार : गूगल

कुछ वर्षों पहले जब अपने परिवार के साथ कश्मीर की यात्रा पर थी तो मैं ' ए' से मिली थी। जब मैं बच्ची थी तो मुझे अपने माता-पिता के साथ कश्मीर घूमने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और हमेशा अपनी बेटी को वहां ले जाने की लालसा रही। इसलिए जब भी हवाई जहाज़ का किराया कम होता तो मैं बिना देर किए हुए उसे बुक करा लेती। मैं डल झील में शिकारे की सवारी और सेब और बेर के पेड़ों की भूली हुई यादों को फिर से अनुभव करना चाहती थी।

फरवरी की एक साफ सुथरी सुबह में हम घाटी में उतरे, कांच के केबिन के बाहर के दृश्य इतने आकर्षक थे कि मुझे सुरक्षा जांच के कई स्तर पर ध्यान ही नहीं गया। हम में से कुछ की अच्छी तरह से तलाशी ली गई थी, कुछ की नियमतः, कुछ बैग रख लिए गए और कुछ को तलाशी के लिए खोला गया। मैंने इस दृश्य को सिर्फ नज़रअंदाज़ करने का दिखावा किया और खुद से कहा कि मैं इस जगह अपनी ज़िंदगी भर के अनुभव की श्रृंखला में एक छुट्टी के दौरान आयी हूं।

गुलमर्ग के लिए हमारी पहले से बुक किए गए टैक्सी ड्राइवर 'ए' दरवाज़े के बाहर था। मैं जल्दी से अंदर गई और बातचीत करने की कोशिश की, जिसपर उसने आश्चर्यजनक रूप से हां-ना में प्रतिक्रिया दी। उसके रवैये से निराश होकर मैंने उसको शेष यात्रा के दौरान अनदेखा करने का फैसला किया। उसकी उम्र 20 वर्ष से कुछ ज़्यादा रही होगी लेकिन इस उम्र से ज़्यादा उम्र का लगता था और उसने रास्ते भर बहुत कम बात की।

जबकि अगले कुछ घंटों के लिए उत्साह ने मुझे झकझोर दिया, बाकी सभी लोग कार में चुप थे। कुछ मिनटों के बाद आखिरकार मैंने हर जगह बंदूकधारी लोगों की बड़ी संख्या में मौजूदगी और हाल में आई बाढ़ के दृश्य को देखा। क़ुदरत की ख़ूबसूरती का लुत्फ़ उठाने से ये जगहें सभी को परेशान कर रही थीं। इस एहसास से खुद को अलग करने के लिए मैंने 'ए' के साथ बात करने की फिर से कोशिश की और एक बार फिर उसने सिर्फ 'हां और ना' में सिर हिलाया। उसकी ये छोटी सी प्रतिक्रियाएं तकलीफ़ पहुंचाने वाली थीं।

गुलमर्ग में ताज़ा हिमपात का नज़ारा उस ख़ुशी को वापस ले आया और हम दिन के बचे हिस्सों में एक-दूसरे पर बर्फ का गोला फेंकने में मसरुफ रहे। इस जगह पर मौजूद कई पर्यटक लकड़ी के तख़्त पर बर्फ पर 250 से 200 रुपये में स्लेजर खींचने वाले व्यक्ति से सवारी कर रहे थे। ईमानदारी से, यह वास्तव में एक अच्छ दृश्य नहीं था क्योंकि स्लेजर खींचने वाला दुबला पतला व्यक्ति मोटे आदमी को बर्फ पर सवारी करा रहा था। लेकिन सभी पर्यटक - पुरुष, महिलाएं और बच्चे आनंद लेने के प्रवासी दासता के तरीकों से अनजान थे।

शाम के आख़िर तक हमें अपनी बच्ची के साथ बर्फ से होकर गुजरने के लिए मदद की ज़रूरत थी। इस समय तक स्लेजर्स पर्यटकों से 20 रुपये तक की पेशकश कर रहे थे। हमने उनमें से एक को बच्ची को पकड़ने का अनुरोध किया जबकि हमने अन्य सामानों की देखरेख की।

