NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
महाभारत का युद्ध, बलात्कार का ही परिणाम है
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप कुमार के कविता संग्रह 'बिन जिया जीवन ' के 'महाभारत व्यथा' अध्याय की तीसरी कविता 'गांधारी'।
न्यूज़क्लिक डेस्क
29 Sep 2019
gandhari
प्रतीकात्मक फोटो, साभार : पृथ्वी थियेटर

गांधारी
 

वन में आए दो वर्ष हो गए
कब मरेंगे हम सब
कोई जंगली जानवर भी तो
नहीं खाता हमें

कुंती भी है यहाँ विदुर भी
और मेरा हर समय बड़बड़ाने वाला
अंधा पति तो है ही

एक अनवरत रुदन चलता रहता है
मन के भीतर
जब भी इस पृथा की आवाज़ सुनती हूँ
एक अकथ-सी  ज्वाला में जलने लगती हूँ
सौ पुत्रों की माता का एक भी पुत्र जीवित नहीं
और इसके पाँचों जीवित हैं

भीम ने तो दु:शासन का सीना फाड़कर
उसका रुधिर पिया था और
द्रौपदी के बालों का उष्ण रक्त से श्रृंगार किया था
उसी ने दुर्योधन की जंघा तोड़ कर
गदा-युद्ध के नियमों को तोड़ा था

लेकिन तब तक कोई नियम बचा ही कहाँ था?
कौन था इस महाविनाश का दोषी?

शान्तनु
जो कभी स्वयं पर संयम नहीं रख पाया
या
भीष्म
जिसने संयम का ऐसा भीषण आदर्श रखा
कि
उस पर चलने के लिए
अन्य सभी मर्यादाएँ तोड़ दीं

इस महायुद्ध के लिए
कोई एक व्यक्ति दोषी नहीं है
शान्तनु से लेकर दुर्योधन तक
सभी दोषी हैं

स्वयं मैं भी

और भीष्म?
वह तो सबसे अधिक दोषी हैं

धृतराष्ट्र तो जन्म से ही अंधा था
लेकिन वह तो अपनी पितृभक्ति और
प्रतिज्ञा के गर्व में
इतने अंधे हो गए थे
और अपनी ही दृष्टि में
इतना ऊँचा उठ गए थे
कि कोई भी नियम उन पर
लागू नहीं होता था

कुरुओं के साम्राज्य के
वही एकमात्र वास्तविक उत्तराधिकारी थे
चित्रांगद और विचित्रवीर्य की मृत्यु के बाद
सत्यवती के आग्रह के बावजूद
वह
सिंहासन पर क्यों नहीं बैठे
जबकि उसके कारण ही उन्होंने
अविवाहित रहने और सिंहासन पर अधिकार न जताने की
प्रतिज्ञा की थी

कितना विडम्बनापूर्ण था यह यथार्थ!

कुरुओं का एक मात्र उत्तराधिकारी
सिंहासन पर नहीं बैठा
लेकिन  
जीवन भर सिंहासन का
सबसे सुदृढ़ पाया बना रहा
सेवा करता रहा उन नक़ली कौरवों की  
जिनकी शिराओं में
कुरुओं के रक्त की एक बूँद भी नहीं थी

सभी नियोग की संतति थे
सिंहासन पर सभी का दावा मिथ्या था

अत्यधिक संयम और  इंद्रिय दमन से
व्यक्ति कितना निर्मम और क्रूर बन सकता है
इसके सबसे बड़े उदाहरण
भीष्म थे

क्षत्रिय राजा राजकुमारियों का अपहरण
स्वयं उनसे विवाह करने के लिए करते थे
लेकिन भीष्म ने नियम तोड़ कर
अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का अपहरण
किया
विचित्रवीर्य के विवाह के लिए
और बदले में
कुरूवंश को अम्बा का शाप मिला

जन्मान्ध धृतराष्ट्र के साथ मेरा विवाह भी तो
ज़बरदस्ती भीष्म ने ही कराया
कितना हास्यास्पद था
जिसने स्वयं विवाह नहीं किया
वह जीवन भर दूसरों के विवाह कराता रहा
नियोग कराता रहा
बलपूर्वक

महाभारत का युद्ध
बलात्कार का ही परिणाम है

अगर मैं अपनी आँखों पर पट्टी
न बाँध लेती
तो क्या हर माँ की तरह
मैं भी अपने बच्चों की अच्छी परवरिश न करती
उन्हें बिगड़ने से न बचाती
लेकिन मैंने धृतराष्ट्र के प्रति क्रोध और प्रतिहिंसा में अंधी होकर
सारा जीवन आँखें मूँद कर  बिताने का निर्णय किया

अंधी माँ के बच्चे
दुर्योधन और दु:शासन जैसे न निकलते
तो और कैसे निकलते?

इस मामले में कुंती बहुत बुद्धिमान थी

फिर कुंती का ध्यान आ गया
कभी देखा नहीं उसे
न जाने कैसी लगती है
बातें मीठी-मीठी करती है
जो मेरे जी को और भी अधिक जलाती हैं

कब तक रहेंगे हम सब
एक साथ इस वन में
जहाँ कोई किसी के साथ नहीं है

मेरे पति के साथ मेरा कभी कोई स्नेह-सम्बन्ध बना ही नहीं
विदुर हमेशा विवेक की निरर्थक बातें करता रहा
आज्ञाकारी देवरनुमा सेवक बना रहा
कुंती से तो मैं बात ही क्या करूँ

इस वन में वैसा दावानल क्यों नहीं भड़कता
जैसा मेरे मन में है?

शायद मेरे मन की पूरी होने वाली है
पशु-पक्षियों में भगदड़ मच गयी है
आकाश धूम्राच्छादित हो रहा है
चलो अच्छा ही होगा अगर
आज हम सब
इस दावानल की गोद में शरण
ले सकें

अंत समय में मुझे
आँखों पर बंधी पट्टी के बावजूद
सब कुछ साफ़-साफ़ दिख रहा है


इसे भी पढ़ें : 'बिन जिया जीवन' की महाभारत व्यथा...

hindi poetry
hindi poet
Hindi fiction writer
mahabharat
हिंदी काव्य
हिंदी साहित्य
Gender Equality
gender justice
Women Rights
gender violence

Related Stories

कविता का प्रतिरोध: ...ग़ौर से देखिये हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र

देवी शंकर अवस्थी सम्मान समारोह: ‘लेखक, पाठक और प्रकाशक आज तीनों उपभोक्ता हो गए हैं’

गणेश शंकर विद्यार्थी : वह क़लम अब खो गया है… छिन गया, गिरवी पड़ा है

अदम गोंडवी : “धरती की सतह पर” खड़े होकर “समय से मुठभेड़” करने वाला शायर

हमें यह शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है : भगत सिंह की पसंदीदा शायरी

इतवार की कविता: अपने जगे एहसास को पत्थर नहीं बना सकतीं अफ़ग़ान औरतें

विशेष: ...मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए

इतवार की कविता : तुम्हारी जाति क्या है कुमार अंबुज?

राही मासूम रज़ा : साझा भारतीय संस्कृति के भाष्यकार

एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है...


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License