NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
लेनिन की सिर्फ मूर्ति टूटी है, उनके विचार नहीं
हमारे देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी भग़त सिंह भी लेनिन से बहुत प्रभावित थे ,बताया जाता है कि उनकी ज़िन्दगी के अंतम समय में भी वह लेनिन की किताब पढ़ रहे थे I
ऋतांश आज़ाद
06 Mar 2018
लेनिन

बीजेपी और IPFT के त्रिपुरा की सत्ता में काबिज़ हो जाने के बाद से वहाँ लगातार CPI(M) के दफ्तरों और पार्टी से जुड़े लोगों पर लगतार हमले हो रहे हैं I CPI(M) का आरोप है कि इस बीच पुलिस मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रही है I इसी बीच कल शाम ये खबर आयी कि दक्षिण त्रिपुरा में बीजेपी के कुछ हुडदंगियों ने वहाँ लगी हुई लेनिन की मूर्ति गिरा दी I इस निंदनीय घटना का एक विडियो भी सामने आया है जिसमें ये देखा सकता है कि किस तरह भगवा टोपियाँ पहने कुछ लोग बुलडोज़र से मूर्ति को गिरा रहे हैं और वहाँ मौजूद लोग “भारत माता की जय” के नारे लगाते हुए दिख रहे हैं I सवाल ये उठ रहा हैं कि इस पूरे समय पुलिस और प्रशासन क्या कर रहा था ?

पर बात सिर्फ एक मूर्ति की नहीं है, यहाँ सवाल ये उठता है कि लेनिन की मूर्ति गिराने से संघ क्या स्थापित करने की कोशिश कर रहा है ? इशारा साफ़ है ये विचारधारा की लड़ाई हैI यहाँ ये भी सवाल उठता है कि लेनिन किस चीज़ का प्रतीक हैं जिसे वामपंथी अपना गुरु समझते हैं और दक्षिणपंथी संघ परिवार जिसे ध्वस्त करना चाहता है ? कुछ लोग ये भी सवाल कर रहे हैं कि लेनिन जैसे विदेशी नेता की हमारे देश में क्या जगह है ?

इन दोनों बातों को समझने के लिए हमे ये जानना होगा कि लेनिन किस चीज़ के प्रतीक हैं I लेनिन समाजवाद की विचारधारा के सबसे बड़े प्रतीकों में से एक हैं I उन्होंने न सिर्फ इस विचारधरा को नए आयाम दिए बल्कि इसे पहली बार धरती पर स्थापित करने में एक अहम भूमिका भी निभाई I अगर सरल शब्दों के कहा जाए तो समाजवाद वो विचारधारा है जो कहती है कि दुनिया में पूँजी का नहीं बल्कि जनता का राज होना चाहिए , और ऐसा करने का रास्ता भी दिखाती है I सीधे शब्दों में कहा जाए तो ये ऊंच नीच के समाज को ख़तम कर एक बराबरी का समाज बनाना चाहती है I

समाजवाद की धारा को ठोस बनाने का काम मार्क्स और एंगल्स ने किया और उस को आगे बढाया लेनिन ने I समाजवादी ये समझते हैं कि दुनिया में जब उत्पादन के तरीके बदल जाते हैं तो नए वर्ग उभरते हैं पर एक वर्ग का दूसरे वर्ग पर शोषण नहीं ख़तम होता I इस धारा ने धर्मों , देशों और अंधविश्वासों में बंटी दुनिया को समझाया कि दुनिया दो वर्गों के बंटती जा रही है- एक पूंजीपति वर्ग जिसका उत्पादन के ज़रियों पर वर्चस्व है और दूसरा मज़दूर वर्ग जो अपने श्रम को बेचकर मुश्किल से ज़िन्दगी बिताता है I पूंजीपति का राज इसीलिए है क्योंकि उसका उत्पादन के सभी साधनों पर नियंत्रण है और मज़दूरों के पास बिलकुल मामूली कीमत पर अपना श्रम बेचने के अलावा और कोई चारा नहीं है I  इतिहास में पहली बार हमें ये ज्ञान मिला दुनिया में गरीबी किस्मत  के खेल से नहीं बल्कि पूंजीपति के द्वारा मज़दूर वर्ग के शोषण की वजह से पैदा होती है I इसे ख़तम करने का रास्ता ये बताया गया कि सारी दुनिया के मज़दूरों को एक होकर इस व्यवस्था की सारी बेड़ियाँ तोड़कर एक नए समाज का सृजन करना होगा I

