NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
महाराष्ट्र : लिखित समझौते के बाद किसानों का लॉन्ग मार्च-2 ख़त्म
पिछली बार के लॉन्ग मार्च से सबक लेते हुए किसान सभा ने इस बार सरकार से लिखित में ठोस आश्वासन लिया है और पिछले लॉन्ग मार्च की सफलता से सबक लेते हुए सरकार ने इस बार किसानों की बात थोड़ा जल्दी सुन ली। हालांकि इस दौरान भी दमन में कमी नहीं की गई, मगर किसानों की एकजुटता के आगे सरकार को झुकना पड़ा।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Feb 2019
AIKS

महाराष्ट्र सरकार के लिखित आश्वासन के बाद अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) का लॉन्ग मार्च-2 ख़त्म हो गया है। लेकिन लड़ाई अभी जारी रहेगी, जब तक किसानों को उनका पूरा हक नहीं मिल जाता है। साथ ही अब आदिवासियों को उनकी ज़मीन के हक़ के लिए भी एआईकेएस नये सिरे से अभियान शुरू करेगी।

पिछले बार के लॉन्ग मार्च से सबक लेते हुए किसान सभा ने इस बार सरकार से लिखित में आश्वासन लिया है और पिछले लॉन्ग मार्च की सफलता से सबक लेते हुए सरकार ने इस बार किसानों की बात थोड़ा जल्दी सुन ली। हालांकि इस दौरान भी दमन में कमी नहीं की गई, मगर किसानों की एकजुटता के आगे सरकार को झुकना पड़ा।

AIKS.jpg

आपको बता दें कि अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) की महाराष्ट्र इकाई ने मार्च 2018 में अपनी मांगों को लेकर नासिक से मुंबई तक लॉन्ग मार्च निकाला था। उस दौरान इस मार्च को जनता का भारी समर्थन मिला था। न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लोग इस आंदोलन से जुड़े थे। नासिक से मुंबई करीब 165 किलोमीटर के पैदल सफर में किसानों के पांव के पड़े छाले देखकर पूरा देश हिल गया था। करीब 6 दिन के मार्च के बाद महाराष्ट्र की बीजेपी की देवेन्द्र फडणवीस सरकार जागी और किसानों को सभी मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया।  

इसे भी पढ़ें : मुंबई किसान लॉन्ग मार्च: AIKS के नेतृत्व में संगठित विरोध से किसानों की बढ़ी उम्मीद

इसे भी पढ़ें : महाराष्ट्र किसान आंदोलन: इन चार नेताओं के बारे में आपको पता होना चाहिए

मार्च 2018 से फरवरी 2019 आई गई, लेकिन सरकार अपने वादों पर खरा नहीं उतरी और समझौते को लागू नहीं किया। सरकार की इसी वादाखिलाफी के खिलाफ अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) ने एक बार फिर नासिक से मुंबई तक लॉन्ग मार्च का फैसला किया। एआईकेएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धवले के मुताबिक पिछली 4 फरवरी को किसान सभा की महाराष्ट्र किसान काउंसिल ने बैठक कर 20 फरवरी से मुंबई तक लॉन्ग मार्च का ऐलान किया। इसके बाद सरकार जागी और मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने किसान प्रतिनिधियों को दो बार चर्चा के लिए बुलाया। पहली चर्चा 11 फरवरी को हुई और दूसरी बड़ी बैठक 17 फरवरी को हुई। बातचीत में काफी कुछ तय हुआ लेकिन कुछ चीजों पर फैसला नहीं हो सका, जिसकी वजह से एआईकेएस ने 20 फरवरी को लॉन्ग मार्च करने का निर्णय कायम रखा।

