NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
महात्मा ज्योतिबा फुले: आधुनिक भारत के निर्माता
28 नवंबर को महात्मा ज्योतिबा फुले का स्मृति दिन है. इसी दिन 1890 को उनका निधन हुआ था.
संजय जोठे
28 Nov 2017
Jyotiba Phule

ज्योतिबा फुले और अम्बेडकर का जीवन और कर्तृत्व बहुत ही बारीकी से समझे जाने योग्य है. आज जिस तरह की परिस्थितियाँ हैं उनमे ये आवश्यकता और अधिक मुखर और बहुरंगी बन पडी है. दलित आन्दोलन या दलित अस्मिता को स्थापित करने के विचार में भी एक “क्रोनोलाजिकल” प्रवृत्ति है, समय के क्रम में उसमे एक से दूसरे पायदान तक विक्सित होने का एक पैटर्न है और एक सोपान से दूसरे सोपान में प्रवेश करने के अपने कारण हैं. ये कारण सावधानी से समझे और समझाये जा सकते हैं.


अधिक विस्तार में न जाकर ज्योतिबा फुले और अम्बेडकर के उठाये कदमों को एकसाथ रखकर देखें. दोनों में एक जैसी त्वरा और स्पष्टता है. समय और परिस्थिति के अनुकूल दलित समाज के मनोविज्ञान को पढ़ने, गढ़ने और एक सामूहिक शुभ की दिशा में उसे प्रवृत्त करने की दोनों में मजबूत तैयारी दिखती है. और चूंकि कालक्रम में उनकी स्थितियां और उनसे अपेक्षाएं भिन्न है, इसलिए एक ही ध्येय की प्राप्ति के लिए गए उनके कदमों में समानता होते हुए भी कुछ विशिष्ट अंतर भी नजर आते हैं.

ज्योतिबा के समय में जब कि शिक्षा दलितों के लिए एक दुर्लभ आकाशकुसुम था, और शोषण के हथियार के रूप में निरक्षरता और अंधविश्वास जैसे “भोले-भाले” कारणों को ही मुख्य कारण माना जा सकता था– ऐसे वातावरण में शिक्षा और कुरीती निवारण –इन दो उपायों पर पूरी ऊर्जा लगा देना आसान था. न केवल आसान था बल्कि यही संभव भी था. और यही ज्योतिबा ने अपने जीवन में किया भी. क्रान्ति-दृष्टाओं की नैदानिक दूरदृष्टि और चिकित्सा कौशल की सफलता का निर्धारण भी समय और परिस्थितियाँ ही करती हैं.

इस विवशता से इतिहास का कोई क्रांतिकारी या महापुरुष कभी नहीं बच सका है. ज्योतिबा और उनके स्वाभाविक उत्तराधिकारी अम्बेडकर के कर्तृत्व में जो भेद हैं उन्हें भी इस विवशता के आलोक में देखना उपयोगी है. इसलिए नही कि एक बार बन चुके इतिहास में अतीत से भविष्य की ओर चुने गये मार्ग को हम इस भाँती पहचान सकेंगे, बल्कि इसलिए भी कि अभी के जाग्रत वर्तमान से भविष्य की ओर जाने वाले मार्ग के लिए पाथेय भी हमें इसी से मिलेगा.

ज्योतिबा के समय की “चुनौती” और अम्बेडकर के समय के “अवसर” को तत्कालीन दलित समाज की उभर रही चेतना और समसामयिक जगत में उभर रहे अवसरों और चुनौतियों की युति से जोड़कर देखना होगा. जहां ज्योतिबा एक पगडंडी बनाते हैं उसी को अम्बेडकर एक राजमार्ग में बदलकर न केवल यात्रा की दशा बदलते हैं बल्कि गंतव्य की दिशा भी बदल देते हैं. नए लक्ष्य के परिभाषण के लिए अम्बेडकर न केवल मार्ग और लक्ष्य की पुनर्रचना करते हैं बल्कि अतीत में खो गए अन्य मार्गों और लक्ष्यों का भी पुनरुद्धार करते चलते हैं. फूले में जो शुरुआती लहर है वो अम्बेडकर में प्रौढ़ सुनामी बनकर सामने आती है, और एक नैतिक आग्रह और सुधार से आरम्भ हुआ सिलसिला, किसी खो गए सुनहरे अतीत को भविष्य में प्रक्षेपित करने लगता है.

आगे यही प्रक्षेपण अतीत में छीन लिए गए “अधिकार” को फिर से पाने की सामूहिक प्यास में बदल जाता है.

इस यात्रा में पहला हिस्सा जो शिक्षा, साक्षरता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण जन्माने जैसे नितांत निजी गुणों के परिष्कार में ले जाता था, वहीं दूसरा हिस्सा अधिकार, समानता और आत्मसम्मान जैसे कहीं अधिक व्यापक, इतिहास सिद्ध और वैश्विक विचारों के समर्थन में कहीं अधिक निर्णायक जन-संगठन में ले जाता है. इतना ही नहीं बल्कि इसके साधन और परिणाम स्वरूप राजनीतिक उपायों की खोज, निर्माण और पालन भी आरम्भ हो जाता है.