इसी खूबसूरत विचार को लेनिन ने आगे बढ़ाते हुए उस ज़माने की पिछड़े देशों जिसमें रूस एक था, में लागू  करने की कुंजी दी I उन्होंने एक हरावल दस्ता बनाने का सबक दिया जिसके जीवन का मकसद ही क्रांति हो I उन्होंने क्रांति का अर्थ भी बखूबी समझाया और इसके लिए किसानों और मज़दूरों के गठजोड़ का एक नया रास्ता दिखाया I

अपनी किताब “राज्य और क्रांति” (State and Revolution) में लेनिन ने समझाया कि कैसे दुनिया में जो भी राज्य हैं उनपर पूंजीपतियों का वर्चस्व है और इसी वजह से राज्य जनता पर दमन करते हैं I कैसे उत्पादन के साधनों को मज़दूर किसान अपने हाथों में लेकर पूँजी और उसके दमन को ख़त्म करके समता मूलक समाज बना सकते है I उनके बहुत से योगदानों में एक ये भी था कि उन्होंने ये समझाया कि कैसे ये पूँजीपतियों का शासन एक देश से निकलकर दूसरे देशों को अपने अधीन करने लगा है और यही साम्राज्यवाद है I इस साम्राज्यवाद को कैसे पराजित किया जाए इसका रास्ता ठोस तरीकों से समझाने वाले लेनिन ही थे I

लेनिन के ऐतिहासिक महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्ही के नेतृत्व में दुनिया के इतिहास में पहली बार एक ऐसे राज्य की स्थापना हुई जहां सही मायनों में जनता का राज्य था I रूस की मेहनतकश जनता ने ज़ुल्म की बेड़ियाँ तोड़कर एक ऐसे राज्य की स्थापना की जिसने पहली बार महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक बराबरी दी और मतदान का अधिकार भी दिया , स्वास्थ्य सेवाओं को नि:शुल्क किया , 100% साक्षरता प्राप्त की और विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियाँ भी हासिल करीं I  मशहूर अर्थशास्त्री एंगस मैडिसन के अनुसार 1913 से 1965 तक सोवियत यूनियन की प्रतिव्यक्ति आय दुनिया में सबसे ज़्यादा थी, यहाँ तक कि जापान से भी ज़्यादा I इसके अलावा सोवियत संघ दुनिया का पहला राज्य बना, जिसने रोज़गार को अपने संविधान में मौलिक अधिकार का दर्जा दिया I यही वजह थी की 1936 तक वो दुनिया का पहला राष्ट्र बन गया था जहाँ बेरोज़गारी ख़त्म हो गई थी I

लेकिन उनका योगदान इस बात से और बड़ा हो जाता है कि रूस की समाजवादी क्रांति ने ही भारत और बाकी के पराधीन देशों को ये हौसला दिया कि वे भी स्वतंत्र हो सकते हैं I यही वजह थी कि 1947 में भारत को आज़ादी प्राप्त हुई और वहीं से अंग्रेजी शासन के अंतर्गत जितने भी देश थे वह एक के बाद के आज़ाद होते चले गए I मार्क्सवाद लेनिनवाद ने ही क्यूबा , चीन , उत्तर कोरिया ,वियतनाम की क्रांतियों को एक नई दिशा दी जहाँ बाद में समाजवादी राष्ट्र स्थापित हुए I

