NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
क्या जापान बुलेट ट्रेन परियोजना से प्रभावित किसानों को न्याय देगा?
गुजरात के खेदुत समाज की शिकायतों के जवाब में, जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी, जो परियोजना को वित्त पोषित कर रही है, की एक टीम ने गुजरात का दौरा किया और किसानों और उनके प्रतिनिधियों से मुलाकात की, और उनके सामने संधि में मौजूद दिशानिर्देशों के उल्लंघन के सबूत रखे ।

न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
12 Dec 2018
Translated by महेश कुमार
bullet train

भारत सरकार से सारी उम्मीद खोने के बाद, हजारों किसान जिनकी भूमि और आजीविका को 'बुलेट ट्रेन' की 508 किलोमीटर मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर बनाने के लिए छीना जा रहा है – जिस पर तकरीबन  1.1 लाख करोड़ रुपये  खर्च की जा रही है ताकि यह ट्रेन छह घंटे के बजाय दो घंटे में अहमदाबाद और मुंबई के बीच 750 लोगों को पहुंचा दे– उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने के लिए ये किसान न्याय के लिए जापान की तरफ गुहार लगाना शुरू किया है.

जापानी सरकार की अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण एजेंसी जो बुलेट ट्रेन परियोजना के प्रमुख हिस्से को वित्त पोषित कर रही है और जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) की एक टीम के साथ 7-8 दिसंबर को दो दिवसीय बैठक के बाद किसान और उनके प्रतिनिधि हैं आश्वस्त है कि भूमि अधिग्रहण और कानूनों के उल्लंघन के खिलाफ उनका आंदोलन रंग लाएगा।

दिसंबर 2017 से बुलेट ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विरोध कर रहे प्रमुख किसान संगठन खेदुत समाज की शिकायतों को सुनने के लिए तीन सदस्यीय जेआईसीए टीम गुजरात के दौरे पर थी।

खेदुत समाज, गुजरात के अध्यक्ष जयेश पटेल ने न्यूज़क्लिक को बताया, कि "इस साल फरवरी-मार्च में हमें विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए जेआईसीए दिशानिर्देशों के बारे में पता चला था।"

"जेआईसीए द्वारा हस्ताक्षर की गई 42 पेजों की अंतरराष्ट्रीय संधि में दिशानिर्देशों का एक सेट मौजूद है। जब भी  एजेंसी इन  परियोजनाओं को वित्त पोषित करेगी तो इसे यह सुनिश्चित करना होगा कि दिशानिर्देशों में से किसी भी एक का भी उल्लंघन नहीं किया जा रहा है।

जेआईसीए इस परियोजना के लिए लगभग 88,000 करोड़ रुपये का सुलभ कर्ज़ उप्लब्ध करा रहा  है।

उन्होंने कहा, "हम महीनों से जेआईसीए को लिख रहे थे लेकिन अब तक उनके पास से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी।"

पटेल ने कहा कि अक्टूबर में गुजरात उच्च न्यायालय में 1,200 से अधिक किसानों के द्वारा  हलफनामे जमा करने के बाद ही जेआईसीए ने इस बात का नोटिस लिया था कि वे इस परियोजना के लिए अपनी जमीन को छोड़ना नहीं चाहते थे।

जून से जुलाई 2018 तक 200 से अधिक प्रभावित किसानों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

दो दिवसीय बैठक के दौरान, किसानों और उनके प्रतिनिधियों ने जेआईसीए टीम को बताया -  बुलेट ट्रेन परियोजना को तब भी निष्पादित किया जा रहा था जब इस परियोजना के लिए फंडिंग करने वाली एजेंसी अपने ही मानवाधिकारों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन कर रही थी, जिसमें देशज लोगों का अधिकार, सामाजिक और पर्यावरण पहलुओं का उल्लंघन भी शामिल है।

7 दिसंबर को, तीन सदस्यीय जेआईसीए टीम ने गुजरात के आठ जिलों में से उन चार जिलों - नवसारी, वलसाड, भरूच और सूरत के सैकड़ों किसानों से मुलाकात की जहां से 'बुलेट ट्रेन' गुजरेगी। और 8 दिसंबर को, टीम ने किसानों के संगठनों, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की जिसमें पर्यावरण सुरक्षा समिति भी शामिल थी जो पर्यावरण और कानूनी पहलुओं का का नेतृत्व कर रही है।

पटेल ने कहा कि जेआईसीए टीम ने महाराष्ट्र के प्रभावित गांवों के दो आदिवासी प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की - आदिवासी एकता परिषद के अध्यक्ष कालूरम धोंडके और शशि सोनवाने।

पटेल ने कहा, "जेआईसीए दिशानिर्देश बल्कि काफी सख्त हैं, खासकर तब जब यह देश्ज लोगों के अधिकारों, वन संरक्षण, मानवाधिकार इत्यादि की बात आती है।"

"हमने उल्लंघनों के दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं, जिनके बारे में जेआईसीए को पता ही नहीं था। टीम ने कहा कि उन्हें सरकार द्वारा कुछ और बताया गया था लेकिन जमीन हकीकत साफ़ तौर पर  अलग और चौंकाने वाली है। "

बुलेट ट्रेन गुजरात के आठ जिलों, महाराष्ट्र के तीन जिलों और केंद्रीय क्षेत्र दादरा और नगर हवेली के एक छोटे से क्षेत्र से गुज़रेगी। पूरे पैच में लगभग 3,600 परिवार प्रभावित हो रहे हैं, जिनमें से 2,300 से 2,400 परिवार गुजरात में हैं।