रास्ते में हमने घाटी में उनके काम और ज़िंदगी को लेकर उनसे बातचीत की। असाधारण रूप से 'ए' की तरह वह कम बोलता। हमने सोचा कि उसके जैसे लोगों के लिए जीवन कितना कठोर है जो हाशिए पर हैं और मौसमी काम के ज़रिए खुद के लिए कुछ आमदनी कर पाते हैं। मैं घाटी में अशांति को लेकर उनके विचारों को जानने के लिए उत्सुक थी। लेकिन मेरी लड़की को आशीर्वाद देते हुए उन्होंने होटल के दरवाज़े पर अलविदा करते हुए कहा कि हम यही चाहते हैं कि शांति बनी रहे जो जीने के लिए बहुत है। उनकी चाहत ने डूबती भावना में छोड़ दिया। मैं यह सोचकर बिस्तर पर गयी कि क्या 'ए' भी ऐसा ही सोचता होगा।

अगले दिन मैं उत्सुकता से 'ए' के आने का इंतजार करने लगी क्योंकि मैं उसके साथ अपना विचार साझा करना चाहती थी। मैंने एक स्लेजर के जीवन को लेकर उसकी राय पूछी। उसने मुझे चुपचाप सुना लेकिन सिर्फ मेरे सवालों का हिचकिचाते हुए जवाब दिया। हो सकता है कि मेरे सवालों ने उसे तकलीफ़ दी हो इसलिए एक बार फिर मैंने नज़रअंदाज़ करने का फैसला किया और ख़ूबसूरत दृश्य पर अपना ध्यान केंद्रित किया। बाढ़ ने उस स्थान पर अपनी निशान छोड़ रखे थे और मेरे द्वारा बुक किए गए रहने के स्थान सहित कई स्थानों की मरम्मत हो रही थी। हमने जल्दी से अपना खाना ख़त्म किया और डल झील में सूर्यास्त के साथ इस सफर को खत्म करने का फैसला किया।

झील के किनारे हम शायद इस मौसम में पर्यटकों के पहले समूह थे क्योंकि कई शिकारे और हाउसबोट यूं ही पड़े थे। हम एक शिकारे पर बैठे, जो आसपास के कई हाउसबोटों से होकर गुजरा और हमें झील के दूसरे छोर पर ले गया। यह लंबी दूरी का सफर था। यही वह क्षण था जिसका मैंने इतने लंबे समय तक इंतजार किया था लेकिन किसी खुशी के बजाय मन में उदासी थी। मैं अपने ज़ेहन को वास्तविकता से दूर नहीं कर सकी

— झील की अर्थव्यवस्था पर निर्भर लोगों की परेशानी का दृश्य सता रहा था। शिकारे, स्थिर हाउसबोटों के आसपास शैवाल और फफूंद का बढ़ता दृश्य और उनसे निकलने वाली बदबू झील में मौजूद हर वस्तु ने समय के साथ खोए हुए गौरवशाली अतीत को बयां किया।

हम एक-दूसरे के साथ बात किए बिना चुपचाप कार में बैठ गए। एक बाइलेन में ट्रैफिक जाम था जिसने मुझे खड़ा होने और अपने आसपास की स्थिति को जानने के लिए पर मजबूर कर दिया। हम संकरी लेन के बीच में थे और यह भयानक जाम था। अगर यह दिल्ली में होता तो जाम खुलने में घंटों लग जाते।

लेकिन अचानक कहीं से मदद करने वाला व्यक्ति आ गया और कुछ ही मिनटों में गाड़ियां चलने लगी। हम आश्चर्यचकित थे जिस तरह स्थानीय लोगों ने उस स्थिति को संभाला और ‘ए’ कितनी शांति से बैठा था और अपनी बारी का इंतजार कर रहा था- किसी तरह का गुस्सा नहीं और अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं और सभी शांत थें। हम कामना करते हैं कि दिल्ली इससे कुछ सीख सके।

