NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
क्या नेहरू युवा केंद्र के 300 प्रोग्राम कोर्डिनेटर निकाले जा रहे हैं?
युवाओं ने नई नौकरी पाकर मोदी सरकार की नीतियों का ज़िलों में ख़ूब प्रचार प्रसार भी किया। वोट भी बीजेपी को ही दिया होगा और आगे भी देंगे तब भी जब नौकरी नहीं होगी। इसलिए इन्हें गहरा सदमा लग रहा है। वैसे अगर ये युवा अपने आस-पास के युवाओं के साथ सरकारी परीक्षाओं में हो रही नाइंसाफ़ी को देखते तो समझते कि एक दिन उनके साथ भी ऐसा ही होगा। उम्मीद है केंद्र सरकार इन कार्डिनेटरों को नहीं हटाएगी और राजनीतिक सेवा के लिए परमानेंट करेगी।
रवीश कुमार
17 Aug 2019
नेहरू युवा केंद्र

 

कल कई कोर्डिनेटरों ने मुझे मेसेज पर मेसेज करना शुरू कर दिया। ज़ाहिर है किसी की नौकरी जाएगी तो परेशान होगा। जब चुनाव आया तो मिनिरत्न कंपनी बेसिल के ज़रिए 300 कार्यक्रम समन्वयक की नियुक्ति होती है। 1500 रुपये का फार्म ख़रीदा था इन युवाओं ने। ऑनलाइन परीक्षा दी और इंटरव्यू दिया। तब जाकर 3 साल के कांट्रेक्ट की नौकरी पर हुआ। इनकी सैलरी 31000 फिक्स हुई। अब इनकी आशंका है कि सरकार निकाल रही है क्योंकि चुनाव हो गया है। कांट्रेक्ट के तीन साल भी नहीं हुए हैं। उन्हीं के मेसेज के आधार पर लिख रहा हूं।

किसी की नौकरी जाने पर दुख होता है। इन युवाओं ने नई नौकरी पाकर मोदी सरकार की नीतियों का ज़िलों में ख़ूब प्रचार प्रसार भी किया। वोट भी बीजेपी को ही दिया होगा और आगे भी देंगे तब भी जब नौकरी नहीं होगी। इसलिए इन्हें गहरा सदमा लग रहा है। वैसे अगर ये युवा अपने आस-पास के युवाओं के साथ सरकारी परीक्षाओं में हो रही नाइंसाफ़ी को देखते तो समझते कि एक दिन उनके साथ भी ऐसा ही होगा। उम्मीद है केंद्र सरकार इन कार्डिनेटरों को नहीं हटाएगी और राजनीतिक सेवा के लिए परमानेंट करेगी।

अब जो भी युवा कांट्रेक्ट पर सरकारी नौकरी ज्वाइन कर रहे हैं वो यह बात ध्यान से सुन लें। सरकार या सरकारें अब परमानेंट नहीं करती हैं। आपकी नौकरी जाएगी ही जाएगी। कई लोग यह समझा देते हैं कि अभी घुस जाओ बाद में परमानेंट हो ही जाएगा तो यह बात सही नहीं है। आपकी ग़लती है। जब सरकार श्रम सुधार के कानून बनाकर कांट्रेक्ट की नौकरी के हालात बनाती है तब आप धार्मिक गौरव के राजनीतिक गान में मस्त होते हैं। आपने ही इस व्यवस्था को चुना है। आप कभी ऐसी ख़बरों या बहसों में दिलचस्पी नहीं लेते हैं। अब बहुत देर हो चुकी है।

छात्रवृत्ति आधी कर दी, बाकी पैसे नहीं दे रहा है यूपी का समाज कल्याण विभाग, छात्र मस्त हैं प्रोपेगैंडा में

यूपी का समाज कल्याण विभाग छात्रवृत्ति देता है। प्राइवेट कालेज में पढ़ने वाले एक ग़रीब परिवार के छात्र ने लिखा है कि उनकी फ़ीस दो साल से आधी होकर आ रही है। इस फ़ीस को प्रतिपूर्ति कहते हैं। कानून के छात्र की फीस की प्रतिपूर्ति दो साल तक हर साल 50,000 आई लेकिन 2017 से यह राशि घट कर 13080 हो गई है। आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्र काफी परेशान हो उठे हैं। कानून की पढ़ाई पांच साल की होती है। सरकार के द्वारा छात्रवृत्ति न देने से एक छात्र पर 73,840 रुपये का बक़ाया हो गया है। ज़ाहिर है यह राशि काफी है। अगर समय पर छात्रवृत्ति नहीं मिली तो कालेज इन्हें अंतिम परीक्षा में बैठने नहीं देगा और कानून की डिग्री नहीं ले पाएंगे।

