एग्ज़िट पोल (Exit Poll ) को लेकर ‘सच हो गया’ का माहौल है। मगर, वास्तव में क्या ऐसा है? 
क्या सिर्फ़ हार-जीत की भविष्यवाणी का नाम ही एग्ज़िट पोल है? 
महत्वपूर्ण ये है कि यह कितना सटीक रहा। एक या दो एग्ज़िट पोल को छोड़कर ज्यादातर सटीक नहीं रहे। जिन एक-दो का नाम लिया जा सकता है वे भी राज्यवार आकलन में सटीक नहीं हो पाए। इस तरह से एग्ज़िट पोल करने वालों से क्यों न सवाल किया जाए? क्या उन्हें जिम्मेदारी से बांधा नहीं जाना चाहिए?
अगर हार और जीत के आधार को ही एग्ज़िट पोल कहा जाएगा, तो फिर सट्टा क्या है? हार-जीत के दावे या भविष्यवाणी को सट्टा कहा जा सकता है एग्ज़िट पोल नहीं। एग्ज़िट पोल का आधार वैज्ञानिक होना चाहिए न कि अटकलबाज़ी। अगर ऐसा है तो फिर आम आदमी के आकलन और एक्जिट पोल में फर्क क्या रह जाता है। हार-जीत की शर्त तो हर दूसरा आदमी लगाता है, लेकिन उसे एग्ज़िट पोल नहीं कहा जा सकता।
विभिन्न राज्यों के संदर्भ में मतदाताओं का ये एग्ज़िट पोल आकलन करते हैं और बताते हैं कि क्या और कैसा परिणाम आने वाला है। इसी हिसाब से इन एग्ज़िट पोल करने वाले सर्वेयर को भी कसौटी पर कसने की ज़रूरत है।
कसौटी पर फेल रहे ज्यादातर एक्जिट पोल
                                    NDA   UPA    MGB   OTH
RESULTS 2019            354     90       15       83
टाइम्स नाउ-वीएमआर       306     132     20       84
टुडेज-चाणक्या                  350     95                  97 
सी वोटर                           287     128     40       87
ABP-NIELSEN               267     127              148
AXIS MY INDIA TODAY  353     94       13       82
INDIA TV-CNX                300     120     28       94
सी वोटर ने एनडीए के लिए 287 सीटों का आंकड़ा दिया था जबकि उत्तर प्रदेश में इसने महागठबंधन को 49 सीटें दी थीं। मगर, वास्तव में एनडीए को साढ़े तीन सौ से ज्यादा सीटें आयीं हैं और महागठबंधन को महज 15 सीटें। एबीपी निल्सन भी इसी तरीके से आकलन करने में विफल रहा। उसने एनडीए को 277 सीटें दी थीं और अन्य को 135 सीटें जिनमें महागठबंधन भी शामिल था। इंडिया टीवी सीएनएक्स का आकलन एनडीए के लिए 300 सीटें और महागठबंधन के लिए 28 सीट का था, जो गलत साबित हुआ।
यूपी में महागठबंधन के प्रदर्शन को पढ़ नहीं सके एग्ज़िट पोल
उत्तर प्रदेश                          NDA   UPA    MGB   
टाइम्स नाउ-वीएमआर               58   02       20   
सी वोटर                                  38   40        2
एक्सिस माइ इंडिया-इंडिया टुडे    65   13        2
एग्ज़िट पोल के बचाव में यह कहा जाता है कि यह ट्रेंड बता देता है। अक्षरश: सही नहीं होता। लेकिन फिर दावा क्यों किया जाता है। किसी भी चैनल की पेशकश देख लीजिए वो अपने रुझानों को इस आक्रमक ढंग से पेश करते हैं कि जैसे यही वास्तविक नतीजे हों। 
यूपी में कुछ एग्ज़िट पोल एनडीए को अगर 58 और 65 सीट दे रहे थे, तो एक एग्ज़िट पोल महागठबंधन को 40 सीटें देता दिख रहा था। इससे केवल भ्रम की स्थिति पैदा हो रही थी। सवाल उठ रहे थे कि कौन सा एग्ज़िट पोल सच है? जाहिर है एक को गलत होना ही था।
छत्तीसगढ़ : एग्ज़िट पोल फिर फेल
छत्तीसगढ़                                     NDA   UPA
सी वोटर                                           06       05