अशोक धवले के मुताबिक लॉन्ग मार्च का फैसला वापस न लेने पर सरकार दमन पर उतर आई और उसने एआईकेएस की राज्य ईकाई  के सचिव डॉ. अजीत नवले पर गलत तरीके से झूठा मुकदमा कर दिया। सरकार ने उनकी गिरफ़्तारी की भी साजिश की लेकिन वह कामयाब नहीं हो सकी। इस दौरान डॉ. अजीत नवले के ज़िले अहमदनगर के किसान कार्यकर्ताओं का भी उत्पीड़न किया गया। ठाणे और पालघर से लॉन्ग मार्च में शामिल होने के लिए नासिक आ रहे 10 हज़ार से ज़्यादा किसानों को पुलिस ने अलग-अलग जगह पर रोक दिया। विरोध बढ़ा तो पुलिस को इन किसानों को छोड़ना पड़ा। किसान प्रतिनिधियों को एक बार फिर फिर चर्चा  के लिए बुलाया गया लेकिन लिखित में समझौते की मांग की गई और इसे पूरा न करने पर 21 फरवरी की सुबह 10 बजे नासिक से करीब 30 हज़ार किसानों ने मुंबई की तरफ मार्च शुरू कर दिया।

एआईकेएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक धवले ने बताया कि नासिक से मुंबई की ओर करीब 20 किलोमीटर चलने के बाद सरकार के दो मंत्री किसानों से मिलने आए और लिखित ड्राफ्ट भी लाए। इसके बाद किसान प्रतिनिधि सरकार के मंत्रियों के साथ एक बार फिर बातचीत की मेज पर बैठे और सरकार के ड्राफ्ट में किसान हित में कई बदलावों की मांग की गई, जिसे सरकार ने स्वीकार किया। इस प्रकार किसान सभा की करीब 15 मांगों में से सरकार ने ज़्यादातर को लिखित तौर पर मान लिया है, जिसके बाद आधी रात के करीब लॉन्ग मार्च खत्म करने का फैसला लिया गया। लेकिन इस बार एक महत्वपूर्ण निर्णय ये लिया गया है कि समझौते के अनुसार मांग लागू हो रही हैं या नहीं ये देखने के लिए सरकार और अफसर हर दो महीने में किसान प्रतिनिधियों के साथ बैठेंगे। इस प्रकार हर दो महीने में समझौते को लेकर रिव्यू मीटिंग की जाएगी।

आपको बता दें कि इस मार्च में किसानों की ओर से 15 बिंदू का मांग पत्र जारी किया गया था और मार्च के तीन प्रमुख उद्देश्य बताए गए थे।

पहला उद्देश्य- भाजपा की सरकार ने पिछले साल मार्च में किसानों से समझौता किया था लेकिन बार-बार याद दिलाने के बाद भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। यहाँ तक कि सरकार ने जितनी कर्ज माफी का वादा किया था उसकी आधी ही धन राशि जारी की इसके आलावा वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) का कार्यान्वयन भी नहीं किया। किसानों की सरकार से मांग है कि सरकार अपने किये गए समझौतों को पूरा करे।

दूसरा उद्देश्य- इस साल आधे महाराष्ट्र ने भयानक सूखे का सामना किया। बहुत बड़ी आबादी सूखे की मार झेल रही है। इन लोगों की दुर्दशा पर राज्य सरकार की प्रतिक्रिया बहुत ही निंदनीय है। एआईकेएस ने अपनी मांगों में चार्टर में दो प्रकार की माँगों पर प्रकाश डाला, एक- तत्काल राहत के लिए जैसे कि पेयजल, भोजन, मनरेगा के तहत रोजगार, मवेशियों के लिए चारा, किसानों को उनकी फसल के नुकसान का मुआवजा। इसके अलावा किसानों को मदद करने के लिए एक व्यापक फसल बीमा योजना और न कि कॉर्पोरेट बीमा कंपनियां के लिए।