आदित्य और अनुराग तिवारी ने कोर्ट में इसके ख़िलाफ़ रिट दायर की तब जाकर फ़ैसला आया है। वकील का ख़र्च नहीं उठा सकते थे तो ख़ुद मुकदमा लड़ा। इस तरह का नागरिक धर्म निभाने के बाद भी सरकार पर असर नहीं पड़ता है। यह जानकारी देने वाले केशव ने बताया कि उन्हें पैसे की ज़रूरत है। वर्ना उनकी पढ़ाई रूक जाएगी।

उसी तरह 2017 बीटीसी के छात्र इसी तरह की शिकायत को लेकर लिख रहे हैं। छात्रवृत्ति के भरोसे इन्होंने एडमिशन लिया लेकिन अब इनकी भी छात्रवृत्ति 44000 से घट कर 20,000 हो गई है। अब तो इस साल छात्रवृत्ति लेने का फार्म भी नहीं भरवाया जा रहा है। यही नहीं ओबीसी के लिए नियम कर दिया कि पिछली कक्षा में 62 प्रतिशत अंक आएंगे तभी अगली कक्षा की छात्रवृत्ति मिलेगी।

69,000 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र कब देंगे योगी जी

69,000 शिक्षकों की भर्ती का मामला आगे नहीं बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सार्वजनिक पत्र लिखने के बाद भी। छात्रों का कहना है कि सरकार जानबूझ कर कोर्ट में अपना प्रतिनिधि नहीं भेज रही है जिसके कारण रिज़ल्ट प्रकाशित नहीं हो रहा है। सात महीने हो गए परीक्षा के। इनके साथ नाइंसाफ़ी हो रही है।

राजस्थान के सरकारी मेडिकल कालेज में फीस के नाम पर हो रही डकैती है

राजस्थान के सरकारी मेडिकल कालेज में तीन प्रकार की फीस है। एक ही प्रतियोगिता परीक्षा से पास बच्चे अलग अलग फीस दे रहे हैं। जिन बच्चों के 568 अंक से ऊपर आए हैं उनका एडमिशन 52,310 प्रति वर्ष की फीस पर होता है। 568 से 581 अंक वाले छात्रों का साढ़े सात लाख प्रति वर्ष पर एडमिशन होता है। पांच साल की फीस 35-40 लाख हो जाती है। 212 सीटें एन आर आई के लिए रखी गई हैं। जिसकी फीस 75 लाख है पांच साल की। वसुंधरा सरकार का बनाया यह नियम समाज में स्वीकृत है। इसलिए एन आर आई मस्त हैं। वे अपने बच्चों को पैसे के दम पर डॉक्टर बना रहे हैं और किसी को मेरिट की चिन्ता नहीं है। दूसरे राज्यों में भी सरकारी कालेज की सीट बेटी जा रही है। क्या अशोक गहलोत इस सिस्टम को ख़त्म करेंगे?

दो दो साल बच्चे तैयारी करते हैं और 212 सीट एन आर आई को बेची जा रही है। एक मृत समाज में ही यह संभव है। जागृत समाज होता तो ऐसे फैसले लेने वालों के होश उड़ा देता।

आप इन ख़बरों को पढ़ कर क्या समझ रहे हैं?

ऐसा लगता है कि नौजवानों का यह हुजूम धार्मिक उन्माद और सरकारी प्रोपेगैंडा के वक्त ही ताकतवर नज़र आता है। बाकी समय में उसी की चुनी हुई सरकारें इंजेक्शन से उनका ख़ून चूस रही हैं इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। इनसे कोई उम्मीद नहीं रखता क्योंकि जाति और धर्म का अभिमान इनकी प्राथमिकता है। इन सबसे कहता रहा कि मीडिया भारत के लोकतंत्र को नष्ट कर रहा है, ये मुझे मेसेज करते रहे कि मैं पाकिस्तान का प्रोपेगैडा कर रहा रहूं। कल किसी ने मेरी तस्वीर किसी आतंकवादी के साथ लगाकर भेज दी। पर मैं यहां दर्ज करता रहूंगा। बताने के लिए कि भारत के युवा कितने खोखले हो चुके हैं। उनकी छात्रवृत्ति रोककर पढ़ाई बर्बाद की जा सकती है, उनका रिज़ल्ट रोककर नौकरी नहीं दी जा सकती है और लाखों की फीस वसूली जा सकती है, फिर भी वो मस्त हैं।