एक्सिस माइ इंडिया-इंडिया टुडे             08       03       
छत्तीसगढ़ में सी वोटर बराबरी की टक्कर दिखा रहा था। बीजेपी को 6 और कांग्रेस को 5 सीटें मिलतीं बता रहा था। मगर, वास्तव में आंकड़ा 9-2 रहा। एक्सिस माई-इंडिया टुडे ने भी छत्तीसगढ़ में 8-3 का आंकड़ा बताया था। यह सच्चाई के करीब जरूर कहा जा सकता है। मगर, जब दो तरह के एक्जिट पोल सामने आते हैं तो जनता किस पर विश्वास करे। ये एक्जिट पोल राज्यों के संदर्भ में कहीं सही और कहीं गलत होते रहते हैं। ऐसे में भ्रम पैदा करने वाले तथ्य मात्र रह जाते हैं।
पश्चिम बंगाल में एग्ज़िट पोल 
पश्चिम बंगाल                            NDA   UPA  Others
RESULTS 2019                      18       02       22
सी वोटर                                     11     02      29   
एक्सिस माइ इंडिया-इंडिया टुडे       21    00       21                   
किसी एग्ज़िट पोल ने गुजरात-राजस्थान में नहीं सोचा था ‘क्लीन स्वीप’
मध्यप्रदेश में एनडीए के पक्ष में 28-1 के आंकड़े की कल्पना किसी एग्ज़िट पोल ने नहीं की थी और न ही किसी ने गुजरात और राजस्थान में बीजेपी के लिए क्लीन स्वीप बताया था। पश्चिम बंगाल में सी वोटर ने पश्चिम बंगाल में एनडीए को 11 सीटें दिखलायी थीं जो वास्तव में 18 के मुकाबले कम रहीं। 
मध्य प्रदेश में एकतरफा नतीजा, एग्ज़िट पोल फेल
मध्यप्रदेश                              BJP      CONG
टाइम्स नाउ-वीएमआर               24   05
सी वोटर                                  24       05
एक्सिस माइ इंडिया टुडे             27       02
बिहार में सिर्फ एक सर्वे था सच के करीब
बिहार में सी वोटर ने एनडीए के लिए अधिकतम 33 सीटों का अनुमान लगाया था जो गलत साबित हुआ। एक सीट को छोड़कर सारी सीटें एनडीए ने ले ली। महाराष्ट्र में भी एनडीए के लिए 34 और यूपीए के लिए 14 सीटों का उसका अनुमान गलत साबित हुआ। वास्तव में यहां 41-5 का स्कोर दिखा।
कर्नाटक में कोई सर्वे नहीं बैठा सटीक
कर्नाटक में सी वोटर ने महागठबंधन को 9 सीटें दी थीं और एनडीए को 18 सीटें। वास्तव में यूपीए को यहां एक सीट मिली और एनडीए को 25 सीटें। कर्नाटक में एक्सिस माइ इंडिया-इंडिया टुडे का एग्ज़िट पोल भी गलत साबित हुआ जिसने यूपीए को 4 सीटें दी थीं।
किसी एग्ज़िट पोल में बीजेपी के लिए हिमाचल में 69.1 फीसदी, उत्तराखण्ड में 61 फीसदी, राजस्थान में 58.5 फीसदी, मध्यप्रदेश में 58 फीसदी, झारखण्ड में 51 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 50.7 फीसदी और यूपी में बीजेपी के लिए 49.6 फीसदी वोटों के अनुमान नहीं लगाए गये।
सवाल ये है कि क्या कुल सीटों की संख्या का आकलन मात्र बता देना एग्ज़िट पोल है या ये आंकड़े राज्यवार सही भी होने चाहिए?  अगर जीत, हार या कांटे की टक्कर ही बताना है तो यह आकलन तीन लोग बैठकर भी कर सकते हैं। एग्ज़िट पोल का मतलब राज्यवार स्थिति का सही आकलन होता है। किसी एग्ज़िट पोल ने यह कल्पना नहीं दिखलायी कि कांग्रेस 17 राज्यों में शून्य पर आ जाएगी। 
अब जनादेश आ चुका है और इसलिए एग्ज़िट पोल पर बहुत चर्चा नहीं होगी। मगर, गलत करने वालों को टोकना भी होगा, वरना तो एक बार फिर ये लोग गलत करने की तैयारी में जुट जाएंगे और यह सिलसिला आगे भी चलता रहेगा। सवाल ये है कि क्या एक्जिट पोल की जिम्मेदारी किसी को लेनी चाहिए या नहीं?