हमारे देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी भग़त सिंह भी लेनिन से बहुत प्रभावित थे ये उनके कई लेखों को पढने से साफ़ ज़ाहिर होता है I भगत सिंह अपने लेख “टू यंग पोलिटिकल वर्कर्स” में लिखते हैं कि हमें लेनिन से क्रांतिकारी राजनीति के तरीकों को सीखना चाहिए और समाजवादी क्रांति के लिए काम करना चाहिए I भगत सिंह इसमें युवाओं को कहते हैं “ हमें उस शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए जो लेनिन को सबसे प्रिय था “प्रोफेशनल रेवोल्यूशनरी”I एक ऐसा व्यक्ति जिसका क्रांति के सिवा ज़िदगी में और कोई मकसद ना हो I जितने ज़्यादा ऐसे लोग पार्टी में होंगे आपकी सफलता की संभावनाएं उतनी ही बढेंगी I”भगत सिंह और उनके साथियों ने 21 जनवरी 1930 को  थर्ड इंटरनेशनल के लिए एक टेलीग्राम लिखा और उसे कोर्ट में पढ़ा “लेनिन दिवस पर हमारी हार्दिक शुभकामनाएं उन सबके लिए , जो महान लेनिन के विचारों को आगे बढ़ाना चाहते हैं I हम उन सब के लिए सफलता की कामना करते हैं जो रूस के इस प्रयोग में शामिल हैं I हम अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर वर्ग के आन्दोलन के साथ अपनी आवाजों को एक करते हैंI मजदूरों की जीत होगी I पूँजीवाद की हार होगी , साम्राज्यवाद की मौत हो I"

बताया जाता है कि उनकी ज़िन्दगी के अंत समय में भी वह लेनिन की किताब “क्या करें (What is to be done )” पढ़ रहे थे I इस बात का ज़िक्र क्रांतिकारी कवि पाश अपनी भगत सिंह पर लिखी कविता “भगत सिंह ने पहली बार” में करते हैं -

“जिस दिन फाँसी दी गई
उनकी कोठरी में लेनिन की किताब मिली
जिसका एक पन्ना मुड़ा हुआ था
पंजाब की जवानी को
उसके आख़िरी दिन से
इस मुड़े पन्ने से बढ़ना है आगे, चलना है आगे”

उनके ज़्यादातर साथी बाद में कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े उनमें से एक थे शिव वर्मा जो आखिर तक CPIM में रहे और उत्तर प्रदेश में पार्टी के राज्य सचिव भी रहे I न सिर्फ ये बल्कि ग़दर पार्टी से लेकर चिट्गोंग के क्रांतिकारी सभी बाद में समाजवादी आन्दोलन से जुड़े थे I

तो यहाँ ये बात साफ़ स्थापित हो जाती है कि लेनिन का भारत के क्रांतिकारियों पर बहुत गहरा असर था I जहां तक बात रही विदेशी विचारधारा की तो समाजवाद ग़रीबी और शोषण के खात्मे का रास्ता दिखता है जिसे विभिन्न देशों में अलग अलग तरीकों से लागू किया जा सकता है I समाजवाद एक अन्तर्राष्ट्रीय विचारधारा इसीलिए है क्योंकि पूँजीवादी व्यवस्था अब सारी दुनिया में स्थापित हो गयी है और ये हमें 2008 की आर्थिक गिरावट में  साफ़ देखने  को मिलता है , जिसके बाद सारी दुनिया मंदी मार अब तक झेल रही है I पूंजीवाद और उससे बढ़ रही गैरबराबरी के इस दौर में जहाँ भारत में आज 1% लोगों के पास  देश की 73% संपत्ति है वहाँ लेनिन के विचारों का महत्व और भी ज़्यादा हो गया है I एक और बात ये है कि जो तथाकथित राष्ट्रवादी है उनकी खुद की विचारधारा हिटलर और मुसुलिनी से आती है , इस बात को बड़ी आसानी से आरएसएस के “गुरूजी” गोलवरकर की लेखों में देखा जा सकता है I