अब उन्हें आबादी का मुद्दा दे दिया गया है। इस मुद्दे की राजनीति में उन्हें साल भर सुख की प्राप्ति होगी। उन्हें ध्यान नहीं रहेगा कि यही प्रधानमंत्री मोदी जब प्रधानमंत्री बनने की दावेदारी कर रहे थे तब 2013 में ट्विट कर रहे थे कि आबादी लाभांश उठा सकते हैं। demographic dividend की बात करते थे। आज population explosion की बात करने लगे हैं। चूंकि इस पूरे मसले में एक धर्म विशेष को निशाना बनाया जाएगा और युवाओं को यह सूट भी करेगा इसलिए कोई सवाल नहीं करेगा कि तब तो आपको यही आबादी खजाना लगती थी अब ये क्यों समस्या लगने लगी है।

सांप्रदायिक और अंध राष्ट्रवाद के शिकार युवाओं से उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। अब इनके लिए इस बंधन से निकलना आसान नहीं है। कम से कम यही उम्मीद कर ली जाए कि ये किसी बड़े मुद्दे पर जानने के लिए परिश्रम करें। किताबें पढ़ें। कई तरह के लेख पढ़ें और अपना दिमाग़ लगाएं। लंबी पोस्ट लिखता हूं तो ये गुज़ारिश करते हैं कि व्हाट्स एफ की शैली में क्यों नहीं लिख रहा। जो युवा 2000 शब्द के लेख नहीं पढ़ सकता, लेख लिख नहीं सकता क्या आप उससे उम्मीद करेंगे कि वह राष्ट्र निर्माण में हिस्सा लेगा। मैं उम्मीद नहीं करता। मैं इन युवाओं से ख़ासा निराश हूं। पर लिखता रहूंगा। मैं इन्हीं से सांप्रदायिकता और अंध राष्ट्रवाद को लेकर लड़ता रहूंगा।

कई लोगों ने थ्योरी बना ली है। सोशल मीडिया से जागरूकता आती है। अब मैं टीवी छोड़कर इन मसलों पर यहीं लिखा करूंगा। देखता हूं कि यहां लिखने से क्या जागरूकता आती है और युवाओं की समस्या का समाधान होता है या नहीं। कृपया टीवी पर दिखाने का आग्रह न करें।

  

(रवीश कुमार वरिष्ठ पत्रकार और मशहूर टीवी एंकर हैं। उनकी यह टिप्पणी उनके आधिकारिक फेसबुक पेज से साभार ली गई है।)

ravish kumar
nehru yuva kendra
youth
youth issues
unemployment
India

Related Stories

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता

हम भारत के लोगों की असली चुनौती आज़ादी के आंदोलन के सपने को बचाने की है

हम भारत के लोग : इंडिया@75 और देश का बदलता माहौल

हम भारत के लोग : हम कहां-से-कहां पहुंच गये हैं

संविधान पर संकट: भारतीयकरण या ब्राह्मणीकरण

हम भारत के लोग:  एक नई विचार श्रृंखला

कैसे भाजपा की डबल इंजन सरकार में बार-बार छले गए नौजवान!

बेरोज़गारी से जूझ रहे भारत को गांधी के रोज़गार से जुड़े विचार पढ़ने चाहिए!

भारत और अफ़ग़ानिस्तान:  सामान्य ज्ञान के रूप में अंतरराष्ट्रीय राजनीति

महंगाई और बेरोज़गारी के बीच अर्थव्यवस्था में उछाल का दावा सरकार का एक और पाखंड है


बाकी खबरें

  • blast
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हापुड़ अग्निकांड: कम से कम 13 लोगों की मौत, किसान-मजदूर संघ ने किया प्रदर्शन
    05 Jun 2022
    हापुड़ में एक ब्लायलर फैक्ट्री में ब्लास्ट के कारण करीब 13 मज़दूरों की मौत हो गई, जिसके बाद से लगातार किसान और मज़दूर संघ ग़ैर कानूनी फैक्ट्रियों को बंद कराने के लिए सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही…
  • Adhar
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: आधार पर अब खुली सरकार की नींद
    05 Jun 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस सप्ताह की जरूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष
    05 Jun 2022
    हमारे वर्तमान सरकार जी पिछले आठ वर्षों से हमारे सरकार जी हैं। ऐसा नहीं है कि सरकार जी भविष्य में सिर्फ अपने पहनावे और खान-पान को लेकर ही जाने जाएंगे। वे तो अपने कथनों (quotes) के लिए भी याद किए…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' का तर्जुमा
    05 Jun 2022
    इतवार की कविता में आज पढ़िये ऑस्ट्रेलियाई कवयित्री एरिन हेंसन की कविता 'नॉट' जिसका हिंदी तर्जुमा किया है योगेंद्र दत्त त्यागी ने।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित
    04 Jun 2022
    देशभक्तों ने कहां सोचा था कि कश्मीरी पंडित इतने स्वार्थी हो जाएंगे। मोदी जी के डाइरेक्ट राज में भी कश्मीर में असुरक्षा का शोर मचाएंगे।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License