आख़िरी दिन, एयरपोर्ट जाने के दौरान हर कोई इस बात का जायजा लेने में व्यस्त था कि क्या छूट गया और क्या ठीक रहा। लेकिन मैं हर स्थान पर सेना के जवानों का जायजा ले रही थी। बंदूकों और भावशून्य आंखों वाले सीधे खड़े भावहीन व्यक्ति का दृश्य डरावना था। मैंने अपने आप से कहा कि क्या यहां इन लोगों की ज़रूरत है? अचानक मैंने ' ए' की आवाज़ सुनी और उसने ' नहीं, बिल्कुल नहीं’ कहा। उसने आखिरकार बोल दिया। मैंने मुड़कर उसे आश्चर्य से देखा, इसलिए नहीं कि उसने ' नहीं’ कहा, बल्कि इसलिए कि उसने पहली बार खुद बोला था। सफर के दौरान हम दोनों उसके बाद बात नहीं किए।

शेष यात्रा में कार में हम सभी लोग घाटी की स्थिति पर चर्चा करते रहे कि किस तरह हमने आम लोगों से मुलाकात की और उनके जीवन में इस उथल-पुथल का कितना असर रहा। ‘ए’ इस चर्चा में शामिल नहीं हुआ और फिर चुप रहा। हम मुख्य भू-भाग की अपनी ज़िंदगी में वापस आ गए थे और कश्मीर का सफर पूरा हो गया था।

उस साल दिवाली पर मुझे ' ए’ से स्वास्थ्य और शांति की कामना करते हुए एक एसएमएस मिला। इसने घाटी में शांति और सद्भाव की चाह, हमारे बीच मूक संवेदना और सहानुभूति की यादें वापस ला दीं। तब से हम एक-दूसरे को नव वर्ष, ईद, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस की बधाई दे रहे हैं।

लेकिन इस साल क्या वह मुझे स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देगा? मुझे यक़ीन नहीं है। वास्तव में मुझे यह भी नहीं पता कि वह कैसा है? कश्मीर में लोगों के साथ संचार के रास्ते बंद हैं। मुझे नहीं पता है कि हाल की राजनीतिक घटनाओं ने उन्हें और अन्य लोगों को कैसे प्रभावित किया है? बंदूकधारियों से घिरे उनके जैसा जीवन मैंने नहीं जिया। मुझे नहीं पता कि उनके जैसे आम लोग इन घटनाक्रमों को कैसे देखते हैं।

हालांकि, मुझे पता है कि मुझे यह निर्णय लेने का अधिकार नहीं है कि लिया गया राजनीतिक निर्णय ' ए’ और उसके जैसे लोगों के लिए बेहतर है। और मुझे आशा है कि ' ए' को खुद को व्यक्त करने का मौका मिले और चुप रहने के लिए मजबूर न हो।

घाटी में सुरक्षा और शांति की प्रार्थना के साथ।

स्मिता खनीजो, लैंगिक समानता के अधिकार से जुड़ी कार्यकर्ता हैं। व्यक्त किए गए विचार निजी हैं और यह वर्ष 2015 की सच्ची घटना पर आधारित हैं।

Article 370
Jammu and Kashmir
Indian constitution
Indian independence day
Kashmir conflict
BJP
Modi government

Related Stories

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

मनोज मुंतशिर ने फिर उगला मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर, ट्विटर पर पोस्ट किया 'भाषण'

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन

जहांगीरपुरी हिंसा में अभी तक एकतरफ़ा कार्रवाई: 14 लोग गिरफ़्तार

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां

सद्भाव बनाम ध्रुवीकरण : नेहरू और मोदी के चुनाव अभियान का फ़र्क़

यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित

एक व्यापक बहुपक्षी और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License