त्रिपुरा में तोड़ी गयी लेनिन की मूर्ति यही दर्शाती है कि बीजेपी और संघ को उनके विचारों से डर लगता है I वह और कांग्रेस उसी पूंजीपति वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं जो लगातार देश के संसाधनों को अपने हाथ में लेकर गैरबराबरी बढ़ा रहा है I संघ को पता है कि लेनिन की  विचारधारा को आगे ले जाने वाले ही उनकी शोषण की व्यवस्था को ध्वस्त कर सकती है I लेनिन के खुद के शब्द है कि “फासीवाद सड़ते हुई पूंजीवादी व्यवस्था का रूप है” शायद ये तिलमिलाहट इसीलिए है I पर वो यह भूल गए हैं कि लेनिन के विचारों को सिर्फ मूर्ति तोड़ने से नहीं मारा जा सकता I जब तक दुनिया में शोषण है लेनिन के विचार शोषण खिलाफ लड़ने वालों को बल देते रहेंगे I इस बात पर पाश की कविता “मैं घास हूँ” कि ये पंक्तियाँ याद आती हैं “मैं घास हूँ , मैं आपके हर किये धरे पर उग जाउंगा I”

लेनिन
बीजेपी
CPIM
त्रिपुरा
भगत सिंह
समाजवाद
रूस

Related Stories

त्रिपुरा: सीपीआई(एम) उपचुनाव की तैयारियों में लगी, भाजपा को विश्वास सीएम बदलने से नहीं होगा नुकसान

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन मामले को सुनियोजित रूप से ज्ञानवापी मस्जिद-मंदिर के विवाद में बदला गयाः सीपीएम

झारखंड : हेमंत सरकार को गिराने की कोशिशों के ख़िलाफ़ वाम दलों ने BJP को दी चेतावनी

मुंडका अग्निकांड: लापता लोगों के परिजन अनिश्चतता से व्याकुल, अपनों की तलाश में भटक रहे हैं दर-बदर

शाहीन बाग़ : देखने हम भी गए थे प तमाशा न हुआ!

शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'

LIC के कर्मचारी 4 मई को एलआईसी-आईपीओ के ख़िलाफ़ करेंगे विरोध प्रदर्शन, बंद रखेंगे 2 घंटे काम

जम्मू-कश्मीर: अधिकारियों ने जामिया मस्जिद में महत्वपूर्ण रमज़ान की नमाज़ को रोक दिया

कोलकाता : वामपंथी दलों ने जहांगीरपुरी में बुलडोज़र चलने और बढ़ती सांप्रदायिकता के ख़िलाफ़ निकाला मार्च


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
    02 Jun 2022
    साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति…
  • समृद्धि साकुनिया
    कैसे चक्रवात 'असानी' ने बरपाया कहर और सालाना बाढ़ ने क्यों तबाह किया असम को
    02 Jun 2022
    'असानी' चक्रवात आने की संभावना आगामी मानसून में बतायी जा रही थी। लेकिन चक्रवात की वजह से खतरनाक किस्म की बाढ़ मानसून से पहले ही आ गयी। तकरीबन पांच लाख इस बाढ़ के शिकार बने। इनमें हरेक पांचवां पीड़ित एक…
  • बिजयानी मिश्रा
    2019 में हुआ हैदराबाद का एनकाउंटर और पुलिसिया ताक़त की मनमानी
    02 Jun 2022
    पुलिस एनकाउंटरों को रोकने के लिए हमें पुलिस द्वारा किए जाने वाले व्यवहार में बदलाव लाना होगा। इस तरह की हत्याएं न्याय और समता के अधिकार को ख़त्म कर सकती हैं और इनसे आपात ढंग से निपटने की ज़रूरत है।
  • रवि शंकर दुबे
    गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?
    02 Jun 2022
    गुजरात में पाटीदार समाज के बड़े नेता हार्दिक पटेल ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनावों में पाटीदार किसका साथ देते हैं।
  • सरोजिनी बिष्ट
    उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा
    02 Jun 2022
    "अब हमें नियुक्ति दो या मुक्ति दो " ऐसा कहने वाले ये आरक्षित वर्ग के वे 6800 अभ्यर्थी हैं जिनका नाम शिक्षक चयन सूची में आ चुका है, बस अब जरूरी है तो इतना कि इन्हे जिला अवंटित कर इनकी नियुक्ति कर दी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License