यह नया विकास स्वतन्त्रता पश्चात की राष्ट्रीय और स्थानीय राजनीति में बहुतेरी नयी प्रवृत्तियों को जन्म देता है. जो समाज हजारों साल से निचली जातियों को अछूत समझता आया था उसकी राजनीतिक रणनीति में जाति का समीकरण सर्वाधिक पवित्र साध्य बन गया. ये ज्योतिबा और आम्बेडकर का किया हुआ चमत्कार है, जिसकी भारत जैसे रुढ़िवादी समाज ने कभी कल्पना भी न की थी. यहाँ न केवल एक रेखीय क्रम में अधिकारों की मांग बढ़ती जाती है बल्कि उन्हें अपने दम पर हासिल करने की क्षमता भी बढ़ती जाती है.

इसके साथ साथ इतिहास और धार्मिक ग्रंथों के अँधेरे और सडांध-भरे तलघरों में घुसकर शोषण और दमन की यांत्रिकी को बेनकाब करने का विज्ञान भी विकसित होता जाता है.ये बहुआयामी प्रवृत्तियाँ जहां एक साथ एक ही समय में इतनी दिशाओं से आक्रमण करती हैं कि शोषक और रुढ़िवादी वर्ग इससे हताश होकर “आत्मरक्षण” की आक्रामक मुद्रा में आ जाता है.एक विस्मृत और शोषित अतीत की राख से उभरकर भविष्य के लिए सम्मान और समानता का दावा करती हुयी ये दलित चेतना इस प्रष्ठभूमि में लगातार आगे बढ़ती जाती है.

Courtesy: सबरंग इंडिया ,
Original published date:
28 Nov 2017
Jyotiba Phule
Dalit movement
Ambedkar

Related Stories

विचारों की लड़ाई: पीतल से बना अंबेडकर सिक्का बनाम लोहे से बना स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी

मोदी सरकार 'पंचतीर्थ' के बहाने अंबेडकर की विचारधारा पर हमला कर रही है

RTI क़ानून, हिंदू-राष्ट्र और मनरेगा पर क्या कहती हैं अरुणा रॉय? 

एलएसआर के छात्रों द्वारा भाजपा प्रवक्ता का बहिष्कार लोकतंत्र की जीत है

केवल आर्थिक अधिकारों की लड़ाई से दलित समुदाय का उत्थान नहीं होगा : रामचंद्र डोम

सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए आंबेडकर के संघर्षों से प्रेरणा लें : विजयन

मैं अंबेडकर बोल रहा हूँ... भेद तुम्हारे खोल रहा हूँ

जनतंत्र पर हिन्दुत्व का बुल्डोजर और अंबेडकर की भविष्यवाणी

न्याय प्रणाली के 'भारतीयकरण' का रास्ता: जस्टिस नज़ीर सही या डॉ अम्बेडकर?

हिंदू दक्षिणपंथियों को यह पता होना चाहिए कि सावरकर ने कहा था "हिंदुत्व हिंदू धर्म नहीं है"


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया
    06 Jun 2022
    वक्फ की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह एक जीवंत मस्जिद है, जो कि एक राजपत्रित वक्फ संपत्ति भी है, जहां लोग नियमित रूप से नमाज अदा कर रहे थे। हालांकि, अचानक 15 मई को भारतीय पुरातत्व…
  • भाषा
    उत्तरकाशी हादसा: मध्य प्रदेश के 26 श्रद्धालुओं की मौत,  वायुसेना के विमान से पहुंचाए जाएंगे मृतकों के शव
    06 Jun 2022
    घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद शिवराज ने कहा कि मृतकों के शव जल्दी उनके घर पहुंचाने के लिए उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से वायुसेना का विमान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था, जो स्वीकार कर लिया…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव
    06 Jun 2022
    23 जून को उपचुनाव होने हैं, ऐसे में तमाम नामों की अटकलों के बाद समाजवादी पार्टी ने धर्मेंद्र यादव पर फाइनल मुहर लगा दी है। वहीं धर्मेंद्र के सामने भोजपुरी सुपरस्टार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं।
  • भाषा
    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ‘पार्टीगेट’ मामले को लेकर अविश्वास प्रस्ताव का करेंगे सामना
    06 Jun 2022
    समिति द्वारा प्राप्त अविश्वास संबंधी पत्रों के प्रभारी सर ग्राहम ब्रैडी ने बताया कि ‘टोरी’ संसदीय दल के 54 सांसद (15 प्रतिशत) इसकी मांग कर रहे हैं और सोमवार शाम ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में इसे रखा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 
    06 Jun 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है और क़रीब ढाई महीने बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 25 हज़ार से ज़्यादा 25,782 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License