दिसंबर 2017 के बाद से किसानों और गांव के निवासियों द्वारा तब से विरोध किया जा रहा है  जबसे गुजरात सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की थी।

1,400 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में विकसित की जा रही हाई स्पीड रेल गलियारा आरक्षित जंगलों और मैंग्रोव के माध्यम से गुजरने के साथ यह उपजाऊ भूमि और जल स्रोतों को निगल जाएगा इस प्रक्रिया में लोगों की आजीविका और पर्यावरण को नष्ट होने का बड़ा खतरा मौजुद है।

भाजपा सरकार ने कानून का किया उलंघन

बीजेपी शासित गुजरात सरकार भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में निष्पक्ष मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार में संशोधन करके भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में सभी कानूनी और सामाजिक दायित्वों को उलटने में कामयाब रही है।

सरकार ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनस्थापन (गुजरात संशोधन) अधिनियम 2016 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार को पारित किया है - जो सामाजिक, आर एंड आर (पुनर्वास और पुनर्वास), मुआवजे, पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा के मामले के गम्भीर पहलुओं को गंभीर रूप से बेअसर या पूरी तरह से खत्म करता है।

10 दिसंबर को, सर्वोच्च न्यायालय ने मेधा पाटेकर  और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा दायर याचिका पर केंद्र के 2013 भूमि अधिग्रहण अधिनियम में किए गए संशोधन की वैधता पर गुजरात समेत पांच राज्यों को नोटिस जारी किया है।

पटेल ने कहा, बुलेट ट्रेन के लिए किया गया जमीन अधिग्रहण 2016 के जमीन अधिग्रहण के कानूनों से काफी दूर है. सामजिक प्रभाव मूल्यांकन से लेकर पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन तक की जरूरतों के  लिए 70 फीसदी  ग्रामीणों की सहमती नहीं ली गयी है.

पटेल ने कहा कि 2016 भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत बाजार के आधार कीमत देने से मना कर दिया गया है। "नया कानून सरकार को 'सर्कल रेट' या जांत्री दरों पर खरीद के लिए आज्ञा देता है, जो बाजार मूल्य से कम से कम 100 से 200 गुना कम कीमत पर जमीन खरीदन की इजाजत देता है।

दिसम्बर 2014 में, रेलवे की स्थायी समिति (2014 - 2015) ने कहा था कि प्रस्तावित मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना आर्थिक रूप से अलाभकारी होगी।

 उन्होंने कहा इस बात को लेकर जापानी टीम पूरी तरह आश्वस्त थी कि आखिरकार, जेआईसीए कुछ ऐसा कैसे कर सकता है जो उसके ही  दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता हो? और यह उल्लंघन साफ़ तौर पर दिखता है.  इसके साथ उन्होंने कहा," जेआईसीए की टीम  इस पर भारत सरकार, गुजरात सरकार और महाराष्ट्र सरकार से सवाल करने जा रही है। "

उन्होंने आगे कहा, "हम जापान जाएंगे और वहां एक आंदोलन शुरू करेंगे, वहां सरकार, एनजीओ आदि से संपर्क करेंगे। हम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी जाएंगे। हमें जेआईसीए से उम्मीद है, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि न्याय हर मामले में संभव हो। "

 

bullet train
Gujarat Government
Gujarat
VIJAY RUPANI
BJP
Khedut Samaj Gujarat
Illegal Land Acquisition
Tribal Lands

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • bulldozer
    न्यूज़क्लिक टीम
    दिल्ली: बुलडोज़र राजनीति के ख़िलाफ़ वामदलों का जनता मार्च
    11 May 2022
    देश के मुसलमानों, गरीबों, दलितों पर चल रहे सरकारी बुल्डोज़र और सरकार की तानाशाही के खिलाफ राजधानी दिल्ली में तमाम वाम दलों के साथ-साथ युवाओं, महिलाओं और संघर्षशील संगठनों ने उपराज्यपाल अनिल बैजल के…
  • qutub minar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब क़ुतुब मीनार, ताज महल से हासिल होंगे वोट? मुग़ल दिलाएंगे रोज़गार?
    11 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा सवाल पूछ रहे हैं कि देश में कभी क़ुतुब मीनार के नाम पर कभी ताज महल के नाम पर विवाद खड़ा करके, सरकार देश को किस दिशा में धकेल रही…
  • sedition
    विकास भदौरिया
    राजद्रोह पर सुप्रीम कोर्ट: घोर अंधकार में रौशनी की किरण
    11 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश और न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ का हाल का बयान, जिसमें उन्होंने कहा था कि नागरिकों के असंतोष या उत्पीड़न को दबाने के लिए आपराधिक क़ानून का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए, एक आशा…
  • RAVIKANT CASE
    असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय: दलित प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मुक़दमा, हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं!
    11 May 2022
    प्रोफ़ेसर रविकांत चंदन हमले की FIR लिखाने के लिए पुलिस के आला-अफ़सरों के पास दौड़ रहे हैं, लेकिन आरोपी छात्रों के विरुद्ध अभी तक न तो पुलिस की ओर से क़ानूनी कार्रवाई हुई है और न ही विवि प्रशासन की ओर…
  • jaysurya
    विवेक शर्मा
    श्रीलंका संकट : आम जनता के साथ खड़े हुए खिलाड़ी, सरकार और उसके समर्थकों की मुखर आलोचना
    11 May 2022
    श्रीलंका में ख़राब हालात के बीच अब वहां के खिलाड़ियों ने भी सरकार और सरकार के समर्थकों की कड़ी निंदा की है और जवाब मांगा है। क्रिकेट जगत के कई दिग्गज अपनी-अपनी तरह से आम जनता के साथ एकजुटता और सरकार…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License