तीसरा उद्देश्य- नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा की केंद्र सरकार की वादाखिलाफी का पर्दाफाश। इस सरकार ने किसानों और कृषि श्रमिकों के प्रति उदासीनता बरती है और धोखा दिया है। 2014 के चुनाव से पूर्व हर सभा में मोदी और भाजपा ने किसानों से पूर्ण कर्ज माफी और उत्पादन की लागत से डेढ़ गुना एमएसपी घोषित करने की स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने का वादा किया था लेकिन यह सब आज जुमला लग रहा है। किसान सभा के नेताओं का कहना है कि सरकार एक तरफ को पूंजीपतियों के लाखों करोड़ के कर्ज माफ कर रही है लेकिन किसानों को राहत के नाम पर 5 एकड़ से कम ज़मीन वाले किसानों को 6 हज़ार रुपये सालाना दे रही है। यह राहत नहीं बल्कि किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। भाजपा सरकार मनरेगा, जो कृषि श्रमिकों के लिए जीवन यापन का सहारा है, उसको लगातर घटा रही है। इसके आलावा जबरन भूमि अधिग्रहण की नीतियां किसान विरोधी रही हैं।

इस मार्च को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महाराष्ट्र राज्य समिति, सीटू महाराष्ट्र राज्य समिति और किसान और कामगार पार्टी (पीडब्ल्यूपी) और अन्य सभी जन मोर्चों के नेता और कार्यकर्ता - सीटू, AIAWU, AIDWA, DYFI और SFI  ने भी समर्थन दिया था।

अशोक धवले ने किसान आंदोलन की सफलता पर खुशी जताई लेकिन साथ ही कहा कि इस समय एक नया ख़तरा भी मंडरा रहा है और ये ख़तरा या डर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पैदा हुआ है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी वनाधिकार कानून के तहत लाखों आदिवासियों को जंगल से बेदखल करने का आदेश दिया है।

किसान नेता धवले के मुताबिक इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट नहीं बल्कि मोदी सरकार ज़िम्मेदार है। जिसने अपने वकील कोर्ट में नहीं भेजे, जिस वजह से कोर्ट ने ऐसा निर्णय लिया।  

धवले के मुताबिक आदिवासियों के हक के लिए भी एआईकेएस पूरी ताकत से मुहिम चलाएगी। इस तरह आने वाले दिन भी संघर्ष से भरे होंगे। उनके मुताबिक केंद्र की मोदी सरकार बार-बार गरीब-मेहनतकश मज़दूर-किसानों को छल रही है। वो चाहे कर्ज़ माफ़ी का मामला हो गया लागत से डेढ़ गुना दाम का। इस सबको लागू करने में नाकाम मोदी सरकार ने अब किसान परिवारों को 6 हज़ार रुपये सालाना देने का शिगूफा छोड़ा है। इसमें भी सब किसान परिवार शामिल नहीं हैं और जो हैं उनमें भी अगर पांच सदस्य हैं तो हर सदस्य के हिस्से 3 रुपये 30 पैसे आएंगे। इस तरह ये ऐलान भी एक धोखे से ज़्यादा कुछ नहीं।

किसान नेता ने कहा कि किसान इस सबको देख-परख रहा है और आने वाले चुनाव में तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तरह मोदी सरकार को भी केंद्र से बाहर कर दिया जाएगा। उनके मुताबिक ये लॉन्ग मार्च लिखित समझौते पर खत्म हुआ है, जिससे पूरे संघर्ष को एक नई ताकत मिली है।  

इसे भी पढ़ें : 2019 के चुनाव से पूर्व किसानों ने कहा “नरेंद्र मोदी किसान विरोधी”

AIKS
Maharashtra
Kisan Long March
nasik to mumbai
Devendra Fednavis
BJP Govt
farmer crises
Ashok Dhawale

Related Stories

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस

डीवाईएफ़आई ने भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए संयुक्त संघर्ष का आह्वान किया

महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया

महाराष्ट्र में गन्ने की बम्पर फसल, बावजूद किसान ने कुप्रबंधन के चलते खुदकुशी की

2023 विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र तेज़ हुए सांप्रदायिक हमले, लाउडस्पीकर विवाद पर दिल्ली सरकार ने किए हाथ खड़े

खबरों के आगे-पीछे: अंदरुनी कलह तो भाजपा में भी कम नहीं

अब राज ठाकरे के जरिये ‘लाउडस्पीकर’ की राजनीति

सीताराम येचुरी फिर से चुने गए माकपा के महासचिव

‘तमिलनाडु सरकार मंदिर की ज़मीन पर रहने वाले लोगों पर हमले बंद करे’


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License